सूर्य से भी पार पाना चाहता है इक दिया विस्तार पाना चाहता है देखिए, इस फूल की ज़िद देखिए तो पत्थरों से प्यार पाना चाहता है किस क़दर है स...
सूर्य से भी पार पाना चाहता है
इक दिया विस्तार पाना चाहता है
देखिए, इस फूल की ज़िद देखिए तो
पत्थरों से प्यार पाना चाहता है
किस क़दर है सुस्त सरकारी मुलाज़िम
रोज़ ही इतवार पाना चाहता है
अम्न की चाहत यहाँ है हर किसी को
हर कोई तलवार पाना चाहता है
इक सपन साकार हो जाये बहुत है
हर सपन साकार पाना चाहता है
फूलबाई कब, कहाँ, कैसे लुटी थी
ये ख़बर अख़बार पाना चाहता है
मैं तेरी ख़ातिर उपस्थित हो गया हूँ
और क्या उपहार पाना चाहता है
जिसका मिल पाना असम्भव है ‘अकेला’
दिल वही हर बार पाना चाहता है - विरेन्द्र खरे अकेला
sury se bhi paar pana chahta hai
ik diya vistar pana chahta hai
dekhiye, is phool ki zid dekhiye to
pattharo se pyar pana chahta hai
kis kadar hai sust sarkari mulazim
roz hi itwar pana chahta hai
aman ki chahat yaha hai har kisi ko
har koi talwar pana chahta hai
ik sapna sakar ho jaye bahut hai
har sapna sakar pana chahta hai
phoolbai kab, kaha, kaise luti thi
ye khabar akhbar pana chahta hai
mai teri khatir upsthit ho gaya hun
aur kya uphar pana chahta hai
jiska mil pana asmbhav hai 'Akela'
dil wahi har bana pana chahta hai- Virendra Khare Akela
इक दिया विस्तार पाना चाहता है
देखिए, इस फूल की ज़िद देखिए तो
पत्थरों से प्यार पाना चाहता है
किस क़दर है सुस्त सरकारी मुलाज़िम
रोज़ ही इतवार पाना चाहता है
अम्न की चाहत यहाँ है हर किसी को
हर कोई तलवार पाना चाहता है
इक सपन साकार हो जाये बहुत है
हर सपन साकार पाना चाहता है
फूलबाई कब, कहाँ, कैसे लुटी थी
ये ख़बर अख़बार पाना चाहता है
मैं तेरी ख़ातिर उपस्थित हो गया हूँ
और क्या उपहार पाना चाहता है
जिसका मिल पाना असम्भव है ‘अकेला’
दिल वही हर बार पाना चाहता है - विरेन्द्र खरे अकेला
Roman
sury se bhi paar pana chahta hai
ik diya vistar pana chahta hai
dekhiye, is phool ki zid dekhiye to
pattharo se pyar pana chahta hai
kis kadar hai sust sarkari mulazim
roz hi itwar pana chahta hai
aman ki chahat yaha hai har kisi ko
har koi talwar pana chahta hai
ik sapna sakar ho jaye bahut hai
har sapna sakar pana chahta hai
phoolbai kab, kaha, kaise luti thi
ye khabar akhbar pana chahta hai
mai teri khatir upsthit ho gaya hun
aur kya uphar pana chahta hai
jiska mil pana asmbhav hai 'Akela'
dil wahi har bana pana chahta hai- Virendra Khare Akela
परिचय
विरेन्द्र खरे का जन्म 18 अगस्त 1968 को छतरपुर (म.प्र.) के किशनगढ़ ग्राम में हुआ आपके पिता स्व० श्री पुरूषोत्तम दास खरे एवं माता श्रीमती कमला देवी खरे है | आपने अपनी शिक्षा एम०ए० (इतिहास), बी०एड० में पूरी की | आप प्रमुख रूप से ग़ज़ल, गीत, कविता, व्यंग्य-लेख, कहानी, समीक्षा आलेख विधाओ में लिखते है | आप अपनी रचनाओ में उपनाम "अकेला" उपयोग करते है |
Virendra Khare Akela
आपकी तीन किताबे प्रकाशित हो चुकी है जिनमे
1. शेष बची चौथाई रात 1999 (ग़ज़ल संग्रह),
2. सुबह की दस्तक 2006 (ग़ज़ल-गीत-कविता),
3. अंगारों पर शबनम 2012(ग़ज़ल संग्रह) शामिल है |
आपकी कई रचनाये वागर्थ, कथादेश, वसुधा, शुक्रवार सहित विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई है एवं लगभग 22 वर्षों से आकाशवाणी छतरपुर से रचनाओं का निरंतर प्रसारण होता आ रहा है | आपकी कई रचनाये आकाशवाणी द्वारा गायन हेतु भी ली गयी है |
आपके ग़ज़ल-संग्रह 'शेष बची चौथाई रात' पर अभियान जबलपुर द्वारा 'हिन्दी भूषण' अलंकरण दिया गया | इसके अतिरिक्त मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन एवं बुंदेलखंड हिंदी साहित्य-संस्कृति मंच सागर [म.प्र.] द्वारा कपूर चंद वैसाखिया 'तहलका', अ०भा० साहित्य संगम, उदयपुर द्वारा काव्य कृति ‘सुबह की दस्तक’ पर राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान के अन्तर्गत 'काव्य-कौस्तुभ' सम्मान तथा लायन्स क्लब द्वारा ‘छतरपुर गौरव’ सम्मान मिला |
वर्तमान में आप अध्यापन कार्य कर रहे है | आपसे निम्न पते व नंबर पर संपर्क किया जा सकता है :
सम्पर्क : छत्रसाल नगर के पीछे, पन्ना रोड, छतरपुर (म.प्र.)पिन-471001
मोबाइल फ़ोन नम्बर-09981585601
Email-virendraakelachh@gmail.com
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