हो जिन से बात साफ़ वो बाते निकालिये
हो जिन से बात साफ़ वो बाते निकालियेदिल के कफस में शक के परिंदे न पालिये
अगयार भी जवाब में पत्थर चलायेंगे
ये सोचने के बाद ही पत्थर उछालिये
हम को तो मिल गई है मुरादो की सीपिया
अब आप ही दुआ के समंदर खंगालिये
बेशक्ल जिंदगी है बनावट की जिंदगी
खुद को कभी खुलूस के साचे में ढालिये
हर रंग के थे फुल चमन में खिले हुए
हम ने जुनूने-इश्क में कांटे उठा लिये
आवाजो के हुजूम में सुनता कोई न था
लौट आये तेरे शहर से अपनी सदा लिये
फैली हुई है शहर में जौरो-जफा की धुप
महफूज़ हूँ मै सर से वफ़ा की रिदा लिये
क्यों मुज़्तरिब हो शोहरतो-इज्जत के वास्ते
कर के शफ़ीक नेकिया दरिया में डालिये - शफ़ीक रायपुरी
ho jin se baat saaf wo baate nikaliye
ho jin se baat saaf wo baate nikaliye/ dil ke kafas me shaq ke parinde n paliye
/
/ agyaar bhi jawab me patthar chalayenge
/ ye sochne ke baad hi patthar uchhaliyen
/
/ ham ko to mil gai hai muraado ki sipiya
/ ab aap hi duaa ke samandar khangaliye
/
/ beshakl zindagi hai banawat ki zindagi
/ khud ko kabhi khulus ke sache me dhaliye
/
/ har rang ke the phool chaman me khile hue
/ ham ne junun-e-ishq me kaante utha liye
/
/ aawazo ke hujum me sunta koi n tha
/ laut aaye tere shahar se apni sada liye
/
/ faili hui hai shahar me zauro-zafa ki dhup
/ mahfuz hun mai sar se wafa ki rida liye
/
/ kyo muztarib ho shohrato-ijjat ke waste
/ kar ke shafiq nekiya dariya me daliye - Shafeeq Raipuri