दोस्ती पर कहे गए कुछ शेर / अशआर
अक़्ल कहती है दोबारा आज़माना जहल है
दिल ये कहता है फ़रेब-ए-दोस्त खाते जाइए
- माहिरउल क़ादरी
अगर तुम्हारी अना ही का है सवाल तो फिर
चलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए
- अहमद फ़राज़
अपनी बर्बादी पे कितने खुश थे हम लेकिन फ़राज़
दोस्त दुश्मन का निकल आया है अपना आशना
- अहमद फ़राज़
अब नमक तक नहीं है ज़ख्मों पर
दोस्तों से बड़ा सहारा था
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
अर्श' किस दोस्त को अपना समझूँ
सब के सब दोस्त हैं दुश्मन की तरफ़
- अर्श मलसियानी
अहबाब के खूलूस से बड़ कर न थी कोई
तन कर खड़ा रहा में बलाओं के सामने
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
अहबाब मेरी पीठ पर करते रहे यलगार
सीने के लिऐ एक भी बाक़ी न रहा तीर
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
अहबाब समझ लेंगे रौदाद ए सफर अपनी
रिस्ते हुए ज़ख्मों से टूटे हुए छालों से
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मैं
जैसे हर शय में किसी शय की कमी पाता हूँ मैं
- जिगर मुरादाबादी
आ की तुझ बिन इस तरह ए दोस्त घबराता हूँ मै
जैसे हर शय में किसी शय की कमी पाता हूँ मै
- जिगर मुरादाबादी
आ गया 'जौहर' अजब उल्टा ज़माना क्या कहें
दोस्त वो करते हैं बातें जो अदू करते नहीं
- लाला माधव राम जौहर
आ गया 'जौहर' अजब उल्टा ज़माना क्या कहें
दोस्त वो करते हैं बातें जो अदू करते नहीं
- लाला माधव राम जौहर
आज बैठे हैं तिरे पास कई दोस्त नए
अब तुझे दोस्त पुराने की ज़रूरत क्या है
- नदीम गुल्लानी
इलाही मेरे दोस्त हों ख़ैरियत से
ये क्यूँ घर में पत्थर नहीं आ रहे हैं
- ख़ुमार बाराबंकवी
इस क़दर हैरान क्यों हो बात क्या है दोस्तों
सर जो शाने पर था हाथों पर धरा है दोस्तों
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ
क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ
- अहमद फ़राज़
उसको जानता हूँ में दोस्ती है पहले से
दूसरे की साथी है तीसरे से मिलती है
- सतलज राहत
एक इसी उम्मीद पे हैं सब दुश्मन दोस्त क़ुबूल
क्या जाने इस सादा-रवी में कौन कहाँ मिल जाए
- जमीलुद्दीन आली
एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो
- राहत इंदौरी
ऐ दोस्त तुझ को रहम न आए तो क्या करूँ
दुश्मन भी मेरे हाल पे अब आब-दीदा है
- लाला माधव राम जौहर
ऐ मुझे छोड़ के तूफ़ान में जाने वाली
दोस्त होता है तलातुम में सफ़ीने की तरह
- मुस्तफ़ा ज़ैदी
किसको कातिल मै कहू किसको मसीहा समझू
सब यहाँ दोस्त ही बैठे है किसे क्या समझू
- अहमद नदीम कासमी
कीजिए कुछ नया, कहता है बदलता मौसम
नए कुछ दोस्त बनाओ, कि नया साल है आज
- कुलदीप सलिल
कुछ समझ कर उस मह-ए-ख़ूबी से की थी दोस्ती
ये न समझे थे कि दुश्मन आसमाँ हो जाएगा
- इम्दाद इमाम असर
कौन रोता है किसी और कि खातिर, ऐ दोस्त
सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
- साहिर लुधियानवी
खफीफ़ होते हैं अहबाब क्यों गिला कर के
वफ़ा सर शत है अपनी आदा करते हुए
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
ख़ुदा के वास्ते मौक़ा न दे शिकायत का
कि दोस्ती की तरह दुश्मनी निभाया कर
- साक़ी फ़ारुक़ी
खुदा जब दोस्त है ऐ दाग क्या दुश्मन से अंदेशा
हमारा कुछ किसी की दुशमनी से हो नहीं सकता
- दाग देहलवी
ग़रीबी छूत का है रोग शायद
मेरा हर दोस्त मुझ से बच रहा है
- राज़िक अंसारी
छेड़िये इक जंग, मिल-जुल कर गरीबी के ख़िलाफ़
दोस्त, मेरे मजहबी नग्मात को मत छेड़िये
- अदम गोंडवी
जब दोस्ती होती है तो दोस्ती होती है
और दोस्ती में कोई एहसान नहीं होता
- गुलज़ार
ज़िद हर इक बात पर नहीं अच्छी
दोस्त की दोस्त मान लेते हैं
- दाग़ देहलवी
जो दोस्त हैं वो माँगते हैं सुलह की दुआ
दुश्मन ये चाहते हैं कि आपस में जंग हो
- लाला माधव राम जौहर
ता करे न गम्माजी, कर लिया है दुश्मन को
दोस्त की शिकायत में हमने हमजबा अपना
- मिर्ज़ा ग़ालिब
ताक़त को आज़मा तो लिया, दोस्तों ने भी,
अपने ही दोस्तों कि कलाई मरोड कर
- जमील मलिक
तारीफ सुनके दोस्त से 'अल्वी' तू खुश न हो
उसको तेरी बुराईयां करते हुए भी देख
- मुहम्मद अलवी
तुझे कौन जानता था मिरी दोस्ती से पहले
तिरा हुस्न कुछ नहीं था मिरी शायरी से पहले
- कैफ़ भोपाली
तुझे कौन जानता था मेरी दोस्ती से पहले
तेरा हुस्न कुछ नहीं था मेरी शाइरी से पहले
- कैफ़ भोपाली
तुझे दुश्मनों की ख़बर न थी मुझे दोस्तों का पता नहीं
तिरी दास्ताँ कोई और थी मिरा वाक़िआ कोई और है
- सलीम कौसर
तुने नाहक मेरी बातो का बुरा माना है दोस्त
गौर करना बस मिरा कहना कि जो था वो न था
- परवेज़ वारिस
तुम दोस्ती के गीत सुनाते तो हो मगर
इस पेड़ में हमें तो कभी फल नहीं मिला
- अहमद निसार
तुम्हारी दोस्त-नवाजी में गर कमी होती
ज़मीं टूट के तारों पे गिर गई होती
- सलमान अख्तर
तू दोस्त किसी का भी सितमगर न हुआ था
औरों पे है वो ज़ुल्म कि मुझ पर न हुआ था
- मिर्ज़ा ग़ालिब
तेरे अहबाब तुझसे मिल के फिर मायूस लौट गये
तुझे नौशाद कैसी चुप लगी थी, कुछ कहा होता
- नौशाद लखनवी
तोड़ कर आज ग़लत-फ़हमी की दीवारों को
दोस्तो अपने तअ'ल्लुक़ को सँवारा जाए
- संतोष खिरवड़कर
दाग दुनिया ने दिए, जख्म जमाने से मिले
हमको तोहफे ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले
- कैफ़ भोपाली
दिन एक सितम, एक सितम रात करो हो
वो दोस्त हो दुश्मन को भी तुम मात करो हो
- कलीम आजिज़
दिन में अहबाब की बेरूखी झेलना
और उम्मीद की जांनकनी रात में
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
दिल है एक और दो आलम का तमन्नाई है
दोस्त का दोस्त है हरजाई का हरजाई है
- इकबाल अशहर
दुश्मन से ऐसे कौन भला जीत पाएगा
जो दोस्ती के भेस में छुप कर दग़ा करे
- सलीम सिद्दीक़ी
दुश्मनी ने सुना न होगा
जो हमें दोस्ती ने दिखलाया
- ख़्वाजा मीर दर्द
दुश्मनों के सितम का ख़ौफ़ नहीं
दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं
- शकील बदायुनी
दुश्मनों ने जो दुश्मनी की है
दोस्तों ने भी क्या कमी की है
- हबीब जालिब
दुश्मनों से तो बच आए हैं मगर आली जां
हर कमीं गाह में अहबाब हैं अब क्या होगा
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
दुश्मनों से प्यार होता जाएगा
दोस्तों को आज़माते जाइए
- ख़ुमार बाराबंकवी
दोस्त दारे-दुश्मन है, एतमादे-दिल मालूम
आह बेअसर देखी, नाला नारसा पाया
- मिर्ज़ा ग़ालिब
दोस्त दिल रखने को करते हैं बहाने क्या क्या
रोज़ झूटी ख़बर-ए-वस्ल सुना जाते हैं
- लाला माधव राम जौहर
दोस्त दो-चार निकलते हैं कहीं लाखों में
जितने होते हैं सिवा उतने ही कम होते हैं
- लाला माधव राम जौहर
दोस्त बनकर भी नहीं साथ निभानेवाला
वही अंदाज है जालिम का जमानेवाला
- अहमद फ़राज़
दोस्त हम उसको ही पैग़ाम-ए-करम समझेंगे
तेरी फ़ुर्क़त का जो जलता हुआ लम्हा होगा
- अब्बास अली दाना
दोस्त है तो मेरा कहा भी मान
मुझसे शिकवा भी कर, बुरा भी मान
- राहत इंदौरी
दोस्त हो जब दुश्मन-ए-जाँ तो क्या मालूम हो
आदमी को किस तरह अपनी कज़ा मालूम हो
- ख्वाज़ा हैदर अली आतिश
दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त
दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल से
- हफ़ीज़ होशियारपुरी
दोस्ती और किसी ग़रज़ के लिए
वो तिजारत है दोस्ती ही नहीं
- इस्माइल मेरठी
दोस्ती की तुम ने दुश्मन से अजब तुम दोस्त हो
मैं तुम्हारी दोस्ती में मेहरबाँ मारा गया
- इम्दाद इमाम असर
दोस्ती को बुरा समझते हैं
क्या समझ है वो क्या समझते हैं
- नूह नारवी
दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए
- राहत इंदौरी
दोस्ती दोस्तों के बाइस है
तीर है तो कमान है यारो
- मीर तकी मीर
दोस्ती बंदगी वफ़ा-ओ-ख़ुलूस
हम ये शम्अ' जलाना भूल गए
- अंजुम लुधियानवी
दोस्तों को भी मिले दर्द की दौलत या रब
मेरा अपना ही भला हो मुझे मंज़ूर नहीं
- हफ़ीज़ जालंधरी
दोस्तों से मुलाकात के नाम पर
नीम की पत्तियाँ चबाया करो
- राहत इंदौरी
दोस्तों! नाव को अब खूब संभाले रखियो
हमने नजदीक ही इक ख़ास भंवर देखी है
- गोपाल दास नीरज
निगाह-ए-नाज़ की पहली सी बरहमी भी गई
मैं दोस्ती को ही रोता था दुश्मनी भी गई
- माइल लखनवी
पत्थर तो हज़ारों ने मारे थे मुझे लेकिन
जो दिल पे लगा आ कर इक दोस्त ने मारा है
- सुहैल अज़ीमाबादी
परछाईं बन के साथ रहे तेज़ धूप में
बीमार दोस्तों के लिए हम दवा हुए
- सलमान अख्तर
फ़ाएदा क्या सोच आख़िर तू भी दाना है 'असद'
दोस्ती नादाँ की है जी का ज़ियाँ हो जाएगा
- मिर्ज़ा ग़ालिब
फिक्र किस बात की रहे हमको
जब कलंदर से दोस्ती की है
- देवेन्द्र गौतम
बज़्म ए अहबाब ने इतना भी न पूछा हम से
नक्श ऐ पा की तरह बैठे क्या सुनते हो
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
बता दिया की बुज़ुज़ दोस्त और भी कुछ है
'फ़लक़' किसी ने मेरी जिंदगी में आ के मुझे
- हीरालाल फलक देहलवी
बुरे दिनो से बचाना मुझे मेरे मौला
करीबी दोस्त भी बचकर निकलने लगते हैं
- राहत इंदौरी
भूल शायद बहुत बड़ी कर ली
दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली
- बशीर बद्र
माना के दोस्तों को नहीं दोस्ती का पास
लेकिन ये क्या के ग़ैर का एहसान लीजिये
- शहरयार
मिरी वहशत मिरे सहरा में उन को ढूँढती है
जो थे दो-चार चेहरे जाने पहचाने से पहले
- अक़ील नोमानी
मुज़फ़्फ़र आप के अहबाब खुश गुफ्तार हैं सारे
वहां दुश्मन की सफ़ में सर बसर तलवार हैं सारे
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
मुझे जो दोस्ती है उस को दुश्मनी मुझ से
न इख़्तियार है उस का न मेरा चारा है
- ग़मगीन देहलवी
मुझे दुश्मन से अपने इश्क़ सा है
मैं तन्हा आदमी की दोस्ती हूँ
- बाक़र मेहदी
मुझे दोस्त कहने वाले ज़रा दोस्ती निभा दे
ये मुतालबा है हक़ का कोई इल्तिजा नहीं है
- शकील बदायुनी
मेरा ज़मीर बहुत है मुझे सज़ा के लिए
तू दोस्त है तो नसीहत न कर ख़ुदा के लिए
- शाज़ तमकनत
मेरे दोस्तो ख़ुदारा, मेरे साथ तुम भी ढूँढो
वो यहीं कहीं छुपे हैं, मेरे ग़म का रुख़ बदल के
- अहसान बिन दानिश
मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे
मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे
- शकील बदायुनी
मेहरबाँ तेरी नज़र, तेरी अदाएं कातिल
तुझको किस नाम से ऐ दोस्त पुकारा जाये
- क़तील शिफ़ाई
मै उसका दोस्त हु अच्छा, यही नहीं काफी
उम्मीद और भी कुछ दोस्ती से करता है
- अतुल अजनबी
मैं अब हर शख़्स से उक्ता चुका हूँ
फ़क़त कुछ दोस्त हैं और दोस्त भी क्या
- जौन एलिया
मैं उस का दोस्त हूँ अच्छा यही नहीं काफ़ी
उमीद और भी कुछ दोस्ती से करता है
- अतुल अजनबी
मैं उसूलों में कोई ढील नहीं कर सकता
दोस्ती इश्क़ में तब्दील नहीं कर सकता
- आतिश इंदौरी
मैं तौबा दोस्ती से कर तो लूँ लेकिन
हमेशा पीठ पे ख़ंजर नहीं आया
- आतिश इंदौरी
मैं बहुत कम किसी से मिलता हूँ
जिससे यारी है उससे यारी है
- अख़्तर नज़्मी
मैं हैराँ हूँ कि क्यूँ उस से हुई थी दोस्ती अपनी
मुझे कैसे गवारा हो गई थी दुश्मनी अपनी
- एहसान दानिश
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला
- बशीर बद्र
यक़ीन आया के हम महफूज़ हैं गजलत गज़िनी में
तमाम अहबाब के हाथों में जब खंजर नज़र आए
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
ये कहा कि दोस्ती है, बने है दोस्त नासेह
कोई चारासाज होता, कोई गमगुसार होता
- मिर्ज़ा ग़ालिब
ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह
कोई चारासाज़ होता कोई ग़म-गुसार होता
- मिर्ज़ा ग़ालिब
ये राज़ दुश्मनों से नहीं दोस्तों से पूछ
यक लख्त्त हम पे बंद हुआ आब ओ दाना क्यों
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
ये सिखाया है दोस्ती ने हमें
दोस्त बन कर कभी वफ़ा न करो
- सुदर्शन फ़ाकिर
रेत में पड़ गए गिरदाब तो क्या कीजिएगा
घात मैं हों अगर अहबाब तो क्या कीजिएगा
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
लोग डरते हैं दुश्मनी से तिरी
हम तिरी दोस्ती से डरते हैं
- हबीब जालिब
लोग डरते हैं दुश्मनी से तेरी
हम तेरी दोस्ती से डरते हैं
- हबीब जालिब
वह मेरा दोस्त है या दुश्मन है
क्यों रखे मेरा ध्यान है यारो
- मीर तकी मीर
वो कैसे लोग होते है
जिन्हें हम दोस्त कहते है,
न कोई खून का रिश्ता,
ना कोई साथ सदियों का,
मगर एहसास अपनों सा,
वो अनजाने दिलाते है
- इरफ़ान अहमद मीर
वो कैसे लोग होते हैं जिन्हें हम दोस्त कहते हैं
न कोई ख़ून का रिश्ता न कोई साथ सदियों का
- इरफ़ान अहमद मीर
वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों का
जो पिछली रात से याद आ रहा है
- नासिर काज़मी
वो तो हम ही लिहाज़ करते हैं
वरना अहबाब आप के ही नहीं
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथ
कीजे मुझे क़ुबूल मिरी हर कमी के साथ
- वसीम बरेलवी
'शाइर' उन की दोस्ती का अब भी दम भरते हैं आप
ठोकरें खा कर तो सुनते हैं सँभल जाते हैं लोग
- हिमायत अली शाएर
सब दोस्त मेरे मुंतजिरे-पर्दा-ए-शब् थे
दिन में तो सफ़र करने में दिक्कत भी बहुत थी
- परवीन शाकिर
सुन के दुश्मन भी दोस्त हो जाए
शहद से लफ़्ज़ भी ज़बान में रख
- उमैर मंज़र
सुना है ऐसे भी होते हैं लोग दुनिया में
कि जिन से मिलिए तो तन्हाई ख़त्म होती है
- इफ्तिखार शफ़ी
सौ बार तार तार किया तो भी अब तलक
साबित वही है दस्त ओ गरेबाँ की दोस्ती
- शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
हजारों मुश्किलें हैं दोस्तों से दूर रहने में
मगर इक फ़ायदा हे पीठ पर खंजर नहीं लगता
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
हटाए थे जो राह से दोस्तों की
वो पत्थर मिरे घर में आने लगे हैं
- ख़ुमार बाराबंकवी
हम को यारों ने याद भी न रखा
'जौन' यारों के यार थे हम तो
- जौन एलिया
हम तो अब भी है उसी तन्हा-रवि के कायल
दोस्त बन जाते है कुछ लोग सफ़र में खुद ही
- नौमान शौक
हमें भी आ पड़ा है दोस्तों से काम कुछ यानी
हमारे दोस्तों के बेवफ़ा होने का वक़्त आया
- हरी चंद अख़्तर
हमें भी आ पड़ा है दोस्तों से कुछ काम यानि
हमारे दोस्तों के बेवफा होने का वक़्त आया
- पंडित हरिचंद अख्तर
हो तअल्लुक़ तुझसे जब तक ज़िन्दगी बाक़ी रहे
दोस्ती बाक़ी नहीं तो दुश्मनी बाक़ी रहे
- अहमद निसार
दिल ये कहता है फ़रेब-ए-दोस्त खाते जाइए
- माहिरउल क़ादरी
अगर तुम्हारी अना ही का है सवाल तो फिर
चलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए
- अहमद फ़राज़
अपनी बर्बादी पे कितने खुश थे हम लेकिन फ़राज़
दोस्त दुश्मन का निकल आया है अपना आशना
- अहमद फ़राज़
अब नमक तक नहीं है ज़ख्मों पर
दोस्तों से बड़ा सहारा था
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
अर्श' किस दोस्त को अपना समझूँ
सब के सब दोस्त हैं दुश्मन की तरफ़
- अर्श मलसियानी
अहबाब के खूलूस से बड़ कर न थी कोई
तन कर खड़ा रहा में बलाओं के सामने
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
अहबाब मेरी पीठ पर करते रहे यलगार
सीने के लिऐ एक भी बाक़ी न रहा तीर
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
अहबाब समझ लेंगे रौदाद ए सफर अपनी
रिस्ते हुए ज़ख्मों से टूटे हुए छालों से
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मैं
जैसे हर शय में किसी शय की कमी पाता हूँ मैं
- जिगर मुरादाबादी
आ की तुझ बिन इस तरह ए दोस्त घबराता हूँ मै
जैसे हर शय में किसी शय की कमी पाता हूँ मै
- जिगर मुरादाबादी
आ गया 'जौहर' अजब उल्टा ज़माना क्या कहें
दोस्त वो करते हैं बातें जो अदू करते नहीं
- लाला माधव राम जौहर
आ गया 'जौहर' अजब उल्टा ज़माना क्या कहें
दोस्त वो करते हैं बातें जो अदू करते नहीं
- लाला माधव राम जौहर
आज बैठे हैं तिरे पास कई दोस्त नए
अब तुझे दोस्त पुराने की ज़रूरत क्या है
- नदीम गुल्लानी
इलाही मेरे दोस्त हों ख़ैरियत से
ये क्यूँ घर में पत्थर नहीं आ रहे हैं
- ख़ुमार बाराबंकवी
इस क़दर हैरान क्यों हो बात क्या है दोस्तों
सर जो शाने पर था हाथों पर धरा है दोस्तों
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ
क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ
- अहमद फ़राज़
उसको जानता हूँ में दोस्ती है पहले से
दूसरे की साथी है तीसरे से मिलती है
- सतलज राहत
एक इसी उम्मीद पे हैं सब दुश्मन दोस्त क़ुबूल
क्या जाने इस सादा-रवी में कौन कहाँ मिल जाए
- जमीलुद्दीन आली
एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो
- राहत इंदौरी
ऐ दोस्त तुझ को रहम न आए तो क्या करूँ
दुश्मन भी मेरे हाल पे अब आब-दीदा है
- लाला माधव राम जौहर
ऐ मुझे छोड़ के तूफ़ान में जाने वाली
दोस्त होता है तलातुम में सफ़ीने की तरह
- मुस्तफ़ा ज़ैदी
किसको कातिल मै कहू किसको मसीहा समझू
सब यहाँ दोस्त ही बैठे है किसे क्या समझू
- अहमद नदीम कासमी
कीजिए कुछ नया, कहता है बदलता मौसम
नए कुछ दोस्त बनाओ, कि नया साल है आज
- कुलदीप सलिल
कुछ समझ कर उस मह-ए-ख़ूबी से की थी दोस्ती
ये न समझे थे कि दुश्मन आसमाँ हो जाएगा
- इम्दाद इमाम असर
कौन रोता है किसी और कि खातिर, ऐ दोस्त
सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
- साहिर लुधियानवी
खफीफ़ होते हैं अहबाब क्यों गिला कर के
वफ़ा सर शत है अपनी आदा करते हुए
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
ख़ुदा के वास्ते मौक़ा न दे शिकायत का
कि दोस्ती की तरह दुश्मनी निभाया कर
- साक़ी फ़ारुक़ी
खुदा जब दोस्त है ऐ दाग क्या दुश्मन से अंदेशा
हमारा कुछ किसी की दुशमनी से हो नहीं सकता
- दाग देहलवी
ग़रीबी छूत का है रोग शायद
मेरा हर दोस्त मुझ से बच रहा है
- राज़िक अंसारी
छेड़िये इक जंग, मिल-जुल कर गरीबी के ख़िलाफ़
दोस्त, मेरे मजहबी नग्मात को मत छेड़िये
- अदम गोंडवी
जब दोस्ती होती है तो दोस्ती होती है
और दोस्ती में कोई एहसान नहीं होता
- गुलज़ार
ज़िद हर इक बात पर नहीं अच्छी
दोस्त की दोस्त मान लेते हैं
- दाग़ देहलवी
जो दोस्त हैं वो माँगते हैं सुलह की दुआ
दुश्मन ये चाहते हैं कि आपस में जंग हो
- लाला माधव राम जौहर
ता करे न गम्माजी, कर लिया है दुश्मन को
दोस्त की शिकायत में हमने हमजबा अपना
- मिर्ज़ा ग़ालिब
ताक़त को आज़मा तो लिया, दोस्तों ने भी,
अपने ही दोस्तों कि कलाई मरोड कर
- जमील मलिक
तारीफ सुनके दोस्त से 'अल्वी' तू खुश न हो
उसको तेरी बुराईयां करते हुए भी देख
- मुहम्मद अलवी
तुझे कौन जानता था मिरी दोस्ती से पहले
तिरा हुस्न कुछ नहीं था मिरी शायरी से पहले
- कैफ़ भोपाली
तुझे कौन जानता था मेरी दोस्ती से पहले
तेरा हुस्न कुछ नहीं था मेरी शाइरी से पहले
- कैफ़ भोपाली
तुझे दुश्मनों की ख़बर न थी मुझे दोस्तों का पता नहीं
तिरी दास्ताँ कोई और थी मिरा वाक़िआ कोई और है
- सलीम कौसर
तुने नाहक मेरी बातो का बुरा माना है दोस्त
गौर करना बस मिरा कहना कि जो था वो न था
- परवेज़ वारिस
तुम दोस्ती के गीत सुनाते तो हो मगर
इस पेड़ में हमें तो कभी फल नहीं मिला
- अहमद निसार
तुम्हारी दोस्त-नवाजी में गर कमी होती
ज़मीं टूट के तारों पे गिर गई होती
- सलमान अख्तर
तू दोस्त किसी का भी सितमगर न हुआ था
औरों पे है वो ज़ुल्म कि मुझ पर न हुआ था
- मिर्ज़ा ग़ालिब
तेरे अहबाब तुझसे मिल के फिर मायूस लौट गये
तुझे नौशाद कैसी चुप लगी थी, कुछ कहा होता
- नौशाद लखनवी
तोड़ कर आज ग़लत-फ़हमी की दीवारों को
दोस्तो अपने तअ'ल्लुक़ को सँवारा जाए
- संतोष खिरवड़कर
दाग दुनिया ने दिए, जख्म जमाने से मिले
हमको तोहफे ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले
- कैफ़ भोपाली
दिन एक सितम, एक सितम रात करो हो
वो दोस्त हो दुश्मन को भी तुम मात करो हो
- कलीम आजिज़
दिन में अहबाब की बेरूखी झेलना
और उम्मीद की जांनकनी रात में
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
दिल है एक और दो आलम का तमन्नाई है
दोस्त का दोस्त है हरजाई का हरजाई है
- इकबाल अशहर
दुश्मन से ऐसे कौन भला जीत पाएगा
जो दोस्ती के भेस में छुप कर दग़ा करे
- सलीम सिद्दीक़ी
दुश्मनी ने सुना न होगा
जो हमें दोस्ती ने दिखलाया
- ख़्वाजा मीर दर्द
दुश्मनों के सितम का ख़ौफ़ नहीं
दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं
- शकील बदायुनी
दुश्मनों ने जो दुश्मनी की है
दोस्तों ने भी क्या कमी की है
- हबीब जालिब
दुश्मनों से तो बच आए हैं मगर आली जां
हर कमीं गाह में अहबाब हैं अब क्या होगा
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
दुश्मनों से प्यार होता जाएगा
दोस्तों को आज़माते जाइए
- ख़ुमार बाराबंकवी
दोस्त दारे-दुश्मन है, एतमादे-दिल मालूम
आह बेअसर देखी, नाला नारसा पाया
- मिर्ज़ा ग़ालिब
दोस्त दिल रखने को करते हैं बहाने क्या क्या
रोज़ झूटी ख़बर-ए-वस्ल सुना जाते हैं
- लाला माधव राम जौहर
दोस्त दो-चार निकलते हैं कहीं लाखों में
जितने होते हैं सिवा उतने ही कम होते हैं
- लाला माधव राम जौहर
दोस्त बनकर भी नहीं साथ निभानेवाला
वही अंदाज है जालिम का जमानेवाला
- अहमद फ़राज़
दोस्त हम उसको ही पैग़ाम-ए-करम समझेंगे
तेरी फ़ुर्क़त का जो जलता हुआ लम्हा होगा
- अब्बास अली दाना
दोस्त है तो मेरा कहा भी मान
मुझसे शिकवा भी कर, बुरा भी मान
- राहत इंदौरी
दोस्त हो जब दुश्मन-ए-जाँ तो क्या मालूम हो
आदमी को किस तरह अपनी कज़ा मालूम हो
- ख्वाज़ा हैदर अली आतिश
दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त
दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल से
- हफ़ीज़ होशियारपुरी
दोस्ती और किसी ग़रज़ के लिए
वो तिजारत है दोस्ती ही नहीं
- इस्माइल मेरठी
दोस्ती की तुम ने दुश्मन से अजब तुम दोस्त हो
मैं तुम्हारी दोस्ती में मेहरबाँ मारा गया
- इम्दाद इमाम असर
दोस्ती को बुरा समझते हैं
क्या समझ है वो क्या समझते हैं
- नूह नारवी
दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए
- राहत इंदौरी
दोस्ती दोस्तों के बाइस है
तीर है तो कमान है यारो
- मीर तकी मीर
दोस्ती बंदगी वफ़ा-ओ-ख़ुलूस
हम ये शम्अ' जलाना भूल गए
- अंजुम लुधियानवी
दोस्तों को भी मिले दर्द की दौलत या रब
मेरा अपना ही भला हो मुझे मंज़ूर नहीं
- हफ़ीज़ जालंधरी
दोस्तों से मुलाकात के नाम पर
नीम की पत्तियाँ चबाया करो
- राहत इंदौरी
दोस्तों! नाव को अब खूब संभाले रखियो
हमने नजदीक ही इक ख़ास भंवर देखी है
- गोपाल दास नीरज
निगाह-ए-नाज़ की पहली सी बरहमी भी गई
मैं दोस्ती को ही रोता था दुश्मनी भी गई
- माइल लखनवी
पत्थर तो हज़ारों ने मारे थे मुझे लेकिन
जो दिल पे लगा आ कर इक दोस्त ने मारा है
- सुहैल अज़ीमाबादी
परछाईं बन के साथ रहे तेज़ धूप में
बीमार दोस्तों के लिए हम दवा हुए
- सलमान अख्तर
फ़ाएदा क्या सोच आख़िर तू भी दाना है 'असद'
दोस्ती नादाँ की है जी का ज़ियाँ हो जाएगा
- मिर्ज़ा ग़ालिब
फिक्र किस बात की रहे हमको
जब कलंदर से दोस्ती की है
- देवेन्द्र गौतम
बज़्म ए अहबाब ने इतना भी न पूछा हम से
नक्श ऐ पा की तरह बैठे क्या सुनते हो
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
बता दिया की बुज़ुज़ दोस्त और भी कुछ है
'फ़लक़' किसी ने मेरी जिंदगी में आ के मुझे
- हीरालाल फलक देहलवी
बुरे दिनो से बचाना मुझे मेरे मौला
करीबी दोस्त भी बचकर निकलने लगते हैं
- राहत इंदौरी
भूल शायद बहुत बड़ी कर ली
दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली
- बशीर बद्र
माना के दोस्तों को नहीं दोस्ती का पास
लेकिन ये क्या के ग़ैर का एहसान लीजिये
- शहरयार
मिरी वहशत मिरे सहरा में उन को ढूँढती है
जो थे दो-चार चेहरे जाने पहचाने से पहले
- अक़ील नोमानी
मुज़फ़्फ़र आप के अहबाब खुश गुफ्तार हैं सारे
वहां दुश्मन की सफ़ में सर बसर तलवार हैं सारे
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
मुझे जो दोस्ती है उस को दुश्मनी मुझ से
न इख़्तियार है उस का न मेरा चारा है
- ग़मगीन देहलवी
मुझे दुश्मन से अपने इश्क़ सा है
मैं तन्हा आदमी की दोस्ती हूँ
- बाक़र मेहदी
मुझे दोस्त कहने वाले ज़रा दोस्ती निभा दे
ये मुतालबा है हक़ का कोई इल्तिजा नहीं है
- शकील बदायुनी
मेरा ज़मीर बहुत है मुझे सज़ा के लिए
तू दोस्त है तो नसीहत न कर ख़ुदा के लिए
- शाज़ तमकनत
मेरे दोस्तो ख़ुदारा, मेरे साथ तुम भी ढूँढो
वो यहीं कहीं छुपे हैं, मेरे ग़म का रुख़ बदल के
- अहसान बिन दानिश
मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे
मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे
- शकील बदायुनी
मेहरबाँ तेरी नज़र, तेरी अदाएं कातिल
तुझको किस नाम से ऐ दोस्त पुकारा जाये
- क़तील शिफ़ाई
मै उसका दोस्त हु अच्छा, यही नहीं काफी
उम्मीद और भी कुछ दोस्ती से करता है
- अतुल अजनबी
मैं अब हर शख़्स से उक्ता चुका हूँ
फ़क़त कुछ दोस्त हैं और दोस्त भी क्या
- जौन एलिया
मैं उस का दोस्त हूँ अच्छा यही नहीं काफ़ी
उमीद और भी कुछ दोस्ती से करता है
- अतुल अजनबी
मैं उसूलों में कोई ढील नहीं कर सकता
दोस्ती इश्क़ में तब्दील नहीं कर सकता
- आतिश इंदौरी
मैं तौबा दोस्ती से कर तो लूँ लेकिन
हमेशा पीठ पे ख़ंजर नहीं आया
- आतिश इंदौरी
मैं बहुत कम किसी से मिलता हूँ
जिससे यारी है उससे यारी है
- अख़्तर नज़्मी
मैं हैराँ हूँ कि क्यूँ उस से हुई थी दोस्ती अपनी
मुझे कैसे गवारा हो गई थी दुश्मनी अपनी
- एहसान दानिश
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला
- बशीर बद्र
यक़ीन आया के हम महफूज़ हैं गजलत गज़िनी में
तमाम अहबाब के हाथों में जब खंजर नज़र आए
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
ये कहा कि दोस्ती है, बने है दोस्त नासेह
कोई चारासाज होता, कोई गमगुसार होता
- मिर्ज़ा ग़ालिब
ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह
कोई चारासाज़ होता कोई ग़म-गुसार होता
- मिर्ज़ा ग़ालिब
ये राज़ दुश्मनों से नहीं दोस्तों से पूछ
यक लख्त्त हम पे बंद हुआ आब ओ दाना क्यों
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
ये सिखाया है दोस्ती ने हमें
दोस्त बन कर कभी वफ़ा न करो
- सुदर्शन फ़ाकिर
रेत में पड़ गए गिरदाब तो क्या कीजिएगा
घात मैं हों अगर अहबाब तो क्या कीजिएगा
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
लोग डरते हैं दुश्मनी से तिरी
हम तिरी दोस्ती से डरते हैं
- हबीब जालिब
लोग डरते हैं दुश्मनी से तेरी
हम तेरी दोस्ती से डरते हैं
- हबीब जालिब
वह मेरा दोस्त है या दुश्मन है
क्यों रखे मेरा ध्यान है यारो
- मीर तकी मीर
वो कैसे लोग होते है
जिन्हें हम दोस्त कहते है,
न कोई खून का रिश्ता,
ना कोई साथ सदियों का,
मगर एहसास अपनों सा,
वो अनजाने दिलाते है
- इरफ़ान अहमद मीर
वो कैसे लोग होते हैं जिन्हें हम दोस्त कहते हैं
न कोई ख़ून का रिश्ता न कोई साथ सदियों का
- इरफ़ान अहमद मीर
वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों का
जो पिछली रात से याद आ रहा है
- नासिर काज़मी
वो तो हम ही लिहाज़ करते हैं
वरना अहबाब आप के ही नहीं
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथ
कीजे मुझे क़ुबूल मिरी हर कमी के साथ
- वसीम बरेलवी
'शाइर' उन की दोस्ती का अब भी दम भरते हैं आप
ठोकरें खा कर तो सुनते हैं सँभल जाते हैं लोग
- हिमायत अली शाएर
सब दोस्त मेरे मुंतजिरे-पर्दा-ए-शब् थे
दिन में तो सफ़र करने में दिक्कत भी बहुत थी
- परवीन शाकिर
सुन के दुश्मन भी दोस्त हो जाए
शहद से लफ़्ज़ भी ज़बान में रख
- उमैर मंज़र
सुना है ऐसे भी होते हैं लोग दुनिया में
कि जिन से मिलिए तो तन्हाई ख़त्म होती है
- इफ्तिखार शफ़ी
सौ बार तार तार किया तो भी अब तलक
साबित वही है दस्त ओ गरेबाँ की दोस्ती
- शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
हजारों मुश्किलें हैं दोस्तों से दूर रहने में
मगर इक फ़ायदा हे पीठ पर खंजर नहीं लगता
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
हटाए थे जो राह से दोस्तों की
वो पत्थर मिरे घर में आने लगे हैं
- ख़ुमार बाराबंकवी
हम को यारों ने याद भी न रखा
'जौन' यारों के यार थे हम तो
- जौन एलिया
हम तो अब भी है उसी तन्हा-रवि के कायल
दोस्त बन जाते है कुछ लोग सफ़र में खुद ही
- नौमान शौक
हमें भी आ पड़ा है दोस्तों से काम कुछ यानी
हमारे दोस्तों के बेवफ़ा होने का वक़्त आया
- हरी चंद अख़्तर
हमें भी आ पड़ा है दोस्तों से कुछ काम यानि
हमारे दोस्तों के बेवफा होने का वक़्त आया
- पंडित हरिचंद अख्तर
हो तअल्लुक़ तुझसे जब तक ज़िन्दगी बाक़ी रहे
दोस्ती बाक़ी नहीं तो दुश्मनी बाक़ी रहे
- अहमद निसार