इश्क़ पर शायरी शेर संकलन

प्यार, इश्क़, मोहब्बत, प्रेम न जाने क्या क्या नाम दिए गए है इस अहसास/भावना को और आज ही नहीं जबसे उर्दू शायरी अस्तित्व में आई है तब से हर शायर से अपनी तरह से अपने शब्दों में इस अहसास को मोतियों की तरह शायरी में पिरोया है | हम आपके लिए लाये है इन्ही इश्क़ और मोहब्बत पर शायरी अशआर/शेरो का संग्रह | यह जखीरा शायरों को उनके नाम के क्रमवार पेश किया गया है | आशा है आपको पसंद आएगा यह इश्क़ पर शायरी शेर संकलन | यह एक बहुत लंबी सूची है सो इसे पेजों में बाटा गया है जिसे आप पोस्ट के नीचे क्लिक कर पढ़ सकते है

इश्क़ और मोहब्बत पर शायरी | इश्क़ पर शायरी शेर संकलन



मिरे मज़ार पे आ कर दिए जलाएगा
वो मेरे बअद मिरी ज़िंदगी में आएगा
- अंजुम ख़याली



किताब-ए-इश्क़ के जो मोतबर रिसाले हैं
उन्हीं में हुस्न के कुछ मुस्तनद हवाले हैं
- अंजुम बाराबंकवी



मिलना था इत्तिफ़ाक़ बिछड़ना नसीब था
वो उतनी दूर हो गया जितना क़रीब था
- अंजुम रहबर



इश्क़ फ़रमा लिया तो सोचता हूँ
क्या मुसीबत पड़ी हुई थी मुझे
- अंजुम सलीमी



उठाए फिरता रहा मैं बहुत मोहब्बत को
फिर एक दिन यूँही सोचा ये क्या मुसीबत है
- अंजुम सलीमी



किस ने आबाद किया है मिरी वीरानी को
इश्क़ ने? इश्क़ तो बीमार पड़ा है मुझ में
- अंजुम सलीमी



चाहत के बदले में हम बेच दें अपनी मर्ज़ी तक
कोई मिले तो दिल का ग्राहक कोई हमें अपनाए तो
- अंदलीब शादानी



इसी तलाश में पहुँचा हूँ इश्क़ तक तेरे
कि इस हवाले से पा जाऊँ मैं दवाम अपना
- अकबर अली खान अर्शी जादह



इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद
अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता
- अकबर इलाहाबादी



मेरे हवास इश्क़ में क्या कम हैं मुंतशिर
मजनूँ का नाम हो गया क़िस्मत की बात है
- अकबर इलाहाबादी



मोहब्बत का तुम से असर क्या कहूँ
नज़र मिल गई दिल धड़कने लगा
- अकबर इलाहाबादी



मौत आई इश्क़ में तो हमें नींद आ गई
निकली बदन से जान तो काँटा निकल गया
- अकबर इलाहाबादी



इश्क़ की सादा-दिली है हर तरफ़ छाई हुई
बारगाह-ए-हुस्न में हर आरज़ू नौ-ख़ेज़ है
- अकबर हैदरी कश्मीरी



इश्क़ इक ऐसी हवेली है कि जिस से बाहर
कोई दरवाज़ा खुले और न दरीचा निकले
- अकरम नक़्क़ाश



हर इश्क़ के मंज़र में था इक हिज्र का मंज़र
इक वस्ल का मंज़र किसी मंज़र में नहीं था
- अक़ील अब्बास जाफ़री



इक़रार-ए-मोहब्बत तो बड़ी बात है लेकिन
इंकार-ए-मोहब्बत की अदा और ही कुछ है
- अख़तर मुस्लिमी



एक ही अंजाम है ऐ दोस्त हुस्न ओ इश्क़ का
शम्अ भी बुझती है परवानों के जल जाने के बअद
- अख़तर मुस्लिमी



मुझ को मंज़ूर नहीं इश्क़ को रुस्वा करना
है जिगर चाक मगर लब पे हँसी है ऐ दोस्त
- अख़तर मुस्लिमी



जब से मुँह को लग गई अख़्तर मोहब्बत की शराब
बे-पिए आठों पहर मदहोश रहना आ गया
- अख़्तर अंसारी



हाँ कभी ख़्वाब-ए-इश्क़ देखा था
अब तक आँखों से ख़ूँ टपकता है
- अख़्तर अंसारी



इक हुस्न-ए-मुकम्मल है तो इक इश्क़-सरापा
होश्यार सा इक शख़्स है दीवाना सा इक शख़्स
- अख़्तर अंसारी अकबराबादी



अब तो मिलिए बस लड़ाई हो चुकी
अब तो चलिए प्यार की बातें करें
- अख़्तर शीरानी



इश्क़ को नग़्मा-ए-उम्मीद सुना दे आ कर
दिल की सोई हुई क़िस्मत को जगा दे आ कर
- अख़्तर शीरानी



माना कि तेरे इश्क को दिल से भुला दिया
नक्शे वफ़ा को सीने से अपने मिटा दिया
लेकिन तू मेरी पिछली वफ़ाए भुला न दे
ओ नाज़नी ! खुदा के लिए बद्दुआ न दे
- अख़्तर शीरानी



लॉन्ड्री खोली थी उस के इश्क़ में
पर वो कपड़े हम से धुलवाता नहीं
- अख़्तर शीरानी



किसी के तुम हो किसी का ख़ुदा है दुनिया में
मिरे नसीब में तुम भी नहीं ख़ुदा भी नहीं
- अख़्तर सईद ख़ान



ज़माना इश्क़ के मारों को मात क्या देगा
दिलों के खेल में ये जीत हार कुछ भी नहीं
- अख़्तर सईद ख़ान



कभी क़रीब कभी दूर हो के रोते हैं
मोहब्बतों के भी मौसम अजीब होते हैं
- अज़हर इनायती



नबील इस इश्क़ में तुम जीत भी जाओ तो क्या होगा
ये ऐसी जीत है पहलू में जिस के हार चलती है
- अज़ीज़ नबील



ऐ सोज़-ए-इश्क़-ए-पिन्हाँ अब क़िस्सा मुख़्तसर है
इक्सीर हो चला हूँ इक आँच की कसर है
- अज़ीज़ लखनवी



जहाँ में हम जिसे भी प्यार के क़ाबिल समझते हैं
हक़ीक़त में उसी को ज़ीस्त का हासिल समझते हैं
- अज़ीज़ वारसी



मोहब्बत लफ़्ज़ तो सादा सा है लेकिन अज़ीज़ इस को
मता-ए-दिल समझते थे मता-ए-दिल समझते हैं
- अज़ीज़ वारसी



हम को सँभालता कोई क्या राह-ए-इश्क़ में
खा खा के ठोकरें हमीं आख़िर सँभल गए
- अज़ीज़ हैदराबादी



हुस्न है दाद-ए-ख़ुदा इश्क़ है इमदाद-ए-ख़ुदा
ग़ैर का दख़्ल नहीं बख़्त है अपना अपना
- अज़ीज़ हैदराबादी



न जाने कौन सी मंज़िल पे इश्क़ आ पहुँचा
दुआ भी काम न आए कोई दवा न लगे
- अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी



बस एक ही बला है मोहब्बत कहें जिसे
वो पानियों में आग लगाती है आज भी
- अजीत सिंह हसरत



हुस्न और इश्क़ हैं दोनों काफ़िर
दोनों में इक झगड़ा सा है
- अज़ीम कुरेशी



अतहर तुम ने इश्क़ किया कुछ तुम भी कहो क्या हाल हुआ
कोई नया एहसास मिला या सब जैसा अहवाल हुआ
- अतहर नफ़ीस



इक शक्ल हमें फिर भाई है इक सूरत दिल में समाई है
हम आज बहुत सरशार सही पर अगला मोड़ जुदाई है
- अतहर नफ़ीस



हमारे इश्क़ में रुस्वा हुए तुम
मगर हम तो तमाशा हो गए हैं
- अतहर नफ़ीस



वो इश्क़ जिस की ज़माने को भी ख़बर न रही
तिरे बिछड़ने से रुस्वा नगर नगर में रहा
- अतहर नादिर



इश्क़ तो अपने लहू में ही सँवरता है सो हम
किस लिए रुख़ पे कोई ग़ाज़ा लगा कर देखें
- अता तुराब



किसी ने भेजा है ख़त प्यार और वफ़ा लिख कर
क़लम से काम दिया है मुझे ख़ुदा लिख कर
- अतीक़ अंज़र



इक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा
मैं नहीं तो कोई तुझ को दूसरा मिल जाएगा
- अदीम हाशमी



उन से हम लौ लगाए बैठे हैं
आग दिल में दबाए बैठे हैं
- अनवर देहलवी



हमारे इश्क़ और उन के तग़ाफ़ुल का ये आलम है
कि हम दिल हार बैठे हैं वो लेने हार लेटे हैं
- अनवर बरेलवी



जो हो सका न मिरा उस को भूल जाऊँ मैं
पराई आग में क्यूँ उँगलियाँ जलाऊँ मैं
- अनवर महमूद खालिद



न मिला पर न मिला इश्क़ को अंदाज़-ए-जुनूँ
हम ने मजनूँ की भी आशुफ़्ता-सरी देखी है
- अनवर मोअज़्ज़म



इश्क़ तो हर शख़्स करता है शुऊर
तुम ने अपना हाल ये क्या कर लिया
- अनवर शऊर



इस तअल्लुक़ में नहीं मुमकिन तलाक़
ये मोहब्बत है कोई शादी नहीं
- अनवर शऊर



ज़माने के झमेलों से मुझे क्या
मिरी जाँ! मैं तुम्हारा आदमी हूँ
- अनवर शऊर



मेरे घर के तमाम दरवाज़े
तुम से करते हैं प्यार आ जाओ
- अनवर शऊर



सिर्फ़ उस के होंट काग़ज़ पर बना देता हूँ मैं
ख़ुद बना लेती है होंटों पर हँसी अपनी जगह
- अनवर शऊर



इश्क़ की आग ऐ मआज़-अल्लाह
न कभी दब सकी दबाने से
- अनवर साबरी



फिर अहल-ए-इश्क़ की तख़्लीक़ होती है पहले
जुनूँ की आग में बरसों ख़मीर रहता है
- अनीस अब्र



दयार-ए-इश्क़ में तन्हा रहा नहीं हरगिज़
ख़ुशी ने हाथ जो छोड़ा तो ग़म ने थाम लिया
- अनीसा हारून शिरवानिया



वो जिस ने देखा नहीं इश्क़ का कभी मकतब
मैं उस के हाथ में दिल की किताब क्या देता
- अफ़ज़ल इलाहाबादी



चंद लोगों की मोहब्बत भी ग़नीमत है मियाँ
शहर का शहर हमारा तो नहीं हो सकता
- अफ़ज़ल गौहर राव



मैं एक इश्क़ में नाकाम क्या हुआ गौहर
हर एक काम में मुझ को ख़सारा होने लगा
- अफ़ज़ल गौहर राव



हिज्र में इतना ख़सारा तो नहीं हो सकता
एक ही इश्क़ दोबारा तो नहीं हो सकता
- अफ़ज़ल गौहर राव



तुम्हारे हिज्र में क्यूँ ज़िंदगी न मुश्किल हो
तुम्हीं जिगर हो तुम्हीं जान हो तुम्हीं दिल हो
- अफ़सर इलाहाबादी



मुझे गुम-शुदा दिल का ग़म है तो ये है
कि इस में भरी थी मोहब्बत किसी की
- अफ़सर इलाहाबादी



इस क़दर डूबे गुनाह-ए-इश्क़ में तेरे हबीब
सोचते हैं जाएँगे किस मुँह से तौबा की तरफ़
- अफ़ीफ़ सिराज



ये दाग़-ए-इश्क़ जो मिटता भी है चमकता भी है
ये ज़ख़्म है कि निशाँ है मुझे नहीं मालूम
- अबरार अहमद



ब-पास-ए-एहतिराम-ए-इश्क़ हम ख़ामोश हैं वर्ना
परेशाँ कर भी सकते हैं परेशाँ हो भी सकते हैं
- अबरार शाहजहाँपुरी



कारवाँ इश्क़ की मंज़िल के क़रीं आ पहूँचा
ख़ुद मिरे दिल में मिरे दिल का मकीं आ पहूँचा
- अबु मोहम्मद वासिल बहराईची



इश्क़ के मज़मूँ थे जिन में वो रिसाले क्या हुए
ऐ किताब-ए-ज़िंदगी तेरे हवाले क्या हुए
- अबु मोहम्मद सहर



इश्क़ को हुस्न के अतवार से क्या निस्बत है
वो हमें भूल गए हम तो उन्हें याद करें
- अबु मोहम्मद सहर



फिर खुले इब्तिदा-ए-इश्क़ के बाब
उस ने फिर मुस्कुरा के देख लिया
- अबु मोहम्मद सहर



रह-ए-इश्क़-ओ-वफ़ा भी कूचा-ओ-बाज़ार हो जैसे
कभी जो हो नहीं पाता वो सौदा याद आता है
- अबु मोहम्मद सहर



सहर अब होगा मेरा ज़िक्र भी रौशन-दिमाग़ों में
मोहब्बत नाम की इक रस्म-ए-बेजा छोड़ दी मैं ने
- अबु मोहम्मद सहर



बे-नियाज़-ए-दहर कर देता है इश्क़
बे-ज़रों को लाल-ओ-ज़र देता है इश्क़
- अबुल हसनात हक़्क़ी



ज़ाहिरन मौत है क़ज़ा है इश्क़
पर हक़ीक़त में जाँ-फ़ज़ाँ है इश्क़
- अब्दुल ग़फ़ूर नस्साख़



इश्क़ है बे-गुदाज़ क्यूँ हुस्न है बे-नियाज़ क्यूँ
मेरी वफ़ा कहाँ गई उन की जफ़ा को क्या हुआ
- अब्दुल मजीद सालिक



तुझे कुछ इश्क़ ओ उल्फ़त के सिवा भी याद है ऐ दिल
सुनाए जा रहा है एक ही अफ़्साना बरसों से
- अब्दुल मजीद सालिक



इश्क़ में ऐन हुनर-मंदी है
सब जिसे बे-हुनरी कहते हैं
- अब्दुल मजीद हैरत



मय-कदे में इश्क़ के कुछ सरसरी जाना नहीं
कासा-ए-सर को यहाँ गर्दिश है पैमाने की तरह
- अब्दुल रहमान एहसान देहलवी



इश्क़ का तिफ़्ल गिर ज़मीं ऊपर
खेल सीखा है ख़ाक-बाज़ी का
- अब्दुल वहाब यकरू



इश्क़ के फ़न नीं हूँ मैं अवधूत
तिरे दर पे बिठा हूँ मल के भभूत
- अब्दुल वहाब यकरू



पहले बड़ी रग़बत थी तिरे नाम से मुझ को
अब सुन के तिरा नाम मैं कुछ सोच रहा हूँ
- अब्दुल हमीद अदम



लोग कहते हैं कि तुम से ही मोहब्बत है मुझे
तुम जो कहते हो कि वहशत है तो वहशत होगी
- अब्दुल हमीद अदम



हुस्न इक दिलरुबा हुकूमत है
इश्क़ इक क़ुदरती ग़ुलामी है
- अब्दुल हमीद अदम



किसी से इश्क़ करना और इस को बा-ख़बर करना
है अपने मतलब-ए-दुश्वार को दुश्वार-तर करना
- अब्बास अली ख़ान बेखुद



इक मोहब्बत ही पे मौक़ूफ़ नहीं है ताबिश
कुछ बड़े फ़ैसले हो जाते हैं नादानी में
- अब्बास ताबिश



इश्क़ कर के भी खुल नहीं पाया
तेरा मेरा मुआमला क्या है
- अब्बास ताबिश



मुझ से तो दिल भी मोहब्बत में नहीं ख़र्च हुआ
तुम तो कहते थे कि इस काम में घर लगता है
- अब्बास ताबिश



मोहब्बत एक दम दुख का मुदावा कर नहीं देती
ये तितली बैठती है ज़ख़्म पर आहिस्ता आहिस्ता
- अब्बास ताबिश



ये तो अब इश्क़ में जी लगने लगा है कुछ कुछ
इस तरफ़ पहले-पहल घेर के लाया गया मैं
- अब्बास ताबिश



ये मोहब्बत की कहानी नहीं मरती लेकिन
लोग किरदार निभाते हुए मर जाते हैं
- अब्बास ताबिश



हिज्र को हौसला और वस्ल को फ़ुर्सत दरकार
इक मोहब्बत के लिए एक जवानी कम है
- अब्बास ताबिश



उस ने पूछा है क्या मोहब्बत है
अब भला क्या जवाब दूँ उस को
- अभिषेक कुमार अम्बर



उसे मैं क्यूँ मोहब्बत से न देखूँ
वो मेरा पहला पहला प्यार ठहरा
- अभिषेक कुमार अम्बर



जहाँ हो प्यार ग़लत-फ़हमियाँ भी होती हैं
सो बात बात पे यूँ दिल बुरा नहीं करते
- अमजद इस्लाम अमजद



जब दिल ही नहीं है पहलू में फिर इश्क़ का सौदा कौन करे
अब उन से मोहब्बत कौन करे अब उन की तमन्ना कौन करे
- अमजद नजमी



तुझ से मिरा मुआमला होता ब-राह-ए-रास्त
ये इश्क़ दरमियान न होता तो ठीक था
- अमजद शहज़ाद



चुटकियाँ दिल में मिरे लेने लगा नाख़ुन-ए-इश्क़
गुल-बदन देख के उस गुल का बदन याद आया
- अमानत लखनवी



इश्क़ के हिज्जे भी जो न जानें वो हैं इश्क़ के दावेदार
जैसे ग़ज़लें रट कर गाते हैं बच्चे स्कूल में
- अमीक़ हनफ़ी



इस बार राह-ए-इश्क़ कुछ इतनी तवील थी
उस के बदन से हो के गुज़रना पड़ा मुझे
- अमीर इमाम



अभी आए अभी जाते हो जल्दी क्या है दम ले लो
न छेड़ूँगा मैं जैसी चाहे तुम मुझ से क़सम ले लो
- अमीर मीनाई



आहों से सोज़-ए-इश्क़ मिटाया न जाएगा
फूँकों से ये चराग़ बुझाया न जाएगा
- अमीर मीनाई



इश्क में जां से गुजरते है गुजरने वाले
मौत की राह नहीं देखते मरने वाले
- अमीर मीनाई



काबा भी हम गए न गया पर बुतों का इश्क़
इस दर्द की ख़ुदा के भी घर में दवा नहीं
- अमीर मीनाई



इश्क़ पर शायरी शेर संकलन | तुम को आता है प्यार पर ग़ुस्सा मुझ को ग़ुस्से पे प्यार आता है
तुम को आता है प्यार पर ग़ुस्सा
मुझ को ग़ुस्से पे प्यार आता है
- अमीर मीनाई



माँग लूँ तुझ से तुझी को कि सभी कुछ मिल जाए
सौ सवालों से यही एक सवाल अच्छा है
- अमीर मीनाई



हम बने थे तबाह होने को
आप का इश्क़ तो बहाना था
- अमीर रज़ा मज़हरी



एक दरवेश को तिरी ख़ातिर
सारी बस्ती से इश्क़ हो गया है
- अम्मार इक़बाल



इश्क़ मरहून-ए-हिकायात-ओ-गुमाँ भी होगा
वाक़िआ है तो किसी तौर बयाँ भी होगा
- अरशद अब्दुल हमीद



सुख़न के चाक में पिन्हाँ तुम्हारी चाहत है
वगरना कूज़ा-गरी की किसे ज़रूरत है
- अरशद अब्दुल हमीद



मुझ से उन आँखों को वहशत है मगर मुझ को है इश्क़
खेला करता हूँ शिकार आहु-ए-सहराई का
- अरशद अली ख़ान क़लक़



इश्क़-ए-बुताँ का ले के सहारा कभी कभी
अपने ख़ुदा को हम ने पुकारा कभी कभी
- अर्श मलसियानी



मोहब्बत सोज़ भी है साज़ भी है
ख़मोशी भी है ये आवाज़ भी है
- अर्श मलसियानी



अदा-ए-इश्क़ हूँ पूरी अना के साथ हूँ मैं
ख़ुद अपने साथ हूँ यानी ख़ुदा के साथ हूँ मैं
- अली ज़रयून



नफ़रत से मोहब्बत को सहारे भी मिले हैं
तूफ़ान के दामन में किनारे भी मिले हैं
- अली ज़हीर रिज़वी लखनवी



हमारी ज़िंदगी क्या है मोहब्बत ही मोहब्बत है
तुम्हारा भी यही दस्तूर बन जाए तो अच्छा हो
- अली ज़हीर रिज़वी लखनवी



दिल के गुलशन में तिरे प्यार की ख़ुश्बू पा कर
रंग रुख़्सार पे फूलों से खिला करते हैं
- अलीना इतरत



अजब कुछ इश्क़ की ख़ुश-तर है वादी
कि जिस वादी में है हर वक़्त शादी
- अलीमुल्लाह



इश्क़ के कूचे में जब जाता है दिल करने को सैर
वाँ नहीं मालूम होता रोज़ है या रात है
- अलीमुल्लाह



टपके जो अश्क वलवले शादाब हो गए
कितने अजीब इश्क़ के आदाब हो गए
- अल्ताफ़ मशहदी



आगे बढ़े न क़िस्सा-ए-इश्क़-ए-बुताँ से हम
सब कुछ कहा मगर न खुले राज़-दाँ से हम
- अल्ताफ़ हुसैन हाली



इश्क़ सुनते थे जिसे हम वो यही है शायद
ख़ुद-बख़ुद दिल में है इक शख़्स समाया जाता
- अल्ताफ़ हुसैन हाली



तुम को हज़ार शर्म सही मुझ को लाख ज़ब्त
उल्फ़त वो राज़ है कि छुपाया न जाएगा
- अल्ताफ़ हुसैन हाली



हम ने अव्वल से पढ़ी है ये किताब आख़िर तक
हम से पूछे कोई होती है मोहब्बत कैसी
- अल्ताफ़ हुसैन हाली



होती नहीं क़ुबूल दुआ तर्क-ए-इश्क़ की
दिल चाहता न हो तो ज़बाँ में असर कहाँ
- अल्ताफ़ हुसैन हाली



अक़्ल को तन्क़ीद से फ़ुर्सत नहीं
इश्क़ पर आमाल की बुनियाद रख
- अल्लामा इक़बाल



इश्क़ तिरी इंतिहा इश्क़ मिरी इंतिहा
तू भी अभी ना-तमाम मैं भी अभी ना-तमाम
- अल्लामा इक़बाल



इश्क़ भी हो हिजाब में हुस्न भी हो हिजाब में
या तो ख़ुद आश्कार हो या मुझे आश्कार कर
- अल्लामा इक़बाल



जब इश्क़ सिखाता है आदाब-ए-ख़ुद-आगाही
खुलते हैं ग़ुलामों पर असरार-ए-शहंशाही
- अल्लामा इक़बाल



तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ
मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ
- अल्लामा इक़बाल



इश्क़ पर शायरी | सितारों से आगे जहाँ और भी हैं अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं
- अल्लामा इक़बाल



हुई न आम जहाँ में कभी हुकूमत-ए-इश्क़
सबब ये है कि मोहब्बत ज़माना-साज़ नहीं
- अल्लामा इक़बाल



बहुत बदनाम कर दिया है इस जमाने ने,
अब मोहब्बत का नाम ही बदलना पडेगा।।
- अवनींद्र बिस्मिल



इश्क़ की तमन्ना थी इश्क़ की तमन्ना है
इश्क़ ही की राहों में मस्तियों का मेला है
- अवैसुल हसन खान



दे आया अपनी जान भी दरबार-ए-इश्क़ में
फिर भी न बन सका ख़बर अख़बार-ए-इश्क़ में
- अशरफ़ शाद



देखने के लिए सारा आलम भी कम
चाहने के लिए एक चेहरा बहुत
- असअद बदायुनी



असग़र हरीम-ए-इश्क़ में हस्ती ही जुर्म है
रखना कभी न पाँव यहाँ सर लिए हुए
- असग़र गोंडवी



इश्क़ की बेताबियों पर हुस्न को रहम आ गया
जब निगाह-ए-शौक़ तड़पी पर्दा-ए-महमिल न था
- असग़र गोंडवी



कुछ मिलते हैं अब पुख़्तगी-ए-इश्क़ के आसार
नालों में रसाई है न आहों में असर है
- असग़र गोंडवी



नियाज़-ए-इश्क़ को समझा है क्या ऐ वाइज़-ए-नादाँ
हज़ारों बन गए काबे जबीं मैं ने जहाँ रख दी
- असग़र गोंडवी



जाने किस किस का गला कटता पस-ए-पर्दा-ए-इश्क़
खुल गए मेरी शहादत में सितमगर कितने
- असग़र मेहदी होश



इश्क़ को जब हुस्न से नज़रें मिलाना आ गया
ख़ुद-ब-ख़ुद घबरा के क़दमों में ज़माना आ गया
- असद भोपाली



इश्क़ में शिकवा कुफ़्र है और हर इल्तिजा हराम
तोड़ दे कासा-ए-मुराद इश्क़ गदागरी नहीं
- असर रामपुरी



इश्क़ से लोग मना करते हैं
जैसे कुछ इख़्तियार है अपना
- असर लखनवी



इश्क़ का ज़ौक़-ए-नज़ारा मुफ़्त में बदनाम है
हुस्न ख़ुद बे-ताब है जल्वा दिखाने के लिए
- असरार-उल-हक़ मजाज़



कमाल-ए-इश्क़ है दीवाना हो गया हूँ मैं
ये किस के हाथ से दामन छुड़ा रहा हूँ मैं
- असरार-उल-हक़ मजाज़



ये मेरे इश्क़ की मजबूरियाँ मआज़-अल्लाह
तुम्हारा राज़ तुम्हीं से छुपा रहा हूँ मैं
- असरार-उल-हक़ मजाज़



हुस्न को शर्मसार करना ही
इश्क़ का इंतिक़ाम होता है
- असरार-उल-हक़ मजाज़



ख़फ़ा न हो कि तिरा हुस्न ही कुछ ऐसा था
मैं तुझ से प्यार न करता तो और क्या करता
- असलम अंसारी



मैं तो मिट्टी हो रहा था इश्क़ में लेकिन अता
आ गई मुझ में कहीं से बे-दिमाग़ी मीर की
- अहमद अता



तुझ से बिछड़ूँ तो तिरी ज़ात का हिस्सा हो जाऊँ
जिस से मरता हूँ उसी ज़हर से अच्छा हो जाऊँ
- अहमद कमाल परवाज़ी



तू ने ऐ इश्क़ ये सोचा कि तिरा क्या होगा
तेरे सर से मैं अगर हाथ उठा लेता हूँ
- अहमद कामरान



रास आएगी मोहब्बत उस को
जिस से होते नहीं वादे पूरे
- अहमद कामरान



ये भी एजाज़ मुझे इश्क़ ने बख़्शा था कभी
उस की आवाज़ से मैं दीप जला सकता था
- अहमद ख़याल



कुछ खेल नहीं है इश्क़ करना
ये ज़िंदगी भर का रत-जगा है
- अहमद नदीम क़ासमी



भरी दुनिया में फ़क़त मुझ से निगाहें न चुरा
इश्क़ पर बस न चलेगा तिरी दानाई का
- अहमद नदीम क़ासमी



अब तक दिल-ए-ख़ुश-फ़हम को तुझ से हैं उमीदें
ये आख़िरी शमएँ भी बुझाने के लिए आ
- अहमद फ़राज़



आशिक़ी में मीर जैसे ख़्वाब मत देखा करो
बावले हो जाओगे महताब मत देखा करो
- अहमद फ़राज़



उस को जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआ
अब क्या कहें ये क़िस्सा पुराना बहुत हुआ
- अहमद फ़राज़



किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ
- अहमद फ़राज़



तुझ से मिल कर तो ये लगता है कि ऐ अजनबी दोस्त
तू मिरी पहली मोहब्बत थी मिरी आख़िरी दोस्त
- अहमद फ़राज़



तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल
हार जाने का हौसला है मुझे
- अहमद फ़राज़



दो घड़ी उस से रहो दूर तो यूँ लगता है
जिस तरह साया-ए-दीवार से दीवार जुदा
- अहमद फ़राज़



फ़राज़ इश्क़ की दुनिया तो ख़ूब-सूरत थी
ये किस ने फ़ित्ना-ए-हिज्र-ओ-विसाल रक्खा है
- अहमद फ़राज़



ये किन नज़रों से तू ने आज देखा
कि तेरा देखना देखा न जाए
- अहमद फ़राज़



रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
- अहमद फ़राज़



सिलसिले तोड़ गया वो सभी जाते जाते
वर्ना इतने तो मरासिम थे कि आते जाते
- अहमद फ़राज़



हम तिरे शौक़ में यूँ ख़ुद को गँवा बैठे हैं
जैसे बच्चे किसी त्यौहार में गुम हो जाएँ
- अहमद फ़राज़



हुआ है तुझ से बिछड़ने के बाद ये मालूम
कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी
- अहमद फ़राज़



अहल-ए-हवस तो ख़ैर हवस में हुए ज़लील
वो भी हुए ख़राब, मोहब्बत जिन्हों ने की
- अहमद मुश्ताक़



इश्क़ में कौन बता सकता है
किस ने किस से सच बोला है
- अहमद मुश्ताक़



इस मअरके में इश्क़ बेचारा करेगा क्या
ख़ुद हुस्न को हैं जान के लाले पड़े हुए
- अहमद मुश्ताक़



जहान-ए-इश्क़ से हम सरसरी नहीं गुज़रे
ये वो जहाँ है जहाँ सरसरी नहीं कोई शय
- अहमद मुश्ताक़



तू ने ही तो चाहा था कि मिलता रहूँ तुझ से
तेरी यही मर्ज़ी है तो अच्छा नहीं मिलता
- अहमद मुश्ताक़



मुझे मालूम है अहल-ए-वफ़ा पर क्या गुज़रती है
समझ कर सोच कर तुझ से मोहब्बत कर रहा हूँ मैं
- अहमद मुश्ताक़



मोहब्बत मर गई मुश्ताक़ लेकिन तुम न मानोगे
मैं ये अफ़्वाह भी तुम को सुना कर देख लेता हूँ
- अहमद मुश्ताक़



रोज़ मिलने पे भी लगता था कि जुग बीत गए
इश्क़ में वक़्त का एहसास नहीं रहता है
- अहमद मुश्ताक़



रोने लगता हूँ मोहब्बत में तो कहता है कोई
क्या तिरे अश्कों से ये जंगल हरा हो जाएगा
- अहमद मुश्ताक़



कहीं ये अपनी मोहब्बत की इंतिहा तो नहीं
बहुत दिनों से तिरी याद भी नहीं आई
- अहमद राही



इश्क़ इक मशग़ला-ए-जाँ भी तो हो सकता है
क्या ज़रूरी है कि आज़ार किया जाए उसे
- अहमद सग़ीर सिद्दीक़ी



इस इश्क़ में न पूछो हाल-ए-दिल-ए-दरीदा
तुम ने सुना तो होगा वो शेर मुसहफ़ी का
- अहमद सग़ीर सिद्दीक़ी



मेरा सलाम इश्क़ अलैहिस-सलाम को
ख़ुसरव उधर ख़राब इधर कोहकन ख़राब
- अहमद हुसैन माइल



मोहब्बत ने माइल किया हर किसी को
किसी पर किसी को किसी पर किसी को
- अहमद हुसैन माइल



है हुक्म-ए-आम इश्क़ अलैहिस-सलाम का
पूजो बुतों को भेद कुछ इन में ख़ुदा के हैं
- अहमद हुसैन माइल



इश्क़ रुस्वा-कुन-ए-आलम वो है अहसन जिस से
नेक-नामों की भी बद-नामी ओ रुस्वाई है
- अहसन मारहरवी



तंग आ गया हूँ वुस्अत-ए-मफ़हूम-ए-इश्क़ से
निकला जो हर्फ़ मुँह से वो अफ़्साना हो गया
- अहसन मारहरवी



जी चाहता है उस बुत-ए-काफ़िर के इश्क़ में
तस्बीह तोड़ डालिए ज़ुन्नार देख कर
- आग़ा अकबराबादी



हमें तो उन की मोहब्बत है कोई कुछ समझे
हमारे साथ मोहब्बत उन्हें नहीं तो नहीं
- आग़ा अकबराबादी



इश्क़ हो जाएगा मेरी दास्तान-ए-इश्क़ से
रात भर जागा करोगे इस कहानी के लिए
- आग़ा हज्जू शरफ़



अब अगर इश्क़ के आसार नहीं बदलेंगे
हम भी पैराया-ए-इज़हार नहीं बदलेंगे
- आग़ाज़ बरनी



सब्र की तकरार थी जोश ओ जुनून-ए-इश्क़ से
ज़िंदगी भर दिल मुझे मैं दिल को समझाता रहा
- आज़िम कोहली



इश्क़ जैसे कहीं छूने से भी लग जाता हो
कौन बैठेगा भला आप के बीमार के साथ
- आतिफ़ वहीद यासिर



तब्सिरा फूल नहीं करता कभी खुशबू का
इश्क एलान नहीं करता अगर होता है
- आतिश इंदोरी



न पूछो हुस्न की तारीफ़ हम से
मोहब्बत जिस से हो बस वो हसीं है
- आदिल फ़ारूक़ी



इश्क़ करता है तो फिर इश्क़ की तौहीन न कर
या तो बेहोश न हो, हो तो न फिर होश में आ
- आनंद नारायण मुल्ला



इश्क़ में वो भी एक वक़्त है जब
बे-गुनाही गुनाह है प्यारे
- आनंद नारायण मुल्ला



मुख़्तसर अपनी हदीस-ए-ज़ीस्त ये है इश्क़ में
पहले थोड़ा सा हँसे फिर उम्र भर रोया किए
- आनंद नारायण मुल्ला



इश्क़ में ये मजबूरी तो हो जाती है
दुनिया ग़ैर-ज़रूरी तो हो जाती है
- आफ़ताब इक़बाल शमीम



इश्क़ का तीर दिल में लागा है
दर्द जो होवता था भागा है
- आबरू शाह मुबारक



इश्क़ की सफ़ मनीं नमाज़ी सब
आबरू को इमाम करते हैं
- आबरू शाह मुबारक



फ़ानी-ए-इश्क़ कूँ तहक़ीक़ कि हस्ती है कुफ़्र
दम-ब-दम ज़ीस्त नें मेरी मुझे ज़ुन्नार दिया
- आबरू शाह मुबारक



मियाँ ये इश्क़ तो सब टूट कर ही करते हैं
किसी से हिज्र अगर वालिहाना हो जाए
- आबिद मलिक



आबलों का शिकवा क्या ठोकरों का ग़म कैसा
आदमी मोहब्बत में सब को भूल जाता है
- आमिर उस्मानी



इश्क़ के मराहिल में वो भी वक़्त आता है
आफ़तें बरसती हैं दिल सुकून पाता है
- आमिर उस्मानी



इश्क़ सर-ता-ब-क़दम आतिश-ए-सोज़ाँ है मगर
उस में शोला न शरारा न धुआँ होता है
- आमिर उस्मानी



इश्क़ से बाज़ आते हम दीवाने क्या
थी समझ की बात हम समझे नहीं
- आमिर मौसवी



जो दिल रखते हैं सीने में वो काफ़िर हो नहीं सकते
मोहब्बत दीन होती है वफ़ा ईमान होती है
- आरज़ू लखनवी



मोहब्बत नेक-ओ-बद को सोचने दे ग़ैर-मुमकिन है
बढ़ी जब बे-ख़ुदी फिर कौन डरता है गुनाहों से
- आरज़ू लखनवी



मोहब्बत वहीं तक है सच्ची मोहब्बत
जहाँ तक कोई अहद-ओ-पैमाँ नहीं है
- आरज़ू लखनवी



ये ज़ोरा-ज़ोरी इश्क़ की थी फ़ितरत ही जिस ने बदल डाली
जलता हुआ दिल हो कर पानी आँसू बन जाना क्या जाने
- आरज़ू लखनवी



वफ़ा तुम से करेंगे दुख सहेंगे नाज़ उठाएँगे
जिसे आता है दिल देना उसे हर काम आता है
- आरज़ू लखनवी



हुस्न ओ इश्क़ की लाग में अक्सर छेड़ उधर से होती है
शम्अ की शोअला जब लहराई उड़ के चला परवाना भी
- आरज़ू लखनवी



इश्क़ में तहज़ीब के हैं और ही कुछ फ़लसफ़े
तुझ से हो कर हम ख़फ़ा ख़ुद से ख़फ़ा रहने लगे
- आलम ख़ुर्शीद



मा-सिवा-ए-कार-ए-आह-ओ-अश्क क्या है इश्क़ में
है सवाद-ए-आब-ओ-आतिश दीदा ओ दिल के क़रीब
- आलमताब तिश्ना



हम अपने इश्क़ की अब और क्या शहादत दें
हमें हमारे रक़ीबों ने मोतबर जाना
- आलमताब तिश्ना



बंदिशें इश्क़ में दुनिया से निराली देखें
दिल तड़प जाए मगर लब न हिलाए कोई
- आले रज़ा रज़ा



मुझे ख़बर ही नहीं थी कि इश्क़ का आग़ाज़
अब इब्तिदा से नहीं दरमियाँ से होता है
- आसिम वास्ती



इश्क़ पाबंद-ए-वफ़ा है न कि पाबंद-ए-रुसूम
सर झुकाने को नहीं कहते हैं सज्दा करना
- आसी उल्दनी



जज़्बा-ए-इश्क़ सलामत है तो इंशा-अल्लाह
कच्चे धागे से चले आएँगे सरकार बंधे
- इंशा अल्लाह ख़ान इंशा



ज़मीं से उट्ठी है या चर्ख़ पर से उतरी है
ये आग इश्क़ की या-रब किधर से उतरी है
- इंशा अल्लाह ख़ान इंशा



आदमी जान के खाता है मोहब्बत में फ़रेब
ख़ुद-फ़रेबी ही मोहब्बत का सिला हो जैसे
- इक़बाल अज़ीम



बारहा उन से न मिलने की क़सम खाता हूँ मैं
और फिर ये बात क़स्दन भूल भी जाता हूँ मैं
- इक़बाल अज़ीम



हम बहुत दूर निकल आए हैं चलते चलते
अब ठहर जाएँ कहीं शाम के ढलते ढलते
- इक़बाल अज़ीम



ज़ियान-ए-दिल ही इस बाज़ार में सूद-ए-मोहब्बत है
यहाँ है फ़ाएदा ख़ुद को अगर नुक़सान में रख लें
- इक़बाल कौसर



सुबू-ए-फ़लसफ़ा-ए-इश्क़-ओ-कहकशान-ए-हयात
शुआ-ए-क़हर-ए-तबस्सुम, चराग़-ए-दीदा-ए-नम
- इज़हार मलीहाबादी



ये मोहब्बत भी एक नेकी है इस को दरिया में डाल आते हैं
ये मोहब्बत भी एक नेकी है
इस को दरिया में डाल आते हैं
- इनाम नदीम



अगरचे इश्क़ में आफ़त है और बला भी है
निरा बुरा नहीं ये शग़्ल कुछ भला भी है
- इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन



हुस्न यूँ इश्क़ से नाराज़ है अब
फूल ख़ुश्बू से ख़फ़ा हो जैसे
- इफ़्तिख़ार आज़मी



तुम से बिछड़ कर ज़िंदा हैं
जान बहुत शर्मिंदा हैं
- इफ़्तिख़ार आरिफ़



बहुत मुश्किल ज़मानों में भी हम अहल-ए-मोहब्बत
वफ़ा पर इश्क़ की बुनियाद रखना चाहते हैं
- इफ़्तिख़ार आरिफ़



मआल-ए-इज़्ज़त-ए-सादात-ए-इश्क़ देख के हम
बदल गए तो बदलने पे इतनी हैरत क्या
- इफ़्तिख़ार आरिफ़



इस क़दर भी तो न जज़्बात पे क़ाबू रक्खो
थक गए हो तो मिरे काँधे पे बाज़ू रक्खो
- इफ़्तिख़ार नसीम



मुझ से नफ़रत है अगर उस को तो इज़हार करे
कब मैं कहता हूँ मुझे प्यार ही करता जाए
- इफ़्तिख़ार नसीम



किसी सबब से अगर बोलता नहीं हूँ मैं
तो यूँ नहीं कि तुझे सोचता नहीं हूँ मैं
- इफ़्तिख़ार मुग़ल



ख़ुद-कुशी जुर्म भी है सब्र की तौहीन भी है
इस लिए इश्क़ में मर मर के जिया जाता है
- इबरत सिद्दीक़ी



अपने हमराह जो आते हो इधर से पहले
दश्त पड़ता है मियाँ इश्क़ में घर से पहले
- इब्न-ए-इंशा



बे तेरे क्या वहशत हम को तुझ बिन कैसा सब्र ओ सुकूँ
तू ही अपना शहर है जानी तू ही अपना सहरा है
- इब्न-ए-इंशा



हम भूल सके हैं न तुझे भूल सकेंगे
तू याद रहेगा हमें हाँ याद रहेगा
- इब्न-ए-इंशा



हुस्न बना जब बहती गंगा
इश्क़ हुआ काग़ज़ की नाव
- इब्न-ए-सफ़ी



अपने से पहले दश्त में रहते कोह से नहरे लाते थे,
हमने भी इश्क किया है लोगो सब अफसाने होते है |
- इब्ने इंशा



काफ़िर-ए-इश्क़ हूँ मैं सब से मोहब्बत है मुझे
एक बुत क्या कि समाया है कलीसा दिल में
- इमदाद अली बहर



रत्ब-ओ-याबिस में है तसर्रुफ़-ए-इश्क़
आँख दरिया है दिल जज़ीरा है
- इमदाद अली बहर



सौ फ़साद एक इश्क़ में उट्ठे
बोया इक तुख़्म उगे हज़ार दरख़्त
- इमदाद अली बहर



पहली सिगरेट पहला ख़्वाब और पहला इश्क़
इन तीनों में एक भी मुझ को याद नहीं
- इमरान शमशाद



गेसू ओ रुख़्सार की बातें करें
आओ मिल कर प्यार की बातें करें
- इमाम आज़म



ऐन दानाई है नासिख़ इश्क़ में दीवानगी
आप सौदाई हैं जो कहते हैं सौदाई मुझे
- इमाम बख़्श नासिख़



इश्क़ क्या कार-ए-हवस भी कोई आसान नहीं
ख़ैर से पहले इसी काम के क़ाबिल हो जाओ
- इरफ़ान सिद्दीक़ी



कहा था तुम ने कि लाता है कौन इश्क़ की ताब
सो हम जवाब तुम्हारे सवाल ही के तो हैं
- इरफ़ान सिद्दीक़ी



कुछ इश्क़ के निसाब में कमज़ोर हम भी हैं
कुछ पर्चा-ए-सवाल भी आसान चाहिए
- इरफ़ान सिद्दीक़ी



बदन में जैसे लहू ताज़ियाना हो गया है
उसे गले से लगाए ज़माना हो गया है
- इरफ़ान सिद्दीक़ी



वगर्ना तंग न थी इश्क़ पर ख़ुदा की ज़मीं
कहा था उस ने तो मैं अपने घर चला भी गया
- इरफ़ान सिद्दीक़ी



शोला-ए-इश्क़ बुझाना भी नहीं चाहता है
वो मगर ख़ुद को जलाना भी नहीं चाहता है
- इरफ़ान सिद्दीक़ी



रिश्ता बहाल काश फिर उस की गली से हो
जी चाहता है इश्क़ दोबारा उसी से हो
- इरशाद ख़ान सिकंदर



इश्क़ रौशन था वहाँ दीदा-ए-आहू से चराग़
मैं जो यक रात गया क़ैस के काशाने में
- इश्क़ औरंगाबादी



आग़ाज़-ए-इश्क़ उम्र का अंजाम हो गया
नाकामियों के ग़म में मिरा काम हो गया
- इस्माइल मेरठी



इश्क़ फिर इश्क़ है आशुफ़्ता-सरी माँगे है
होश के दौर में भी जामा-दरी माँगे है
- उनवान चिश्ती



अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए
- उबैदुल्लाह अलीम



ज़मीं के लोग तो क्या दो दिलों की चाहत में
ख़ुदा भी हो तो उसे दरमियान लाओ मत
- उबैदुल्लाह अलीम



जिस को मिलना नहीं फिर उस से मोहब्बत कैसी
सोचता जाऊँ मगर दिल में बसाए जाऊँ
- उबैदुल्लाह अलीम



मुसाफ़िरों से मोहब्बत की बात कर लेकिन
मुसाफ़िरों की मोहब्बत का एतिबार न कर
- उमर अंसारी



किताब-ए-इश्क़ में हर आह एक आयत है
पर आँसुओं को हुरूफ़‌‌‌‌-ए-मुक़त्तिआत समझ
- उमैर नजमी



क़ब्रों में नहीं हम को किताबों में उतारो
हम लोग मोहब्बत की कहानी में मरें हैं
- एजाज तवक्कल



न जाने मोहब्बत का अंजाम क्या है
मैं अब हर तसल्ली से घबरा रहा हूँ
- एहसान दानिश



शोरिश-ए-इश्क़ में है हुस्न बराबर का शरीक
सोच कर जुर्म-ए-तमन्ना की सज़ा दो हम को
- एहसान दानिश



हाँ आप को देखा था मोहब्बत से हमीं ने
जी सारे ज़माने के गुनहगार हमीं थे
- एहसान दानिश



जिस को हम ने चाहा था वो कहीं नहीं इस मंज़र में
जिस ने हम को प्यार किया वो सामने वाली मूरत है
- ऐतबार साजिद



इश्क़ ओ मोहब्बत क्या होते हैं क्या समझाऊँ वाइज़ को
भैंस के आगे बीन बजाना मेरे बस की बात नहीं
- कँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर



आख़री हिचकी तिरे ज़ानूँ पे आए
मौत भी मैं शाइराना चाहता हूँ
- क़तील शिफ़ाई



किस तरह अपनी मोहब्बत की मैं तकमील करूँ
ग़म-ए-हस्ती भी तो शामिल है ग़म-ए-यार के साथ
- क़तील शिफ़ाई



क्या जाने किस अदा से लिया तू ने मेरा नाम
दुनिया समझ रही है कि सच-मुच तिरा हूँ मैं
- क़तील शिफ़ाई



गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं
हम चराग़ों की तरह शाम से जल जाते हैं
- क़तील शिफ़ाई



चलो अच्छा हुआ काम आ गई दीवानगी अपनी
वगरना हम ज़माने भर को समझाने कहाँ जाते
- क़तील शिफ़ाई



जब भी आता है मिरा नाम तिरे नाम के साथ
जाने क्यूँ लोग मिरे नाम से जल जाते हैं
- क़तील शिफ़ाई



तर्क-ए-वफ़ा के बअद ये उस की अदा क़तील
मुझ को सताए कोई तो उस को बुरा लगे
- क़तील शिफ़ाई



दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं
लोग अब मुझ को तिरे नाम से पहचानते हैं
- क़तील शिफ़ाई



न जाने कौन सी मंज़िल पे आ पहुँचा है प्यार अपना
न हम को एतिबार अपना न उन को एतिबार अपना
- क़तील शिफ़ाई



मुझ से तू पूछने आया है वफ़ा के मअनी
ये तिरी सादा-दिली मार न डाले मुझ को
- क़तील शिफ़ाई



मैं जब क़तील अपना सब कुछ लुटा चुका हूँ
अब मेरा प्यार मुझ से दानाई चाहता है
- क़तील शिफ़ाई



ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में
ख़ुदा किसी को किसी से मगर जुदा न करे
- क़तील शिफ़ाई



रहेगा साथ तिरा प्यार ज़िंदगी बन कर
ये और बात मिरी ज़िंदगी वफ़ा न करे
- क़तील शिफ़ाई



सुबूत-ए-इश्क़ की ये भी तो एक सूरत है
कि जिस से प्यार करें उस पे तोहमतें भी धरें
- क़तील शिफ़ाई



हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे
अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ
- क़तील शिफ़ाई



बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी
लोग बे-वज्ह उदासी का सबब पूछेंगे
- कफ़ील आज़र अमरोहवी



चाहा तुझे तो खुद से मोहब्बत सी हो गई
खोने के बाद मिल गई अपनी खबर मुझे
- क़मर जलालाबादी



जिस क़दर जज़्ब-ए-मोहब्बत का असर होता गया
इश्क़ ख़ुद तर्क ओ तलब से बे-ख़बर होता गया
- क़मर मुरादाबादी



हर्फ़ आने न दिया इश्क़ की ख़ुद्दारी पर
काम नाकाम तमन्ना से लिया है मैं ने
- क़मर मुरादाबादी



है ज़ीस्त की राहो में इक मोड़ मोहब्बत भी,
होश आता है इंसा को जब राह बदलती है |
- क़मर मुरादाबादी



है मेरी मोहब्बत का उन पर भी असर शायद,
बेवजह ख़ामोशी से, इक बात निकलती है |
- क़मर मुरादाबादी



इश्क़ की दुनिया में क्या क्या हम को सौग़ातें मिलीं
सूनी सुब्हें रोती शामें जागती रातें मिलीं
- करम हैदराबादी



हमेशा आग के दरिया में इश्क़ क्यूँ उतरे
कभी तो हुस्न को ग़र्क़-ए-अज़ाब होना था
- करामत अली करामत



जी चाहेगा जिस को उसे चाहा न करेंगे
हम इश्क़ ओ हवस को कभी यकजा न करेंगे
- करामत अली शहीदी



इश्क़ में मौत का नाम है ज़िंदगी
जिस को जीना हो मरना गवारा करे
- कलीम आजिज़



ज़ालिम था वो और ज़ुल्म की आदत भी बहुत थी
मजबूर थे हम उस से मोहब्बत भी बहुत थी
- कलीम आजिज़



दिल थाम के करवट पे लिए जाऊँ हूँ करवट
वो आग लगी है कि बुझाए न बने है
- कलीम आजिज़



भला आदमी था प नादान निकला
सुना है किसी से मोहब्बत करे है
- कलीम आजिज़



मरना तो बहुत सहल सी इक बात लगे है
जीना ही मोहब्बत में करामात लगे है
- कलीम आजिज़



वो सितम न ढाए तो क्या करे उसे क्या ख़बर कि वफ़ा है क्या?
तू उसी को प्यार करे है क्यूँ ये कलीम तुझ को हुआ है क्या?
- कलीम आजिज़



हाँ कुछ भी तो देरीना मोहब्बत का भरम रख
दिल से न आ दुनिया को दिखाने के लिए आ
- कलीम आजिज़



ऐ इश्क़ मिरे दोश पे तू बोझ रख अपना
हर सर मुतहम्मिल नहीं इस बार-ए-गिराँ का
- क़ाएम चाँदपुरी



चाहें हैं ये हम भी कि रहे पाक मोहब्बत
पर जिस में ये दूरी हो वो क्या ख़ाक मोहब्बत
- क़ाएम चाँदपुरी



दिल से बस हाथ उठा तू अब ऐ इश्क़
देह-ए-वीरान पर ख़िराज नहीं
- क़ाएम चाँदपुरी



इश्क़ है ऐ दिल कठिन कुछ ख़ाना-ए-ख़ाला नहीं
रख दिलेराना क़दम ता तुझ को हो इमदाद-ए-दाद
- क़ासिम अली ख़ान अफ़रीदी



छुपता नहीं है दिल में कभी राज़ इश्क़ का
ये आग वो है जिस को नहीं ताब संग में
- किशन कुमार वक़ार



तुम्हारे इश्क़-ए-अबरू में हिलाल-ए-ईद की सूरत
हज़ारों उँगलियाँ उट्ठीं जिधर से हो के हम निकले
- किशन कुमार वक़ार



हमें देखो हमारे पास बैठो हम से कुछ सीखो
हमीं ने प्यार माँगा था हमीं ने दाग़ पाए हैं
- किश्वर नाहीद



मोहब्बत इक एहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दिवानी है
यहाँ सब लोग कहते हैं मेरी आखो में आंसू है
जो तू समझे तो मोती हैं जो न समझे तो पानी है
- कुमार विश्वास



मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खड़ा रहा
सब अपने अपने चाहने वालों में खो गए
- कृष्ण बिहारी नूर



दिल एक सदियों पुराना उदास मंदिर है
उमीद तरसा हुआ प्यार देव-दासी का
- कृष्ण मोहन



इश्क में क्या मजा रह गया
ज़ुल्फ़ में दिल घिरा रह गया
- कृष्णकुमार चमन



इधर आ रक़ीब मेरे मैं तुझे गले लगा लूँ
मिरा इश्क़ बे-मज़ा था तिरी दुश्मनी से पहले
- कैफ़ भोपाली



एक कमी थी ताज-महल में
मैं ने तिरी तस्वीर लगा दी
- कैफ़ भोपाली



तुम से मिल कर इमली मीठी लगती है
तुम से बिछड़ कर शहद भी खारा लगता है
- कैफ़ भोपाली



झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं
- कैफ़ी आज़मी



वो पल कि जिस में मोहब्बत जवान होती है
उस एक पल का तुझे इंतजार है के नहीं ||
- कैफ़ी आज़मी



आतिश-ए-इश्क़ से बचिए कि यहाँ हम ने भी
मोम की तरह से पत्थर को पिघलते देखा
- क़ैसर ख़ालिद



ज़िंदगी भर के लिए रूठ के जाने वाले
मैं अभी तक तिरी तस्वीर लिए बैठा हूँ
- क़ैसर-उल जाफ़री



तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे
- क़ैसर-उल जाफ़री



मुझे तो इश्क़ है फूलों में सिर्फ़ ख़ुशबू से
बुला रही है किसी लाला की महक मुझ को
- ख़लील मामून



सुना रहा हूँ उन्हें झूट-मूट इक क़िस्सा
कि एक शख़्स मोहब्बत में कामयाब रहा
- ख़लील-उर-रहमान आज़मी



होती नहीं है यूँही अदा ये नमाज़-ए-इश्क़
याँ शर्त है कि अपने लहू से वज़ू करो
- ख़लील-उर-रहमान आज़मी



मोहब्बत ज़ुल्फ़ का आसेब जादू है निगाहों का
मोहब्बत फ़ित्ना-ए-महशर बला-ए-ना-गहानी है
- ख़ार देहलवी



हाँ ये मुमकिन है मगर इतना ज़रूरी भी नहीं
जो कोई प्यार में हारा वही फ़नकार हुआ
- ख़ालिद इक़बाल यासिर



मोहब्बत की तो कोई हद, कोई सरहद नहीं होती
हमारे दरमियाँ ये फ़ासले, कैसे निकल आए
- ख़ालिद मोईन



ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही
जज़्बात में वो पहली सी शिद्दत नहीं रही
- ख़ुमार बाराबंकवी



न हारा है इश्क़ और न दुनिया थकी है
दिया जल रहा है हवा चल रही है
- ख़ुमार बाराबंकवी



भूले हैं रफ़्ता रफ़्ता उन्हें मुद्दतों में हम
क़िस्तों में ख़ुद-कुशी का मज़ा हम से पूछिए
- ख़ुमार बाराबंकवी



ये कहना था उन से मोहब्बत है मुझ को
ये कहने में मुझ को ज़माने लगे हैं
- ख़ुमार बाराबंकवी



ये वफ़ा की सख़्त राहें ये तुम्हारे पाँव नाज़ुक
न लो इंतिक़ाम मुझ से मिरे साथ साथ चल के
- ख़ुमार बाराबंकवी



मोहब्बतों में सभी कुछ नहीं है ख़ामोशी
कभी कभार तो इज़हार भी ज़रूरी है
- ख़ुर्रम ताहिर



वहशतें इश्क़ और मजबूरी
क्या किसी ख़ास इम्तिहान में हूँ
- ख़ुर्शीद रब्बानी



वो तग़ाफ़ुल-शिआर क्या जाने
इश्क़ तो हुस्न की ज़रूरत है
- ख़ुर्शीद रब्बानी



उनसे मिलकर भी कहा मिटता है दिल का इज्तिराब
इश्क की दिवार के दोनों तरफ साया नहीं
- खुर्शीद रिज़वी



तुम समझते हो बिछड़ जाने से मिट जाता है इश्क
तुम को इस दरिया की गहराई का अंदाजा नहीं
- खुर्शीद रिज़वी



नई मुश्किल कोई दरपेश हर मुश्किल से आगे है
सफ़र दीवानगी का इश्क़ की मंज़िल से आगे है
- ख़ुशबीर सिंह शाद



अज़िय्यत मुसीबत मलामत बलाएँ
तिरे इश्क़ में हम ने क्या क्या न देखा
- ख़्वाजा मीर दर्द



कल सियासत में भी मोहब्बत थी
अब मोहब्बत में भी सियासत है
- ख़्वाजा साजिद



आज इस का मुझे इज़हार तो कर लेने दो
प्यार है तुम से मुझे प्यार तो कर लेने दो
- ग़ज़ल जाफरी



इश्क़ की मार बड़ी दर्दीली, इश्क़ में जी न फ़साना जी
सब कुछ करना इश्क़ न करना, इश्क़ से जान बचाना जी
- गणेश बिहारी तर्ज



आप के बाद हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है
- गुलज़ार



कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की
- गुलज़ार



जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ
उस ने सदियों की जुदाई दी है
- गुलज़ार



करूँगा क्या जो मोहब्बत में हो गया नाकाम
मुझे तो और कोई काम भी नहीं आता
- ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर



इश्क़ ने सामने होते ही जलाया दिल को
जैसे बस्ती को लगावे है अदू जंग में आग
- ग़ुलाम यहया हुज़ूर अज़ीमाबादी



इश्क़ में ख़ूब नीं बहुत रोना
इस से इफ़शा-ए-राज़ होता है
- ग़ुलाम यहया हुज़ूर अज़ीमाबादी



इश्क़ में दर्द से है हुर्मत-ए-दिल
चश्म को आबरू है आँसू से
- ग़ुलाम यहया हुज़ूर अज़ीमाबादी



इश्क़ की दस्तरस में कुछ भी नहीं
जान-ए-मन! मेरे बस में कुछ भी नहीं
- ग़ुलाम हुसैन साजिद



इश्क़ पर इख़्तियार है किस का
फ़ाएदा पेश-ओ-पस में कुछ भी नहीं
- ग़ुलाम हुसैन साजिद



इश्क़ पर फ़ाएज़ हूँ औरों की तरह लेकिन मुझे
वस्ल का लपका नहीं है हिज्र से वहशत नहीं
- ग़ुलाम हुसैन साजिद



नहीं बचता है बीमार-ए-मोहब्बत
सुना है हम ने गोया की ज़बानी
- गोया फ़क़ीर मोहम्मद



इक इश्क़ का ग़म आफ़त और उस पे ये दिल आफ़त
या ग़म न दिया होता या दिल न दिया होता
- चराग़ हसन हसरत



आख़िर ये नाकाम मोहब्बत काम आई
तुझ को खो कर मैं ने ख़ुद को पाया है
- ज़करिय़ा शाज़



कुछ इज़्तिराब-ए-इश्क़ का आलम न पूछिए
बिजली तड़प रही थी कि जान इस बदन में थी
- जगत मोहन लाल रवाँ



इश्क़ उदासी के पैग़ाम तो लाता रहता है दिन रात
लेकिन हम को ख़ुश रहने की आदत बहुत ज़ियादा है
- ज़फ़र इक़बाल



यूँ मोहब्बत से न दे मेरी मोहब्बत का जवाब
ये सज़ा सख़्त है थोड़ी सी रिआयत कर दे
- ज़फ़र इक़बाल



मेरी इक छोटी सी कोशिश तुझ को पाने के लिए बन गई है मसअला सारे ज़माने के लिए
मेरी इक छोटी सी कोशिश तुझ को पाने के लिए
बन गई है मसअला सारे ज़माने के लिए
- ज़फ़र गोरखपुरी



कहते हैं इश्क़ का अंजाम बुरा होता है
अब तो कुछ भी हो मोहब्बत का निभाना है हमें
- ज़फ़र ताबाँ



ख़लिश-ए-इश्क़ से बचपन है दिल एक तरफ़
इस पे या-रब ग़म-ए-हस्ती भी उठाना है हमें
- ज़फ़र ताबाँ



इक सफ़र में कोई दो बार नहीं लुट सकता
अब दोबारा तिरी चाहत नहीं की जा सकती
- जमाल एहसानी



याद रखना ही मोहब्बत में नहीं है सब कुछ
भूल जाना भी बड़ी बात हुआ करती है
- जमाल एहसानी



अपना काम है सिर्फ़ मोहब्बत बाक़ी उस का काम
जब चाहे वो रूठे हम से, जब चाहे मन जाए
- जमीलुद्दीन आली



मेरे इश्क में ये नहीं रवा कि खुलूस प्यार का लूँ सिला
कहूं क्यूँ मैं आपको बेवफा मुझे अपने प्यार से वास्ता
- ज़रीना सानी



इश्क़ की चोट का कुछ दिल पे असर हो तो सही
दर्द कम हो या ज़ियादा हो मगर हो तो सही
- जलाल लखनवी



इश्क़ से है फ़रोग़-ए-रंग-ए-जहाँ
इब्तिदा हम हैं इंतिहा हैं हम
- जलालुद्दीन अकबर



इश्क़ ख़ुद सिखाता है सारी हिकमतें आली
नक़्द-ए-दिल किसे देना बार-ए-सर कहाँ रखना
- जलील ’आली’



जाँ खपाते हैं ग़म-ए-इश्क़ में ख़ुश ख़ुश आली
कैसी लज़्ज़त का ये आज़ार बनाया हुआ है
- जलील ’आली’



इश्क़ बहरूप था जो चश्म ओ दिल ओ सर में रहा
कहीं हैरत कहीं वहशत कहीं सौदा बन कर
- जलील मानिकपूरी



क़दम रक्खा जो राह-ए-इश्क़ में हम ने तो ये देखा
जहाँ में जितने रहज़न हैं इसी मंज़िल में रहते हैं
- जलील मानिकपूरी



कमाल-ए-इश्क़ तो देखो वो आ गए लेकिन
वही है शौक़ वही इंतिज़ार बाक़ी है
- जलील मानिकपूरी



छुपा न राज़ मोहब्बत का बू-ए-गुल की तरह
जो बात दिल में थी वो दरमियाँ निकल आई
- जलील मानिकपूरी



जब उन्हें देखो प्यार आता है
और बे-इख़्तियार आता है
- जलील मानिकपूरी



जो तिरे इश्क़ में तबाह हुआ
कोई उस को तबाह कर न सका
- जलील मानिकपूरी



था बड़ा मअरका मोहब्बत का
सर किया मैं ने दे के सर अपना
- जलील मानिकपूरी



थी इश्क़-ओ-आशिक़ी के लिए शर्त ज़िंदगी
मरने के वास्ते मुझे जीना ज़रूर था
- जलील मानिकपूरी



मैं तो सुनता हूँ तुम्हें भी है मोहब्बत मुझ से
सच कहो तुम को मिरे सर की क़सम है कि नहीं
- जलील मानिकपूरी



मोहब्बत एक तरफ़ से मज़ा नहीं देती
कुछ इज़्तिराब तुझे हो कुछ इज़्तिराब मुझे
- जलील मानिकपूरी



यही दो काम मोहब्बत ने दिए हैं हम को
दिल में है याद तिरी ज़िक्र है लब पर तेरा
- जलील मानिकपूरी



इश्क़ वजह-ए-ज़िंदगी भी दुश्मन-ए-जानी भी है
ये नदी पायाब भी है और तूफ़ानी भी है
- जवाँ संदेलवी



इश्क़ इक हिकायत है सरफ़रोश दुनिया की
हिज्र इक मसाफ़त है बे-निगार सहरा की
- ज़हीर काश्मीरी



इश्क़ जब तक न आस-पास रहा
हुस्न तन्हा रहा उदास रहा
- ज़हीर काश्मीरी



हम ने अपने इश्क़ की ख़ातिर ज़ंजीरें भी देखीं हैं
हम ने उन के हुस्न की ख़ातिर रक़्स भी ज़ेर-ए-दार किया
- ज़हीर काश्मीरी



हमारे इश्क़ से दर्द-ए-जहाँ इबारत है
हमारा इश्क़ हवस से बुलंद-ओ-बाला है
- ज़हीर काश्मीरी



इश्क़ क्या शय है हुस्न है क्या चीज़
कुछ इधर की है कुछ उधर की आग
- ज़हीर देहलवी



इश्क़ है इश्क़ तो इक रोज़ तमाशा होगा
आप जिस मुँह को छुपाते हैं दिखाना होगा
- ज़हीर देहलवी



आँखें जो उठाए तो मोहब्बत का गुमाँ हो
नज़रों को झुकाए तो शिकायत सी लगे है
- जाँ निसार अख़्तर



इश्क़ में क्या नुक़सान नफ़अ है हम को क्या समझाते हो
हम ने सारी उम्र ही यारो दिल का कारोबार किया
- जाँ निसार अख़्तर



उफ़क पर आसमान झुककर ज़मीं को प्यार करता है
ये मंज़र एक सोई याद को बेदार करता है
मुझे एक बार फिर अपनी मोहब्बत याद आती है
- जाँ निसार अख़्तर



दर्दे-दिल, दर्दे-वफ़ा, दर्दे-तमन्ना क्या है
आप क्या जानें मोहब्बत का तकाज़ा क्या है
- जाँ निसार अख़्तर



लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ से
तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से
- जाँ निसार अख़्तर



सौ चाँद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगी
तुम आए तो इस रात की औक़ात बनेगी
- जाँ निसार अख़्तर



इश्क़ में निस्बत नहीं बुलबुल को परवाने के साथ
वस्ल में वो जान दे ये हिज्र में जीती रहे
- जाफ़र अली खां ज़की



एक चेहरा है जो आँखों में बसा रहता है
इक तसव्वुर है जो तन्हा नहीं होने देता
- जावेद नसीमी



उस ने आँचल से निकाली मिरी गुम-गश्ता बयाज़
और चुपके से मोहब्बत का वरक़ मोड़ दिया
- जावेद सबा



हमीं से अंजुमन-ए-इश्क़ मोतबर ठहरी
हमीं को सौंपी गई ग़म की पासबानी भी
- ज़ाहिदा ज़ैदी



इश्क़ को एक उम्र चाहिए और
उम्र का कोई एतिबार नहीं
- जिगर बरेलवी



इश्क़ को दीजिए जुनूँ में फ़रोग़
दर्द से दर्द की दवा कीजिए
- जिगर बरेलवी



इश्क़ में क़द्र-ए-ख़स्तगी की उम्मीद
ऐ जिगर होश की दवा कीजिए
- जिगर बरेलवी



तुम नहीं पास कोई पास नहीं
अब मुझे ज़िंदगी की आस नहीं
- जिगर बरेलवी



मरज़-ए-इश्क़ को शिफ़ा समझे
दर्द को दर्द की दवा समझे
- जिगर बरेलवी



साँस लेने में दर्द होता है
अब हवा ज़िंदगी की रास नहीं
- जिगर बरेलवी



अपने हुदूद से न बढ़े कोई इश्क़ में
जो ज़र्रा जिस जगह है वहीं आफ़्ताब है
- जिगर मुरादाबादी



आए जुबां पे राजे मोहब्बत मुहाल है
तुमसे मुझे अज़ीज़ तुम्हारा ख्याल है
- जिगर मुरादाबादी



आतिश-ए-इश्क़ वो जहन्नम है
जिस में फ़िरदौस के नज़ारे हैं
- जिगर मुरादाबादी



इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है
- जिगर मुरादाबादी



इनका जो फ़र्ज़ है वह पहले अहले सियासत जाने
मेरा पैगाम मुहब्बत है जहाँ तक पहुचे
- जिगर मुरादाबादी



इश्क़ जब तक न कर चुके रुस्वा
आदमी काम का नहीं होता
- जिगर मुरादाबादी



इश्क़ पर कुछ न चला दीदा-ए-तर का क़ाबू
उस ने जो आग लगा दी वो बुझाई न गई
- जिगर मुरादाबादी



कूचा-ए-इश्क़ में निकल आया
जिस को ख़ाना-ख़राब होना था
- जिगर मुरादाबादी



क्या हुस्न ने समझा है क्या इश्क़ ने जाना है
हम ख़ाक-नशीनों की ठोकर में ज़माना है
- जिगर मुरादाबादी



तिरी ख़ुशी से अगर ग़म में भी ख़ुशी न हुई
वो ज़िंदगी तो मोहब्बत की ज़िंदगी न हुई
- जिगर मुरादाबादी



दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं
कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं
- जिगर मुरादाबादी



दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद
अब मुझ को नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद
- जिगर मुरादाबादी



न जाने मुहब्बत है क्या चीज
बड़ी ही मुहब्बत से हम देखते है
- जिगर मुरादाबादी



मुहब्बत ही अपना मज़हब है लेकिन,
तरीके मुहब्बत जुदा चाहता हूँ |
- जिगर मुरादाबादी



मोहब्बत में ये क्या मक़ाम आ रहे हैं
कि मंज़िल पे हैं और चले जा रहे हैं
- जिगर मुरादाबादी



मोहब्बत सुल्ह भी पैकार भी है
ये शाख़-ए-गुल भी है तलवार भी है
- जिगर मुरादाबादी



ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना ही समझ लीजे
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है
- जिगर मुरादाबादी



हम इश्क़ के मारों का इतना ही फ़साना है
रोने को नहीं कोई हँसने को ज़माना है
- जिगर मुरादाबादी



हाए रे मजबूरियाँ महरूमियाँ नाकामियाँ
इश्क़ आख़िर इश्क़ है तुम क्या करो हम क्या करें
- जिगर मुरादाबादी



हुस्न को क्या दुश्मनी है इश्क़ को क्या बैर है
अपने ही क़दमों की ख़ुद ही ठोकरें खाता हूँ मैं
- जिगर मुरादाबादी



है फैसला-ए-इश्क ही मंजूर तो उठिए
अंगियार भी मौजूद है, हाजिर है जिगर भी
- जिगर मुरादाबादी



कैसी कशिश है इश्क़ के टूटे मज़ार में
मेला लगा हुआ है हमारे दयार में
- जितेन्द्र मोहन सिन्हा रहबर



इश्क में बात ये अहम ही नहीं
कौन जीता था कौन हारा था
- ज़िया उर रहमान ज़ाफरी



उसके दिल में है दर्द दुनिया का
वो मोहब्ब्त का इक पुजारी लगे
- ज़िया उर रहमान ज़ाफरी



एक लड़की थी इश्क कर बैठी
बात फैलेगी अब सयानों तक
- ज़िया उर रहमान ज़ाफरी



बस मिलन यामिनी की चाहत में
ये मोहब्बत हमें उधारी लगे
- ज़िया उर रहमान ज़ाफरी



बहुत जल्दी में ये दुनिया है सारी
कि खुद से अब मोहब्बत भी नहीं है
- ज़िया उर रहमान ज़ाफरी



मोहब्बत का वो कुछ पैगाम दे दे
सियासत को इजाज़त भी नहीं है
- ज़िया उर रहमान ज़ाफरी



इश्क़ के मारों को आदाब कहाँ आते हैं
तेरे कूचे में चले आए इजाज़त के बग़ैर
- ज़िया ज़मीर



इश्क़ में भी कोई अंजाम हुआ करता है
इश्क़ में याद है आग़ाज़ ही आग़ाज़ मुझे
- ज़िया जालंधरी



इश्क़ है जी का ज़ियाँ इश्क़ में रक्खा क्या है
दिल-ए-बर्बाद बता तेरी तमन्ना क्या है
- जुनैद हज़ीं लारी



इक बाज़ी-ए-इश्क़ से हैं आरी
खेले हैं वगर्ना सब जुए हम
- जुरअत क़लंदर बख़्श



ग़म मुझे ना-तवान रखता है
इश्क़ भी इक निशान रखता है
- जुरअत क़लंदर बख़्श



दिल को ऐ इश्क़ सू-ए-ज़ुल्फ़-ए-सियह-फ़ाम न भेज
रहज़नों में तू मुसाफ़िर को सर-ए-शाम न भेज
- जुरअत क़लंदर बख़्श



मिस्ल-ए-मजनूँ जो परेशाँ है बयाबान में आज
क्यूँ दिला कौन समाया है तिरे ध्यान में आज
- जुरअत क़लंदर बख़्श



सर दीजे राह-ए-इश्क़ में पर मुँह न मोड़िए
पत्थर की सी लकीर है ये कोह-कन की बात
- जुरअत क़लंदर बख़्श



हुआ है इश्क़ में कम हुस्न-ए-इत्तिफ़ाक़ ऐसा
कि दिल को यार तो दिल यार को पसंद हुआ
- ज़ेबा



कहाँ के इश्क़-ओ-मोहब्बत किधर के हिज्र ओ विसाल
अभी तो लोग तरसते हैं ज़िंदगी के लिए
- ज़ेहरा निगाह



इश्क़ है मुझ से उसे या कि फ़क़त हमदर्दी
जब भी वो छोड़ के जाता है पलट आता है
- ज़ोया शेख़



तुम्हारे इश्क़ में क्या क्या न इख़्तियार किया
कभी फ़लक का कभी ग़ैर का वक़ार किया
- जोर्ज पेश शोर



इश्क़ उस दर्द का नहीं क़ाइल
जो मुसीबत की इंतिहा न हुआ
- जोश मलसियानी



अब न तडपूगा कभी इश्क के अफसानों पर |
अब जो रोऊंगा तो रौंदे हुए इंसानों पर ||
- जोश मलीहाबादी



आबरू इश्क के बाजार में खोते है कही ?
जिन्से-हिकमत के खरीदार भी रोते है कही ?
- जोश मलीहाबादी



इश्क की छाव भी देखूंगा तो कतराऊगा |
काबा-ए-अक्ल से बाहर न कभी जाउगा ||
- जोश मलीहाबादी



इश्क के तीर मुहब्बत के वतीरे उभरे |
दिल में डूबी हुई यादो के जंजीरे उभरे ||
- जोश मलीहाबादी



कान में दौरे-मुहब्बत के फ़साने चहके |
सर पे बिछड़े हुए लम्हों के फ़साने चहके ||
- जोश मलीहाबादी



कोई आया तिरी झलक देखी
कोई बोला सुनी तिरी आवाज़
- जोश मलीहाबादी



दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया
जब चली सर्द हवा मैं ने तुझे याद किया
- जोश मलीहाबादी



सच कहते हैं कि नाम मोहब्बत का है बड़ा
उल्फ़त जता के दोस्त को दुश्मन बना लिया
- जोश लखनवी



हुस्न और इश्क़ का मज़कूर न होवे जब तक
मुझ को भाता नहीं सुनना किसी अफ़्साने का
- जोशिश अज़ीमाबादी



आख़िर वो अपने प्यार का इज़हार कर गए
इंकार कर रहे थे जो इक़रार कर गए
- जोहर राना



क्या कहा इश्क़ जावेदानी है!
आख़िरी बार मिल रही हो क्या
- जौन एलिया



ज़िंदगी किस तरह बसर होगी
दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में
- जौन एलिया



मुझे अब तुम से डर लगने लगा है
तुम्हें मुझ से मोहब्बत हो गई क्या
- जौन एलिया



सारी दुनिया के ग़म हमारे हैं
और सितम ये कि हम तुम्हारे हैं
- जौन एलिया



गया शबाब पर इतना रहा तअल्लुक़-ए-इश्क़
दिल ओ जिगर में तपक गाह गाह होती है
- तअशशुक़ लखनवी



वो इस कमाल से खेला था इश्क़ की बाज़ी
मैं अपनी फ़तह समझता था मात होने तक
- ताजदार आदिल



दिल के पर्दों में छुपाया है तिरे इश्क़ का राज़
ख़ल्वत-ए-दिल में भी पर्दा नज़र आता है मुझे
- ताजवर नजीबाबादी



बर्दाश्त दर्द-ए-इश्क़ की दुश्वार हो गई
अब ज़िंदगी भी जान का आज़ार हो गई
- ताजवर नजीबाबादी



आतिश-ए-इश्क़ में जो जल न मरें
इश्क़ के फ़न में वो अनारी हैं
- ताबाँ अब्दुल हई



हवा भी इश्क़ की लगने न देता मैं उसे हरगिज़
अगर इस दिल पे होता हाए कुछ भी इख़्तियार अपना
- ताबाँ अब्दुल हई



इश्क़ ईमान दोनों में तफ़रीक़ है
पर इन्हीं दोनों पे मेरा ईमान है
- ताबिश कानपुरी



इस तरह तुझे इश्क़ किया है कि ये दुनिया
हम को ही कहीं इश्क़ का हासिल न बना दे
- तालीफ़ हैदर



फ़िक्र-ए-मआश ओ इश्क़-ए-बुताँ याद-ए-रफ़्तगाँ
इन मुश्किलों से अहद-बरआई न हो सकी
- तिलोकचंद महरूम



मज़ा तो इश्क़ का तब है कि एक पल को सही
झुकी नज़र वो उठा दें और मैं सलाम करूँ
- तौक़ीर अहमद



अच्छा है कि सिर्फ़ इश्क़ कीजे
ये उम्र तो यूँ भी राएगाँ है
- तौसीफ़ तबस्सुम



जिसे तुम ढूँडती रहती हो मुझ में
वो लड़का जाने कब का मर चुका है
- त्रिपुरारि



इश्क़ ने जिस दिल पे क़ब्ज़ा कर लिया
फिर कहाँ उस में नशात ओ ग़म रहे
- दत्तात्रिया कैफ़ी



कहने देती नहीं कुछ मुँह से मोहब्बत मेरी
लब पे रह जाती है आ आ के शिकायत मेरी
- दाग़ देहलवी



ठोकर भी राह-ए-इश्क़ में खानी ज़रूर है
चलता नहीं हूँ राह को हमवार देख कर
- दाग़ देहलवी



दिल में रखने की बात है ग़म-ए-इश्क
इस को हरगिज़ न बरमला कहिये
- दाग़ देहलवी



दुनिया में मजा इश्क से बहतर नहीं होता
यह जायका वो है की मयस्सर नहीं होता
वेदाद तेरी देख के यह हाल हुआ है
आशिक कोई दुनिया में किसी पर नहीं होता
- दाग़ देहलवी



भुला-भुला के जताया है उनको राज-ए-निहा
छिपा-छिपा के मोहब्बत को आशकार किया
- दाग़ देहलवी



मारका है आज हुस्न ओ इश्क़ का
देखिए वो क्या करें हम क्या करें
- दाग़ देहलवी



यह इश्क का है घर कोई दारुल-अमां नहीं
हर रोज़ वारदात मुहब्बत में चाहिए
- दाग़ देहलवी



ये मज़ा था दिल-लगी का कि बराबर आग लगती
न तुझे क़रार होता न मुझे क़रार होता
- दाग़ देहलवी



लज़्ज़त-ए-इश्क़ इलाही मिट जाए
दर्द अरमान हुआ जाता है
- दाग़ देहलवी



इस शहर में तो कुछ नहीं रुस्वाई के सिवा
ऐ दिल ये इश्क़ ले के किधर आ गया तुझे
- दिल अय्यूबी



ये राह-ए-इश्क़ है आख़िर कोई मज़ाक़ नहीं
सऊबतों से जो घबरा गए हों घर जाएँ
- दिल अय्यूबी



असर-ए-इश्क़ से हूँ सूरत-ए-शम्अ ख़ामोश
ये मुरक़्क़ा है मिरी हसरत-ए-गोयाई का
- दिल शाहजहाँपुरी



आग़ाज़-ए-मोहब्बत से अंजाम-ए-मोहब्बत तक
गुज़रा है जो कुछ हम पर तुम ने भी सुना होगा
- दिल शाहजहाँपुरी



आरज़ू लुत्फ़ तलब इश्क़ सरासर नाकाम
मुब्तला ज़िंदगी-ए-दिल इन्हीं औहाम में है
- दिल शाहजहाँपुरी



मैं ग़र्क़ हो रहा था कि तूफ़ान-ए-इश्क़ ने
इक मौज-ए-बे-क़रार को साहिल बना दिया
- दिल शाहजहाँपुरी



अजब चलन है ये बाज़ार-ए-इश्क़ का कि यहाँ
चवन्नी चलती है रुपये में हुस्न वालों की
- दीपक पुरोहित



कि है मुख़्तसर दास्ताँ इश्क़ की
गले मिल के कोई गले पड़ गया
- दीपक पुरोहित



एक जंगल है तेरी आँखों में
मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ
तू किसी रेल सी गुज़रती है
मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ
- दुष्यंत कुमार



ज़िंदगी जब अज़ाब होती है
आशिक़ी कामयाब होती है
- दुष्यंत कुमार



वह कर रहे हैं इश्क पर संजीदा गुफ्तगू
मैं क्या बताऊं मेरा कहीं और ध्यान है
- दुष्यंत कुमार



तू मोहब्बते इज़हार इतना भी न कर !
कि चेहरा तेरे दिल का आइना बन जाये !!
- देवेन्द्र देव



मुझसे जो मोहब्बत करोगे तो क्या पाओगे
कुछ यूँ अपना दिल तोड़ोगे कि बिखर जाओगे
- देवेन्द्र देव



मोहब्बत की थी हमने मजाक नहीं,
दिल कहता है फिर उस हरजाई से मिले !
- देवेन्द्र देव



लगता है हम ही है उनके इश्क में पागल
पर एक दिन वो भी बैचैन नज़र आयेंगे
- देवेन्द्र देव



हम और क्या कहे यारो
वो इश्क-ऐ-रूमानी एहसास ही क्या
जिसके बारे में बता न सके
- देवेन्द्र देव



है भले आज लबो पे उनके ना
पर हमारे इश्क के कशीदे भी कभी असर लायेंगे
- देवेन्द्र देव



इश्क़ तू भी ज़रा टिका ले कमर
दिल भी अब सो गया है रात गए
- नईम जर्रार अहमद



इश्क़ वो चार सू सफ़र है जहाँ
कोई भी रास्ता नहीं रुकता
- नईम जर्रार अहमद



नाम होंटों पे तिरा आए तो राहत सी मिले
तू तसल्ली है दिलासा है दुआ है क्या है
- नक़्श लायलपुरी



उस बेवफ़ा ने हम को अगर अपने इश्क़ में
रुस्वा किया ख़राब किया फिर किसी को क्या
- नज़ीर अकबराबादी



कमाल-ए-इश्क़ भी ख़ाली नहीं तमन्ना से
जो है इक आह तो उस को भी है असर की तलब
- नज़ीर अकबराबादी



ठहरना इश्क़ के आफ़ात के सदमों में नज़ीर
काम मुश्किल था पर अल्लाह ने आसान किया
- नज़ीर अकबराबादी



थे हम तो ख़ुद-पसंद बहुत लेकिन इश्क़ में
अब है वही पसंद जो हो यार को पसंद
- नज़ीर अकबराबादी



हर इक मकाँ में गुज़रगाह-ए-ख़्वाब है लेकिन
अगर नहीं तो नहीं इश्क़ के जनाब में ख़्वाब
- नज़ीर अकबराबादी



आँख भर इश्क़ और बदन भर चाह
शुक्र लब भर गिला ज़बाँ भर था
- नज़ीर आज़ाद



दर्द-ए-दिल से इश्क़ के बे-पर्दगी होती नहीं
इक चमक उठती है लेकिन रौशनी होती नहीं
- नज़्म तबातबाई



इश्क़ में ख़ैर था जुनूँ लाज़िम
अब कोई दूसरा हुनर भी करूँ
- नदीम अहमद



बद-नसीबी कि इश्क़ कर के भी
कोई धोका नहीं हुआ मिरे साथ
- नदीम भाभा



ये इश्क़ के ख़ुतूत भी कितने अजीब हैं
आँखें वो पढ़ रही हैं जो तहरीर भी नहीं
- नफ़स अम्बालवी



इश्क़ ने कसरत से जा की मुझ दिल-ए-बेताब में
आ भरा दरिया-ए-आतिश क़तरा-ए-सीमाब में
- नवल राय वफ़ा



कुछ ख़ुद भी हूँ मैं इश्क़ में अफ़्सुर्दा ओ ग़मगीं
कुछ तल्ख़ी-ए-हालात का एहसास हुआ है
- नसीम शाहजहाँपुरी



इश्क़ की अज़्मतें बजा लेकिन
इश्क़ ही मक़्सद-ए-हयात नहीं
- नसीर आरज़ू



यूँ भी मिला है हुस्न का अंदाज़ इश्क़ में
बिखरी है उन की ज़ुल्फ़ परेशाँ हुआ हूँ मैं
- नातिक़ आज़मी



आज देखा है तुझ को देर के बअद
आज का दिन गुज़र न जाए कहीं
- नासिर काज़मी



आरज़ू है कि तू यहाँ आए
और फिर उम्र भर न जाए कहीं
- नासिर काज़मी



ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए-मोहब्बत के बावजूद
महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी
- नासिर काज़मी



ज़रा सी बात सही तेरा याद आ जाना
ज़रा सी बात बहुत देर तक रुलाती थी
- नासिर काज़मी



दिन भर तो मैं दुनिया के धंदों में खोया रहा
जब दीवारों से धूप ढली तुम याद आए
- नासिर काज़मी



दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तिरी याद थी अब याद आया
- नासिर काज़मी



वो भी क्या दिन थे कि जब इश्क़ किया करते थे
हम जिसे चाहते थे चूम लिया करते थे
- नासिर ज़ैदी



इस कहानी का तो अंजाम वही है जो था
तुम जो चाहो तो मोहब्बत की शुरुवात लिखो
- निदा फ़ाज़ली



उस को रुख़्सत तो किया था मुझे मालूम न था
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला
- निदा फ़ाज़ली



तुम से छुट कर भी तुम्हें भूलना आसान न था
तुम को ही याद किया तुम को भुलाने के लिए
- निदा फ़ाज़ली



दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती
ख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती
- निदा फ़ाज़ली



वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में
जो दूर है वो दिल से उतर क्यूँ नहीं जाता
- निदा फ़ाज़ली



होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है
- निदा फ़ाज़ली



और फिर मोहब्बत में जी के मर के देखा है
लोग सोचते हैं जो हम ने कर के देखा है
- नील अहमद



अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिस ने भी मोहब्बत की
मरने की दुआ माँगी जीने की सज़ा पाई
- नुशूर वाहिदी



एक रिश्ता भी मोहब्बत का अगर टूट गया
देखते देखते शीराज़ा बिखर जाता है
- नुशूर वाहिदी



इश्क़ में कुछ नज़र नहीं आया
जिस तरफ़ देखिए अँधेरा है
- नूह नारवी



ऐ नूह तौबा इश्क़ से कर ली थी आप ने
फिर ताँक-झाँक क्यूँ है ये फिर देख-भाल क्या
- नूह नारवी



ग़ैर का इश्क़ है कि मेरा है
साफ़ कह दो अभी सवेरा है
- नूह नारवी



दिल के दो हिस्से जो कर डाले थे हुस्न-ओ-इश्क़ ने
एक सहरा बन गया और एक गुलशन हो गया
- नूह नारवी



इश्क़ का मतलब किसे मालूम था
जिन दिनों आए थे हम दिल हार के
- नोमान शौक़



इश्क़ क्या है ख़ूबसूरत सी कोई अफ़्वाह बस
वो भी मेरे और तुम्हारे दरमियाँ उड़ती हुई
- नोमान शौक़



इश्क़ में सच्चा था वो मेरी तरह
बेवफ़ा तो आज़माने से हुआ
- नोमान शौक़



चख लिया उस ने प्यार थोड़ा सा
और फिर ज़हर कर दिया है मुझे
- नोमान शौक़



तिरे बग़ैर कोई और इश्क़ हो कैसे
कि मुशरिकों के लिए भी ख़ुदा ज़रूरी है
- नोमान शौक़



तुमने तो कह दिया कि मोहब्बत नहीं मिली
मुझको तो ये भी कहने की मोहलत नहीं मिली
- नोशी गिलानी



जज़्बा-ए-इश्क़ चाहिए सूफ़ी
जो है अफ़्सुर्दा अहल-ए-हाल नहीं
- पंडित जवाहर नाथ साक़ी



नैरंग-ए-इश्क़ आज तो हो जाए कुछ मदद
पुर-फ़न को हम करें मुतहय्यर किसी तरह
- पंडित जवाहर नाथ साक़ी



आपके दिल ने हमें आवाज दी, हम आ गए
हमको ले आई मोहब्बत आपकी, हम आ गए
- पयाम सईदी



कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई की
उस ने ख़ुश्बू की तरह मेरी पज़ीराई की
- परवीन शाकिर



चलने का होसला नहीं, रुकना मुहाल कर दिया
इश्क के इस सफ़र ने तो मुझको निढाल कर दिया
- परवीन शाकिर



तिरी चाहत के भीगे जंगलों में
मिरा तन मोर बन कर नाचता है
- परवीन शाकिर



मैं उस की दस्तरस में हूँ मगर वो
मुझे मेरी रज़ा से माँगता है
- परवीन शाकिर



रस्ता भी कठिन, धुप में शिद्दत भी बहुत थी
साए से मगर उसको मुहब्बत भी बहुत थी
- परवीन शाकिर



वो कहीं भी गया लौटा तो मिरे पास आया
बस यही बात है अच्छी मिरे हरजाई की
- परवीन शाकिर



वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगा
मसअला फूल का है फूल किधर जाएगा
- परवीन शाकिर



पूछा था मैं ने जब उसे क्या मुझ से इश्क़ है?
उस को मिरे सवाल पे हैरत नहीं हुई
- परवेज़ साहिर



मकीन-ए-दिल को ख़ानुमा-ख़राबियों से इश्क़ था
क़याम ढूँढता रहा तुम्हारी छत के बाद भी
- पल्लव मिश्रा



न तो मैं हूर का मफ़्तूँ न परी का आशिक़
ख़ाक के पुतले का है ख़ाक का पुतला आशिक़
- पीर शेर मोहम्मद आजिज़



वो जो पहला था अपना इश्क़ वही
आख़िरी वारदात थी दिल की
- पूजा भाटिया



ऐ "फ़ना" शुक्र है आज बाद-ए-फ़ना, उसने रख ली मेरे प्यार की आबरू
अपने हाथो से उसने मेरी कब्र पर, चादर-ऐ-गुल चढाई मज़ा आ गया
- फ़ना बुलंद शहरी



तू समझता है कि मैं कुछ भी नहीं तेरे बग़ैर
मैं तिरे प्यार से इंकार भी कर सकता हूँ
- फ़रताश सय्यद



उस के बारे में बहुत सोचता हूँ
मुझ से बिछड़ा तो किधर जाएगा
- फ़रहत अब्बास शाह



इलाज अपना कराते फिर रहे हो जाने किस किस से
मोहब्बत कर के देखो ना मोहब्बत क्यूँ नहीं करते
- फ़रहत एहसास



इश्क़ में पीने का पानी बस आँख का पानी
खाने में बस पत्थर खाए जा सकते थे
- फ़रहत एहसास



कहाँ का इश्क़ हवस तक भी हो नहीं सकती
यही रहेगा जो अंदाज़ मुजरिमाना मिरा
- फ़रहत एहसास



ज़िंदगी का दिया हुआ चेहरा इश्क़-दरिया में धो के आए हैं
फ़रहतुल्लाह-ख़ाँ गए थे वहाँ फ़रहत-एहसास हो के आए हैं
- फ़रहत एहसास



जो इश्क़ चाहता है वो होना नहीं है आज
ख़ुद को बहाल करना है खोना नहीं है आज
- फ़रहत एहसास



नहीं होती है राह-ए-इश्क़ में आसान मंज़िल
सफ़र में भी तो सदियों की मसाफ़त चाहिए है
- फ़रहत नदीम हुमायूँ



ये क्यूँ कहते हो राह-ए-इश्क़ पर चलना है हम को
कहो कि ज़िंदगी से अब फ़राग़त चाहिए है
- फ़रहत नदीम हुमायूँ



न जाने कैसा समुंदर है इश्क़ का जिस में
किसी को देखा नहीं डूब के उभरते हुए
- फ़राग़ रोहवी



ऐन मुमकिन है उसे मुझ से मोहब्बत ही न हो
दिल बहर-तौर उसे अपना बनाना चाहे
- फरीहा नक़वी



परेशाँ है वो झूटा इश्क़ कर के
वफ़ा करने की नौबत आ गई है
- फ़हमी बदायूनी



सुकून-ए-दिल के लिए इश्क़ तो बहाना था
वगरना थक के कहीं तो ठहर ही जाना था
- फ़ातिमा हसन



इब्तिदा-ए-इश्क़ है लुत्फ़-ए-शबाब आने को है
सब्र रुख़्सत हो रहा है इज़्तिराब आने को है
- फ़ानी बदायुनी



दिल सरापा दर्द था वो इब्तिदा-ए-इश्क़ थी
इंतिहा ये है कि फ़ानी दर्द अब दिल हो गया
- फ़ानी बदायुनी



ग़म-ए-इश्क़ ही ने काटी ग़म-ए-इश्क़ की मुसीबत
इसी मौज ने डुबोया इसी मौज ने उभारा
- फ़ारूक़ बाँसपारी



इश्क़ अब भी है वो महरम-ए-बे-गाना-नुमा
हुस्न यूँ लाख छुपे लाख नुमायाँ हो जाए
- फ़िराक़ गोरखपुरी



इश्क़ अभी से तन्हा तन्हा
हिज्र की भी आई नहीं नौबत
- फ़िराक़ गोरखपुरी



इश्क़ फिर इश्क़ है जिस रूप में जिस भेस में हो
इशरत-ए-वस्ल बने या ग़म-ए-हिज्राँ हो जाए
- फ़िराक़ गोरखपुरी



ऐ सोज़-ए-इश्क़ तू ने मुझे क्या बना दिया
मेरी हर एक साँस मुनाजात हो गई
- फ़िराक़ गोरखपुरी



किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी
ये हुस्न ओ इश्क़ तो धोका है सब मगर फिर भी
- फ़िराक़ गोरखपुरी



कोई समझे तो एक बात कहूँ
इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं
- फ़िराक़ गोरखपुरी



जिन की तामीर इश्क़ करता है
कौन रहता है उन मकानों में
- फ़िराक़ गोरखपुरी



तुझ को पा कर भी न कम हो सकी बे-ताबी-ए-दिल
इतना आसान तिरे इश्क़ का ग़म था ही नहीं
- फ़िराक़ गोरखपुरी



नया घाव है प्रेम का जो चमके दिन-रात
होनहार बिरवान के चिकने-चिकने पात
- फ़िराक़ गोरखपुरी



बहुत दिनों में मोहब्बत को ये हुआ मालूम
जो तेरे हिज्र में गुज़री वो रात रात हुई
- फ़िराक़ गोरखपुरी



ये ज़िल्लत-ए-इश्क़ तेरे हाथों
ऐ दोस्त तुझे कहाँ छुपा लें
- फ़िराक़ गोरखपुरी



रफ़्ता रफ़्ता इश्क़ मानूस-ए-जहाँ होने लगा
ख़ुद को तेरे हिज्र में तन्हा समझ बैठे थे हम
- फ़िराक़ गोरखपुरी



इश्क़ किया तो अपनी ही नादानी थी
वर्ना दुनिया जान की दुश्मन कब होती है
- फ़े सीन एजाज़



और क्या देखने को बाक़ी है
आप से दिल लगा के देख लिया
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़



और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़



गर बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है जो चाहो लगा दो डर कैसा
गर जीत गए तो क्या कहना हारे भी तो बाज़ी मात नहीं
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़



गर बाज़ी इश्क की बाज़ी है, ओ चाहो लगा दो डर कैसा
गर जीत गए तो क्या कहने, हारे भी तो बाज़ी मात नहीं
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़



तेरे दर तक पहुच के लौट आए
इश्क की आबरू डुबो बैठे
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़



दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के
वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़



इश्क़ ने मंसब लिखे जिस दिन मिरी तक़दीर में
दाग़ की नक़दी मिली सहरा मिला जागीर में
- बक़ा उल्लाह बक़ा



इश्क़ में बू है किबरियाई की
आशिक़ी जिस ने की ख़ुदाई की
- बक़ा उल्लाह बक़ा



ऐ इश्क़ तू हर-चंद मिरा दुश्मन-ए-जाँ हो
मरने का नहीं नाम का मैं अपने बक़ा हूँ
- बक़ा उल्लाह बक़ा



ख़्वाहिश-ए-सूद थी सौदे में मोहब्बत के वले
सर-ब-सर इस में ज़ियाँ था मुझे मालूम न था
- बक़ा उल्लाह बक़ा



कर रहा हूँ फिर मोहब्बत
आदतन मजबूर हूँ मैं
- बलजीत सिंह बेनाम



तसव्वुर में चेहरा निहारा बहुत है
ये दिल तो मोहब्बत का मारा बहुत है
- बलजीत सिंह बेनाम



तुझ में और मुझ में तअल्लुक़ है वही
है जो रिश्ता साज़ और मिज़राब में
- बशर नवाज़



अजीब रात थी कल तुम भी आ के लौट गए
जब आ गए थे तो पल भर ठहर गए होते
- बशीर बद्र



अभी राह में कई मोड़ हैं कोई आएगा कोई जाएगा
तुम्हें जिस ने दिल से भुला दिया उसे भूलने की दुआ करो
- बशीर बद्र



आशिक़ी में बहुत ज़रूरी है
बेवफ़ाई कभी कभी करना
- बशीर बद्र



इतनी मिलती है मिरी ग़ज़लों से सूरत तेरी
लोग तुझ को मिरा महबूब समझते होंगे
- बशीर बद्र



उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
- बशीर बद्र



उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से
तुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिए बनाया है
- बशीर बद्र



उन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे
मुझे रोक रोक पूछा तिरा हम-सफ़र कहाँ है
- बशीर बद्र



कभी यूँ भी आ मिरी आँख में कि मिरी नज़र को ख़बर न हो
मुझे एक रात नवाज़ दे मगर इस के बाद सहर न हो
- बशीर बद्र



कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता
- बशीर बद्र



कोई फूल सा हाथ काँधे पे था
मिरे पाँव शोलों पे जलते रहे
- बशीर बद्र



ख़ुदा की इतनी बड़ी काएनात में मैं ने
बस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला
- बशीर बद्र



तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा
यूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो
- बशीर बद्र



तुम मोहब्बत को खेल कहते हो
हम ने बर्बाद ज़िंदगी कर ली
- बशीर बद्र



तुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से देखेगा
मगर वो आँखें हमारी कहाँ से लाएगा
- बशीर बद्र



धुप की शाख पे तन्हा-तन्हा
वो मोहब्बत का परिंदा होगा
- बशीर बद्र



न जी भर के देखा न कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
- बशीर बद्र



पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उस ने मुझे छू कर नहीं देखा
- बशीर बद्र



भला हम मिले भी तो क्या मिले वही दूरियाँ वही फ़ासले
न कभी हमारे क़दम बढ़े न कभी तुम्हारी झिजक गई
- बशीर बद्र



महक रही है ज़मीं चाँदनी के फूलों से
ख़ुदा किसी की मोहब्बत पे मुस्कुराया है
- बशीर बद्र



मुझे इश्तिहार सी लगती हैं ये मोहब्बतों की कहानियाँ
जो कहा नहीं वो सुना करो जो सुना नहीं वो कहा करो
- बशीर बद्र



मुद्दत से इक लड़की के रुख़्सार की धूप नहीं आई
इस लिए मेरे कमरे में इतनी ठंडक रहती है
- बशीर बद्र



मैं चाहता हूँ कि तुम ही मुझे इजाज़त दो
तुम्हारी तरह से कोई गले लगाए मुझे
- बशीर बद्र



मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंट रख देना
यक़ीं आ जाएगा पलकों तले भी दिल धड़कता है
- बशीर बद्र



मैं ने दिन रात ख़ुदा से ये दुआ माँगी थी
कोई आहट न हो दर पर मिरे जब तू आए
- बशीर बद्र



मैं हर हाल में मुस्कुराता रहूँगा
तुम्हारी मोहब्बत अगर साथ होगी
- बशीर बद्र



मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा साथ चलती है
कोई इंसान तन्हाई में भी तन्हा नहीं रहता
- बशीर बद्र



मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला
- बशीर बद्र



रात तेरी यादों ने दिल को इस तरह छेड़ा
जैसे कोई चुटकी ले नर्म नर्म गालों में
- बशीर बद्र



वो चेहरा किताबी रहा सामने
बड़ी ख़ूबसूरत पढ़ाई हुई
- बशीर बद्र



वो शख़्स जिस को दिल ओ जाँ से बढ़ के चाहा था
बिछड़ गया तो ब-ज़ाहिर कोई मलाल नहीं
- बशीर बद्र



सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा
इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जाएगा
- बशीर बद्र



होंटों पे मोहब्बत के फ़साने नहीं आते
साहिल पे समंदर के किनारे नहीं आते
क्या सोच के आए हो मोहब्बत कि गली में
जब नाज हसीनो के उठाने नहीं आते
- बशीर बद्र



इक बेवफ़ा के प्यार में हद से गुज़र गए
काफ़िर के प्यार ने हमें काफ़िर बना दिया
- बशीर महताब



इश्क़ में दिल से हम हुए महव तुम्हारे ऐ बुतो
ख़ाली हैं चश्म-ओ-दिल करो इन में गुज़र किसी तरह
- बहराम जी



मर्ग ही सेहत है उस की मर्ग ही उस का इलाज
इश्क़ का बीमार क्या जाने दवा क्या चीज़ है
- बहादुर शाह ज़फ़र



हम अपना इश्क़ चमकाएँ तुम अपना हुस्न चमकाओ
कि हैराँ देख कर आलम हमें भी हो तुम्हें भी हो
- बहादुर शाह ज़फ़र



हो गया जिस दिन से अपने दिल पर उस को इख़्तियार
इख़्तियार अपना गया बे-इख़्तियारी रह गई
- बहादुर शाह ज़फ़र



काफ़िरी इश्क़ का शेवा है मगर तेरे लिए
इस नए दौर में हम फिर से मुसलमाँ होंगे
- बाक़र मेहदी



मुझे दुश्मन से अपने इश्क़ सा है
मैं तन्हा आदमी की दोस्ती हूँ
- बाक़र मेहदी



आतिश-ए-इश्क़ जब जलाती है
जल के मैं नोश-ए-जाम करता हूँ
- बाबर रहमान शाह



गिला भी तुझ से बहुत है मगर मोहब्बत भी
वो बात अपनी जगह है ये बात अपनी जगह
- बासिर सुल्तान काज़मी



बिस्मिल बुतों का इश्क़ मुबारक तुम्हें मगर
इतने निडर न हो कि ख़ुदा का भी डर न हो
- बिस्मिल अज़ीमाबादी



इश्क़ भी है किस क़दर बर-ख़ुद-ग़लत
उन की बज़्म-ए-नाज़ और ख़ुद्दारियाँ
- बिस्मिल सईदी



दोहराई जा सकेगी न अब दास्तान-ए-इश्क़
कुछ वो कहीं से भूल गए हैं कहीं से हम
- बिस्मिल सईदी



हुस्न भी कम्बख़्त कब ख़ाली है सोज़-ए-इश्क़ से
शम्अ भी तो रात भर जलती है परवाने के साथ
- बिस्मिल सईदी



जब राख से उट्ठेगा कभी इश्क़ का शोला
फिर पाएगी ये ख़ाक शिफ़ा और तरह की
- बुशरा एजाज़



हवा-ए-इश्क़ ने भी गुल खिलाए हैं क्या क्या
जो मेरा हाल था वो तेरा हाल होने लगा
- बेकल उत्साही



सौदा-ए-इश्क़ और है वहशत कुछ और शय
मजनूँ का कोई दोस्त फ़साना-निगार था
- बेख़ुद देहलवी



अभी नया जोश इश्क का है सलाह सुनते नहीं किसी की
करेंगे आखिर में फिर वही हम जो चार यार-आशना कहेंगे
- ब्रज नारायण चकबस्त



हो गया लाग़र जो उस लैला-अदा के इश्क़ में
मिस्ल-ए-मजनूँ हाल मेरा भी फ़साना हो गया
- भारतेंदु हरिश्चंद्र



इक ज़माना हो रहा है इश्क़ में हम से ख़िलाफ़
किस के किस के दिल में दिल डालें इलाही क्या करें
- मंज़र लखनवी



तफ़रीक़ हुस्न-ओ-इश्क़ के अंदाज़ में न हो
लफ़्ज़ों में फ़र्क़ हो मगर आवाज़ में न हो
- मंज़र लखनवी



बुरा हो इश्क़ का सब कुछ समझ रहा हूँ मैं
बना रहा है कोई बन रहा हूँ दीवाना
- मंज़र लखनवी



आँखों से मोहब्बत के इशारे निकल आए
बरसात के मौसम में सितारे निकल आए
- मंसूर उस्मानी



अब किसे दमागे तोहमते इश्क
कौन सुनता है बात फूलो की
- मख़दूम मुहिउद्दीन



इश्क़ के शोले को भड़काओ कि कुछ रात कटे
दिल के अंगारे को दहकाओ कि कुछ रात कटे
- मख़दूम मुहिउद्दीन



मंज़िलें इश्क़ की आसाँ हुईं चलते चलते
और चमका तिरा नक़्श-ए-कफ़-ए-पा आख़िर-ए-शब
- मख़दूम मुहिउद्दीन



ये फ़ैज़-ए-इश्क़ था कि हुई हर ख़ता मुआफ़
वो ख़ुश न हो सके तो ख़फ़ा भी न हो सके
- मख़मूर जालंधरी



इश्क ही इश्क है दुनिया मेरी
फितना-ए-अक्ल से बेज़ार हूँ मै
- मजाज़ लखनवी



किसी के इश्क़ में बर्बाद होना
हमें आया नहीं फ़रहाद होना
- मनीश शुक्ला



ग़म सिवा इश्क़ का मआल नहीं
कौन दिल है जो पाएमाल नहीं
- मर्दान अली खां राना



हरजाइयों के इश्क़ ने क्या क्या किया ज़लील
रुस्वा रहे ख़राब रहे दर-ब-दर रहे
- मर्दान अली खां राना



हम को किस के ग़म ने मारा ये कहानी फिर सही
किस ने तोड़ा दिल हमारा ये कहानी फिर सही
- मसरूर अनवर



नादाँ से एक उम्र रहा मुझ को रब्त-ए-इश्क़
दाना से अब पड़ा है सरोकार देखना
- मह लक़ा चंदा



उस को आवाज़ दो मोहब्बत से
उस के सब नाम प्यारे प्यारे हैं
- महताब आलम



मोहब्बत को गले का हार भी करते नहीं बनता
कुछ ऐसी बात है इनकार भी करते नहीं बनता
- महबूब खिज़ा



शम-ए-शब-ताब एक रात जली
जलने वाले तमाम उम्र जले
- महमूद अयाज़



मैं आ गया हूँ वहाँ तक तिरी तमन्ना में
जहाँ से कोई भी इम्कान-ए-वापसी न रहे
- महमूद गज़नी



बहुत दुश्वार थी राह-ए-मोहब्बत
हमारा साथ देते हम-सफ़र क्या
- महेश चंद्र नक़्श



मोहब्बत का उन को यक़ीं आ चला है
हक़ीक़त बने जा रहे हैं फ़साने
- महेश चंद्र नक़्श



मोहब्बत और माइल जल्द-बाज़ी क्या क़यामत है
सुकून-ए-दिल बनेगा इज़्तिराब आहिस्ता आहिस्ता
- माइल लखनवी



अपने भी इश्क़ को ज़वाल न हो
न तुम्हारे जमाल को है कमाल
- मातम फ़ज़ल मोहम्मद



आज कल जो कसरत-ए-शोरीदगान-ए-इश्क़ है
रोज़ होते जाते हैं हद्दाद नौकर सैकड़ों
- मातम फ़ज़ल मोहम्मद



इश्क़-ए-ख़ूबाँ नहीं है ऐसी शय
बाँध कर रखिए जिस को पुड़िया में
- मातम फ़ज़ल मोहम्मद



इब्तिदा वो थी कि जीने के लिए मरता था मैं
इंतिहा ये है कि मरने की भी हसरत न रही
- माहिर-उल क़ादरी



गर मोहब्बत है तो वो मुझ से फिरेगा
न कभी ग़म नहीं है मुझे ग़म्माज़ को भड़काने दो
- मियाँ दाद ख़ां सय्याह



हम इश्क़ तेरे हाथ से क्या क्या न देखीं हालतें
देख अब ये दीदा ख़ूँ न हो ख़ून-ए-जिगर पानी न कर
- मिर्ज़ा अज़फ़री



हम और फ़रहाद बहर-ए-इश्क़ में बाहम ही कूदे थे
जो उस के सर से गुज़रा आब मेरी ता-कमर आया
- मिर्ज़ा अली लुत्फ़



आए है बेकसी-ए-इश्क़ पे रोना ग़ालिब
किस के घर जाएगा सैलाब-ए-बला मेरे बअद
- मिर्ज़ा ग़ालिब



आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब
दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होते तक
- मिर्ज़ा ग़ालिब



इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया
वर्ना हम भी आदमी थे काम के
- मिर्ज़ा ग़ालिब



इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने
- मिर्ज़ा ग़ालिब



इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही
मेरी वहशत तिरी शोहरत ही सही
- मिर्ज़ा ग़ालिब



इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया
दर्द की दवा पाई दर्द-ए-बे-दवा पाया
- मिर्ज़ा ग़ालिब



एतिबार-ए-इश्क़ की ख़ाना-ख़राबी देखना
ग़ैर ने की आह लेकिन वो ख़फ़ा मुझ पर हुआ
- मिर्ज़ा ग़ालिब



ग़म अगरचे जां-गुसिल है, पै कहा बचे की दिल है
ग़म-ए-इश्क गर न होता, ग़म-ए-रोजगार होता
- मिर्ज़ा ग़ालिब



पूछे है क्या मआश-ए-जिगर तफ़्तगान-ए-इश्क़
जूँ शम्अ आप अपनी वो ख़ूराक हो गए
- मिर्ज़ा ग़ालिब



बुलबुल के कारोबार पे हैं ख़ंदा-हा-ए-गुल
कहते हैं जिस को इश्क़ ख़लल है दिमाग़ का
- मिर्ज़ा ग़ालिब



बे-इश्क़ उम्र कट नहीं सकती है और याँ
ताक़त ब-क़दर-ए-लज़्ज़त-ए-आज़ार भी नहीं
- मिर्ज़ा ग़ालिब



मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
- मिर्ज़ा ग़ालिब



रंजे -रह क्यों खिचिये खामान्दगी से इश्क है
उठ नहीं सकता हमारा जो कदम मंजिल में है
- मिर्ज़ा ग़ालिब



रोने से और इश्क़ में बे-बाक हो गए
धोए गए हम इतने कि बस पाक हो गए
- मिर्ज़ा ग़ालिब



वफ़ा कैसी कहाँ का इश्क़ जब सर फोड़ना ठहरा
तो फिर ऐ संग-दिल तेरा ही संग-ए-आस्ताँ क्यूँ हो
- मिर्ज़ा ग़ालिब



सौ बार बंद-ए-इश्क़ से आज़ाद हम हुए
पर क्या करें कि दिल ही अदू है फ़राग़ का
- मिर्ज़ा ग़ालिब



हमसे छुटा किमारखाना-ए-इश्क (इश्क का जुआखाना)
वां जो जाए गिरह में माल कहा ?
- मिर्ज़ा ग़ालिब



हो कर शहीद इश्क़ में पाए हज़ार जिस्म
हर मौज-ए-गर्द-ए-राह मिरे सर को दोश है
- मिर्ज़ा ग़ालिब



तिरे इश्क़ से जब से पाले पड़े हैं
हमें अपने जीने के लाले पड़े हैं
- मिर्ज़ा जवाँ बख़्त जहाँदार



इश्क़ भी क्या चीज़ है सहल भी दुश्वार है
उन को इधर देखना मुझ को उधर देखना
- मिर्ज़ा मायल देहलवी



इतना तो जज़्ब-ए-इश्क़ ने बारे असर किया
उस को भी अब मलाल है मेरे मलाल का
- मिर्ज़ा रज़ा बर्क़



उर्यां हरारत-ए-तप-ए-फ़ुर्क़त से मैं रहा
हर बार मेरे जिस्म की पोशाक जल गई
- मिर्ज़ा रज़ा बर्क़



बाद-ए-फ़ना भी है मरज़-ए-इश्क़ का असर
देखो कि रंग ज़र्द है मेरे ग़ुबार का
- मिर्ज़ा रज़ा बर्क़



क्या कहूँ तुझ से मोहब्बत वो बला है हमदम
मुझ को इबरत न हुई ग़ैर के मर जाने से
- मिर्ज़ा हादी रुस्वा



बिन मांगे मोती मिलते है, मांगे से मिलती भीख नहीं
छीन ले आकार दिल को मेरे, तुझ पर यह इलज़ाम सजेगा
- मीना कुमारी नाज़



जिस घड़ी घूरते हो ग़ुस्सा से
निकले पड़ता है प्यार आँखों में
- मीर असर



आग थे इब्तिदा-ए-इश्क़ में हम
अब जो हैं ख़ाक इंतिहा है ये
- मीर तक़ी मीर



आवरगान-ए-इश्क़ का पूछा जो मैं निशाँ
मुश्त-ए-ग़ुबार ले के सबा ने उड़ा दिया
- मीर तक़ी मीर



इश्क़ इक मीर भारी पत्थर है
कब ये तुझ ना-तवाँ से उठता है
- मीर तक़ी मीर



इश्क़ करते हैं उस परी-रू से
मीर साहब भी क्या दिवाने हैं
- मीर तक़ी मीर



इश्क करना, नहीं आसान, बहुत मुश्किल है
छाती पत्थर की है उनकी, जो वफ़ा करते है
- मीर तक़ी मीर



इश्क़ का घर है मीर से आबाद
ऐसे फिर ख़ानमाँ-ख़राब कहाँ
- मीर तक़ी मीर



इश्क़ माशूक़ इश्क़ आशिक़ है
यानी अपना ही मुब्तला है इश्क़
- मीर तक़ी मीर



इश्क़ में जी को सब्र ओ ताब कहाँ
उस से आँखें लड़ीं तो ख़्वाब कहाँ
- मीर तक़ी मीर



इश्क़ से जा नहीं कोई ख़ाली
दिल से ले अर्श तक भरा है इश्क़
- मीर तक़ी मीर



इश्क़ ही इश्क़ है जहाँ देखो
सारे आलम में भर रहा है इश्क़
- मीर तक़ी मीर



इश्क़ है इश्क़ करने वालों को
कैसा कैसा बहम क्या है इश्क़
- मीर तक़ी मीर



इश्क़ है तर्ज़ ओ तौर इश्क़ के तईं
कहीं बंदा कहीं ख़ुदा है इश्क़
- मीर तक़ी मीर



काम थे इश्क़ में बहुत पर मीर
हम ही फ़ारिग़ हुए शिताबी से
- मीर तक़ी मीर



कुछ हो रहेगा इश्क़-ओ-हवस में भी इम्तियाज़
आया है अब मिज़ाज तिरा इम्तिहान पर
- मीर तक़ी मीर



क्या कहूँ तुम से मैं कि क्या है इश्क़
जान का रोग है बला है इश्क़
- मीर तक़ी मीर



जिन जिन को था ये इश्क़ का आज़ार मर गए
अक्सर हमारे साथ के बीमार मर गए
- मीर तक़ी मीर



तदबीर मेरे इश्क़ की क्या फ़ाएदा तबीब
अब जान ही के साथ ये आज़ार जाएगा
- मीर तक़ी मीर



मिरे सलीक़े से मेरी निभी मोहब्बत में
तमाम उम्र मैं नाकामियों से काम लिया
- मीर तक़ी मीर



राह-ए-दूर-ए-इश्क़ में रोता है क्या
आगे आगे देखिए होता है क्या
- मीर तक़ी मीर



सख़्त काफ़िर था जिन ने पहले मीर
मज़हब-ए-इश्क़ इख़्तियार किया
- मीर तक़ी मीर



हम जानते तो इश्क़ न करते किसू के साथ
ले जाते दिल को ख़ाक में इस आरज़ू के साथ
- मीर तक़ी मीर



मकतब-ए-इश्क़ का दस्तूर निराला देखा
उस को छुट्टी न मिली जिस को सबक़ याद हुआ
- मीर ताहिर अली रिज़वी



किसी से इश्क़ अपना क्या छुपाएँ
मोहब्बत टपकी पड़ती है नज़र से
- मीर मेहदी मजरूह



बेदार राह-ए-इश्क़ किसी से न तय हुई
सहरा में क़ैस कोह में फ़रहाद रह गया
- मीर मोहम्मदी बेदार



सब लुटा इश्क़ के मैदान में उर्यां आया
रह गया पास मिरे दामन-ए-सहरा बाक़ी
- मीर मोहम्मदी बेदार



इश्क़ की नाव पार क्या होवे
जो ये कश्ती तरे तो बस डूबे
- मीर सज्जाद



इश्क़ का अब मर्तबा पहुँचा मुक़ाबिल हुस्न के
बन गए बुत हम भी आख़िर उस सनम की याद में
- मीर हसन



खा के ग़म ख़्वान-ए-इश्क़ के मेहमान
हाथ ख़ून-ए-जिगर से धोते हैं
- मीर हसन



चाहा था ग़रज़ मैं ने इश्क़ ऐसे ही दिलबर का
गर मुझ पे बहुत गुज़रा ग़म इस में तो कम गुज़रा
- मीर हसन



दर्द करता है तप-ए-इश्क़ की शिद्दत से मिरा
सर जुदा सीना जुदा क़ल्ब जुदा शाना जुदा
- मीर हसन



है यही शौक़ शहादत का अगर दिल में तो इश्क़
ले ही पहुँचेगा हमें भी तिरी शमशीर तलक
- मीर हसन



उस ने इस तरह मोहब्बत की निगाहें डालीं
हम से दुनिया का कोई राज़ छुपाया न गया
- मुईन अहसन जज़्बी



जब मोहब्बत का नाम सुनता हूँ
हाए कितना मलाल होता है
- मुईन अहसन जज़्बी



अब ऐसे में भला क्या इश्क़ से उम्मीद रखें हम
हरीम ऐ नाज़ से जब हुसन बे पर्दा निकल आया
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी



इज़हार ऐ ग़म करे न शिकायत कोई करे
मेरी तरह किसी से मोहब्बत कोई करे
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी



इश्क़ किए बिन कैसे जीते क़हेत ने मुश्किल आसाँ कर दी
इश्क़ दमशक में करते कैसे खतरा था रुसवाई का
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी



इश्क़ ने गर्द कर दिए सहरा
बैसतून दस्त ए नातवां से हटाए
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी



उस बीबी का नाम वफ़ा था हज़रत ऐ इश्क़ फ़िदा थे जिस पर
हज़रत ने हिजरत फरमाई बीबी ने पर्दा फरमाया
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी



ऐ मुज़फ़्फ़र शायरी का सिदक़ से क्या वास्ता
हां मगर वक़्तन-फ़-वक़्तन इश्क़ फरमाती रहे
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी



करते रहेंगे इश्क मुज़फ़्फ़र, बकौल ऐ मीर
इक जान का ज़िया हे सो ऐसा ज़िया नहीं
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी



कह नहीं सकता मुहब्बत है कि नफ़रत आप से
खार सा दिल में कहीं महसूस कुछ होता तो है
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी



क़हेत-ए-इश्क़ आज भी दमश्क में है
एक हिंदू नहीं बुखारे बीच
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी



किसी के हुस्न से कोनैन लबरेज़
किसी से इश्क़ खुदगर्ज़ी हमारी
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी



जब असीर शहर दमश्क था उसे अपने आप से इश्क़ था
अब उसे खुदा की तलाश है तो हर इक दयार उसी का है
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी



तेरे नामूस पर कुछ हर्फ आता हो तो अलबत्ता
नहीं तो इश्क़ में क्या चीज़ नाम वो ननंग है मेरा
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी



मुझको ही ऐसा लगता है या सचमुच ही हो जाता है
मै बातें तुमसे करता हूं चांद गुलाबी हो जाता है
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी



मुहब्बत के हक़ में दुआ कीजिए
सुना है दवा बंद कर दी गई
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी



मैं राह-ए-इश्क़ में दीवाना वार चलता हूँ
मुसाफरत में क़दम फूंक कर नहीं रखता
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी



ये वाक्या है कि इश्क़ अब जूनूं पसंद नहीं
ये बेगर्ज़ ही नहीं बैश वो कम भी जानता है
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी



इश्क़ का काँटा हमारे दिल में ये कह कर चुभा
अब निकलवाओ तो तुम उन से निकलवाना मुझे
- मुज़्तर ख़ैराबादी



ईसा से दवा-ए-मरज़-ए-इश्क़ न होगी
हाँ उन को कोई ढूँड के ले आए कहीं से
- मुज़्तर ख़ैराबादी



ये तो मुमकिन नहीं मोहब्बत में
आप जो कुछ कहें वो हम न करें
- मुज़्तर ख़ैराबादी



वो मज़ाक़-ए-इश्क़ ही क्या कि जो एक ही तरफ़ हो
मिरी जाँ मज़ा तो जब है कि तुझे भी कल न आए
- मुज़्तर ख़ैराबादी



गुलशन-ए-इश्क़ का तमाशा देख
सर-ए-मंसूर फल है दार दरख़्त
- मुनव्वर ख़ान ग़ाफ़िल



अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो
- मुनव्वर राना



तुम्हारा नाम आया और हम तकने लगे रस्ता
तुम्हारी याद आई और खिड़की खोल दी हम ने
- मुनव्वर राना



मेरी चाहत पे शक करते हुए यह भी नहीं सोचा
तुम्हारे पास क्यों आते अगर अच्छा नहीं लगता
- मुनव्वर राना



मोहब्बत क्या है दिल के सामने मजबूर हो जाना
जुलेखा वरना यूसुफ का कभी सौदा नहीं करती
- मुनव्वर राना



मोहब्बत में तुम्हे आंसू बहाना नहीं आया,
बनारस में रहे और पान खाना नहीं आया !
- मुनव्वर राना



उस हुस्न का शेवा है जब इश्क़ नज़र आए
पर्दे में चले जाना शरमाए हुए रहना
- मुनीर नियाज़ी



ख़ूब ताज़ीर-ए-गुनाह-ए-इश्क़ है
नक़्द-ए-जाँ लेना यहाँ जुर्माना है
- मुनीर शिकोहाबादी



ऐ दिल तमाम नफ़अ है सौदा-ए-इश्क़ में
इक जान का ज़ियाँ है सो ऐसा ज़ियाँ नहीं
- मुफ़्ती सदरुद्दीन आज़ुर्दा



अब मिरी बात जो माने तो न ले इश्क़ का नाम
तू ने दुख ऐ दिल-ए-नाकाम बहुत सा पाया
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी



आता नहीं समझ में कि कहते हैं किस को इश्क़
इक पुर्ज़े पर ये हर्फ़ जुदा लिख रखेंगे हम
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी



इश्क़-ए-फ़ुज़ूँ में मेरे न हो दोस्तो कमी
माशूक़ उम्र में है बहुत कम तो क्या हुआ
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी



ऐ इश्क़ जहाँ है यार मेरा
मुझ को भी उसी जगह तू ले चल
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी



कशिश ने इश्क़ की क्या काम कुछ किया थोड़ा
हज़ार बार तो राँझा को लाई हीर के घर
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी



चाहूँगा मैं तुम को जो मुझे चाहोगे तुम भी
होती है मोहब्बत तो मोहब्बत से ज़ियादा
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी



तौबा तो की है इश्क़ से पर इस का क्या इलाज
बे-क़स्द दिल किसी को अगर चाहने लगे
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी



दारुश्शफ़ा-ए-इश्क़ में ले जा के हम को इश्क़
बोला कि चंद रोज़ ये बीमारियाँ रहें
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी



पहना जो मैं ने जामा-ए-दीवानगी तो इश्क़
बोला कि ये बदन पे तिरे सज गया लिबास
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी



बस बहुत ज़ब्त-ए-ग़म-ए-इश्क़ किया
गिर्या आग़ाज़ किया चाहिए अब
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी



याँ तक किया मैं गिर्या कि ख़ूबाँ के इश्क़ में
साथ आबरू के अपनी गई आबरू-ए-चश्म
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी



लैला चली थी हज के लिए जज़्ब-ए-इश्क़ से
नाक़ा मचल के नज्द की मंज़िल में रह गया
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी



लोग कहते हैं मोहब्बत में असर होता है
कौन से शहर में होता है किधर होता है
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी



सच इश्क़ में हैं आशिक़ ओ माशूक़ बराबर
जो मुश्किल-ए-मजनूँ है सो है मुश्किल-ए-लैला
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी



हम सनम दम तिरे इश्क़ का भर गए
जल गए भुन गए कट गए मर गए
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी



इज़हार-ए-इश्क़ उस से न करना था शेफ़्ता
ये क्या किया कि दोस्त को दुश्मन बना दिया
- मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता



शायद इसी का नाम मोहब्बत है शेफ़्ता
इक आग सी है सीने के अंदर लगी हुई
- मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता



इन्हीं पत्थरों पे चल कर अगर आ सको तो आओ
मिरे घर के रास्ते में कोई कहकशाँ नहीं है
- मुस्तफ़ा ज़ैदी



इश्क़ इन ज़ालिमों की दुनिया में
कितनी मज़लूम ज़ात है ऐ दिल
- मुस्तफ़ा ज़ैदी



सब कुछ है और कुछ नहीं ऐ दाद-ख़्वाह-ए-इश्क़
वो देख कर न देखना नीची निगाह से
- मैकश अकबराबादी



उम्र तो सारी कटी इश्क़-ए-बुताँ में मोमिन
आख़िरी वक़्त में क्या ख़ाक मुसलमाँ होंगे
- मोमिन ख़ाँ मोमिन



वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो
वही यानी वादा निबाह का तुम्हें याद हो कि न याद हो
- मोमिन ख़ाँ मोमिन



हो गया राज़-ए-इश्क़ बे-पर्दा
उस ने पर्दे से जो निकाला मुँह
- मोमिन ख़ाँ मोमिन



ग़ुस्सा आता है प्यार आता है
ग़ैर के घर से यार आता है
- मोहम्मद अली ख़ाँ रश्की



अव्वल-ए-इश्क़ की साअत जा कर फिर नहीं आई
फिर कोई मौसम पहले मौसम सा नहीं देखा
- मोहम्मद ख़ालिद



सच बता इश्क़ मुझे सख़्त परेशाँ हूँ मैं
क्यूँ ख़फ़ा होता नहीं दोस्त ख़ता पर मेरी
- मोहम्मद तन्वीरुज़्ज़मां



रब्त है हुस्न ओ इश्क़ में बाहम
एक दरिया के दो किनारे हैं
- मोहम्मद दीन तासीर



इश्क़ औलाद कर रही है मगर
मेरा जीना हराम होता है
- मोहम्मद यूसुफ़ पापा



इश्क़ से तो नहीं हूँ मैं वाक़िफ़
दिल को शोला सा कुछ लिपटता है
- मोहम्मद रफ़ी सौदा



काम आई कोहकन की मशक़्क़त न इश्क़ में
पत्थर से जू-ए-शीर के लाने ने क्या किया
- मोहम्मद रफ़ी सौदा



किस मुँह से फिर तू आप को कहता है इश्क़-बाज़
ऐ रू-सियाह तुझ से तो ये भी न हो सका
- मोहम्मद रफ़ी सौदा



इश्क़ वो कार-ए-मुसलसल है कि हम अपने लिए
एक लम्हा भी पस-अंदाज़ नहीं कर सकते
- रईस फ़रोग़



प्यार, मोहब्बत, अहद-ओ-वफ़ा
सब कुछ कारो-बारी है
- रईस सिद्दीकी



सब कुछ पढ़ाया हम को मुदर्रिस ने इश्क़ के
मिलता है जिस से यार न ऐसी पढ़ाई बात
- रज़ा अज़ीमाबादी



अजब चीज़ है ये मोहब्बत की बाज़ी
जो हारे वो जीते जो जीते वो हारे
- रज़ा हमदानी



दीवाना-ए-ख़िरद हो कि मजनून-ए-इश्क़ हो
रहना है उस को चाक-गरेबाँ किए हुए
- रज़ी रज़ीउद्दीन



नमाज़-ए-इश्क़ तुम्हारी क़ुबूल हो जाती
अगर शराब से तुम ऐ रतन वज़ू करते
- रतन पंडोरवी



रोक पाएगी मोहब्बत को यह सरहद कब तक
जंग रह जाएगी दो मुल्कों का मकसद कब तक
- रमेश सिद्धार्थ



इश्क़ था और अक़ीदत से मिला करते थे
पहले हम लोग मोहब्बत से मिला करते थे
- रम्ज़ी असीम



इश्क़ ख़ुद अपनी जगह मज़हर-ए-अनवार-ए-ख़ुदा
अक़्ल इस सोच में गुम किस को ख़ुदा कहते हैं
- रविश सिद्दीक़ी



दोनों आँखें दिल जिगर हैं इश्क़ होने में शरीक
ये तो सब अच्छे रहेंगे मुझ पर इल्ज़ाम आएगा
- रशीद लखनवी



नहीं है जिस में तेरा इश्क़ वो दिल है तबाही में
वो कश्ती डूब जाएगी न जिस में ना-ख़ुदा होगा
- रशीद लखनवी



इश्क़ में भी सियासतें निकलीं
क़ुर्बतों में भी फ़ासला निकला
- रसा चुग़ताई



इक मोहब्बत के सिवा और न कुछ माँगा था
क्या करें ये भी ज़माने को गवारा न हुआ
- राजेन्द्र कृष्ण



ओस से प्यास कहाँ बुझती है
मूसला-धार बरस मेरी जान
- राजेन्द्र मनचंदा बानी



बे-दीन हुए ईमान दिया हम इश्क़ में सब कुछ खो बैठे
और जिन को समझते थे अपना वो और किसी के हो बैठे
- राम अवतार गुप्ता मुज़्तर



उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
- राहत इंदौरी



मै करवटों के नए जायके लिखू शब् भर
ये इश्क है तो कहा जिंदगी अजाब करू
- राहत इंदौरी



हर एक हर्फ का अन्दाज बदल रक्खा है
आज से हमने तेरा नाम ग़ज़ल रक्खा है
मैंने शाहों की मोहब्बत का भरम तोड़ दिया
मेरे कमरे में भी एक ताजमहल रक्खा है।
- राहत इंदौरी



ज़िंदगी ढूँढ ले तू भी किसी दीवाने को
उस के गेसू तो मिरे प्यार ने सुलझाए हैं
- राही मासूम रज़ा



इश्क़ कुछ आप पे मौक़ूफ़ नहीं ख़ुश रहिए
एक से एक ज़माने में तरहदार बहुत
- रिन्द लखनवी



अब मुजरिमान-ए-इश्क़ से बाक़ी हूँ एक मैं
ऐ मौत रहने दे मुझे इबरत के वास्ते
- रियाज़ ख़ैराबादी



न आया हमें इश्क़ करना न आया
मरे उम्र-भर और मरना न आया
- रियाज़ गोरखपुरी



मोहब्बत में बेताबियो का है आलम
कभी रातभर नींद आनी नहीं है
- रौनक रशीद खान



उस ने फिर कर भी न देखा मैं उसे देखा किया
दे दिया दिल राह चलते को ये मैं ने क्या किया
- लाला माधव राम जौहर



क्या करें हम जो नहीं हम से मोहब्बत तुझ को
किस तरह ज़ोर हमारा तिरे दिल पर हो जाए
- लाला माधव राम जौहर



चुपका खड़ा हुआ हूँ किधर जाऊँ क्या करूँ
कुछ सूझता नहीं है मोहब्बत की राह में
- लाला माधव राम जौहर



जो कुछ पड़ती है सर पर सब उठाता है मोहब्बत में
जहाँ दिल आ गया फिर आदमी मजबूर होता है
- लाला माधव राम जौहर



न आओ इस तरफ़ ऐ हज़रत-ए-इश्क़
चले जाओ ग़रीबों का ये घर है
- लाला माधव राम जौहर



न वो सूरत दिखाते हैं न मिलते हैं गले आ कर
न आँखें शाद होतीं हैं न दिल मसरूर होता है
- लाला माधव राम जौहर



पार दरिया-ए-मोहब्बत से उतरना है मुहाल
तुम लगाओगे किनारे तो किनारे होंगे
- लाला माधव राम जौहर



मोहब्बत को छुपाए लाख कोई छुप नहीं सकती
ये वो अफ़्साना है जो बे-कहे मशहूर होता है
- लाला माधव राम जौहर



यूँ मोहब्बत से जो चाहे कोई अपना कर ले
जो हमारा न हो उस के कहीं हम होते हैं
- लाला माधव राम जौहर



सीने से लिपटो या गला काटो
हम तुम्हारे हैं दिल तुम्हारा है
- लाला माधव राम जौहर



हम इश्क़ में हैं फ़र्द तो तुम हुस्न में यकता
हम सा भी नहीं एक जो तुम सा नहीं कोई
- लाला माधव राम जौहर



इश्क़ तू ने बड़ा नुक़सान किया है मेरा
मैं तो उस शख़्स से नफ़रत भी नहीं कर सकता
- लियाक़त जाफ़री



इतनी तो दीद-ए-इश्क़ की तासीर देखिए
जिस सम्त देखिए तिरी तस्वीर देखिए
- वज़ीर अली सबा लखनवी



इश्क़ गोरे हुस्न का आशिक़ के दिल को दे जला
साँवलों के आशिक़ों का दिल है काला कोएला
- वली उज़लत



मोहकमे में इश्क़ के है यारो दीवाने का शोर
मेरे दिल देने का ग़ुल उस के मुकर जाने का शोर
- वली उज़लत



किया मुझ इश्क़ ने ज़ालिम कूँ आब आहिस्ता आहिस्ता
कि आतिश गुल कूँ करती है गुलाब आहिस्ता आहिस्ता
- वली मोहम्मद वली



जिसे इश्क़ का तीर कारी लगे
उसे ज़िंदगी क्यूँ न भारी लगे
- वली मोहम्मद वली



शग़्ल बेहतर है इश्क़-बाज़ी का
क्या हक़ीक़ी ओ क्या मजाज़ी का
- वली मोहम्मद वली



इश्क़ जब दख़्ल करे है दिल-ए-इंसाँ में मुहिब
वाहिमे सब बशरिय्यत के करे है इख़राज
- वलीउल्लाह मुहिब



ऐ दिल तुझे करनी है अगर इश्क़ से बैअत
ज़िन्हार कभू छोड़ियो मत सिलसिला-ए-दर्द
- वलीउल्लाह मुहिब



काश हम नाकाम भी काम आएँ तेरे इश्क़ में
मुतलक़न नाकारा हैं दुनिया-ओ-दीं के काम से
- वलीउल्लाह मुहिब



इस जुदाई में तुम अंदर से बिखर जाओगे
किसी माज़ूर को देखोगे तो याद आऊँगा
- वसी शाह



तुम्हारा नाम लिखने की इजाज़त छिन गई जब से
कोई भी लफ़्ज़ लिखता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं
- वसी शाह



आते आते मिरा नाम सा रह गया
उस के होंटों पे कुछ काँपता रह गया
- वसीम बरेलवी



तेरा मरना इश्क़ का आग़ाज़ था
मौत पर होगा मिरे अंजाम-ए-इश्क़
- वहशत रज़ा अली कलकत्वी



सीने में मिरे दाग़-ए-ग़म-ए-इश्क़-ए-नबी है
इक गौहर-ए-नायाब मिरे हाथ लगा है
- वहशत रज़ा अली कलकत्वी



ज़बाँ तक जो न आए वो मोहब्बत और होती है
फ़साना और होता है हक़ीक़त और होती है
- वामिक़ जौनपुरी



उस से यही कहता हूँ वाजिब एहतिराम-ए-इश्क़ है
अंदर से ये ख़्वाहिश है वो जैसा कहे वैसा करूँ
- वारिस किरमानी



इश्क़ बिन जीने के आदाब नहीं आते हैं
मीर साहब ने कहा है कि मियाँ इश्क़ करो
- वाली आसी



ज़ुलेख़ा के वक़ार-ए-इश्क़ को सहरा से क्या निस्बत
जो ख़ुद खींच कर न आ जाए उसे मंज़िल नहीं कहते
- वासिफ़ देहलवी



जो रंग-ए-इश्क़ से फ़ारिग़ हो उस को दिल नहीं कहते
जो मौजों से न टकराए उसे साहिल नहीं कहते
- वासिफ़ देहलवी



मेरी दीवानगी-ए-इश्क़ है इक दर्स-ए-जहाँ
मेरे गिरने से बहुत लोग सँभल जाते हैं
- वाहिद प्रेमी



इश्क़ बीनाई बढ़ा देता है
जाने क्या क्या नज़र आता है मुझे
- विकास शर्मा राज़



मोहब्बत के आदाब सीखो ज़रा
उसे जान कह कर पुकारा करो
- विकास शर्मा राज़



हर इक बार मोहब्बत परोस देते हैं
शरीफ लोग शराफत परोस देते हैं
- विकास शर्मा राज़



अब के मसरूफ़ियत-ए-इश्क़ बहुत है हम को
तुम चले जाओ तो फ़ुर्सत से गुज़ारा कर लें
- विपुल कुमार



इक रोज़ खेल खेल में हम उस के हो गए
और फिर तमाम उम्र किसी के नहीं हुए
- विपुल कुमार



तमाम इश्क़ की मोहलत है इस आँखों में
और एक लमहा-ए-इमकान भी ज़ियादा नहीं
- विपुल कुमार



सफीर-ए-इश्क़ हमें अब तो हम सफ़र कर लो
हमारे पास तो सामान भी ज़ियादा नहीं
- विपुल कुमार



ग्रंथ इक प्रेम का पढ़ा मुझ को
और किताबों का ज्ञान रहने दे
- विशाल खुल्लर



इश्क किससे करूँ, बैराग कहाँ से लाऊं
दिल जलाने के लिए आग कहाँ से लाऊं
- शकील आज़मी



भूक में इश्क़ की तहज़ीब भी मर जाती है
चाँद आकाश पे थाली की तरह लगता है
- शकील आज़मी



इक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताज-महल
सारी दुनिया को मोहब्बत की निशानी दी है
- शकील बदायुनी



उन का ज़िक्र उन की तमन्ना उन की याद
वक़्त कितना क़ीमती है आज कल
- शकील बदायुनी



उन्हें अपने दिल की ख़बरें मिरे दिल से मिल रही हैं
मैं जो उन से रूठ जाऊँ तो पयाम तक न पहुँचे
- शकील बदायुनी



ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया
जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
- शकील बदायुनी



कभी यक-ब-यक तवज्जोह कभी दफ़अतन तग़ाफ़ुल
मुझे आज़मा रहा है कोई रुख़ बदल बदल कर
- शकील बदायुनी



काफ़ी है मिरे दिल की तसल्ली को यही बात
आप आ न सके आप का पैग़ाम तो आया
- शकील बदायुनी



किस से जा कर माँगिये दर्द-ए-मोहब्बत की दवा
चारा-गर अब ख़ुद ही बेचारे नज़र आने लगे
- शकील बदायुनी



कोई ऐ शकील पूछे ये जुनूँ नहीं तो क्या है
कि उसी के हो गए हम जो न हो सका हमारा
- शकील बदायुनी



क्या हसीं ख़्वाब मोहब्बत ने दिखाया था हमें
खुल गई आँख तो ताबीर पे रोना आया
- शकील बदायुनी



जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का शकील
मुझ को अपने दिल-ए-नाकाम पे रोना आया
- शकील बदायुनी



जाने वाले से मुलाक़ात न होने पाई
दिल की दिल में ही रही बात न होने पाई
- शकील बदायुनी



निगाहें फेर लीं तुम ने तो हम किस की तरफ़ देखें
तुम्ही कह दो मोहब्बत का फ़साना किस को आता है
- शकील बदायुनी



मुझे आ गया यक़ीं सा कि यही है मेरी मंज़िल
सर-ए-राह जब किसी ने मुझे दफ़अतन पुकारा
- शकील बदायुनी



मुझे तो क़ैद-ए-मोहब्बत अज़ीज़ थी लेकिन
किसी ने मुझ को गिरफ़्तार कर के छोड़ दिया
- शकील बदायुनी



मुश्किल था कुछ तो इश्क़ की बाज़ी को जीतना
कुछ जीतने के ख़ौफ़ से हारे चले गए
- शकील बदायुनी



मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे
मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे
- शकील बदायुनी



मोहब्बत ही में मिलते हैं शिकायत के मज़े पैहम
मोहब्बत जितनी बढ़ती है शिकायत होती जाती है
- शकील बदायुनी



यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती है
आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया
- शकील बदायुनी



ये दुनिया है यहाँ दिल को लगाना किस को आता है
हज़ारों प्यार करते हैं निभाना किस को आता है
- शकील बदायुनी



वही कारवाँ वही रास्ते वही ज़िंदगी वही मरहले
मगर अपने अपने मक़ाम पर कभी तुम नहीं कभी हम नहीं
- शकील बदायुनी



शकील इस दर्जा मायूसी शुरू-ए-इश्क़ में कैसी
अभी तो और होना है ख़राब आहिस्ता आहिस्ता
- शकील बदायुनी



सितम-नवाज़ी-ए-पैहम है इश्क़ की फ़ितरत
फ़ुज़ूल हुस्न पे तोहमत लगाई जाती है
- शकील बदायुनी



जाती है धूप उजले परों को समेट के
ज़ख़्मों को अब गिनूँगा मैं बिस्तर पे लेट के
- शकेब जलाली



इश्क़ की इब्तिदा तो जानते हैं
इश्क़ की इंतिहा नहीं मालूम
- शफ़ीक़ जौनपुरी



हर रंग के थे फुल चमन में खिले हुए
हम ने जुनूने-इश्क में कांटे उठा लिये
- शफ़ीक रायपुरी



उस मरज़ को मरज़-ए-इश्क़ कहा करते हैं
न दवा होती है जिस की न दुआ होती है
- शफ़ीक़ रिज़वी



जाके परदेस में चाहत को तरस जाओगे,
ऐसी बेलौस मोहब्बत को तरस जाओगे
- शबीना अदीब



चुप हूँ तुम्हारा दर्द-ए-मोहब्बत लिए हुए
सब पूछते हैं तुम ने ज़माने से क्या लिया
- शमीम करहानी



यूँ तिरी याद में दिन रात मगन रहता हूँ
दिल धड़कना तिरे क़दमों की सदा लगता है
- शहज़ाद अहमद



हां तुम मुझे प्रेम करो
यूँ तिरी याद में दिन रात मगन रहता हूँ
दिल धड़कना तिरे क़दमों की सदा लगता है
- शहज़ाद अहमद



आईन-ए-इश्क़ यूँ भी बदलना था एक दिन
जो बात वस्ल से थी वो अब गुफ़्तुगू से है
- शहनवाज़ फ़ारूक़ी



किताब-ए-इश्क़ में साए का मतलब
दर-ओ-दीवार का साया नहीं है
- शहनवाज़ फ़ारूक़ी



शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को
मैं देखता रहा दरिया तिरी रवानी को
- शहरयार



ब-नाम-ए-इश्क़ इक एहसान सा अभी तक है
वो सादा-लौह हमें चाहता अभी तक है
- शहराम सर्मदी



रात थी जब तुम्हारा शहर आया
फिर भी खिड़की तो मैं ने खौल ही ली
- शारिक़ कैफ़ी



काफ़िर-ए-इश्क़ हुआ जब से मैं इस दहर में हूँ
है मिरे कुफ़्र से ये दीन और ईमाँ नाज़ाँ
- शाह आसिम



इश्क़ ही दोनों तरफ़ जल्वा-ए-दिलदार हुआ
वर्ना इस हीर का राँझे को रिझाना क्या था
- शाह नसीर



जूँ मौज हाथ मारिए क्या बहर-ए-इश्क़ में
साहिल नसीर दूर है और दम नहीं रहा
- शाह नसीर



रख क़दम होश्यार हो कर इश्क़ की मंज़िल में आह
जो हुआ इस राह में ग़ाफ़िल ठिकाने लग गया
- शाह नसीर



दोस्ती इश्क़ और वफ़ादारी
सख़्त जाँ में भी नर्म गोशे हैं
- शीन काफ़ निज़ाम



मरज़-ए-इश्क़ जिसे हो उसे क्या याद रहे
न दवा याद रहे और न दुआ याद रहे
- शेख़ इब्राहीम ज़ौक़



अभी तो दिल में हल्की सी ख़लिश महसूस होती है
बहुत मुमकिन है कल इस का मोहब्बत नाम हो जाए
- शेरी भोपाली



जब निगाहों के इशारात बदल जाते हैं
ख़ुद-ब-ख़ुद प्यार के जज़्बात बदल जाते हैं
- शेवन बिजनौरी



इश्क़ उस का आन कर यक-बारगी सब ले गया
जान से आराम सर से होश और चश्मों से ख़्वाब
- शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम



इश्क़ की राह में मैं मस्त की तरह
कुछ नहीं देखता बुलंद और पस्त
- शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम



इश्क़ ने किश्वर-ए-दिल लूटा है
आ के आबाद करो बंदा-नवाज़
- शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम



इश्क़ है दारुश्शिफ़ा और दर्द है उस का तबीब
जो नहीं इस मर्ज़ का तालिब सदा रंजूर है
- शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम



इश्क़-बाज़ी बुल-हवस बाज़ी न जान
इश्क़ है ये ख़ाना-ए-ख़ाला नहीं
- शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम



तुम्हारे इश्क़ में हम नंग-ओ-नाम भूल गए
जहाँ में काम थे जितने तमाम भूल गए
- शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम



मिरा दिल बार-ए-इश्क़ ऐसा उठाने में दिलावर है
जो उस के कोह दूँ सर पर तो उस को काह जाने है
- शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम



सब्र बिन और कुछ न लो हमराह
कूचा-ए-इश्क़ तंग है यारो
- शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम



हाँ ऐ ग़म-ए-इश्क़ मुझ को पहचान
दिल बन के धड़क रहा हूँ कब से
- शोहरत बुख़ारी



इश्क़ की पेचीदगी बस इतनी सी है !
ये समझ आता है तो बस पागलों को !!
- संजीव साग़र



मोहब्बत तो किसी से कर न पाए
किसी से तुम शिकायत क्या करोगे
- संदीप गुप्ते



मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
दीवारों से सर टकराओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
- सईद राही



मैं चाहता हूँ उसे और चाहने के सिवा
मिरे लिए तो कोई और रास्ता भी नहीं
- सऊद उस्मानी



जीतेंगे न हम से बाज़ी-ए-इश्क़
अग़्यार के पिट पड़ेंगे पाँसे
- सख़ी लख़नवी



अपनी उर्दू तो मोहब्बत की ज़बाँ थी प्यारे
अब सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब से
- सदा अम्बालवी



होना है दर्द-ए-इश्क़ से गर लज़्ज़त-आश्ना
दिल को ख़राब-ए-तल्ख़ी-ए-हिज्राँ तो कीजिए
- सफ़िया शमीम



ख़त्म हो जाते जो हुस्न ओ इश्क़ के नाज़ ओ अदा
शायरी भी ख़त्म हो जाती नबुव्वत की तरह
- सफ़ी लखनवी



इश्क़ आता न अगर राह-नुमाई के लिए
आप भी वाक़िफ़-ए-मंज़िल नहीं होने पाते
- सबा अकबराबादी



कब तक यक़ीन इश्क़ हमें ख़ुद न आएगा
कब तक मकाँ का हाल कहेंगे मकीं से हम
- सबा अकबराबादी



काम आएगी मिज़ाज-ए-इश्क़ की आशुफ़्तगी
और कुछ हो या न हो हंगामा-ए-महफ़िल सही
- सबा अकबराबादी



कौन उठाए इश्क़ के अंजाम की जानिब नज़र
कुछ असर बाक़ी हैं अब तक हैरत-ए-आग़ाज़ के
- सबा अकबराबादी



जब इश्क़ था तो दिल का उजाला था दहर में
कोई चराग़ नूर-बदामाँ नहीं है अब
- सबा अकबराबादी



शाइरी झूट सही इश्क़ फ़साना ही सही
ज़िंदा रहने के लिए कोई बहाना ही सही
- समीना राजा



किसी से इश्क़ हो जाने को अफ़्साना नहीं कहते
कि अफ़्साने मता-ए-कूचा-ओ-बाज़ार होते हैं
- सय्यद अमीन अशरफ़



ये हादिसा भी हुआ है कि इश्क़-ए-यार की याद
दयार-ए-क़ल्ब से बेगाना-वार गुज़री है
- सय्यद आबिद अली आबिद



अब और क्या कहूँ मैं मोहब्बत के बाब में
मैं उन के साथ हूँ जो मोहब्बत के साथ हैं
- सय्यद रियाज़ रहीम



इश्क़ अदब है तो अपने आप आए
गर सबक़ है तो फिर पढ़ा मुझ को
- सरफ़राज़ नवाज़



इस दुनियाँ मे तो तुझसे भी हसीन मिल जाएंगे हमसफर
दुनियाँ वालो से क्या, मतलब तो तुझसे है प्यार किया है मैंने।।
- सरफ़राज़ बेतीयावी



बात तेरी हुस्न की नही तुझसे प्यार किया है मैंने।।
वरना तेरे जैसे लाखों को इनकार किया है मैंने।।
- सरफ़राज़ बेतीयावी



लिखने को जज़्बात व अल्फ़ाज़ में लिख दूँ मैं तुझे
लिखने की हैसियत नही मेरी तुझसे प्यार किया है मैंने।।
- सरफ़राज़ बेतीयावी



आग़ाज़-ए-मोहब्बत से अंजाम-ए-मोहब्बत तक
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है
- सरवर आलम राज़



तू ने कब इश्क़ में अच्छा बुरा सोचा सरवर
कैसे मुमकिन है कि तेरा बुरा अंजाम न हो
- सरवर आलम राज़



मुझे गर इश्क का अरमान होता,
तो घर में मीर का दीवाना होता |
- सरशार सिद्दीक़ी



सरशार मैं ने इश्क़ के मअनी बदल दिए
इस आशिक़ी में पहले न था वस्ल का चलन
- सरशार सिद्दीक़ी



ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत न हो मगर
पहले सा जोश पहले सी शिद्दत नहीं रही
- सलमान अख़्तर



रस्म-ए-जहाँ न छूट सकी तर्क-ए-इश्क़ से
जब मिल गए तो पुर्सिश-ए-हालात हो गई
- सलीम अहमद



सफ़र में इश्क़ के इक ऐसा मरहला आया
वो ढूँडता था मुझे और खो गया था मैं
- सलीम अहमद



कभी इश्क़ करो और फिर देखो इस आग में जलते रहने से
कभी दिल पर आँच नहीं आती कभी रंग ख़राब नहीं होता
- सलीम कौसर



क्या अजब कार-ए-तहय्युर है सुपुर्द-ए-नार-ए-इश्क़
घर में जो था बच गया और जो नहीं था जल गया
- सलीम कौसर



ये लोग इश्क़ में सच्चे नहीं हैं वर्ना हिज्र
न इब्तिदा न कहीं इंतिहा में आता है
- सलीम कौसर



क्यूँ इन को मिला मंसब-ए-अफ़्ज़ाइश-ए-गीती
ये लोग तो मिट्टी से मोहब्बत नहीं करते
- सहाबत आसिम वास्ती



जिस की हवस के वास्ते दुनिया हुई अज़ीज़
वापस हुए तो उस की मोहब्बत ख़फ़ा मिली
- साक़ी फ़ारुक़ी



रास्ता दे कि मोहब्बत में बदन शामिल है
मैं फ़क़त रूह नहीं हूँ मुझे हल्का न समझ
- साक़ी फ़ारुक़ी



तुम क्या जानो अपने आप से कितना मैं शर्मिंदा हूँ
छूट गया है साथ तुम्हारा और अभी तक ज़िंदा हूँ
- साग़र आज़मी



तुम से मिलती-जुलती मैं आवाज़ कहाँ से लाऊँगा
ताज-महल बन जाए अगर मुम्ताज़ कहाँ से लाऊँगा
- साग़र आज़मी



शाम ढले ये सोच के बैठे हम अपनी तस्वीर के पास
सारी ग़ज़लें बैठी होंगी अपने अपने मीर के पास
- साग़र आज़मी



लज्जते-आग़ाज़ ही को जाविदा समझा था में
ए मोहब्बत तेरी तल्खी को कहा समझा था में
- साग़र निज़ामी



तलाक़ दे तो रहे हो इताब-ओ-क़हर के साथ
मिरा शबाब भी लौटा दो मेरी महर के साथ
- साजिद सजनी



कश्ती ए इश्क वहाँ है मेरी
दूर तक कोई किनारा भी नहीं
- साबिर इंदोरी



बस तेरी याद ही काफी है मुझे
और कुछ दिल को गवारा भी नहीं
- साबिर इंदोरी



ये ज़ख़्म-ए-इश्क़ है कोशिश करो हरा ही रहे
कसक तो जा न सकेगी अगर ये भर भी गया
- साबिर ज़फ़र



हर दर्जे पे इश्क़ कर के देखा
हर दर्जे में बेवफ़ाइयाँ हैं
- साबिर ज़फ़र



चराग़-ए-इश्क़ बदन से लगा था कुछ ऐसा
मैं बुझ के रह गया उस को हवा बनाने में
- सालिम सलीम



है सनम-ख़ाना मिरा पैमान-ए-इश्क़
ज़ौक़-ए-मय-ख़ाना मुझे सामान-ए-इश्क़
- साहिर देहल्वी



क्यूँ मेरी तरह रातों को रहता है परेशाँ
ऐ चाँद बता किस से तिरी आँख लड़ी है
- साहिर लखनवी



अपनी तबाहियों का मुझे कोई ग़म नहीं
तुम ने किसी के साथ मोहब्बत निभा तो दी
- साहिर लुधियानवी



अभी ज़िंदा हूँ लेकिन सोचता रहता हूँ ख़ल्वत में
कि अब तक किस तमन्ना के सहारे जी लिया मैं ने
- साहिर लुधियानवी



अभी न छेड़ मोहब्बत के गीत ऐ मुतरिब
अभी हयात का माहौल ख़ुश-गवार नहीं
- साहिर लुधियानवी



आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें
हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं
- साहिर लुधियानवी



उन का ग़म उन का तसव्वुर उन के शिकवे अब कहाँ
अब तो ये बातें भी ऐ दिल हो गईं आई गई
- साहिर लुधियानवी



किस दर्जा दिल-शिकन थे मोहब्बत के हादसे
हम ज़िंदगी में फिर कोई अरमाँ न कर सके
- साहिर लुधियानवी



ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ
मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया
- साहिर लुधियानवी



चंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँ
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ
- साहिर लुधियानवी



जब तुम से मोहब्बत की हम ने तब जा के कहीं ये राज़ खुला
मरने का सलीक़ा आते ही जीने का शुऊर आ जाता है
- साहिर लुधियानवी



तुझ को ख़बर नहीं मगर इक सादा-लौह को
बर्बाद कर दिया तिरे दो दिन के प्यार ने
- साहिर लुधियानवी



तुझे भुला देंगे अपने दिल से ये फ़ैसला तो किया है लेकिन
न दिल को मालूम है न हम को जिएँगे कैसे तुझे भुला के
- साहिर लुधियानवी



तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूँडो
चाहा था तुम्हें इक यही इल्ज़ाम बहुत है
- साहिर लुधियानवी



तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही
तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ
- साहिर लुधियानवी



फिर खो न जाएँ हम कहीं दुनिया की भीड़ में
मिलती है पास आने की मोहलत कभी कभी
- साहिर लुधियानवी



बरबाद-ए-मोहब्बत की दुआ साथ लिए जा
टूटा हुआ इकरार-ए-वफ़ा साथ लिए जा
- साहिर लुधियानवी



भूले से मोहब्बत कर बैठा
नादाँ था बेचारा दिल ही तो है
हर दिल से ख़ता हो जाती है
बिगड़ो न ख़ुदारा दिल ही तो है
दुनिया में हमारा दिल ही तो है
- साहिर लुधियानवी



मायूसी-ए-मआल-ए-मोहब्बत न पूछिए
अपनों से पेश आए है बेगानगी से हम
- साहिर लुधियानवी



मिलती है ज़िंदगी में मोहब्बत कभी कभी
होती है दिलबरों की इनायत कभी कभी
- साहिर लुधियानवी



मेरे ख़्वाबों में भी तू मेरे ख़यालों में भी तू
कौन सी चीज़ तुझे तुझ से जुदा पेश करूँ
- साहिर लुधियानवी



मोहब्बत तर्क की मैं ने गरेबाँ सी लिया मैं ने
ज़माने अब तो ख़ुश हो ज़हर ये भी पी लिया मैं ने
- साहिर लुधियानवी



वैसे तो तुम्हीं ने मुझे बर्बाद किया है
इल्ज़ाम किसी और के सर जाए तो अच्छा
- साहिर लुधियानवी



हम जुर्म-ए-मोहब्बत की सज़ा पाएँगे तन्हा
जो तुझ से हुई हो वो ख़ता साथ लिए जा
- साहिर लुधियानवी



हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
- साहिर लुधियानवी



इश्क़ और अक़्ल में हुई है शर्त
जीत और हार का तमाशा है
- सिराज औरंगाबादी



इश्क़ का नाम गरचे है मशहूर
मैं तअज्जुब में हूँ कि क्या शय है
- सिराज औरंगाबादी



इश्क़ दोनों तरफ़ सूँ होता है
क्यूँ बजे एक हात सूँ ताली
- सिराज औरंगाबादी



कुफ़्र-ओ-ईमाँ दो नदी हैं इश्क़ कीं
आख़िरश दोनो का संगम होवेगा
- सिराज औरंगाबादी



ख़बर-ए-तहय्युर-ए-इश्क़ सुन न जुनूँ रहा न परी रही
न तो तू रहा न तो मैं रहा जो रही सो बे-ख़बरी रही
- सिराज औरंगाबादी



जब सीं लाया इश्क़ ने फ़ौज-ए-जुनूँ
अक़्ल के लश्कर में भागा भाग है
- सिराज औरंगाबादी



मकतब-ए-इश्क़ का मोअल्लिम हूँ
क्यूँ न होए दर्स-ए-यार की तकरार
- सिराज औरंगाबादी



मिरे सीं दूर क्या चाहते हैं साया-ए-इश्क़
जिते हैं शहर के सियाने हुए हैं दीवाने
- सिराज औरंगाबादी



हमारी बात मोहब्बत सीं तुम जो गोश करो
तो अपनी प्रेम कहानी तुम्हें सुनाऊँगा
- सिराज औरंगाबादी



हाकिम-ए-इश्क़ ने जब अक़्ल की तक़्सीर सुनी
हो ग़ज़ब हुक्म दिया देस निकाला करने
- सिराज औरंगाबादी



आग और धुआँ और हवस और है इश्क़ और
हर हौसला-ए-दिल को मोहब्बत नहीं कहते
- सिराज लखनवी



इश्क़ का बंदा भी हूँ काफ़िर भी हूँ मोमिन भी हूँ
आप का दिल जो गवाही दे वही कह लीजिए
- सिराज लखनवी



सज्दा-ए-इश्क़ पे तन्क़ीद न कर ऐ वाइज़
देख माथे पे अभी चाँद नुमायाँ होगा
- सिराज लखनवी



ये शराब-ए-इश्क़ ऐ सीमाब है पीने की चीज़
तुंद भी है बद-मज़ा भी है मगर इक्सीर है
- सीमाब अकबराबादी



इश्क़ में ग़ैरत-ए-जज़्बात ने रोने न दिया
वर्ना क्या बात थी किस बात ने रोने न दिया
- सुदर्शन फ़ाकिर



इश्क़ है इश्क़ ये मज़ाक़ नहीं
चंद लम्हों में फ़ैसला न करो
- सुदर्शन फ़ाकिर



ता उम्र ढूँढता रहा मंज़िल मैं इश्क की
अंजाम ये के गर्द-ऐ-सफर ले के आ गया
- सुदर्शन फ़ाकिर



पत्थर के खुदा, पत्थर के सनम
पत्थर के ही इंसान पायें हैं तुम
शहर-ऐ-मोहब्बत कहते हो
हम जान बचा कर आए हैं
- सुदर्शन फ़ाकिर



हम तो समझे थे कि बरसात में बरसेगी शराब
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया
- सुदर्शन फ़ाकिर



जिन से मिल कर ज़िंदगी से इश्क़ हो जाए वो लोग
आप ने शायद न देखे हों मगर ऐसे भी हैं
- सुरूर बाराबंकवी



देखे हैं बहुत हम ने हंगामे मोहब्बत के
आग़ाज़ भी रुस्वाई अंजाम भी रुस्वाई
- सूफ़ी तबस्सुम



हुस्न का दामन फिर भी ख़ाली
इश्क़ ने लाखों अश्क बिखेरे
- सूफ़ी तबस्सुम



हुस्न का हर ख़याल रौशन है
इश्क़ का मुद्दआ किसे मालूम
- सेहर इश्क़ाबादी



हुस्न जल्वा दिखा गया अपना
इश्क़ बैठा रहा उदास कहीं
- सैफ़ुद्दीन सैफ़



उस के दिल पर भी कड़ी इश्क़ में गुज़री होगी
नाम जिस ने भी मोहब्बत का सज़ा रक्खा है
- हकीम नासिर



जब से तू ने मुझे दीवाना बना रक्खा है
संग हर शख़्स ने हाथों में उठा रक्खा है
- हकीम नासिर



चर्चा हमारा इश्क़ ने क्यूँ जा-ब-जा किया
दिल उस को दे दिया तो भला क्या बुरा किया
- हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा



इश्क़ के फंदे से बचिए ऐ हक़ीर-ए-ख़स्ता-दिल
इस का है आग़ाज़ शीरीं और है अंजाम तल्ख़
- हक़ीर



इश्क़ में दिल का ये मंज़र देखा
आग में जैसे समुंदर देखा
- हनीफ़ अख़गर



इलाही एक ग़म-ए-रोज़गार क्या कम था
कि इश्क़ भेज दिया जान-ए-मुब्तला के लिए
- हफ़ीज़ जालंधरी



क्यूँ हिज्र के शिकवे करता है क्यूँ दर्द के रोने रोता है
अब इश्क़ किया तो सब्र भी कर इस में तो यही कुछ होता है
- हफ़ीज़ जालंधरी



ना-कामी-ए-इश्क़ या कामयाबी
दोनों का हासिल ख़ाना-ख़राबी
- हफ़ीज़ जालंधरी



मोहब्बत करो और निबाहो तो पूछूँ
ये दुश्वारियाँ हैं कि आसानियाँ हैं
- हफ़ीज़ जालंधरी



है मुद्दआ-ए-इश्क़ ही दुनिया-ए-मुद्दआ
ये मुद्दआ न हो तो कोई मुद्दआ न हो
- हफ़ीज़ जालंधरी



काफ़िर-ए-इश्क़ को क्या दैर-ओ-हरम से मतलब
जिस तरफ़ तू है उधर ही हमें सज्दा करना
- हफ़ीज़ जौनपुरी



इश्क़ में मारका-ए-क़ल्ब-ओ-नज़र क्या कहिए
चोट लगती है कहीं दर्द कहीं होता है
- हफ़ीज़ बनारसी



कभी कभी हमें दुनिया हसीन लगती थी
कभी कभी तिरी आँखों में प्यार देखते थे
- हफ़ीज़ मेरठी



जब कभी हम ने किया इश्क़ पशेमान हुए
ज़िंदगी है तो अभी और पशेमाँ होंगे
- हफ़ीज़ होशियारपुरी



तमाम उम्र तिरा इंतिज़ार हम ने किया
इस इंतिज़ार में किस किस से प्यार हम ने किया
- हफ़ीज़ होशियारपुरी



मोहब्बत करने वाले कम न होंगे
तिरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे
- हफ़ीज़ होशियारपुरी



या दैर है या काबा है या कू-ए-बुताँ है
ऐ इश्क़ तिरी फ़ितरत-ए-आज़ाद कहाँ है
- हबीब अहमद सिद्दीक़ी



सीने में राज़-ए-इश्क़ छुपाया न जाएगा
ये आग वो है जिस को दबाया न जाएगा
- हमीद जालंधरी



वफ़ा परछाईं की अंधी परस्तिश
मोहब्बत नाम है महरूमियों का
- हसन अकबर कमाल



मोहब्बतें तो फ़क़त इंतिहाएँ माँगती हैं
मोहब्बतों में भला एतिदाल क्या करना
- हसन अब्बास रज़ा



ये कार-ए-इश्क़ तो बच्चों का खेल ठहरा है
सो कार-ए-इश्क़ में कोई कमाल क्या करना
- हसन अब्बास रज़ा



मोहब्बत में कठिन रस्ते बहुत आसान लगते थे
पहाड़ों पर सुहुलत से चढ़ा करते थे हम दोनों
- हसन अब्बासी



मिट गए दाग़ दाग़-ए-इश्क तनहा रह गया
गिर गई दीवार लेकिन उसका साया रह गया
- हसन नईम



इश्क़ में बे-ताबियाँ होती हैं लेकिन ऐ हसन
जिस क़दर बेचैन तुम हो उस क़दर कोई न हो
- हसन बरेलवी



न वो इक़रार करता है न वो इंकार करता है
हमें फिर भी गुमाँ है वो हमीं से प्यार करता है
- हसन रिज़वी



इश्क़ में ख़्वाब का ख़याल किसे
न लगी आँख जब से आँख लगी
- हसरत अज़ीमाबादी



इस जहाँ में सिफ़त-ए-इश्क़ से मौसूफ़ हैं हम
न करो ऐब हमारे हुनर-ए-ज़ाती का
- हसरत अज़ीमाबादी



काफ़िर-ए-इश्क़ हूँ ऐ शैख़ पे ज़िन्हार नहीं
तेरी तस्बीह को निस्बत मिरी ज़ुन्नार के साथ
- हसरत अज़ीमाबादी



ना-ख़लफ़ बस-कि उठी इश्क़ ओ जुनूँ की औलाद
कोई आबाद-कुन-ए-ख़ाना-ए-ज़ंजीर नहीं
- हसरत अज़ीमाबादी



निभे थी आन उन्हों की हमेशा इश्क़ में ख़ूब
तुम्हारे दौर में मेरी गदा हुईं आँखें
- हसरत अज़ीमाबादी



जब प्यार नहीं है तो भुला क्यूँ नहीं देते
ख़त किस लिए रक्खे हैं जला क्यूँ नहीं देते
- हसरत जयपुरी



इक़रार है कि दिल से तुम्हें चाहते हैं हम
कुछ इस गुनाह की भी सज़ा है तुम्हारे पास
- हसरत मोहानी



इश्क ने सबको सिखा दी शायरी
अब तो अच्छी फिक्रे हसरत हो गई |
- हसरत मोहानी



कट गई एहतियात-ए-इश्क़ में उम्र
हम से इज़हार-ए-मुद्दआ न हुआ
- हसरत मोहानी



चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है
- हसरत मोहानी



छुप नहीं सकती छुपाने से मोहब्बत की नज़र
पड़ ही जाती है रुख़-ए-यार पे हसरत की नज़र
- हसरत मोहानी



मिरा इश्क़ भी ख़ुद-ग़रज़ हो चला है
तिरे हुस्न को बेवफ़ा कहते कहते
- हसरत मोहानी



वफ़ा तुझ से ऐ बेवफ़ा चाहता हूँ
मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ
- हसरत मोहानी



प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
नए परिंदों को उड़ने में वक़्त तो लगता है
- हस्तीमल हस्ती



पास-ए-आदाब-ए-हुस्न-ए-यार रहा
इश्क़ मेरे लिए अदीब हुआ
- हातिम अली मेहर



जाम-ए-इश्क़ पी चुके ज़िंदगी भी जी चुके
अब हिलाल घर चलो अब तो शाम हो गई
- हिलाल फ़रीद



इश्क का दरिया हमे पार जो करना है हिलाल
कश्तिये इश्क सलीके से चलायी जाए !!
- हिलाल बदायुनी



मत सुनाओ मेरी रूदादे मुहब्बत सबको !
जिससे रुसवाई हो वो बात छुपाई जाए !!
- हिलाल बदायुनी



न हम से इश्क़ का मफ़्हूम पूछो
ये लफ़्ज़ अपने मआनी से बड़ा है
- हुमैरा राहत



वो इश्क़ को किस तरह समझ पाएगा जिस ने
सहरा से गले मिलते समुंदर नहीं देखा
- हुमैरा राहत



सुना है ख़्वाब मुकम्मल कभी नहीं होते
सुना है इश्क़ ख़ता है सो कर के देखते हैं
- हुमैरा राहत



आसार-ए-इश्क़ आँखों से होने लगे अयाँ
बेदारी की तरक़्क़ी हुई ख़्वाब कम हुआ
- हैदर अली आतिश



न पाक होगा कभी हुस्न ओ इश्क़ का झगड़ा
वो क़िस्सा है ये कि जिस का कोई गवाह नहीं
- हैदर अली आतिश



इश्क़ में यार गर वफ़ा न करे
क्या करे कोई और क्या न करे
- हैबत क़ुली ख़ाँ हसरत



हुस्न है काफ़िर बनाने के लिए
इश्क़ है ईमान लाने के लिए
- हैरत गोंडवी



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