मेरे गीत तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे - दुष्यंत कुमार

मेरे गीत तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे

मेरे गीत तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे
मेरे बाद तुम्हें ये मेरी याद दिलाने आएँगे

हौले-हौले पाँव हिलाओ,जल सोया है छेड़ो मत
हम सब अपने-अपने दीपक यहीं सिराने आएँगे

थोड़ी आँच बची रहने दो, थोड़ा धुआँ निकलने दो
कल देखोगी कई मुसाफ़िर इसी बहाने आएँगे

उनको क्या मालूम विरूपित इस सिकता पर क्या बीती
वे आये तो यहाँ शंख-सीपियाँ उठाने आएँगे

रह-रह आँखों में चुभती है पथ की निर्जन दोपहरी
आगे और बढ़ें तो शायद दृश्य सुहाने आएँगे

मेले में भटके होते तो कोई घर पहुँचा जाता
हम घर में भटके हैं कैसे ठौर-ठिकाने आएँगे

हम क्या बोलें इस आँधी में कई घरौंदे टूट गए
इन असफल निर्मितियों के शव कल पहचाने जाएँगे - दुष्यंत कुमार


mere geet tumhare paas sahara pane aayenge

mere geet tumhare paas sahara pane aayenge
mere baad tumhen ye meri yaad dilane aayenge

haule-haule paanv hilao, jal soya hai chhedo mat
ham sab apne-apne deepak yahin sirane aayenge

thodi aanch bachi rahne do, thoda dhuaan niklane do
kal dekhogi kai musafir isi bahane aayenge

unko kya maloom virupit is sikta par kya biti
we aaye to yahan shankh-sipiyan uthane aayenge

rah-rah aankho me chubhti hai path ki nirjan dopahari
aage aur badhe to shayad drishya suhane aayenge

mele me bhatke hote to koi ghar pahucha jata
ham ghar me bhatke hai kaise thour-thikane aayenge

ham kya bolen is aandhi me kai gharonde toot gaye
in asafal nirmitiyon ke shav kal pahchane jayenge - Dushyant Kumar

Post a Comment

कृपया स्पेम न करे |

Previous Post Next Post