कुछ ऐसे ही तुम्हारे बिन ये दिल मेरा तरसता है - वीरेंद्र खरे अकेला

कुछ ऐसे ही तुम्हारे बिन ये दिल मेरा तरसता है खिलौनों के लिए मुफ़्लिस का ज्यूँ बच्चा तरसता है यही अंजाम अक्सर हम ने देखा है मोहब्बत का कहीं राधा तरसती है कहीं कान्हा तरसता है

कुछ ऐसे ही तुम्हारे बिन ये दिल मेरा तरसता है

कुछ ऐसे ही तुम्हारे बिन ये दिल मेरा तरसता है
खिलौनों के लिए मुफ़्लिस का ज्यूँ बच्चा तरसता है

गए वो दिन कि जब ये तिश्नगी फ़रियाद करती थी
बुझाने को हमारी प्यास अब दरिया तरसता है

नफ़ा नुक़सान का झंझट तो होता है तिजारत में
मोहब्बत हो तो पीतल के लिए सोना तरसता है

न जाने कब तलक होगी मेहरबानी घटाओं की
चमन के वास्ते कितना ये वीराना तरसता है

यही अंजाम अक्सर हम ने देखा है मोहब्बत का
कहीं राधा तरसती है कहीं कान्हा तरसता है

पता कुछ भी नहीं हम को मगर हम सब समझते हैं
किसी बस्ती की ख़ातिर क्यों वो बंजारा तरसता है

कि आख़िर ऐ 'अकेला' सब्र भी रक्खे कहाँ तक दिल
बहुत कुछ बोलने को अब तो ये गूँगा तरसता है - वीरेंद्र खरे अकेला


kuchh aise hi tumhaare bin ye dil mera tarasta hai

kuchh aise hi tumhaare bin ye dil mera tarasta hai
khilauno ke liye mufalis ka jyun bachcha tarasta hai

gaye wo din ki jab ye tishnagi fariyaad karti thi
bujhane ko hamari pyas ab dariya tarasta hai

nafa nuqsan ka jhanjhat to hota hai tijarat mein
mohabbat ho to pital ke liye sona tarasta hai

na jaane kab talak hogi meharbani ghataon ki
chaman ke waste kitna ye virana tarasta hai

yahi anjam aksar hum ne dekha hai mohabbat ka
kahin radha tarasti hai kahin kanha tarasta hai

pata kuchh bhi nahi hum ko magar hum sab samajhte hain
kisi basti ki khatir kyon wo banjara tarasta hai

ki aakhir ai 'akela' sabr bhi rakkhe kahan tak dil
bahut kuchh bolne ko ab to ye gunga tarasta hai - Virendra Khare Akela

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