लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है - मुनव्वर राना

लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है मै उर्दू मै ग़ज़ल कहता हूँ हिंदी मुस्कुराती है

लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है

लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है
मै उर्दू मै ग़ज़ल कहता हूँ हिंदी मुस्कुराती है

उछलते-खेलते बचपन में बेटा ढूंढती होगी
तभी तो देख कर पोते को दादी मुस्कुराती है

तभी जा कर कही माँ बाप को कुछ चैन पड़ता है
कि जब ससुराल से घर आ के बेटी मुस्कुराती है

चमन में सुबह का मंजर बड़ा दिलचस्प होता है
कली जब सो के उठती है तो तितली मुस्कुराती है

हमें ए जिंदगी तुम पर हमेशा रश्क आता है
मसायल में घिरी रहती है फिर भी मुस्कुराती है

बड़ा गहरा तआल्लुक है सियासत से तबाही का
कोई भी शहर जलता है तो दिल्ली मुस्कुराती है- मुनव्वर राना
मायने
रश्क=इर्ष्या, मसायल=समस्याए


Lipat jata hu maa se aur mousi muskurati hai

Lipat jata hu maa se aur mousi muskurati hai
mai urdu mai ghazal kahta hu Hindi muskurati hai

uchlate-khelte bachpan me beta dhundhti hogi
tabhi to dekh kar pote ko dadi muskurati hai

tabhi ja kar kahi maa baap ko chain padta hai
ki jab sasural se ghar aa ke beti muskurati hai

chaman me subah ka manzar bada dilchasp hota hai
kali jab so ke uthti hai to titli muskurati hai

hame e zindgi tum par hamesha rashq aata hai
masayal me ghiri rahti hai fir bhi muskurati hai

bada gahara taalluk hai siyasat se tabahi ka
koi bhi shahr jalta hai to dilli muskurati hai - Munwwar Rana

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