होली पर शायरी | Holi par Shayari

होली पर शायरी | Holi par Shayari | Holi Shayari

होली पर शायरी | Holi par Shayari | Holi Shayari

होली हिंदू समाज का बहुत ही धार्मिक महत्व का त्यौहार है | होली पर एक दूसरे पर रंग लगाया जाता है | घर आँगन को सजाया जाता है | होली के रंगों को शायरों ने अपनी शायरी में भी बिखेरा है उनमे प्रमुख नज़ीर अकबराबादी साहब है जिन्होंने लगभग हर त्यौहार पर चाहे हिंदू हो या मुस्लिम सभी त्यौहारों पर लिखा है | आप सभी के लिए आज हम holi par shayari होली पर बेहतरीन शेरो का संग्रह लेकर आए है | तो आइए ! होली पर खूबसूरत शायरी (Holi shayari) पढ़िए और दोस्तों में शेयर कीजिए:



अगर आज भी बोली-ठोली न होगी
तो होली ठिकाने की होली न होगी
- नज़ीर बनारसी



अज़ कबीर-ओ-रंग-ए-केसर और गुलाल
अब्र छाया है सफ़ेद-ओ-ज़र्द-ओ-लाल
- फ़ाएज़ देहलवी



अब की होली में रहा बे-कार रंग
और ही लाया फ़िराक़-ए-यार रंग
- इमाम बख़्श नासिख़



अब के होली पे लगा रंग उतरता ही नहीं
किस ने इस बार हमें रंग लगाया हुआ है
- ज़िया ज़मीर



अब तो हर दिन मेरी होली
और हर रात दीवाली है
- अनीता मोहन



अब धनक के रंग भी उन को भले लगते नहीं
मस्त सारे शहर वाले ख़ून की होली में थे
- आल ए-अहमद सूरूर



आ धमके ऐश ओ तरब क्या क्या जब हुस्न दिखाया होली ने
हर आन ख़ुशी की धूम हुई यूँ लुत्फ़ जताया होली ने
- नज़ीर अकबराबादी



आई है आज होली आई है आज होली
जी भर के खेलों यारो कर लो हंसी ठिठोली।
- अभिषेक कुमार अम्बर



आज ख़ुशी से धूम मचाओ, होली है!
रंग मुहब्बत के बरसाओ, होली है!
तोड़ के मज़हब की सारी दीवारों को,
दिल से सबको गले लगाओ होली है!
- ज़की आज़मी



आज खेलेंगे मिरे ख़ून से होली सब लोग
कितना रंगीन हर इक शख़्स का दामाँ होगा
- बेताब सूरी



आज हर शख़्स को देती है सदाएँ होली
दोस्तो आओ चलो ऐसी मनाएँ होली
- कँवल डिबाइवी



आज है होली का दिन पीतम मिरे घर आएँगे
सामने जब मैं न आऊँगी बहुत घबराएँगे
- मैकश अकबराबादी



इक तरफ़ राहत का और फ़रहत का काल
इक तरफ़ होली में उड़ता है गुलाल
- अर्श मलसियानी



इश्क़ की इक रंगीन सदा पर बरसे रंग
रंग हो मजनूँ और लैला पर बरसे रंग
- स्वप्निल तिवारी आतिश



एहसान-ए-रंग ग़ैर उठाते नहीं कभी
अपने लहू से खेल वो होली ही क्यूँ न हो
- रऊफ़ ख़ैर



कठ-पुतली ने होली खेली
और कंचों से गोली खेली
- सितवत रसूल



कपड़ों पे जमी रंग की धारें हैं अहाहा
सब होली है होली ही पुकारे हैं अहाहा
- नज़ीर अकबराबादी



कब तक चुनरी पर ही ज़ुल्म हों रंगों के
रंगरेज़ा तेरी भी क़बा पर बरसे रंग
- ्वप्निल तिवारी आतिश



कर रहा हूं फिर सभी सौहार्द की बातें वही,
और ये भी जानता हूं मानेगा कोई नहीं।
- आदर्श बाराबंकवी



करें जब पाँव खुद नर्तन, समझ लेना कि होली है
हिलोरें ले रहा हो मन, समझ लेना कि होली है
- नीरज गोस्वामी



कहीं अबीर की ख़ुश्बू कहीं गुलाल का रंग
कहीं पे शर्म से सिमटे हुए जमाल का रंग
- अज़हर इक़बाल



कहीं पड़े न मोहब्बत की मार होली में
अदा से प्रेम करो दिल से प्यार होली में
- नज़ीर बनारसी



काश हासिल हो हक़ीक़ी ज़िंदगी का एक दिन
सरख़ुशी का एक लम्हा या ख़ुशी का एक दिन
- सीमाब अकबराबादी



कितनी हंसी ठिठोली में
दिन बीता है होली में
पड़ गये गिरधर ग्वाल अकेले
राधा की हमजोली में
- डॉ. ज़िया उर रेहमान जाफ़री



किस की होली जश्न-ए-नौ-रोज़ी है आज
सुर्ख़ मय से साक़िया दस्तार रंग
- इमाम बख़्श नासिख़



कुछ अजब तर्ज़ की इस साल जली है होली
ज़िंदा लाशों की चिताओं का धुआँ हो जैसे
- कौसर सिद्दीक़ी



केशर की, कलि की पिचकारीः
पात-पात की गात सँवारी ।
राग-पराग-कपोल किए हैं,
लाल-गुलाल अमोल लिए हैं
तरू-तरू के तन खोल दिए हैं,
आरती जोत-उदोत उतारी-
गन्ध-पवन की धूप धवारी ।
- सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला



कोई परी हो अगर हम-कनार होली में
तो अब की साल हो दूनी बहार होली में
- कल्ब-ए-हुसैन नादिर



कौन रंग फागुन रंगे, रंगता कौन वसंत?
प्रेम रंग फागुन रंगे, प्रीत कुसुंभ वसंत।
चूड़ी भरी कलाइयाँ, खनके बाजू-बंद,
फागुन लिखे कपोल पर, रस से भीगे छंद।
- दिनेश शुक्ल



क्या न आएगा कभी दहर में प्रहलाद का दौर
आग होली की किसी रोज़ बनेगी गुलज़ार
- कँवल डिबाइवी



क्यूँ हम से हो बिगड़ते हम ने तो शैख़ साहब
होली से पेशतर ही तुम को बना दिया है
- अब्दुल रहमान एहसान देहलवी



ख़ुशी मनाते हो कहते हो मुझ को ईद 'निशात'
मगर मैं ख़ून की होली भी हूँ जलाओ मुझे
- इरतिज़ा निशात



ख़ूँ जवाँ ख़ून से होली खेलो
चंद क़दमों का सफ़र बाक़ी है
- आज़म ख़ुर्शीद



ख़ूँ से मिरे बच्चों के
दिन रात यहाँ होली
- हबीब जालिब



ख़ून से होली खेल रहे हैं
धरती के बलवान
बगिया लहूलुहान
- हबीब जालिब



ख़ून-ए-नाहक़ हमारा उछलेगा
रंग लाया जो शोख़ होली में
- शाद लखनवी



गले मुझ को लगा लो ऐ मिरे दिलदार होली में
बुझे दिल की लगी भी तो ऐ मेरे यार होली में
- भारतेंदु हरिश्चंद्र



होली पर शायरी | Holi par Shayari | गुलशन पे रंग व नूर की बदली सी छाई है पौधों को है ख़ुमार, हवा पी के आई है
गुलशन पे रंग व नूर की बदली सी छाई है
पौधों को है ख़ुमार, हवा पी के आई है
फूलों को देखिये तो अजब दिलरुबाई है
रंगीनियों से आज मेरी आशनाई है
होली नई बहार का पैग़ाम लाई है
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी



गुलाबी गाल पर कुछ रंग मुझ को भी जमाने दो
मनाने दो मुझे भी जान-ए-मन त्यौहार होली में
- भारतेंदु हरिश्चंद्र



गुलाल अबरक़ से सब भर भर के झोली
पुकारे यक-ब-यक होली है होली
- शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम



ग़ैर से खेली है होली यार ने
डाले मुझ पर दीदा-ए-ख़ूँ-बार रंग
- इमाम बख़्श नासिख़



चमन में आज़िम-ए-होली है वो बसंती-पोश
हुआ है ग़ुंचा-ए-लाला गुलाल का शीशा
- सिराज औरंगाबादी



चले भी आओ भुला कर सभी गिले-शिकवे
बरसना चाहिए होली के दिन विसाल का
- अज़हर इक़बाल



छाई हैं हर इक सम्त जो होली की बहारें
पिचकारियां ताने वो हसीनों की क़तारें
- साग़र ख़य्यामी



जनता पे राज करती है डाकुओं की टोली
वो बच गए जुनूँ से खेली थी ख़ूँ की होली
- ग़ौस ख़ाह मख़ाह हैदराबादी



जब तलक वो मेरे संग था
हर तरफ रंग ही रंग था
- शारिक कैफ़ी



जब तूने अपने रंग में हमको रंगा था साजन
अब तक न भूल पाए हम वो हसीन होली।
- अभिषेक कुमार अम्बर



जब फागुन रंग झमकते हों तब देख बहारें होली की
और दफ़ के शोर खदकते हो तब देख बहारे होली की
परियो के रंग दमकते हो तब देख बहारे होली की
ख़म शीशए जाम छलकते हो तब देख बहारे होली की
महबूब नशे में छलकते हो तब देख बहारे होली की
- नज़ीर अकबराबादी



जैसे कि बर्बादी की देवी छम-छमा-छम नाचती
होली मनाने के लिए मय-ख़ाने में आ ही गए
- अली जव्वाद ज़ैदी



जो कुछ होनी थी, सब होली!
धूल उड़ी या रंग उड़ा है,
हाथ रही अब कोरी झोली।
- मैथिलीशरण गुप्त



जो तूने मारी, नज़रों की पिचकारी,
भीग गये सजनी, हम तो तेरे संग में,
- विकास शर्मा 'दक्ष'



डाल कर ग़ुंचों की मुँदरी शाख़-ए-गुल के कान में
अब के होली में बनाना गुल को जोगन ऐ सबा
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी



तमाम रंग खड़े हैं क़तार बाँधे हुए
है अब की दीद के क़ाबिल शबाब ज़ख़्मों का
- असलम राशिद



ता-थय्या की लगती है सदा
फिर धूम मचाई होली ने
फिर ढोल बजा रंग उड़ा
फिर धूम मचाई होली ने
- अर्श मलसियानी



ता-ब-कै ये रस्म-ए-बेजा ता-ब-कै ये सुफ़्ला-पन
आओ खेलें ख़ून की होली जवानान-ए-वतन
- शातिर हकीमी



तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो,
मैं होली बनकर बिछड़े हृदय मिलाऊँगा!
- गोपालदास नीरज



तुम होली भी खेलोगे मिरे दिल के लहू से
दामन भी बचाओगे ये मालूम नहीं था
- क़ैसर सिद्दीक़ी



तेरे गालों पे जब गुलाल गुलाल लगा
ये जहाँ मुझ को लाल लाल लगा
- नासिर अमरोहवी



त्यौहार तो त्यौहार है हिन्दू न मुसलमाँ
हम रंग उछालें तो पकाएँ वो सिवय्याँ
- सागर ख़य्यामी



'दक्ष' गज़ब रही ये रंगों की बौछार,
यकबयक ढल गये तेरे रंग-ढंग में,
- विकास शर्मा 'दक्ष'



दरवाज़ों पर बुतों के लगाया किए अलाव
होली जलाई हम ने शिवालों के सामने
- मुनीर शिकोहाबादी



दिखलाएँ किस मज़े से अब के बहार होली
खेले हैं सब जम्अ' हो क्या गुल-एज़ार होली
- लुत्फ़ुन्निसा इम्तियाज़



दिन दहाड़े ये लहू की होली
ख़ल्क़ को ख़ौफ़ ख़ुदा का न रहा
- नासिर काज़मी



दिल में उठती है मसर्रत की लहर होली में
मस्तियाँ झूमती हैं शाम-ओ-सहर होली में
- ज़रीफ़ देहल्वी



दीप जलाए रस्ता तकती रहती हूँ
वो आए तो ईद दिवाली होली है
- इशरत मोईन सीमा



दुनिया में फिर इक जंग होगी
खेलेंगे सब ख़ून की होली
- रफ़ी अहमद



देखें तो क्यूँकर वो काफ़िर दर तक अपने न आवेगा
अब के होली में हम भी बूढ़े का साँग बनाते हैं
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी



होली पर शायरी | Holi par Shayari | दोस्तो पर्व है होली का चलो हो कुछ यूँ कोई दुश्मन ना रहे रंग लगाओ कुछ यूँ
दोस्तो पर्व है होली का चलो हो कुछ यूँ
कोई दुश्मन ना रहे रंग लगाओ कुछ यूँ
- आतिश इंदौरी



न जाओ शैख़ जी आओ क़रीब है होली
ख़फ़ा न हो कि चले आते हैं ख़िताब के दिन
- अब्दुल रहमान एहसान देहलवी



नफ़रतें आइए होली मे जला दें मिलकर
आज उलफ़त मे धुली रात का मौसम आया
- सुहैब अहमद फ़ारूक़ी



नहीं गाना तुम उन बच्चों के आगे गीत होली का।
जिन्हें पिछले बरस कर के गई बे-आसरा होली॥
- मासूम ग़ाज़ियाबादी



नाचती गा गा के होली दम-ब-दम
ज्यूँ सभा इन्दर की दर बाग़-ए-इरम
- फ़ाएज़ देहलवी



निगाहें करते चलो चार यार होली में
मिलो गले से गले बार बार होली में
- नज़ीर बनारसी



परियों के रंग दमकते हों तब देख बहारें होली की
ख़ुम, शीशे, जाम, झलकते हों तब देख बहारें होली की
- नज़ीर अकबराबादी



पिए हुए हैं सभी आज तो मय-ए-होली
बहक रहा है हर इक बादा-ख़्वार होली में
- ज़रीफ़ देहल्वी



पूरा करेंगे होली में क्या वादा-ए-विसाल
जिन को अभी बसंत की ऐ दिल ख़बर नहीं
- कल्ब-ए-हुसैन नादिर



फ़स्ल-ए-बहार आई है होली के रूप में
सोलह सिंगार लाई है होली के रूप में
- साग़र निज़ामी



फिर न बाक़ी रहे ग़ुबार कभी
होली खेलो जो ख़ाकसारों में
- कल्ब-ए-हुसैन नादिर



फिर हवा-ए-तुंद ले कर आई होली की बहार
हाथ में पिचकारियाँ ले कर चले फिर मर्द-ओ-ज़न
- अर्श मलसियानी



बख़्त ने फिर मुझे इस साल खिलाई होली
सोज़-ए-फ़ुर्क़त से ज़ि-बस मुझ को न भाई होली
- भारतेंदु हरिश्चंद्र



बजते हैं कहीं ताल कहीं ज़ंग ज़मीं पर
होली ने मचाया है अजब रंग ज़मीं पर
- नज़ीर अकबराबादी



बड़ी गालियाँ देगा फागुन का मौसम
अगर आज ठट्ठा ठिठोली न होगी
- नज़ीर बनारसी



होली पर शायरी | Holi par Shayari | बरसों बाद मिलेंगे अपनी मिट्टी से खुल कर यार पुराने होली खेलेंगे
बरसों बाद मिलेंगे अपनी मिट्टी से
खुल कर यार पुराने होली खेलेंगे
- शाहिद अंजुम



बहार आई कि दिन होली के आए
गुलों में रंग खेला जा रहा है
- जलील मानिकपूरी



बाज़ार, गली और कूचों में ग़ुल शोर मचाया होली ने
दिल शाद किया और मोह लिया ये जौबन पाया होली ने
- नज़ीर अकबराबादी



बाद-ए-बहार में सब आतिश जुनून की है
हर साल आवती है गर्मी में फ़स्ल-ए-होली
- वली उज़लत



बादल आए हैं घिर गुलाल के लाल
कुछ किसी का नहीं किसी को ख़याल
- रंगीन सआदत यार ख़ाँ



मनाऊँ किस तरह होली मैं दोस्तों के साथ
हैं सब के हाथ में ख़ंजर गुलाल थोड़ी है
- नादिम नदीम



महल तो होली दीवाली के लिए बने हैं
आग का रमक़ तो ला-वारिस का ख़ेमा होगा
- बाक़र नक़वी



माँ की गुझिया मीठे पार्ले पूरी और कचौड़ी सोंधी
फीकी होली याद दिलाए टेसू वाले फाग की ख़ुशबू
- मधूरिमा सिंह



माथे पे हुस्न-ख़ेज़ है जल्वा गुलाल का
बिंदी से औज पर है सितारा जमाल का
- उफ़ुक़ लखनवी



मानो बुरा न यार है त्यौहार होली का।
खुशियाँ मनाने अपने मैं परिवार आया हूँ।।
छिपकर कहाँ है बैठा जरा सामने तो आ।
पहले भी रंगने तुझको मैं हर बार आया हूँ।।
- निज़ाम फतेहपुरी



मुँह पर नक़ाब-ए-ज़र्द हर इक ज़ुल्फ़ पर गुलाल
होली की शाम ही तो सहर है बसंत की
- लाला माधव राम जौहर



मुहय्या सब है अब अस्बाब-ए-होली
उठो यारो भरो रंगों से झोली
- शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम



मेरे हिस्से के रंगों को तुम उन हथों में पहुंचाना।
वो जिनसे छीन कर के ले गई रंगे-हिना होली॥....
- मासूम ग़ाज़ियाबादी



मैं तेरे गालों पे रंग लगाऊंगा
अपने और बेगाने होली खेलेंगे
- शाहिद अंजुम



मौसम-ए-होली है दिन आए हैं रंग और राग के
हम से तुम कुछ माँगने आओ बहाने फाग के
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी



यूँ ख़ुद को ख़्वाहिशात के अक्सर दिखाए रंग
होली में जैसे कोई अकेले उड़ाए रंग
- अख़तर बस्तवी



यूँ रुख़-ए-ज़र्द चमक उठता है आने पे तिरे
जैसे होली में कोई मल के गुलाल आता है
- चरख़ चिन्योटी



ये 'नानक' की ये 'ख़ुसरव' की 'दया-शंकर' की बोली है
ये दीवाली ये बैसाखी ये ईद-उल-फ़ित्र होली है
- मंज़र भोपाली



ये मत पूछो इस दुनिया ने कौन से अब त्यौहार दिए
दी हम को अंधी दीवाली ख़ून की होली बाबू-जी
- कुंवर बेचैन



ये होली ईद कहती है भला कब अपने हाथों में
वफ़ा का रंग होगा प्यार की पिचकारियाँ होंगी
- सलीम रज़ा रीवा



ये होली उस ने जो खेली है आतिश-ओ-ख़ूँ की
सफ़ीर-ए-अम्न भी शश्दर है क्या किया जाए
- कौकब ज़की



रंग रंगीली होली
छैल छबेली होली
- आदिल असीर देहलवी



रंगता है तो रंग मुझे, अपने रंग में,
क्या है गुलाल-ओ-अबीर के रंग में,
- विकास शर्मा 'दक्ष'



रंगीं है यूँ बुतों की कैफ़-ए-निगह की गर्दिश
जूँ बुर्ज की फिरे है होली में मस्त जटनी
- वलीउल्लाह मुहिब



रंगों की बौछार उड़ाती होली आई
सड़कों को गुलज़ार बनाती होली आई
नाच उठीं है गोरी अपने घर आंगन में
पायल की झंकार सुनाती होली आई
- अब्दुस्सलाम कौसर



राग रंग और खेल तमाशे होली का उपहार
हृदय हृदय प्रेम जगाए प्यार भरा तेहवार
- अब्दुर्रहीम नश्तर



होली पर शायरी | Holi par Shayari | रात-भर लोग जलाते रहे होली के अलाव सुब्ह को मिल के चले रंग उड़ाने के लिए
रात-भर लोग जलाते रहे होली के अलाव
सुब्ह को मिल के चले रंग उड़ाने के लिए
- अख़तर बस्तवी



राधा तेरा रंग धूप सा किसना के मन को भाये रे
कैसे कोई होली के धूप को रंग लगाये रे
- इरशाद कामिल



'राहुल' 'किशोर' 'गोपी'
खेलेंगे हम से होली
- फ़राग़ रोहवी



लगाओ और किसी के रंग ए होली
अभी तो ज़ख़्म मेरे सब हरे हैं
- सिराज टोंकी



लब-ए-दरिया पे देख आ कर तमाशा आज होली का
भँवर काले के दफ़ बाजे है मौज ऐ यार पानी में
- शाह नसीर



लाज़िम न थी ये हरकत ऐ ख़ुश-सफ़ीर तुझ को
अज़हर है सब कहे हैं मिल कर शरीर तुझ को
करते हैं अब मलामत ख़ुर्द-ओ-कबीर तुझ को
ला-हौल पढ़ के शैतान बोला 'नज़ीर' तुझ को
अब होली खेलने का पूरा कमाल आया
- नज़ीर अकबराबादी



ले के आई है अजब मस्त अदाएँ होली
मुल्क में आज नए रुख़ से दिखाएँ होली
- कँवल डिबाइवी



लो आया होली का त्यौहार
ख़ुशी में झूम उट्ठा संसार
- अबरार किरतपुरी



वतन की आग बुझाओ .... वतन की आग बुझाओ
छोड़ के नफरत मिलजुल कर सब होली ईद मनाओ
- इकबाल



वो ख़्वाबों ख़यालों में परियों की बातें
वो होली के दिन वो दिवाली की रातें
- नितिन नायाब



वो तमाशा ओ खेल होली का
सब के तन रख़्त-ए-केसरी है याद
- फ़ाएज़ देहलवी



वो तो घर में ही छिप के बैठे रहे,
'मुंतज़िर' मन मेरा था होली का...
- पवन मुंतज़िर



वो हम से मुजतनिब नहीं होली के नाम पर
हम ने मुराद पाई है होली के रूप में
- साग़र निज़ामी



शब जो होली की है मिलने को तिरे मुखड़े से जान
चाँद और तारे लिए फिरते हैं अफ़्शाँ हाथ में
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी



शब्दों की मधीरा से भिगो कर तिरी चोली
खेली है सहेली तिरे संजोग में होली
- नासिर शहज़ाद



शिकवा गिला मिटाने का त्योहार आ गया।
दुश्मन भी होली खेलने को यार आ गया।।
परदेसी सारे आ गए परदेस से यहाँ।
अपना भी मुझको रंगने मेरे द्वार आ गया।।
सब लोग मिल रहे गले इक दूजे से यहाँ।
लगता है मुरली वाले के दरबार आ गया।।
- निज़ाम फतेहपुरी



सखियाँ मिल मिल होली खेलें साँवरया के आँगन
घुँघट में गोरी शरमाए पिया मिलन के कारन
- ज़ुबैर रिज़वी



सजनी की आँखों में छुप कर जब झाँका
बिन होली खेले ही साजन भीग गया
- मुसव्विर सब्ज़वारी



सहज याद आ गया वो लाल होली-बाज़ जूँ दिल में
गुलाली हो गया तन पर मिरे ख़िर्क़ा जो उजला था
- वली उज़लत



साक़ी कुछ आज तुझ को ख़बर है बसंत की
हर सू बहार पेश-ए-नज़र है बसंत की
- उफ़ुक़ लखनवी



साक़ी है न मय है न दफ़-ओ-चंग है होली
क्या हाल है इमसाल ये क्या रंग है होली
- हातिम अली मेहर



साजन! होली आई है!
सुख से हँसना
जी भर गाना
मस्ती से मन को बहलाना
पर्व हो गया आज-
साजन! होली आई है!
हँसाने हमको आई है!
- फणीश्वरनाथ रेणु



साझे त्यौहार हैं होली हो कि ईद-ए-क़ुर्बां
ज़िंदगी कितनी दिल-आवेज़-ओ-दिल-आरा है यहाँ
- साहिर होशियारपुरी



सुनते हैं अब उन गलियों में फूल शरारे खिलते हैं
ख़ून की होली खेल रही हैं रंग नहाती दो-पहरें
- इशरत आफ़रीं



सुर्ख़ रुख़्सारों पे हमने जब लगाया था गुलाल
दौड़कर छत पे चले जाना तेरा भूले नहीं
- सतपाल ख्याल



हँसते हैं यार लोग हसीनों के हाल पर
काजल लगा है कान में, सिन्दूर गाल पर
दस-बीस का हुजूम मिठाई के थाल पर
टेसू की बाल्टी पे भी ज़ोर-आज़माई है
होली नई बहार का पैग़ाम लाई है
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी



हम से नज़र मिलाइए होली का रोज़ है
तीर-ए-नज़र चलाइए होली का रोज़ है
- जूलियस नहीफ़ देहलवी



होली पर शायरी | Holi par Shayari | हमने क्या-क्या ख़्वाब देखे थे इसी दिन के लिए आज जब होली है तो वो घर से ही निकले नहीं
हमने क्या-क्या ख़्वाब देखे थे इसी दिन के लिए
आज जब होली है तो वो घर से ही निकले नहीं
- सतपाल ख्याल



हमारी मूंछो को काट देना, जो हमने होली, के दिन ही आके
न भांग छानी, न गटकी दारू, न खाये गुझिये,तेरी गली में
- नीरज गोस्वामी



हमारी होली है ईद है वो हर इक ख़ुशी की उमीद है वो
वो पास आए तो उस से पूछें तू इतने दिन से कहाँ था पहले
- सबीहा सदफ़



हर एक फूल हुआ रंग-बार होली में
हर एक शाख़ है सूरत-निगार होली में
- बिर्ज लाल रअना



हर ग़म हर इक खुशी के फ़साने पे छा गए
गीतों पे मेरे छाए तराने पे छा गए
होली का रंग छा गया जज़्बात पे मेरे
जज़्बात मेरे सारे ज़माने पे छा गए
- ओबैद आज़म आज़मी



हरे से है न गुलाबी से है न लाल से है
ग़ज़ल का रंग तो चोखा तिरे ख़याल से है
- शकील आज़मी



हवा उड़ाए कि पानी बहा के ले जाए
मिरे गुलाल का रिश्ता तो तेरे गाल से है
- शकील आज़मी



हिंद के गुलशन में जब आती है होली की बहार
ज़फिशानी चाही कर जाती है होली की बहार
- नज़ीर अकबराबादी



हिन्द में चारों तरफ़ बिखरे मुहब्बत का गुलाल
कभी ऐसी भी कोई होली मनाओ लोगो
- रेख़्ता पटौल्वी



हिन्दू-मुस्लिम मिल के मनाएँ, होली हो या ईद का मिलन
त्योहारों का रूप उजागर, चलिए चलकर गाँव में देखें
- कृष्ण बिहारी नूर



है अजब वक़्त की होली कि हर इक चक्कर पर
सूई चेहरे पे नया रंग है मलने वाली
- ज़ीशान साजिद



है जश्न-ए-बहाराँ तो चलो होली मनाएँ
इस रंग के सैलाब में सब मिल के नहाएँ
- सागर खय्यामी



है दिन आए हैं रंग और राग के
हम से तुम कुछ माँगने आओ बहाने फाग के
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी



है होली का दिन कम से कम दोपहर तक
किसी के ठिकाने की बोली न होगी
- नज़ीर बनारसी



होली आयी हसीं नग़मात का मौसम आया
रंग और नूर की बरसात का मौसम आया
- सुहैब अहमद फ़ारूक़ी



होली के अब बहाने छिड़का है रंग किस ने
नाम-ए-ख़ुदा तुझ ऊपर इस आन अजब समाँ है
- शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम



होली के रंगों का धोका
चेहरों पर तहरीर हो जैसे
- फ़ैसल अज़ीम



होली नए क़ुमक़ुमों से खेलो
पर ख़ून-ए-दिल-ए-आशिक़ाँ उछालो
- शाद लखनवी



होली हो या ईद हो,या कोई त्यौहार।
मक़सद तो है बांटना,इक दूजे का प्यार।
- सीमाब सुल्तानपुरी


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