मैं ज़िंदा हूँ ये मुश्तहर कीजिए
मैं ज़िंदा हूँ ये मुश्तहर कीजिएमिरे क़ातिलों को ख़बर कीजिए
ज़मीं सख़्त है आसमाँ दूर है
बसर हो सके तो बसर कीजिए
सितम के बहुत से हैं रद्द-ए-अमल
ज़रूरी नहीं चश्म तर कीजिए
वही ज़ुल्म बार-ए-दिगर है तो फिर
वही जुर्म बार-ए-दिगर कीजिए
क़फ़स तोड़ना बाद की बात है
अभी ख़्वाहिश-ए-बाल-ओ-पर कीजिए - साहिर लुधियानवी
मायने
मुस्तहर=प्रचारित, रद्दे अमल= प्रतिक्रिया, चस्मतर= आँखे भीगना, बारे दीगर= दूसरी बार, कफ़स=पिंजरा, ख्वाहिसे बालो पर= उड़ान की ख्वाहिश
mai zinda hu yah mushthar kijiye
mai zinda hu yah mushthar kijiyemere qatilo ko khabar kijiye
zameen sakht hai, aasmaan door hai
basar ho sake to basar kijiye
sitam ke bahut se hai radde amal
jaruri nahi chasm tar kijiye
wahi julm bare deegar hai to fir
wahi julm bare digar kijiye
kafas todna baad ki baat hai
abhi khwahishe baalo par kijiye - Sahir Ludhiyanvi
साहिर जी की बेहतरीन रचना लाने के लिए बहुत आभार
अथाह...