अगर इस ज़िन्दगी में कुछ ख़ुशी थी - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी

अगर इस ज़िन्दगी में कुछ ख़ुशी थी

अगर इस ज़िन्दगी में कुछ ख़ुशी थी
वो अपना वक़्त था आवारगी थी

कभी भी देखना मुश्किल नहीं था
तेरे चेहरे पे इतनी रोशनी थी

जो मेरी जान की दुश्मन बनी है
कभी मेरे लिए अच्छी भली थी

बताया ही नहीं था उसने मुझको
मेरे बारे में क्या-क्या सोचती थी

यहीं पर हम मिले थे पहले तुमसे
यहीं एक पेड़ था पतली गली थी

तुम्हें मैं देखकर हंसने लगा था
मुझे तुम देखकर रोने लगी थी

मेरी हर इक ग़ज़ल तुमसे बनी थी
तू जब तक थी हमारी शायरी थी - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी


agar is zindagi me kuchh khushi thi

agar is zindagi me kuchh khushi thi
wo apna waqt tha aawaragi thi

kabhi bhi dekhna mushkil nahin tha
tere chehre pe itni roshni thi

jo meri jaan ki dushman bani hai
kabhi mere lie achchhi bhali thi

bataya hi nahin tha usne mujhko
mere baare me kya-kya sochti thi

yahin par ham mile the pahle tumse
yahi ek ped tha patli gali thi

tumhe main dekhkar hansne laga tha
mujhe tum dekhkar rone lagi thi

meri har ek ghazal tumse bani thi
tu jab tak thi hamari shayari thi - Dr. Zia Ur Rehman Jafri

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