इन्हीं के हाथों सड़क पे हम तुम पड़े हुए हैं - इरतज़ा निशात

इन्हीं के हाथों सड़क पे हम तुम पड़े हुए हैं

इन्हीं के हाथों सड़क पे हम तुम पड़े हुए हैं
इन्हें बदल दो, ये रहनुमा सब सड़े हुए हैं

हम और दुश्मन वतन के? फिरकापरस्त गुंडो!
ये सारे क़िस्से तुम्हारे अपने गढ़े हुए हैं

हमें भगाने की कोशिशों को तलाक़ दे दो
यहां से जाएँ! यहीं तो पल के बड़े हुए हैं

वतन पे क़ुर्बानियों में हम कब किसी से कम हैं
क़दम क़दम पर हमारे झंडे गड़े हुए हैं

शहीद टीपू, हमीद, उस्मान, हनीफ, अशफ़ाक़
इसी ज़मीं पर ये हीरे मोती जड़े हुए हैं

अब हिन्दू मुस्लिम हैं भाई भाई मिटाओ इनको!
चलाओ गोली, तुम्हारे आगे खड़े हुए हैं

हम इर्तिज़ा उस दरख़्त जैसे वतन में अपने
कि जिसके पत्ते बहार में भी झड़े हुए हैं - इरतज़ा निशात


Inhi ke haatho sarak pe ham tum pade hue hai

Inhi ke haatho sarak pe ham tum pade hue hai
inhe badal do, ye rahnuma sab sade hue hai

ham aur dushman watan ke! firqaparast Gundo!
ye saare qisse tumhaare apne gade hue hai

hame bhagaane ki koshisho ko talaaq de do
yahaa se jaaye! yahi to pal ke bade hue hai

watan pe qurbaniyo me ham kab kisi se kam hai
qadam qadam par hamaare jhande gade hue hai

Shaheed Tipu, Hameed, Usmaan, Hanif, Ashfaq
isi zameen par ye heere moti jade hue hai

ab Hindu, Muslim hai bhai-bhai, mitaao inko
chalaao goli, tumhaare aage khade hue hai

ham Irtiza us darakht jaise watan me apne
ki jiske patte bahaar me bhi jhade hue hai - Irtaza Nishat

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