चराग़ों का घराना चल रहा है - राहत इंदौरी

चराग़ों का घराना चल रहा है

चराग़ों का घराना चल रहा है
हवा से दोस्ताना चल रहा है

जवानी की हवाएँ चल रही हैं
बुज़ुर्गों का ख़ज़ाना चल रहा है

मिरी गुम-गश्तगी पर हँसने वालो
मिरे पीछे ज़माना चल रहा है

अभी हम ज़िंदगी से मिल न पाए
तआ'रुफ़ ग़ाएबाना चल रहा है

नए किरदार आते जा रहे हैं
मगर नाटक पुराना चल रहा है

वही दुनिया वही साँसें वही हम
वही सब कुछ पुराना चल रहा है

ज़ियादा क्या तवक़्क़ो हो ग़ज़ल से
मियाँ बस आब-ओ-दाना चल रहा है

समुंदर से किसी दिन फिर मिलेंगे
अभी पीना-पिलाना चल रहा है

वही महशर वही मिलने का वा'दा
वही बूढ़ा बहाना चल रहा है

यहाँ इक मदरसा होता था पहले
मगर अब कारख़ाना चल रहा है - राहत इंदौरी


charaghon ka gharana chal raha hai

charaghon ka gharana chal raha hai
hawa se dostana chal raha hai

jawani ki hawaen chal rahi hain
buzurgon ka khazana chal raha hai

meri gum-gashtagi par hansne walo
mere pichhe zamana chal raha hai

abhi hum zindagi se mil na pae
taaruf ghaebana chal raha hai

nae kirdar aate ja rahe hain
magar natak purana chal raha hai

wahi duniya wahi sansen wahi hum
wahi sab kuchh purana chal raha hai

ziyaada kya tawaqqoa ho ghazal se
miyan bas aab-o-dana chal raha hai

samundar se kisi din phir milenge
abhi pina-pilana chal raha hai

wahi mahshar wahi milne ka wada
wahi budha bahana chal raha hai

yahan ek madrasa hota tha pahle
magar ab karkhana chal raha hai - Rahat Indori

Post a Comment

कृपया स्पेम न करे |

Previous Post Next Post