दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या हैआख़िर इस दर्द की दवा क्या है
हम हैं मुश्ताक़ और वो बे-ज़ार
या इलाही ये माजरा क्या है
मैं भी मुँह में ज़बान रखता हूँ
काश पूछो कि मुद्दआ' क्या है
जब कि तुझ बिन नहीं कोई मौजूद
फिर ये हंगामा ऐ ख़ुदा क्या है
ये परी-चेहरा लोग कैसे हैं
ग़म्ज़ा ओ इश्वा ओ अदा क्या है
शिकन-ए-ज़ुल्फ़-ए-अंबरीं क्यूँ है
निगह-ए-चश्म-ए-सुरमा सा क्या है
सब्ज़ा ओ गुल कहाँ से आए हैं
अब्र क्या चीज़ है हवा क्या है
हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है
हाँ भला कर तिरा भला होगा
और दरवेश की सदा क्या है
जान तुम पर निसार करता हूँ
मैं नहीं जानता दुआ क्या है
मैं ने माना कि कुछ नहीं 'ग़ालिब'
मुफ़्त हाथ आए तो बुरा क्या है- मिर्ज़ा ग़ालिब
मायने
मुश्ताक = उत्सुक, गमजा-ओ-इशवा-ओ-अदा = नाज और अदा, सब्जा-ओ-गुल = पत्ते/फूल, अब्र = बादल, सदा = फकीर की आवाज़
dil-e-nadan tujhe hua kya hai
dil-e-nadan tujhe hua kya haiaaKHir is dard ki dawa kya hai
hum hain mushtaq aur wo be-zar
ya ilahi ye majra kya hai
main bhi munh mein zaban rakhta hun
kash puchho ki muddaa kya hai
jab ki tujh bin nahin koi maujud
phir ye hangama ai KHuda kya hai
ye pari-chehra log kaise hain
ghamza o ishwa o ada kya hai
shikan-e-zulf-e-ambarin kyun hai
nigah-e-chashm-e-surma sa kya hai
sabza o gul kahan se aae hain
abr kya chiz hai hawa kya hai
hum ko un se wafa ki hai ummid
jo nahin jaante wafa kya hai
han bhala kar tera bhala hoga
aur darwesh ki sada kya hai
jaan tum par nisar karta hun
main nahin jaanta dua kya hai
main ne mana ki kuchh nahin 'ghalib'
muft hath aae to bura kya hai - Mirza Ghalib
कितनी सादगी भरी है ग़ालिब कि इस कालजयी ग़ज़ल में....अदभुत..अद्वितीय
ब्रह्मांड