बदल रहे है यहाँ सब, रिवाज़ क्या होगा - अशोक मिजाज़

बदल रहे है यहाँ सब, रिवाज़ क्या होगा

बदल रहे है यहाँ सब, रिवाज़ क्या होगा
मुझे ये फ़िक्र है, कल का समाज क्या होगा

लहू तो कम है मगर रक्तचाप भारी है
अब ऐसे रोग का आखिर इलाज क्या होगा

दिलो दिमाग के बीमार है जहा देखो
मै सोचता हू यहाँ राम राज क्या होगा

न सुर समझते है ये और न ताल की संगत
यमन सुनाओ इन्हें या खमाज क्या होगा

हरेक सिम्त है दहशत, तनाव के मंजर
हरेक शख्स सवाली है, आज क्या होगा

बदल रहे है जुबानो-बयान के तेवर
अब आने वाली ग़ज़ल का मिजाज़ क्या होगा -अशोक मिजाज़


badal rahe hai yahaa sab, riwaz kya hoga

badal rahe hai yahaa sab, riwaz kya hoga
mujhe ye fikr hai, kal ka samaaj kya hoga

lahu to kam hai magar raktchaap bhaari hai
ab aise rog ka aakhir ilaaz kya hoga

dilo dimag ke bimar hai jahaa dekho
mai sochta hu yahaa ram raj kya hoga

n sur samjhte hai ye aur n taal ki sangat
yaman sunao inhe ya khamaaz kya hoga

harek simt hai dahshat, tanaav ke manjar
harek shakhs sawaali hai, aaj kya hoga

badal rahe hai zubaano-bayaan ke tewar
ab aane wali ghazal ka mizaz kya hoga - Ashok Mizaz

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