माँ पर कुछ शेर / माँ पर शायरी जीवन की शुरुवात में जो हमसे जुडी रहती है वो है माँ | माँ पर लिखने जाये तो कई किताबे भर जायेगी फिर भी लिखने को काफी कुछ..
जीवन की शुरुवात में जो हमसे जुडी रहती है वो है माँ | माँ पर लिखने जाये तो कई किताबे भर जायेगी फिर भी लिखने को काफी कुछ बाकी रह जायेगा | आप सभी के लिए हम लाये है कुछ चुने हुए शेर
मैं ने इक बार कहा था मुझे डर लगता है
- अब्बास ताबिश
माँ बाप और उस्ताद सब हैं ख़ुदा की रहमत
है रोक-टोक उन की हक़ में तुम्हारे ने'मत
- अल्ताफ़ हुसैन हाली
माँ मुझे देख के नाराज़ न हो जाए कहीं
सर पे आँचल नहीं होता है तो डर होता है
- अंजुम रहबर

माँ ने लिखा है ख़त में जहाँ जाओ ख़ुश रहो
मुझ को भले न याद करो घर न भूलना
- अजमल अजमली
सब ने माना मरने वाला दहशत-गर्द और क़ातिल था
माँ ने फिर भी क़ब्र पे उस की राज-दुलारा लिक्खा था
- अहमद सलमान

शहर में आ कर पढ़ने वाले भूल गए
किस की माँ ने कितना ज़ेवर बेचा था
- असलम कोलसरी
भारी बोझ पहाड़ सा कुछ हल्का हो जाए
जब मेरी चिंता बढ़े माँ सपने में आए
- अख़्तर नज़्मी
तिफ़्ल में बू आए क्या माँ बाप के अतवार की
दूध तो डिब्बे का है तालीम है सरकार की
- अकबर इलाहाबादी
जो समय पर ये बच्चे ना आने लगे,
अपने माँ बाप का दिल दुखाने लगे |
- अर्पित शर्मा अर्पित
माँ के रहने पर ही पत्थर पर असर होता है
झोपडी हो या क़िला तब कही घर होता है
- आतिश इंदौरी
मेरी पहचान इतनी सी है बस
माँ कि आँखों का लाडला हूँ मै
- आतिश इंदौरी
घर के दालान में था जो उस शज़र को काट डाला
बच्चो ने बटवारे में माता पिता को बात डाला
- आतिश इंदौरी
माँ की दुआ न बाप की शफ़क़त का साया है
आज अपने साथ अपना जनम दिन मनाया है
- अंजुम सलीमी
माँ दवा दारु तेरी कैसे कराऊ
बीबी कहती है कि बेटे और भी तो है
- आतिश इंदौरी
चैन से सोया भूखे पेट अक्सर
बात ऐसी थी माँ की लोरी में
चहचहाते थे पंछी खिलते थे गुल
ये करिश्मा था माँ की बोली में
सिर्फ सोने का है दिखावा बस
नींद आती थी माँ की गोदी में
- आतिश इंदौरी
पोटली... जिसके लिए लड़ने लगी औलादे
माँ की उस पोटली में अधबुने फंदे निकले
- आतिश इंदौरी
दुःख थे पर्वत, राई अम्मा
हारी नहीं लड़ाई अम्मा
-प्रो.योगेश छिब्बर
गुज़श्त दिन के हवादिस का ज़िक्र करती है
उदास शाम बहुत मेरी फ़िक्र करती है
- मयंक अवस्थी
उसने खुद़ को खोकर मुझमें, एक नया आकार लिया है,
धरती अंबर आग हवा जल, जैसी ही सच्चाई अम्मा
- आलोक श्रीवास्तव
बाबू जी गुज़रे, आपस में-सब चीज़ें तक़सीम हुई तब
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से आई अम्मा
- आलोक श्रीवास्तव
घर में झीने रिश्ते मैंने लाखों बार उधड़ते देखे,
चुपके चुपके कर देती है जाने कब तुरपाई अम्मा
- आलोक श्रीवास्तव
मुझे मालूम है मां की दुआएं साथ चलती हैं,
सफ़र की मुश्किलों को हाथ मलते मैंने देखा है
- आलोक श्रीवास्तव
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है
- मुनव्वर राना

ऐ अँधेरे देख ले, मुह तेरा काला हो गया
माँ ने आखे खोल दी, घर में उजाला हो गया
- मुनव्वर राना
अभी जिन्दा है माँ मेरी, मुझे कुछ भी नहीं होगा,
में घर से जब निकलता हु, दुआ भी साथ चलती है
- मुनव्वर राना
माँ पर लिखे मुनव्वर राना के कुछ शेर
घर से निकले हुए बेटों का मुक़द्दर मालूम
माँ के क़दमों में भी जन्नत नहीं मिलने वाली
- इफ़्तिख़ार आरिफ़
दुआ को हाथ उठाते हुए लरज़ता हूँ
कभी दुआ नहीं माँगी थी माँ के होते हुए
- इफ़्तिख़ार आरिफ़
एक लड़का शहर की रौनक़ में सब कुछ भूल जाए
एक बुढ़िया रोज़ चौखट पर दिया रौशन करे
- इरफ़ान सिद्दीक़ी
बूढ़ी माँ का शायद लौट आया बचपन
गुड़ियों का अम्बार लगा कर बैठ गई
- इरशाद ख़ान ‘सिकंदर’
मुद्दतों ब'अद मयस्सर हुआ माँ का आँचल
मुद्दतों ब'अद हमें नींद सुहानी आई
- इक़बाल अशहर
वो लम्हा जब मेरे बच्चे ने माँ पुकारा मुझे
मैं एक शाख़ से कितना घना दरख़्त हुई
- हुमैरा रहमान
बेसन की सोंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी माँ
याद आती है चोका बासन, चिमटा फुकनी जैसी माँ
बीवी, बेटी, बहन, पड़ोसन थोड़ी थोड़ी सी सब में,
दिन भर एक रस्सी के ऊपर चलती नटनी जैसी माँ
बाट के अपना चेहरा, माथा, आँखे जाने कहा गई
फटे पुराने एक एलबम में चंचल लड़की जैसी माँ
- निदा फ़ाज़ली
मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार
दुख ने दुख से बातें की बिन चिट्ठी बिन तार
- निदा फ़ाज़ली
हजारो लफ्ज़, हजारो किताब दे देंगे
में तुझको लिखू तो कागज जवाब दे देंगे
- राहत इन्दौरी
न लफ्ज़ तुझसे बड़े है, न सोच तुझसे बड़ी
में तेरे वास्ते कुछ भी तो नहीं लिख सकता
- राहत इन्दौरी
शायद यूँही सिमट सकें घर की ज़रूरतें
तनवीर' माँ के हाथ में अपनी कमाई दे
- तनवीर सिप्रा
ऐ रात मुझे माँ की तरह गोद में ले ले
दिन भर की मशक़्क़त से बदन टूट रहा है
- तनवीर सिप्रा
बहन की इल्तिजा माँ की मोहब्बत साथ चलती है
वफ़ा-ए-दोस्ताँ बहर-ए-मशक़्कत साथ चलती है
- सय्यद ज़मीर जाफ़री
जब चली ठंडी हवा बच्चा ठिठुर कर रह गया
माँ ने अपने ला'ल की तख़्ती जला दी रात को
- सिब्त अली सबा
किताबों से निकल कर तितलियाँ ग़ज़लें सुनाती हैं
टिफ़िन रखती है मेरी माँ तो बस्ता मुस्कुराता है
- सिराज फ़ैसल ख़ान
बोसे बीवी के, हँसी बच्चों की, आँखें माँ की
क़ैद-ख़ाने में गिरफ़्तार समझिए हम को
- फ़ुज़ैल जाफ़री
दूर रहती हैं सदा उन से बलाएँ साहिल
अपने माँ बाप की जो रोज़ दुआ लेते हैं
- मोहम्मद अली साहिल

घर लौट के रोएँगे माँ बाप अकेले में
मिट्टी के खिलौने भी सस्ते न थे मेले में
- क़ैसर-उल जाफ़री
इस लिए चल न सका कोई भी ख़ंजर मुझ पर
मेरी शह-रग पे मिरी माँ की दुआ रक्खी थी
- नज़ीर बाक़री
तहलील ( मेरी माँ) अख्तर-उल-ईमान
मैं ने माँ का लिबास जब पहना
मुझ को तितली ने अपने रंग दिए
- फ़ातिमा हसन
सामने माँ के जो होता हूँ तो अल्लाह अल्लाह
मुझ को महसूस ये होता है कि बच्चा हूँ अभी
- महफूजुर्रहमान आदिल
सुरूर-ए-जाँ-फ़ज़ा देती है आग़ोश-ए-वतन सब को
कि जैसे भी हों बच्चे माँ को प्यारे एक जैसे हैं
- सरफ़राज़ शाहिद
अब इक रूमाल मेरे साथ का है
जो मेरी वालिदा के हाथ का है
- सय्यद ज़मीर जाफ़री
हो जितना दुःख फिर भी माँ तो
तुलसी खाकर ठीक करेगी
- डॉ. जिया उर रहमान जाफरी
फूल खुशबू चमक तितलियां आ गईं
माँ के घर जब सभी बेटियाँ आ गईं
- डॉ. जिया उर रहमान जाफरी
कसम उस मौत की, उठती जवानी में जो आती है
उरूसे-नौ को बेवा, माँ को दीवाना बनाती है
- जोश मलीहाबादी
माँ लघुकथा - महावीर उत्तरांचली
माँ की ख़्वाहिश पे चलोगे तो दुआ पाओगे
हर तरफ़ अपने मुआफ़िक़ ही हवा पाओगे
यूँ अगर मिट भी गए तुम तो बक़ा पाओगे
वरना मरने को तो मर जाओगे क्या पाओगे
- कृष्ण बिहारी नूर
माँ की आग़ोश में कल मौत की आग़ोश में आज
हम को दुनिया में ये दो वक़्त सुहाने से मिले
- कैफ़ भोपाली
टूटी खटिया, बिस्तर, कपड़े कौन रखे
बांट के अपनी माँ के ज़ेवर ख़ुश हैं सब
- राज़िक़ अंसारी
जब से गई है माँ मेरी, रोया नहीं
बोझिल हैं पलकें फिर भी मैं सोया नहीं
- कवी कुलवंत सिंह
खुद की लाचारी में एक मां का कलपना देखा
आंखों से अश्क नहीं खून का टपकना देखा
- शकुंतला सरूपरिया
कितना आसान है, बेटी का यूं मरना देखा
कोख में कत्ल हुई, बेटी का तड़पना देखा
- शकुंतला सरूपरिया
पर क्या लगे के घोसलो से उड़ गए सभी
वो फिर अकेली रह गई बच्चो को पाल कर
- उमर कामरान
माँ पर कुछ शेर / माँ पर शायरी
एक मुद्दत से मिरी माँ नहीं सोई ताबिशमैं ने इक बार कहा था मुझे डर लगता है
- अब्बास ताबिश
माँ बाप और उस्ताद सब हैं ख़ुदा की रहमत
है रोक-टोक उन की हक़ में तुम्हारे ने'मत
- अल्ताफ़ हुसैन हाली
माँ मुझे देख के नाराज़ न हो जाए कहीं
सर पे आँचल नहीं होता है तो डर होता है
- अंजुम रहबर

माँ ने लिखा है ख़त में जहाँ जाओ ख़ुश रहो
मुझ को भले न याद करो घर न भूलना
- अजमल अजमली
सब ने माना मरने वाला दहशत-गर्द और क़ातिल था
माँ ने फिर भी क़ब्र पे उस की राज-दुलारा लिक्खा था
- अहमद सलमान

शहर में आ कर पढ़ने वाले भूल गए
किस की माँ ने कितना ज़ेवर बेचा था
- असलम कोलसरी
भारी बोझ पहाड़ सा कुछ हल्का हो जाए
जब मेरी चिंता बढ़े माँ सपने में आए
- अख़्तर नज़्मी
तिफ़्ल में बू आए क्या माँ बाप के अतवार की
दूध तो डिब्बे का है तालीम है सरकार की
- अकबर इलाहाबादी
जो समय पर ये बच्चे ना आने लगे,
अपने माँ बाप का दिल दुखाने लगे |
- अर्पित शर्मा अर्पित
माँ के रहने पर ही पत्थर पर असर होता है
झोपडी हो या क़िला तब कही घर होता है
- आतिश इंदौरी
मेरी पहचान इतनी सी है बस
माँ कि आँखों का लाडला हूँ मै
- आतिश इंदौरी
घर के दालान में था जो उस शज़र को काट डाला
बच्चो ने बटवारे में माता पिता को बात डाला
- आतिश इंदौरी
माँ की दुआ न बाप की शफ़क़त का साया है
आज अपने साथ अपना जनम दिन मनाया है
- अंजुम सलीमी
माँ दवा दारु तेरी कैसे कराऊ
बीबी कहती है कि बेटे और भी तो है
- आतिश इंदौरी
चैन से सोया भूखे पेट अक्सर
बात ऐसी थी माँ की लोरी में
चहचहाते थे पंछी खिलते थे गुल
ये करिश्मा था माँ की बोली में
सिर्फ सोने का है दिखावा बस
नींद आती थी माँ की गोदी में
- आतिश इंदौरी
पोटली... जिसके लिए लड़ने लगी औलादे
माँ की उस पोटली में अधबुने फंदे निकले
- आतिश इंदौरी
दुःख थे पर्वत, राई अम्मा
हारी नहीं लड़ाई अम्मा
-प्रो.योगेश छिब्बर
गुज़श्त दिन के हवादिस का ज़िक्र करती है
उदास शाम बहुत मेरी फ़िक्र करती है
- मयंक अवस्थी
उसने खुद़ को खोकर मुझमें, एक नया आकार लिया है,
धरती अंबर आग हवा जल, जैसी ही सच्चाई अम्मा
- आलोक श्रीवास्तव
बाबू जी गुज़रे, आपस में-सब चीज़ें तक़सीम हुई तब
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से आई अम्मा
- आलोक श्रीवास्तव
घर में झीने रिश्ते मैंने लाखों बार उधड़ते देखे,
चुपके चुपके कर देती है जाने कब तुरपाई अम्मा
- आलोक श्रीवास्तव
मुझे मालूम है मां की दुआएं साथ चलती हैं,
सफ़र की मुश्किलों को हाथ मलते मैंने देखा है
- आलोक श्रीवास्तव
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है
- मुनव्वर राना

ऐ अँधेरे देख ले, मुह तेरा काला हो गया
माँ ने आखे खोल दी, घर में उजाला हो गया
- मुनव्वर राना
अभी जिन्दा है माँ मेरी, मुझे कुछ भी नहीं होगा,
में घर से जब निकलता हु, दुआ भी साथ चलती है
- मुनव्वर राना
माँ पर लिखे मुनव्वर राना के कुछ शेर
घर से निकले हुए बेटों का मुक़द्दर मालूम
माँ के क़दमों में भी जन्नत नहीं मिलने वाली
- इफ़्तिख़ार आरिफ़
दुआ को हाथ उठाते हुए लरज़ता हूँ
कभी दुआ नहीं माँगी थी माँ के होते हुए
- इफ़्तिख़ार आरिफ़
एक लड़का शहर की रौनक़ में सब कुछ भूल जाए
एक बुढ़िया रोज़ चौखट पर दिया रौशन करे
- इरफ़ान सिद्दीक़ी
बूढ़ी माँ का शायद लौट आया बचपन
गुड़ियों का अम्बार लगा कर बैठ गई
- इरशाद ख़ान ‘सिकंदर’
मुद्दतों ब'अद मयस्सर हुआ माँ का आँचल
मुद्दतों ब'अद हमें नींद सुहानी आई
- इक़बाल अशहर
वो लम्हा जब मेरे बच्चे ने माँ पुकारा मुझे
मैं एक शाख़ से कितना घना दरख़्त हुई
- हुमैरा रहमान
बेसन की सोंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी माँ
याद आती है चोका बासन, चिमटा फुकनी जैसी माँ
बीवी, बेटी, बहन, पड़ोसन थोड़ी थोड़ी सी सब में,
दिन भर एक रस्सी के ऊपर चलती नटनी जैसी माँ
बाट के अपना चेहरा, माथा, आँखे जाने कहा गई
फटे पुराने एक एलबम में चंचल लड़की जैसी माँ
- निदा फ़ाज़ली
मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार
दुख ने दुख से बातें की बिन चिट्ठी बिन तार
- निदा फ़ाज़ली
हजारो लफ्ज़, हजारो किताब दे देंगे
में तुझको लिखू तो कागज जवाब दे देंगे
- राहत इन्दौरी
न लफ्ज़ तुझसे बड़े है, न सोच तुझसे बड़ी
में तेरे वास्ते कुछ भी तो नहीं लिख सकता
- राहत इन्दौरी
शायद यूँही सिमट सकें घर की ज़रूरतें
तनवीर' माँ के हाथ में अपनी कमाई दे
- तनवीर सिप्रा
ऐ रात मुझे माँ की तरह गोद में ले ले
दिन भर की मशक़्क़त से बदन टूट रहा है
- तनवीर सिप्रा
बहन की इल्तिजा माँ की मोहब्बत साथ चलती है
वफ़ा-ए-दोस्ताँ बहर-ए-मशक़्कत साथ चलती है
- सय्यद ज़मीर जाफ़री
जब चली ठंडी हवा बच्चा ठिठुर कर रह गया
माँ ने अपने ला'ल की तख़्ती जला दी रात को
- सिब्त अली सबा
किताबों से निकल कर तितलियाँ ग़ज़लें सुनाती हैं
टिफ़िन रखती है मेरी माँ तो बस्ता मुस्कुराता है
- सिराज फ़ैसल ख़ान
बोसे बीवी के, हँसी बच्चों की, आँखें माँ की
क़ैद-ख़ाने में गिरफ़्तार समझिए हम को
- फ़ुज़ैल जाफ़री
दूर रहती हैं सदा उन से बलाएँ साहिल
अपने माँ बाप की जो रोज़ दुआ लेते हैं
- मोहम्मद अली साहिल

घर लौट के रोएँगे माँ बाप अकेले में
मिट्टी के खिलौने भी सस्ते न थे मेले में
- क़ैसर-उल जाफ़री
इस लिए चल न सका कोई भी ख़ंजर मुझ पर
मेरी शह-रग पे मिरी माँ की दुआ रक्खी थी
- नज़ीर बाक़री
तहलील ( मेरी माँ) अख्तर-उल-ईमान
मैं ने माँ का लिबास जब पहना
मुझ को तितली ने अपने रंग दिए
- फ़ातिमा हसन
सामने माँ के जो होता हूँ तो अल्लाह अल्लाह
मुझ को महसूस ये होता है कि बच्चा हूँ अभी
- महफूजुर्रहमान आदिल
सुरूर-ए-जाँ-फ़ज़ा देती है आग़ोश-ए-वतन सब को
कि जैसे भी हों बच्चे माँ को प्यारे एक जैसे हैं
- सरफ़राज़ शाहिद
अब इक रूमाल मेरे साथ का है
जो मेरी वालिदा के हाथ का है
- सय्यद ज़मीर जाफ़री
हो जितना दुःख फिर भी माँ तो
तुलसी खाकर ठीक करेगी
- डॉ. जिया उर रहमान जाफरी
फूल खुशबू चमक तितलियां आ गईं
माँ के घर जब सभी बेटियाँ आ गईं
- डॉ. जिया उर रहमान जाफरी
कसम उस मौत की, उठती जवानी में जो आती है
उरूसे-नौ को बेवा, माँ को दीवाना बनाती है
- जोश मलीहाबादी
माँ लघुकथा - महावीर उत्तरांचली
माँ की ख़्वाहिश पे चलोगे तो दुआ पाओगे
हर तरफ़ अपने मुआफ़िक़ ही हवा पाओगे
यूँ अगर मिट भी गए तुम तो बक़ा पाओगे
वरना मरने को तो मर जाओगे क्या पाओगे
- कृष्ण बिहारी नूर
माँ की आग़ोश में कल मौत की आग़ोश में आज
हम को दुनिया में ये दो वक़्त सुहाने से मिले
- कैफ़ भोपाली
टूटी खटिया, बिस्तर, कपड़े कौन रखे
बांट के अपनी माँ के ज़ेवर ख़ुश हैं सब
- राज़िक़ अंसारी
जब से गई है माँ मेरी, रोया नहीं
बोझिल हैं पलकें फिर भी मैं सोया नहीं
- कवी कुलवंत सिंह
खुद की लाचारी में एक मां का कलपना देखा
आंखों से अश्क नहीं खून का टपकना देखा
- शकुंतला सरूपरिया
कितना आसान है, बेटी का यूं मरना देखा
कोख में कत्ल हुई, बेटी का तड़पना देखा
- शकुंतला सरूपरिया
पर क्या लगे के घोसलो से उड़ गए सभी
वो फिर अकेली रह गई बच्चो को पाल कर
- उमर कामरान
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