अजब ख़ुलूस अजब सादगी से करता है - अतुल अजनबी

अजब ख़ुलूस अजब सादगी से करता है दरख़्त नेकी बड़ी ख़ामोशी से करता है

अजब ख़ुलूस अजब सादगी से करता है

अजब ख़ुलूस अजब सादगी से करता है
दरख़्त नेकी बड़ी ख़ामोशी से करता है

मैं उस का दोस्त हूँ अच्छा यही नहीं काफ़ी
उमीद और भी कुछ दोस्ती से करता है

जवाब देने को जी चाहता नहीं उस को
सवाल वैसे बड़ी आजिज़ी से करता है

जिसे पता ही नहीं शाइ'री का फ़न क्या है
वो कारोबार यहाँ शाइ'री से करता है

समुंदरों से लड़े तो उसे पता भी चले
लड़ाई करता है तो भी नदी से करता है

नई नहीं है ये उस की पुरानी आदत है
शिकायतें हों किसी की किसी से करता है

मुक़ाबले के लिए लोग और भी हैं मगर
मुक़ाबला वो अतुल 'अजनबी' से करता है - अतुल अजनबी


ajab khulus ajab sadgi se karta hai

ajab khulus ajab sadgi se karta hai
darakht neki badi khamoshi se karta hai

main us ka dost hun achchha yahi nahin kafi
umid aur bhi kuchh dosti se karta hai

jawab dene ko ji chahta nahin us ko
sawal waise badi aajizi se karta hai

jise pata hi nahin shairi ka fan kya hai
wo karobar yahan shairi se karta hai

samundaron se lade to use pata bhi chale
ladai karta hai to bhi nadi se karta hai

nai nahin hai ye us ki purani aadat hai
shikayaten hon kisi ki kisi se karta hai

muqable ke liye log aur bhi hain magar
muqabla wo Atul 'Ajnabi' se karta hai Atul Ajnabi
अजब ख़ुलूस अजब सादगी से करता है - अतुल अजनबी

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