सरे बाजार सौदा हो रहा है
सरे बाजार सौदा हो रहा हैलहू पानी से सस्ता हो रहा है।
बहुत बढ़ने लगी बेरोजगारी
सियासत का करिश्मा हो रहा है।
हवा चलने लगी है नफ़रतों की
तभी इतना ख़सारा हो रहा है।
बुलंदी में है परचम मुल्क़ का यूँ,
जहाँ में नाम ऊँचा हो रहा है।
गरीबो को मिली है छत यहाँ पे,
सुनो यारों दिखावा हो रहा है।
नज़र से दूर था, आज वो भी,
मुहब्ब्त में हमारा हो रहा है।
तुम्हारा क्या-हमारा क्या; यहां पे,
सभी कुछ तो दिखावा हो रहा है।
ज़ुलैख़ा सी मुहब्ब्त कौन पाया,
जो प्यासा है, वो दरिया हो रहा है।
नहीं सुनता किसी की कोई 'आकिब',
ये कैसा ज़माना हो रहा है। - आकिब जावेद
sar-e-bazar sauda ho raha hai
sar-e-bazar sauda ho raha hailahu pani se sasta ho raha hai
bahut badhne lagi berojgari
siyasat ka karishma ho raha hai
hawa chalne lagi hai nafrato ki
tabhi itna khasara ho raha hai
bulandi mein hai parcham mulk ka yun
jahan me naam uncha ho raha hai
garibo ko mili hai chhat yahan pe
suno yaron dikhava ho raha hai
nazar se door tha, aaj wo bhi,
muhabbat me hamara ho raha hai
tumhara kya, hamara kya, yahan pe
sabhi kuchh to dikhawa ho raha hai
zulaikha si muhabbat kaun paya
jo pyasa hai, wo dariya ho raha hai
nahin sunta kisi ki koi 'Akib'
ye kaisa zamana ho raha hai - Akib Javed
बहुत शुक्रिया मेरी ग़ज़ल को अपने प्रतिष्ठित वेबसाइट में जगह देने के लिए❤️😍