ख़ून के दाग़ आस्तीनों पर
ख़ून के दाग़ आस्तीनों परऔर तमग़े उन्हीं के सीनों पर
एक ज़र्रे ने ली थी अंगड़ाई
आसमां आ पड़े ज़मीनों पर
हम सितारे बनाके नदम हैं
आप नाज़ाँ हैं आबगीनों पर
है कहीं गर्द, बाद या गिर्दाब
धूल उड़ने लगी सफ़ीनों पर
वो तो अंगारा से दहकते हैं
दिल झुकता है जिन हसीनों पर
इश्क़ करना कोई ज़रूरी है
शेर कह लेंगे नाज़नीनों पर
ऐ 'मुज़फ़्फ़र' सुनी ग़ज़ल तेरी
नूर सा आ गया जबीनों पर - मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
मायने
नदम = पछतावा, नाज़ाँ = इतराने वाला, आबगीनों = पानी पीने का प्याला / पानदान, गर्द = धुल, बाद = हवा, गिर्दाब = भंवर, सफ़ीनों = नाव, नाज़नीनों = सुन्दर स्त्री / महबूबा, ज़बीनो = माथो पर
Khoon ke daagh aasteeno par
khoon ke daagh aasteeno paraur tamage unhi ke seeno par
ek zarre ne li thi angdaai
aasmaaN aa pade zameeno par
ham sitare banake naadam hai
aap naazaaN hai aabgeeno par
hai kahi gard baad ya girdaab
dhool udne lagi safeeno par
wo to angara se dahkate hai
dil jhukta hai jin hasino par
ishq karna koi zaruri hai
sher kah lenge naznino par
ae muzaffar suni ghazal teri
noor sa aa gaya zabeeno par - Muzaffar Hanfi