हम तो समझते थे हम एक उल्लू है।
ग़ज़ल- 221 221 22 1222अरकान - मफ़ऊल मफ़ऊल फ़ैलुन मुफ़ाईलुन
हम तो समझते थे हम एक उल्लू है।
जब रात घूमे दिखे अनेक उल्लू है।।
इन उल्लुओं में भी कुछ फेक उल्लू है।
सच्चे है जो बाई मिसटेक उल्लू है।।
महफ़िल में उल्लू कि हर एक उल्लू है।
फर्जी है डिग्री जो बी टेक उल्लू है।।
इस दौरे उल्लू में उल्लू ही उल्लू है।
तुम ही नहीं उल्लू एक से एक उल्लू है।।
फ़स्ल-ए बहाराँ है देखो निज़ाम उल्लू।
मुमकिन है सब जब तलक नेक उल्लू है।। - निज़ाम फतेहपुरी
ham to samjhte the ham ek ullu hain
ham to samjhte the ham ek ullu hainjab rat ghume dikhe anek ullu hain
in ulluon mein bhi kuchh fake ullu hain
sachhe hai jo by-mistaake ullu hain
mahfil me ullu ki har ek ullu hain
farzi hai digri jo b-tech ullu hain
is daur-e-ullu mein ullu hi ullu hain
tum hi nahin ullu ek se ek ullu hain
fasl-e-baharan hai dekho nizam ullu
mumkin hain sab jab talak nek ullu hain - Nizam Fatehpuri