चाय पर बेहतरीन शायरी चाय पर शायरी अब ये क्या बात हुई गाल को चूमूँ लब नइँ यानी हम चाय पिये वो भी बिना चीनी के - नीरज नीर आ तिरे संग ज़रा पेंग बढ़ाई जाए

चाय पर शायरी
चाय में कुछ अलग ही नशा होता है और चाय पसंद करने वाले चाय के बीना नहीं रह सकते फिर चाहे वह कोई भी मौसम हो | कुछ लोगो को पढते वक्त और काम करते वक्त बीच-बीच में चाय की जरुरत लगती है | अगर आपको चाय पसंद है तो यह चाय पर शायरी भी पसंद आएगी, पेश है चाय पर लिखे गए बेहतरीन शेर :
अकेले ख़ाक गुजारेगा ज़िन्दगी वो जिसे,
अकेले चाय भी पीना मुहाल लगता है
- सय्यद अहमद
अब ये क्या बात हुई गाल को चूमूँ लब नइँ
यानी हम चाय पिये वो भी बिना चीनी के
- नीरज नीर
अब शराब-ए-ख़ाम हो उनकी बनाई चाय हो
मय मिले या चाय बस पीना पिलाना चाहिए
- आदित्य मौर्या
आ गया था एक शायर दोस्त पाकिस्तान से
चाय से ठहरा रहा व्हिस्की पिलाने से गया
- खालिद इरफ़ान
आ तिरे संग ज़रा पेंग बढ़ाई जाए
ज़िंदगी बैठ तुझे चाय पिलाई जाए
- शमीम अब्बास
आ मेरे साथ बैठ मिरे साथ चाय पी
आ मेरे साथ मेरे दलाइल पे बात कर
- जब्बार वासिफ़
आज उसके गाल चूमे हैं तो अंदाजा हुआ
चाय अच्छी है मगर थोडा सा मीठा तेज है
- तहज़ीब हाफ़ी
आज तो जैसे दिन के साथ दिल भी ग़ुरूब हो गया
शाम की चाय भी गई मौत के डर के साथ साथ
- इदरीस बाबर
आज फिर चाय बनाते हुए वो याद आया
आज फिर चाय में पत्ती नहीं डाली मैं ने
- तरुणा मिश्रा
आज मौसम भी ख़ूब ठहरा है
एक चाय का कप बनाओ तो
- सफ़ीया चौधरी
इक गर्म बहस चाट गई वक़्ते-मुक़र्रर
मुद्दे जो थे वो चाय के प्यालों में रह गए
- फ़ानी जोधपुरी
इक हाथ में मेरे चाय का कप इक हाथ में मेरे हाथ तिरा
हाथों को तलब है हाथों की और दिल को तलब है साथ तिरा
- महवर सिरसिवी
इक-दूजे को जाहिल समझें नट-खट बुद्धीवान
मेट्रो में जो चाय पिलाए बस वो बाप समान
- हबीब जालिब
इतनी दिलकश थी गुफ़्तगू उसकी
चाय का कप भी सुन रहा था उसे
- हाशिम रज़ा जलालपुरी
इन्ही दिनों वो मिरे साथ चाय पीता था
कहीं से काश मिरा पिछ्ला साल आ जाए
- वसी शाह
इस क़दर मैं खो गया यादों में उस की
चाय ठंडी हो गयी कब की प्याली में
- ए आर साहिल अलिग
उदासी ख़ून में घुल जाएगी फिर
उसे तू चाय की प्याली में मत रख
- प्रताप सोमवंशी
उस का ख़याल दिल में घड़ी दो घड़ी रहे
फिर इस के ब'अद मेज़ पे चाय पड़ी रहे
- ज़करिय़ा शाज़
उस का मीठा सा इक इशारा था,
उस ने बोसे का नाम चाय रखा
- सरफराज़ नवाज़
उसकी जूठी चाय का नशा काफी है,
अब बोतल को हाथ लगाना ठीक नहीं
- आदिल रशीद
उसने इक रोज़ बनाई थी, कभी मेरे लिए,
बस उसी रोज़ से, मुझे 'चाय' से मोहोब्बत है
- सौरभ सदफ़
उसने चलते चलते लफ़्ज़ों का ज़हराब
मेरे जज़्बों की प्याली में डाल दिया
- अब्दुर्रहीम नश्तर
उससे बचपन से मुहब्बत थी,कभी कह न सका,
ज़िन्दगी भर चाय का पानी उबलता रह गया
- असीम क़मर
एक गुण मिल गया पैंतिस हैं बचे,
चाय दोनों को पसंद है, शुक्र है
- अमूल्य मिश्रा
एक तेरी कमी मिटाने को,
चाय के कप मैं दो मंगाता हूं
- अमित झा राही
एक मुझे ख़्वाब देखने के सिवा
चाय पीने की गंदी आदत है
- बालमोहन पांडेय
एवज़ सिगरेट के सिगरेट चाय के चाय
महीनों से हमारी दोस्ती है
- सैय्यद सफ़दर
ऐसी चाय कभी न पी मैं ने
सच बता तू ने इस में क्या डाला
- अरशद महमूद अरशद
और हमें दरकार है क्या गर चीज़ें चार मयस्सर हों,
तेरी फोटो, मीर की ग़ज़लें, चाय की प्याली, हरियाली
- वाशु पांडे
कई झमेलों में उलझी सी बद-मज़ा चाय
उदास मेज़ पे दफ़्तर के काग़ज़ात का दुख
- साइमा आफ़्ताब
कभी काली चाय कभी गोरी चाय
बना कर निवाले खिलाती हैं अम्मी
- अब्दुल बारी आरिफ़ जमाली
कभी लब पे ठहर जाए अगर वो नाम इक पल को,
हमारी चाय में घुल कर उसी का स्वाद आ जाए
- मनीषा शुक्ला
कभी वो चाँदनी में अपना यूँ ही घूमते रहना
कभी वो चाय की मेज़ों पे घंटों बैठना सब का
- ख़लील-उर-रहमान आज़मी
कभी शरीफ़ के होटल पे रुक के पी ली चाय
मुझे शरीफ़ से मतलब न कुछ सुनंद से काम
- हबीब तनवीर
करना पड़ा जो दफ़न का ता-सुब्ह इंतिज़ार
मय्यत के पास चलती रही चाय बार बार
- नश्तर अमरोहवी
किन ख़यालात में यूँ रहती हो खोई खोई
चाय का पानी पतीली में उबल जाता है
- कफ़ील आज़र अमरोहवी
किसी ज़माने में महँगा नहीं था इश्क़ मियाँ,
कि चाय ढाई की आती थी साढे सात के फूल
- वरुण आनंद
किसी दिन चाय पर आना तुम्हारा ख़ैर-मक़दम है,
मेरे हालात पर जो रहम खाना हो तो मत आना
- रेनू नय्यर
किसी ने रख दिया हो आग पर जलता हुआ मुझ को
मचलता है मेरा दिल इस तरह कुछ चाय के ख़ातिर
- आवेश सय्यद
कुछ होश नहीं मुझ में रहा जब से पिलाई
उस नर्गिस-ए-मख़मूर की साक़ी ने प्याली
- आफ़ताब शाह आलम सानी
क़ुमक़ुमों की तरह क़हक़हे जल बुझे
मेज़ पर चाय की प्यालियाँ रह गईं
- ख़ालिद अहमद
कोई तो हो जो जबीं चूमकर ये हमसे कहे
चाय का कप ये रखा है चलो अब उठ जाओ
- अहमद फज़ल खान
ख़ुशबू तो अब भी वही थी चाय में
तेरे बिन जाने मगर कैसी लगी
- जय तिवारी
गदले पानी से धुलते स्टेशन पर किस को
गर्मा-गर्म सी चाय का पियाला ढूँड रहा है
- इदरीस बाबर
ग़मों की सर्द रोटियों के साथ चाय की तरह
तू कम से कम परोस दे मुझे हंसी गरम-गरम
- रंजीत भट्टाचार्य
गर जाम दे रहे हैं तो करिए मुझे मुआफ़,
गर चाय दे रहे हैं तो दो बार दीजिए
- तनोज दाधीच
गुज़र रहा है महीने का आखरी हफ्ता,
पिला सका ना तुझे चाय कुछ मलाल ना कर
- निजामुद्दीन निज़ाम
घी मिस्री भी भेज कभी अख़बारों में
कई दिनों से चाय है कड़वी या अल्लाह
- निदा फ़ाज़ली
चख के दोनों को ये हुआ मालूम,
होंठ मीठे है चाय फीकी है
- लकी फारुकी
चखना है ज़ायका मुझे लब का,
आपके कप से चाय पीनी है
- तारिक जमाल अंसारी
चलो अब हिज़्र के किस्सों को छोड़ो,
तुम्हारी चाय ठंडी हो रही है
- जुबैर अली ताबिश
चाँद है कहकशाँ है तारे हैं
कोई शय नामा-बर नहीं होती
- इब्न-ए-इंशा
चाय की प्यालियों से उठेगी नई महक
बे-बर्ग टहनियों पे नया रंग आएगा
- मरातिब अख़्तर
चाय की प्याली में तस्वीर वही है कि जो थी
यूँ चले जाने से मेहमान कहाँ जाता है
- शाहीन अब्बास
चाय की प्याली में नीली टेबलेट घोली
सहमे सहमे हाथों ने इक किताब फिर खोली
- बशीर बद्र
चाय की बरकत से ख़ाली हैं
देर में अक्सर उठने वाले
- सुहैल आज़ाद
चाय के आ'शिक़ को भी मय-ख़्वार होना चाहिए?
यानी तुम सा ही मुझे बेकार होना चाहिए
- जय प्रकाश नारायण पांडे
चाय के कप में उबली
अख़बारों की सुर्ख़ी धूप
- सतपाल ख्याल
चाय के तल्ख़ घूँट से उठता हुआ ग़ुबार
वो इंतिज़ार-ए-शाम वो मंज़र कहाँ गया
- सिदरा सहर इमरान
चाय के दो कप, बालकनी और फ़ैज़ की नज़्में,
तुम बिन भी ये मा’मूल हमारा जारी है
- रिजवाना इक़रा
चाय के बारे में कोई राय मत दो यार मुझको
बात समझो इश्क सबसे पूछकर होता नहीं है
- नीरज नीर
चाय दो कप उंडेल कर 'मंसूर'
आज भी उस की राह देखते हैं
- मंसूर महबूब
चाय पीते हुए तेरी आँखें पढ़ें
और फिर तेरी आँखों पे चर्चा करें
- एस एम अफज़ल इमाम
चाय पीते हुये मरेंगे हम
चाय से इस क़दर अकीदत है
- शहजाद कैस
चाय पीते हैं कहीं बैठ के दोनों भाई
जा चुकी है ना? तो बस छोड़! चल आ, जाने दे
- अली ज़रयून
चाय पीना तो इक बहाना था
आरज़ू दिल की तर्जुमानी थी
- ईमान क़ैसरानी
चाय में उस के पिस्ताँ थे
मेरा बदन पानी में था
- आदिल मंसूरी
चाय में डाल कर उश्शाक़ उसे पी जाते
दर-हक़ीक़त लब-ए-माशूक़ जो शक्कर होता
- ज़रीफ़ लखनवी
चाय में पड़ता रहेगा और कितने दिन नमक
बंद कमरे में पढ़ोगी और कितने दिन ख़ुतूत
- कफ़ील आज़र अमरोहवी
चाय मेरे हाथ से गिरने वाली थी
उस ने इस अंदाज़ से घूरा तौबा है
- समीना साक़िब
चाय वो पहली डिश थी जो मैंने,
तेरी ख़ातिर बनाना सीखी थी
- ज्योति अग्रवाल
छोड़ आया था मेज़ पर चाय
ये जुदाई का इस्तिआरा था
- तौक़ीर अब्बास
ज़रा सी चाय गिरी और दाग़ दाग़ वरक़
ये ज़िंदगी है कि अख़बार का तराशा है
- आमिर सुहैल
ज़िक्र तुम्हारा बहुत ज़रूरी इन ग़ज़लों में जानेमन
चाय बिना अदरक को डाले अच्छी थोड़ी बनती है
- तनोज दाधीच
झगड़ा वगडा देखो अच्छी चीज़ नहीं,
तुम मुझ को एक चाय पिलाओ आल इज़ वेल
- काविश रादौलवी
ठंडी चाय की प्याली पी के
रात की प्यास बुझाई है
- रईस फ़रोग़
ताकि मिल जाए इक ऐसा आदमी
चाय पी कर जो सुने ग़ज़लें मिरी
- असरार जामई
ताज़गी मिल गई उम्मीदों को,
उनके हाथों की चाय पीने से
- अब्दुल हमीद बशर
तारे तो तोड़ नहीं सकता
हाँ चाय बना सकता हूँ मैं
- पवन
तुझ में कस-बल है तो दुनिया को बहा कर ले जा
चाय की प्याली में तूफ़ान उठाता क्या है
- शहज़ाद अहमद
तुम उन के लिए जल्द हुक़्क़े मंगाओ
मियाँ भाग कर चाय लिप्टन की लाओ
- राजा मेहदी अली ख़ाँ
तुम्हारे तख़य्युल का ही वक़्त है
तुम्हारी ही यादों की ये चाय है
- कैलाश सिंह राठोड़ बाज़
तुम्हारे साथ मुझको चाय पीना है मगर
ये भी है शर्त कप सिर्फ़ एक होना चाहिए
- कृष्णकांत कब्क
तुम्हारे हाथ की वो चाय इतनी मीठी थी
अभी भी मेरे लबों पर मिठास बाक़ी है
- शज़र अब्बास
तेरी टेंशन में पीना भूल गई
चाय तो सामने रखी हुई थी
- ज़हरा क़रार
तेरे हाथ की चाय तो पी थी
दिल का रंज तो दिल में रहा था
- नासिर काज़मी
तेरे हाथों की चाय पी लूँ तो,
जाम ओ पैमाना रूठ जाते हैं
- डॉ. नासिर अमरोहवी
तेरे होंटों से क्या लगी कॉफी,
चाय ने गिर के ख़ुदकुशी कर ली
- शादाब जावेद
थकन की तल्ख़ियों को अरमुग़ाँ अनमोल देती है
तिरी बोली मिरी चाय में चीनी घोल देती है
- तौफ़ीक़ साग़र
था उसके वास्ते मैं सिर्फ़ चाय का कुल्हड़,
सो उसने फेंक दिया मुझको इस्तेमाल के बाद
- मुसरिफ़ हुसैन मंसूरी
दुर्गत बने है चाय में बिस्कुट की जिस तरह
शादी के बा'द लोगो वही मेरा हाल है
- नश्तर अमरोहवी
देख के खिड़की से बारिश को पागल लड़की
आज भी दो कप चाय बनाने लगती है
- नाहीद अख़्तर बलूच
देखो तो पेट बन गया आख़िर ग़ुबारा गैस का
खाते हो इतना गोश्त क्यों पीते हो इतनी चाय क्यों
- कैफ़ अहमद सिद्दीकी
नाम मेरा याद करके चुस्कियों के बीच में
क्या हुई है चाय के कप में तिरे हलचल कभी
- संदीप ठाकुर
पन्ने पलटते रहते हैं अखबार के हम इन दिनों
आती नही अब चाय टेबल पर जो तेरे हाथ की
- कारन सिंह राजपूत
प्याली चाय की पी ख़बरें देखीं नाश्ता पर
सुबूत बैठे बसीरत का अपनी देते रहे
- अख़्तरुल ईमान
बद-गुमानी को किया चाय पिला कर रुख़्सत
नाश्ते का भी तलबगार नहीं होने दिया
- मन्नान बिजनोरी
बरसते अब्र, भीगा लम्स, धुंधली शाम के साए,
तसव्वुर के ही ढाबे में चलो इक चाय हो जाए
- गज़ाला तबस्सुम
बस एक रस्म-ए-तअल्लुक़ निभाने बैठे हैं
वगरना दोनों के कप में ज़रा भी चाय नहीं
- वसीम नादिर
बहाना कर के दर्द-ए-सर का अक्सर लेट जाती हैं
न हो नौकर अगर घर में तो हम चाय बनाते हैं
- राजा मेहदी अली ख़ाँ
बिखरता जाता है कमरे में सिगरटों का धुआँ
पड़ा है ख़्वाब कोई चाय की प्याली में
- नज़ीर क़ैसर
बिला-शक चाय मैं अच्छी बनाती,
अगर वो मेरे घर मेहमान होता
- अंजलि सिंह
बिस्तर में एक चाँद तराशा था लम्स ने
उस ने उठा के चाय के कप में डुबो दिया
- आदिल मंसूरी
मयकदे सारे बंद हो जाएं
चाय का एक कप गनीमत है
- शहजाद कैस
मेरी उल्फ़त में उसे कर दे तू पागल मौला
मैं कहूँ चाय तो मँगवा दे वो कैम्पा-कोला
- साग़र ख़य्यामी
मेरे लिए तुम्हारा प्यार बिल्कुल वैसा था
जैसे चाय के आख़िरी घूँट में दूसरे कप की तलब
- गीताञ्जलि राय
मैं उस की चाय की प्याली थी लेकिन
उसे पीने की जुरअत ही नहीं थी
- रख़शां हाशमी
मैं कहीं गुम हूँ आजकल शायद
जल गए होंठ चाय पीते हुए
- मुकेश झा
मैं ने चाय जो पेश की थी उसे
इक तकल्लुफ़ में पड़ गया था वो
- कँवल मलिक
मैं ने पूछा है कि चाय के लिए वक़्त कोई
हँस के बोली है इशारे से घड़ी ठीक नहीं
- इमरान राहिब
मैं, चाय, किताबें, ये ग़मे-हिज्र वगैरह,
रक्खे हैं तेरे आज भी सामान, गले मिल
- सरगम
यही तो वक़्त है दोनों के एक होने का,
कि दोनों चाय पिएंगे और एक प्याली है
- हसीब सोज़
ये कैसे रास्ते से लेके तुम मुझको चले आए,
कहा का मैकदा इक चायखाना तक नहीं आया !
- मुनव्वर राना
ये मेहमान-नवाज़ी है या और है कुछ
मेरे लिए वो चाय बना के लाई है
- वसी शाह
ये शराबें फक़त हैं लाल नशा,
चाय पी चाय है हलाल नशा
- अली शारीक़
रंग बदले जा रही है चाय अब
पत्तियाँ घुलने लगी है इश्क़ की
- आदिल सुलेमान
रंग में हैं सारे घर वाले खनक रहे हैं चाय के प्याले
दुनिया जाग चुकी है लेकिन अपना सवेरा नहीं हुआ है
- शारिक़ कैफ़ी
रात एक पिक्चर में, शाम एक होटल में, बस यही बसीले थे
मेज़ के किनारे पर, चाय की पियाली में, उसकें होंठ रक्खे थे
- निश्तर ख़ानक़ाही
लोग खाते हैं गोलियाँ "अकबर"
हम को चाय सुकून देती है
- अकबर रिज़वी
वक्त देना जब कोई मेरी तरह,
चाय पी कर भी अगर बैठा रहे
- शारीक़ कैफ़ी
वो चली आई थी मिलने के लिए ख़ल्वत में
अपने हाथों से उसे चाय बना दी मैं ने
- अली क़ैसर
वो चाय की प्याली पे यारों के जलसे
वो सर्दी की रातें वो ज़ुल्फ़ों के क़िस्से
- आबिदुल्लाह ग़ाज़ी
वो चाय पी रहा था किसी दूसरे के साथ
मुझ पर निगाह पड़ते ही कुछ झेंप सा गया
- आदिल मंसूरी
वो जो चुपके से चुरा कर ले गई मुझको कहीं
मैं पिलाता चाय उसको, मौत कहकर आती तो
- संदीप सिंह चौहान शफक
वो मोहब्बत अगर नहीं थी 'हसन'
उस ने चाय में क्या मिलाया था
- हसन ज़हीर राजा
शकर के बदले नमक चाय में मिलाती हूँ
वो कह रही थी कि नंगी कलाइयाँ मेरी
- कफ़ील आज़र अमरोहवी
शब ढली उठने लगे होटल से लोग
चाय का ये दौर इस के नाम पर
- नासिर शहज़ाद
शाइरी, चाय, तेरी याद चमकते जुगनू,
बस यही चार तलब रोज़ मेरी शाम के हैं
- संजू शब्दिता
शाम की चाय उन के साथ पियूँ
दिल की हसरत बहुत पुरानी है
- दिनेश कुमार
शाम की चाय का वादा वो उधर भूल गए
हम इधर सुब्ह से तय्यार हुए बैठे हैं
- पिन्हाँ
शाम ढले इक लॉन में सारे बैठ के चाय पीते थे
मेज़ हमारा घर का था कुर्सी सरकारी होती थी
- जानाँ मलिक
शे'र जैसा भी हो इस शहर में पढ़ सकते हो
चाय जैसी भी हो आसाम में बिक जाती है
- मुनव्वर राना
सख़्त सर्दी में चाय ऑर्डर की
हम ने मौसम से ले लिया बदला
- ईमान क़ैसरानी
सब प्यासे है सबका अपना ज़रिया है, बढ़िया है
हर कुल्हड़ में छोटा-मोटा दरिया है, बढ़िया है
- राहत इन्दौरी
सर्द हवाएँ, ये दिसम्बर और उसकी याद
आग लगे सबको, चलो चाय पीते हैं
- नदीम खान काविश
सस्ते में उन को भूलना अच्छा लगा है आज
चाय का एक घूँट भी काफ़ी रहा है आज
- इमरान राहिब
सामने रख के चाय की प्याली
चुस्की चुस्की तिरी कमी चक्खी
- नाहीद अख़्तर बलूच
सिगरटें चाय धुआँ रात गए तक बहसें
और कोई फूल सा आँचल कहीं नम होता है
- वाली आसी
सिगरेट की शक्ल में कभी चाय की शक्ल में
इक प्यास है कि जिसको पिये जा रहे हैं हम
- अमीर इमाम
सिगरेट है मैं हूं चाय का इक कप है साथ में,
ऐसे में तेग़ी...तेरी जरूरत रही मुझे
- बिलाल तेघी
सिगरेट, गिलास, चाय का कप और नन्हा लैंप
सामाने-शौक़ हैं ये बहम मेरी मेज़ पर
- ज़हीर ग़ाज़ीपुरी
सुब्ह की चाय में होती है वो तासीर ग़ज़ब
जो गई रात के चेहरे से थकन नोचती है
- लकी फ़ारुक़ी हसरत
सुब्ह दो ख़ामोशियों को चाय पीते देख कर
गुनगुनी सी धूप उतरी प्यालियों में आ गई
- गौतम राजऋषि
हँस पड़ी शाम की उदास फ़ज़ा
इस तरह चाय की प्याली हँसी
- बशीर बद्र

हम इतनी गर्म-जोशी से मिले थे
हमारी चाय ठंडी हो गई थी
- ख़ालिद महबूब
हम जहाँ चाय पीने जाते थे
क्या वहाँ अब भी आया करते थे
- वसी शाह
हमेशा ठंडी हो जाती थी चाय बातों बातों में
वो बातें जो इन आँखों से किया करते थे हम दोनों
- हसन अब्बासी
हलवा मिलना है पर नहीं मिलता
चाय आनी है पर नहीं आती
- शौकत परदेसी

हवा गरम, फ़िज़ा गरम, दयार भी गरम-गरम
मैं पी रहा हूँ चाय-सी, ये ज़िंदगी गरम-गरम
- रंजीत भट्टाचार्य
हैं दस्तरस में अभी भी 'ताहिर' उठा के अब इस को पी भी डालो
मुशाहिदों में ही हो गई गर ये ठंडी चाय तो क्या करोगे
- ताहिर अदीम
अकेले चाय भी पीना मुहाल लगता है
- सय्यद अहमद
अब ये क्या बात हुई गाल को चूमूँ लब नइँ
यानी हम चाय पिये वो भी बिना चीनी के
- नीरज नीर
अब शराब-ए-ख़ाम हो उनकी बनाई चाय हो
मय मिले या चाय बस पीना पिलाना चाहिए
- आदित्य मौर्या
आ गया था एक शायर दोस्त पाकिस्तान से
चाय से ठहरा रहा व्हिस्की पिलाने से गया
- खालिद इरफ़ान
आ तिरे संग ज़रा पेंग बढ़ाई जाए
ज़िंदगी बैठ तुझे चाय पिलाई जाए
- शमीम अब्बास
आ मेरे साथ बैठ मिरे साथ चाय पी
आ मेरे साथ मेरे दलाइल पे बात कर
- जब्बार वासिफ़
आज उसके गाल चूमे हैं तो अंदाजा हुआ
चाय अच्छी है मगर थोडा सा मीठा तेज है
- तहज़ीब हाफ़ी
आज तो जैसे दिन के साथ दिल भी ग़ुरूब हो गया
शाम की चाय भी गई मौत के डर के साथ साथ
- इदरीस बाबर
आज फिर चाय बनाते हुए वो याद आया
आज फिर चाय में पत्ती नहीं डाली मैं ने
- तरुणा मिश्रा
आज मौसम भी ख़ूब ठहरा है
एक चाय का कप बनाओ तो
- सफ़ीया चौधरी
इक गर्म बहस चाट गई वक़्ते-मुक़र्रर
मुद्दे जो थे वो चाय के प्यालों में रह गए
- फ़ानी जोधपुरी
इक हाथ में मेरे चाय का कप इक हाथ में मेरे हाथ तिरा
हाथों को तलब है हाथों की और दिल को तलब है साथ तिरा
- महवर सिरसिवी
इक-दूजे को जाहिल समझें नट-खट बुद्धीवान
मेट्रो में जो चाय पिलाए बस वो बाप समान
- हबीब जालिब
इतनी दिलकश थी गुफ़्तगू उसकी
चाय का कप भी सुन रहा था उसे
- हाशिम रज़ा जलालपुरी
इन्ही दिनों वो मिरे साथ चाय पीता था
कहीं से काश मिरा पिछ्ला साल आ जाए
- वसी शाह
इस क़दर मैं खो गया यादों में उस की
चाय ठंडी हो गयी कब की प्याली में
- ए आर साहिल अलिग
उदासी ख़ून में घुल जाएगी फिर
उसे तू चाय की प्याली में मत रख
- प्रताप सोमवंशी
उस का ख़याल दिल में घड़ी दो घड़ी रहे
फिर इस के ब'अद मेज़ पे चाय पड़ी रहे
- ज़करिय़ा शाज़
उस का मीठा सा इक इशारा था,
उस ने बोसे का नाम चाय रखा
- सरफराज़ नवाज़
उसकी जूठी चाय का नशा काफी है,
अब बोतल को हाथ लगाना ठीक नहीं
- आदिल रशीद
उसने इक रोज़ बनाई थी, कभी मेरे लिए,
बस उसी रोज़ से, मुझे 'चाय' से मोहोब्बत है
- सौरभ सदफ़
उसने चलते चलते लफ़्ज़ों का ज़हराब
मेरे जज़्बों की प्याली में डाल दिया
- अब्दुर्रहीम नश्तर
उससे बचपन से मुहब्बत थी,कभी कह न सका,
ज़िन्दगी भर चाय का पानी उबलता रह गया
- असीम क़मर
एक गुण मिल गया पैंतिस हैं बचे,
चाय दोनों को पसंद है, शुक्र है
- अमूल्य मिश्रा
एक तेरी कमी मिटाने को,
चाय के कप मैं दो मंगाता हूं
- अमित झा राही
एक मुझे ख़्वाब देखने के सिवा
चाय पीने की गंदी आदत है
- बालमोहन पांडेय
एवज़ सिगरेट के सिगरेट चाय के चाय
महीनों से हमारी दोस्ती है
- सैय्यद सफ़दर
ऐसी चाय कभी न पी मैं ने
सच बता तू ने इस में क्या डाला
- अरशद महमूद अरशद
और हमें दरकार है क्या गर चीज़ें चार मयस्सर हों,
तेरी फोटो, मीर की ग़ज़लें, चाय की प्याली, हरियाली
- वाशु पांडे
कई झमेलों में उलझी सी बद-मज़ा चाय
उदास मेज़ पे दफ़्तर के काग़ज़ात का दुख
- साइमा आफ़्ताब
कभी काली चाय कभी गोरी चाय
बना कर निवाले खिलाती हैं अम्मी
- अब्दुल बारी आरिफ़ जमाली
कभी लब पे ठहर जाए अगर वो नाम इक पल को,
हमारी चाय में घुल कर उसी का स्वाद आ जाए
- मनीषा शुक्ला
कभी वो चाँदनी में अपना यूँ ही घूमते रहना
कभी वो चाय की मेज़ों पे घंटों बैठना सब का
- ख़लील-उर-रहमान आज़मी
कभी शरीफ़ के होटल पे रुक के पी ली चाय
मुझे शरीफ़ से मतलब न कुछ सुनंद से काम
- हबीब तनवीर
करना पड़ा जो दफ़न का ता-सुब्ह इंतिज़ार
मय्यत के पास चलती रही चाय बार बार
- नश्तर अमरोहवी
किन ख़यालात में यूँ रहती हो खोई खोई
चाय का पानी पतीली में उबल जाता है
- कफ़ील आज़र अमरोहवी
किसी ज़माने में महँगा नहीं था इश्क़ मियाँ,
कि चाय ढाई की आती थी साढे सात के फूल
- वरुण आनंद
किसी दिन चाय पर आना तुम्हारा ख़ैर-मक़दम है,
मेरे हालात पर जो रहम खाना हो तो मत आना
- रेनू नय्यर
किसी ने रख दिया हो आग पर जलता हुआ मुझ को
मचलता है मेरा दिल इस तरह कुछ चाय के ख़ातिर
- आवेश सय्यद
कुछ होश नहीं मुझ में रहा जब से पिलाई
उस नर्गिस-ए-मख़मूर की साक़ी ने प्याली
- आफ़ताब शाह आलम सानी
क़ुमक़ुमों की तरह क़हक़हे जल बुझे
मेज़ पर चाय की प्यालियाँ रह गईं
- ख़ालिद अहमद
कोई तो हो जो जबीं चूमकर ये हमसे कहे
चाय का कप ये रखा है चलो अब उठ जाओ
- अहमद फज़ल खान
ख़ुशबू तो अब भी वही थी चाय में
तेरे बिन जाने मगर कैसी लगी
- जय तिवारी
गदले पानी से धुलते स्टेशन पर किस को
गर्मा-गर्म सी चाय का पियाला ढूँड रहा है
- इदरीस बाबर
ग़मों की सर्द रोटियों के साथ चाय की तरह
तू कम से कम परोस दे मुझे हंसी गरम-गरम
- रंजीत भट्टाचार्य
गर जाम दे रहे हैं तो करिए मुझे मुआफ़,
गर चाय दे रहे हैं तो दो बार दीजिए
- तनोज दाधीच
गुज़र रहा है महीने का आखरी हफ्ता,
पिला सका ना तुझे चाय कुछ मलाल ना कर
- निजामुद्दीन निज़ाम
घी मिस्री भी भेज कभी अख़बारों में
कई दिनों से चाय है कड़वी या अल्लाह
- निदा फ़ाज़ली
चख के दोनों को ये हुआ मालूम,
होंठ मीठे है चाय फीकी है
- लकी फारुकी
चखना है ज़ायका मुझे लब का,
आपके कप से चाय पीनी है
- तारिक जमाल अंसारी
चलो अब हिज़्र के किस्सों को छोड़ो,
तुम्हारी चाय ठंडी हो रही है
- जुबैर अली ताबिश
चाँद है कहकशाँ है तारे हैं
कोई शय नामा-बर नहीं होती
- इब्न-ए-इंशा
चाय की प्यालियों से उठेगी नई महक
बे-बर्ग टहनियों पे नया रंग आएगा
- मरातिब अख़्तर
चाय की प्याली में तस्वीर वही है कि जो थी
यूँ चले जाने से मेहमान कहाँ जाता है
- शाहीन अब्बास
चाय की प्याली में नीली टेबलेट घोली
सहमे सहमे हाथों ने इक किताब फिर खोली
- बशीर बद्र
चाय की बरकत से ख़ाली हैं
देर में अक्सर उठने वाले
- सुहैल आज़ाद
चाय के आ'शिक़ को भी मय-ख़्वार होना चाहिए?
यानी तुम सा ही मुझे बेकार होना चाहिए
- जय प्रकाश नारायण पांडे
चाय के कप में उबली
अख़बारों की सुर्ख़ी धूप
- सतपाल ख्याल
चाय के तल्ख़ घूँट से उठता हुआ ग़ुबार
वो इंतिज़ार-ए-शाम वो मंज़र कहाँ गया
- सिदरा सहर इमरान
चाय के दो कप, बालकनी और फ़ैज़ की नज़्में,
तुम बिन भी ये मा’मूल हमारा जारी है
- रिजवाना इक़रा
चाय के बारे में कोई राय मत दो यार मुझको
बात समझो इश्क सबसे पूछकर होता नहीं है
- नीरज नीर
चाय दो कप उंडेल कर 'मंसूर'
आज भी उस की राह देखते हैं
- मंसूर महबूब
चाय पीते हुए तेरी आँखें पढ़ें
और फिर तेरी आँखों पे चर्चा करें
- एस एम अफज़ल इमाम
चाय पीते हुये मरेंगे हम
चाय से इस क़दर अकीदत है
- शहजाद कैस
चाय पीते हैं कहीं बैठ के दोनों भाई
जा चुकी है ना? तो बस छोड़! चल आ, जाने दे
- अली ज़रयून
चाय पीना तो इक बहाना था
आरज़ू दिल की तर्जुमानी थी
- ईमान क़ैसरानी
चाय में उस के पिस्ताँ थे
मेरा बदन पानी में था
- आदिल मंसूरी
चाय में डाल कर उश्शाक़ उसे पी जाते
दर-हक़ीक़त लब-ए-माशूक़ जो शक्कर होता
- ज़रीफ़ लखनवी
चाय में पड़ता रहेगा और कितने दिन नमक
बंद कमरे में पढ़ोगी और कितने दिन ख़ुतूत
- कफ़ील आज़र अमरोहवी
चाय मेरे हाथ से गिरने वाली थी
उस ने इस अंदाज़ से घूरा तौबा है
- समीना साक़िब
चाय वो पहली डिश थी जो मैंने,
तेरी ख़ातिर बनाना सीखी थी
- ज्योति अग्रवाल
छोड़ आया था मेज़ पर चाय
ये जुदाई का इस्तिआरा था
- तौक़ीर अब्बास
ज़रा सी चाय गिरी और दाग़ दाग़ वरक़
ये ज़िंदगी है कि अख़बार का तराशा है
- आमिर सुहैल
ज़िक्र तुम्हारा बहुत ज़रूरी इन ग़ज़लों में जानेमन
चाय बिना अदरक को डाले अच्छी थोड़ी बनती है
- तनोज दाधीच
झगड़ा वगडा देखो अच्छी चीज़ नहीं,
तुम मुझ को एक चाय पिलाओ आल इज़ वेल
- काविश रादौलवी
ठंडी चाय की प्याली पी के
रात की प्यास बुझाई है
- रईस फ़रोग़
ताकि मिल जाए इक ऐसा आदमी
चाय पी कर जो सुने ग़ज़लें मिरी
- असरार जामई
ताज़गी मिल गई उम्मीदों को,
उनके हाथों की चाय पीने से
- अब्दुल हमीद बशर
तारे तो तोड़ नहीं सकता
हाँ चाय बना सकता हूँ मैं
- पवन
तुझ में कस-बल है तो दुनिया को बहा कर ले जा
चाय की प्याली में तूफ़ान उठाता क्या है
- शहज़ाद अहमद
तुम उन के लिए जल्द हुक़्क़े मंगाओ
मियाँ भाग कर चाय लिप्टन की लाओ
- राजा मेहदी अली ख़ाँ
तुम्हारे तख़य्युल का ही वक़्त है
तुम्हारी ही यादों की ये चाय है
- कैलाश सिंह राठोड़ बाज़
तुम्हारे साथ मुझको चाय पीना है मगर
ये भी है शर्त कप सिर्फ़ एक होना चाहिए
- कृष्णकांत कब्क
तुम्हारे हाथ की वो चाय इतनी मीठी थी
अभी भी मेरे लबों पर मिठास बाक़ी है
- शज़र अब्बास
तेरी टेंशन में पीना भूल गई
चाय तो सामने रखी हुई थी
- ज़हरा क़रार
तेरे हाथ की चाय तो पी थी
दिल का रंज तो दिल में रहा था
- नासिर काज़मी
तेरे हाथों की चाय पी लूँ तो,
जाम ओ पैमाना रूठ जाते हैं
- डॉ. नासिर अमरोहवी
तेरे होंटों से क्या लगी कॉफी,
चाय ने गिर के ख़ुदकुशी कर ली
- शादाब जावेद
थकन की तल्ख़ियों को अरमुग़ाँ अनमोल देती है
तिरी बोली मिरी चाय में चीनी घोल देती है
- तौफ़ीक़ साग़र
था उसके वास्ते मैं सिर्फ़ चाय का कुल्हड़,
सो उसने फेंक दिया मुझको इस्तेमाल के बाद
- मुसरिफ़ हुसैन मंसूरी
दुर्गत बने है चाय में बिस्कुट की जिस तरह
शादी के बा'द लोगो वही मेरा हाल है
- नश्तर अमरोहवी
देख के खिड़की से बारिश को पागल लड़की
आज भी दो कप चाय बनाने लगती है
- नाहीद अख़्तर बलूच
देखो तो पेट बन गया आख़िर ग़ुबारा गैस का
खाते हो इतना गोश्त क्यों पीते हो इतनी चाय क्यों
- कैफ़ अहमद सिद्दीकी
नाम मेरा याद करके चुस्कियों के बीच में
क्या हुई है चाय के कप में तिरे हलचल कभी
- संदीप ठाकुर
पन्ने पलटते रहते हैं अखबार के हम इन दिनों
आती नही अब चाय टेबल पर जो तेरे हाथ की
- कारन सिंह राजपूत
प्याली चाय की पी ख़बरें देखीं नाश्ता पर
सुबूत बैठे बसीरत का अपनी देते रहे
- अख़्तरुल ईमान
बद-गुमानी को किया चाय पिला कर रुख़्सत
नाश्ते का भी तलबगार नहीं होने दिया
- मन्नान बिजनोरी
बरसते अब्र, भीगा लम्स, धुंधली शाम के साए,
तसव्वुर के ही ढाबे में चलो इक चाय हो जाए
- गज़ाला तबस्सुम
बस एक रस्म-ए-तअल्लुक़ निभाने बैठे हैं
वगरना दोनों के कप में ज़रा भी चाय नहीं
- वसीम नादिर
बहाना कर के दर्द-ए-सर का अक्सर लेट जाती हैं
न हो नौकर अगर घर में तो हम चाय बनाते हैं
- राजा मेहदी अली ख़ाँ
बिखरता जाता है कमरे में सिगरटों का धुआँ
पड़ा है ख़्वाब कोई चाय की प्याली में
- नज़ीर क़ैसर
बिला-शक चाय मैं अच्छी बनाती,
अगर वो मेरे घर मेहमान होता
- अंजलि सिंह
बिस्तर में एक चाँद तराशा था लम्स ने
उस ने उठा के चाय के कप में डुबो दिया
- आदिल मंसूरी
मयकदे सारे बंद हो जाएं
चाय का एक कप गनीमत है
- शहजाद कैस
मेरी उल्फ़त में उसे कर दे तू पागल मौला
मैं कहूँ चाय तो मँगवा दे वो कैम्पा-कोला
- साग़र ख़य्यामी
मेरे लिए तुम्हारा प्यार बिल्कुल वैसा था
जैसे चाय के आख़िरी घूँट में दूसरे कप की तलब
- गीताञ्जलि राय
मैं उस की चाय की प्याली थी लेकिन
उसे पीने की जुरअत ही नहीं थी
- रख़शां हाशमी
मैं कहीं गुम हूँ आजकल शायद
जल गए होंठ चाय पीते हुए
- मुकेश झा
मैं ने चाय जो पेश की थी उसे
इक तकल्लुफ़ में पड़ गया था वो
- कँवल मलिक
मैं ने पूछा है कि चाय के लिए वक़्त कोई
हँस के बोली है इशारे से घड़ी ठीक नहीं
- इमरान राहिब
मैं, चाय, किताबें, ये ग़मे-हिज्र वगैरह,
रक्खे हैं तेरे आज भी सामान, गले मिल
- सरगम
यही तो वक़्त है दोनों के एक होने का,
कि दोनों चाय पिएंगे और एक प्याली है
- हसीब सोज़
ये कैसे रास्ते से लेके तुम मुझको चले आए,
कहा का मैकदा इक चायखाना तक नहीं आया !
- मुनव्वर राना
ये मेहमान-नवाज़ी है या और है कुछ
मेरे लिए वो चाय बना के लाई है
- वसी शाह
ये शराबें फक़त हैं लाल नशा,
चाय पी चाय है हलाल नशा
- अली शारीक़
रंग बदले जा रही है चाय अब
पत्तियाँ घुलने लगी है इश्क़ की
- आदिल सुलेमान
रंग में हैं सारे घर वाले खनक रहे हैं चाय के प्याले
दुनिया जाग चुकी है लेकिन अपना सवेरा नहीं हुआ है
- शारिक़ कैफ़ी
रात एक पिक्चर में, शाम एक होटल में, बस यही बसीले थे
मेज़ के किनारे पर, चाय की पियाली में, उसकें होंठ रक्खे थे
- निश्तर ख़ानक़ाही
लोग खाते हैं गोलियाँ "अकबर"
हम को चाय सुकून देती है
- अकबर रिज़वी
वक्त देना जब कोई मेरी तरह,
चाय पी कर भी अगर बैठा रहे
- शारीक़ कैफ़ी
वो चली आई थी मिलने के लिए ख़ल्वत में
अपने हाथों से उसे चाय बना दी मैं ने
- अली क़ैसर
वो चाय की प्याली पे यारों के जलसे
वो सर्दी की रातें वो ज़ुल्फ़ों के क़िस्से
- आबिदुल्लाह ग़ाज़ी
वो चाय पी रहा था किसी दूसरे के साथ
मुझ पर निगाह पड़ते ही कुछ झेंप सा गया
- आदिल मंसूरी
वो जो चुपके से चुरा कर ले गई मुझको कहीं
मैं पिलाता चाय उसको, मौत कहकर आती तो
- संदीप सिंह चौहान शफक
वो मोहब्बत अगर नहीं थी 'हसन'
उस ने चाय में क्या मिलाया था
- हसन ज़हीर राजा
शकर के बदले नमक चाय में मिलाती हूँ
वो कह रही थी कि नंगी कलाइयाँ मेरी
- कफ़ील आज़र अमरोहवी
शब ढली उठने लगे होटल से लोग
चाय का ये दौर इस के नाम पर
- नासिर शहज़ाद
शाइरी, चाय, तेरी याद चमकते जुगनू,
बस यही चार तलब रोज़ मेरी शाम के हैं
- संजू शब्दिता
शाम की चाय उन के साथ पियूँ
दिल की हसरत बहुत पुरानी है
- दिनेश कुमार
शाम की चाय का वादा वो उधर भूल गए
हम इधर सुब्ह से तय्यार हुए बैठे हैं
- पिन्हाँ
शाम ढले इक लॉन में सारे बैठ के चाय पीते थे
मेज़ हमारा घर का था कुर्सी सरकारी होती थी
- जानाँ मलिक
शे'र जैसा भी हो इस शहर में पढ़ सकते हो
चाय जैसी भी हो आसाम में बिक जाती है
- मुनव्वर राना
सख़्त सर्दी में चाय ऑर्डर की
हम ने मौसम से ले लिया बदला
- ईमान क़ैसरानी
सब प्यासे है सबका अपना ज़रिया है, बढ़िया है
हर कुल्हड़ में छोटा-मोटा दरिया है, बढ़िया है
- राहत इन्दौरी
सर्द हवाएँ, ये दिसम्बर और उसकी याद
आग लगे सबको, चलो चाय पीते हैं
- नदीम खान काविश
सस्ते में उन को भूलना अच्छा लगा है आज
चाय का एक घूँट भी काफ़ी रहा है आज
- इमरान राहिब
सामने रख के चाय की प्याली
चुस्की चुस्की तिरी कमी चक्खी
- नाहीद अख़्तर बलूच
सिगरटें चाय धुआँ रात गए तक बहसें
और कोई फूल सा आँचल कहीं नम होता है
- वाली आसी
सिगरेट की शक्ल में कभी चाय की शक्ल में
इक प्यास है कि जिसको पिये जा रहे हैं हम
- अमीर इमाम
सिगरेट है मैं हूं चाय का इक कप है साथ में,
ऐसे में तेग़ी...तेरी जरूरत रही मुझे
- बिलाल तेघी
सिगरेट, गिलास, चाय का कप और नन्हा लैंप
सामाने-शौक़ हैं ये बहम मेरी मेज़ पर
- ज़हीर ग़ाज़ीपुरी
सुब्ह की चाय में होती है वो तासीर ग़ज़ब
जो गई रात के चेहरे से थकन नोचती है
- लकी फ़ारुक़ी हसरत
सुब्ह दो ख़ामोशियों को चाय पीते देख कर
गुनगुनी सी धूप उतरी प्यालियों में आ गई
- गौतम राजऋषि
हँस पड़ी शाम की उदास फ़ज़ा
इस तरह चाय की प्याली हँसी
- बशीर बद्र

हम इतनी गर्म-जोशी से मिले थे
हमारी चाय ठंडी हो गई थी
- ख़ालिद महबूब
हम जहाँ चाय पीने जाते थे
क्या वहाँ अब भी आया करते थे
- वसी शाह
हमेशा ठंडी हो जाती थी चाय बातों बातों में
वो बातें जो इन आँखों से किया करते थे हम दोनों
- हसन अब्बासी
हलवा मिलना है पर नहीं मिलता
चाय आनी है पर नहीं आती
- शौकत परदेसी

हवा गरम, फ़िज़ा गरम, दयार भी गरम-गरम
मैं पी रहा हूँ चाय-सी, ये ज़िंदगी गरम-गरम
- रंजीत भट्टाचार्य
हैं दस्तरस में अभी भी 'ताहिर' उठा के अब इस को पी भी डालो
मुशाहिदों में ही हो गई गर ये ठंडी चाय तो क्या करोगे
- ताहिर अदीम
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