मौत की वीरानियो में जिन्दगी बनकर रहा
मौत की वीरानियो में जिन्दगी बनकर रहावो खुदाओ के शहर में आदमी बनकर रहा
जिन्दगी से दोस्ती का ये सिला उसको मिला
जिन्दगी भर दोस्तों में अजनबी बनकर रहा
उसकी दुनिया का अँधेरा सोचकर तो देखिये
वो जो अन्धो की गली में रौशनी बनकर रहा
सनसनी के सौदेबाजो से लड़ा जो उम्रभर
हश्र ये खुद एक दिन वो सनसनी बनकर रहा
एक अंधी दोड की अगुवाई को बैचैन सब
जब तलक बिनाई थी मै आखिरी बनकर रहा - संजय ग्रोवर
maut ki veeraniyo me zindagi bankar raha
maut ki veeraniyo me zindagi bankar rahawo khudaao ke shahar me aadmi bankar raha
zindagi se dosti ka ye sila usko mila
zindagi bhar dosto me ajnabi bankar raha
uski duniya ka andhera sochkar to dekhiye
wo jo andho ki gali me roshni bankar raha
sansani ke soudebajo se lada jo umrbhar
hashr ye khud ek din wo sansani bankar raha
ek andhi doud ki aguwaai ko bechain sab
jab talak binaai thi mai aakhiri ban kar raha - Sanjay Grover
वो खुदाओं के शहर में आदमी बनकर रहा....बहुत खूब...अच्छी ग़ज़ल है. इसके शेरों में रवानी है.