चौंक चौंक उठती है महलों की फिजा रात गए - जाँ निसार अख़्तर

चौंक चौंक उठती है महलों की फिजा रात गए

चौंक चौंक उठती है महलों की फिजा रात गए
कौन देता है ये गलियों में सदा रात गए

ये हकाइक की चट्टानों से तराशी दुनिया
ओढ़ लेती है तिलिस्मो की रिदा रात गए

चुभ के रह जाती है सीने में बदन की खुशबु
खोल देता है कोई बंद-ऐ-कबा रात गए

आओ हम जिस्म की शम्मा से उजाला कर ले
चाँद निकला भी तो निकलेगा जरा रात गए

तू न अब आए तो क्या, आज तलक आती है
सीढियों से तेरे कदमो की सदा रात गए - जाँ निसार अख्तर
मायने
हकाईक = सच्चाई, बंद-ऐ-कबा = अंगरखा, रिदा = चादर


chounk chounk uthti hai mahlo ki fiza raat gaye

chounk chounk uthti hai mahlo ki fiza raat gaye
koun deta hai ye galiyo me sada raat gayee

ye hakaik ki chattano se tarashi duniya
odh leti hai tilismo ki rida raat gayee

chubh ke rah jaati hai seene me badan ki khushbu
khol deta hai koi band-e-kaba raat gye

aao ham jism ki shamma se ujala kar le
chand nikla bhi to niklega jara raat gayee

tu n ab aaye to kya, aaj talak aati hai
sidhiyo se tere kadmo ki sadaa raat gaye - Jaan Nisar Akhtar

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