अब दिल है मक़ाम बेकसी का - दाग़ देहलवी

कहते है उसे जबाने-उर्दू जिसमे न हो रंग फ़ारसी का - dagh dehlvi

अब दिल है मक़ाम बेकसी का

अब दिल है मक़ाम बेकसी का
यूँ घर न तबाह हो किसी का

रोना है अब उस हँसी खुशी का
मातम है बहारे ज़िन्दगी का

किस-किस को मजा है आशिकी का
तुम नाम तो लो भला किसी का

गुलशन में तेरे लबो ने गोया
रस चूस लिया कली-कली का

तेरा भी तो हुस्न है दगाबाज़
होता ही नहीं कोई किसी का

लेते नहीं बज़्म में मेरा नाम
कहते है ख्याल है किसी का

जीते है किसी की आस पर हम
एहसान है ऐसी ज़िन्दगी का

बनती है बुरी कभी जो दिल पर
कहता हूँ बुरा हो आशिकी का

इतनी ही तो बस कसर है तुम में
कहना नहीं मानते किसी का

हम बज़्म में उनकी चुपके बैठे
मुँह देखते है हर आदमी का

जब ऐसी वफ़ा पे यह ज़फ़ा हो
जी छूट न जाए आदमी का

जो दम है वह बसा गनीमत
सारा सौदा है जीते जी का

आगाज़ को कौन पूछता है
अंजाम अच्छा हो आदमी का

कहते है उसे जबाने-उर्दू
जिसमे न हो रंग फ़ारसी का

ऐसे से जो 'दाग़' ने निबाही
सच है कि यह काम था उसी का - दाग़ देहलवी


Ab dil hai makam bekasi ka

Ab dil hai makam bekasi ka
yun ghr n tabah ho kisi ka

rona hai ab us hansi khushi ka
matam hai bahare zindagi ka

kis kis ko maja hai aashiqui ka
tum naam to lo bhala kisi ka

gulshan me tere labo ne goya
ras chus liya kali-kali ka

tera bhi to husn hai daghabaz
hota hi nahi koi kisi ka

lete nahi bazm me mera naam
kahte hai khyal hai kisi ka

jeete hai kisi ki aas par ham
ehsan hai aisi zindagi ka

banti hai buri kabhi jo dil par
kahta hun bura ho aashiqui ka

itni hi to bas kasar hai tum me
kahna nahi mante kisi ka

ham bazm me unki chupke baithe
munh dekhte hai har aadmi ka

jab aisi wafa pe yah zafa ho
ji chhut n jaye aadmi ka

jo dam hai wah basa ganimat
sara souda hai jeete ji ka

aaghaz ko koun puchhta hai
anzam achha ho aadmi ka

kahte hai use zaban-e-Urdu
jisme n ho rang Farsi ka

aise se jo 'Daagh' ne nibahi
sach hai ki yah kaam tha usi ka - Daagh Dehlvi

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