हम नहीं खाते, हमें बाज़ार खाता है - रामकुमार कृषक

हम नहीं खाते, हमें बाज़ार खाता है

हम नहीं खाते, हमें बाज़ार खाता है
आजकल अपना यही चीज़ों से नाता है

पेट काटा, हो गई खासी बचत घर में
है कहाँ चेहरा, मुखौटा मुस्कुराता है

नाम इसका और उसके दस्तख़त हम पर
चेक बियरर है जिसे मिलते भुनाता है

है ख़रीददारी हमारी सब उधारी पर
बेचनेवाला हमें बिकना सिखाता है

सामने दिखता नहीं ठगिया हमें यों तो
हाँ, कोई भीतर ठहाका-सा लगाता है - रामकुमार कृषक


ham nahin khate, hamein bazar khata hai

ham nahin khate, hamein bazar khata hai
aajkal apna yahi cheezo se nata hai

pet kata, ho gai khasi bachat ghar mein
hai kahan chehra, mukhouta muskurata hai

naam iska aur uske dastkhat ham par
cheque bearer hai jise milte bhunata hai

hai khariddari hamari sab udhari par
bechnewala hame bikna sikhata hai

samne dikhta nahin thagiya hame yon to
haan, koi bhitar thahaka-sa lagta hai - Ramkumar Krishak

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