सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
सितारों से आगे जहाँ और भी हैंअभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं
तही ज़िन्दगी से नहीं ये फ़ज़ायें
यहाँ सैकड़ों कारवाँ और भी हैं
कना'अत न कर आलम-ए-रन्ग-ओ-बु पर
चमन और भी, आशियाँ और भी हैं
अगर खो गया एक नशेमन तो क्या ग़म
मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुगाँ और भी हैं
तू शहीं है पर्वाज़ है काम तेरा
तेरे सामने आस्माँ और भी हैं
इसी रोज़-ओ-शब में उलझ कर न रह जा
के तेरे ज़मीन-ओ-मकाँ और भी हैं
गए दिन की तन्हा था मैं अंजुमन में
यहाँ अब मेरे राज़दाँ और भी हैं - अल्लामा इक़बाल
मायने
तही = तनहा/खाली, फ़ज़ायें = माहौल/मौसम, कना'अत = खुश होना/सतुष्ट होना , आलम-ए-रन्ग-ओ-बु = खुशबु और रंग का जहां, नशेमन = घौसला, मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुगाँ=रोने या शांत होने की एक जगह, ज़मीन-ओ-मकाँ = समय के रास्ते
sitaron se aage jahan aur bhi hai
sitaron se aage jahan aur bhi haiabhi ishq ke imtihaan aur bhi hai
tahi zindgi se nahi ye fazaye
yaha sekdo karwaan aur bhi hai
kanaat n kar aalam-e-rang-o-bu par
chaman aur bhi, aashiyaan aur bhi hai
agar kho gaya ek nasheman to kya gam
makamat-e-aah-o-fuga aur bhi hai
tu shaheen hai parwaj hai kaam tera
tere samne aasmaan aur bhi hai
isi roj-o-shab me ulajh kar n rah ja
ke te zameen-o-makaan aur bhi hai
gaye din ki tanha tha mai anjuman me
yaha ab mere rajaan aur bhi hai - Allama Iqbal