दिल का है रोना, खेल नहीं, मुंह को कलेजा आने दो
दिल का है रोना, खेल नहीं, मुंह को कलेजा आने दोथमते ही थमते अश्क थामेंगे, नासेह को समझाने दो
कहते ही कहते हाल कहेंगे, ऐसी तुम्हे क्या जल्दी है
दिल तो ठिकाने होने दो, और आप में हम को आने दो
बज्मे-तरब में देख के मुझ को फेर ली आँखे साकी ने
मेरे लिए थे ज़हरे-हलाहल, रस के भरे पैमाने दो
खुद से गरेबां फटते थे अकसर, चाक हवा में उड़ते थे
अब वो जुनूं का जोश नहीं है, आई बहार तो आने दो
याद-ए-दिल-ए-गुमगश्ता में मै ठंडी आहे भरता था
हंस के सितमगर कहता क्या है, बात ही क्या है जाने दो
दिल को 'असर'के लुट लिया है, शोख-निगह इक़ काफ़िर ने
कोई न उस को रोने से रोको, आग लगी है बुझाने दो - असर लखनवी
मायने
नासेह = उपदेशक, बज्मे-तरब = आनंद गोष्टी, ज़हरे-हलाहल = घातक विष, चाक = टुकड़े, याद-ए-दिल-ए-गुमगश्ता = खोए हुए दिल की याद, शोख-निगह = चंचल नेत्रों वाले
dil ka hai rona, khel nahi, munh ko kaleja aane do
dil ka hai rona, khel nahi, munh ko kaleja aane dothamte hi thamte ashq thamenge, naaseh ko samjhane do
kahte hi kahte haal kahenge, aisi tumhe kya jaldi hai
dil to thikane hone do, aur aap me ham ko aane do
bazm-e-tarab me dekh ke mujh ko pher li aankhe saaki ne
mere liye the zahar-e-halahal, ras ke bhare paimane do
khud se garebaan phatte the aksar, chaak hawa me udte the
ab wo junuN ka josh nahi hai, aai bahaar to aane do
yaade-dil-e-gumgashta me mai thandi aahe bharta tha
hans ke sitamgar kahta kya hai, baat hi kya hai jaane do
dil ko 'Asar' ke lut liya hai, shokh nigah ik kaafir ne
koi n us ko rone se roko, aag lagi hai bujhane do - Asar Lakhnavi