इश्क़ के इज़हार पर शायरी

इश्क़ के इज़हार पर शायरी | इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए

इश्क़ के इज़हार पर शायरी

इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए | इश्क़ में इज़हार करना ही सबसे बड़ी जद्दोजहद भरा और मुश्किल होता है और कभी कभी इज़हार हो ही नहीं पाता दिल ही दिल में दबा रह जाता है | और वही इज़हार-ए-इश्क़ की कामयाबी हमें फलक तक पंहुचा देती है इसलिए इन्ही लम्हों को शायरी में पिरोये हुए पेश है इश्क़ के इज़हार पर शायरी |

अच्छी-ख़ासी दोस्ती थी यार हम दोनों के बीच
एक दिन फिर उस ने इज़हार-ए-मोहब्बत कर दिया
- अहमद फ़ज़ल ख़ान



अपनी सारी काविशों को राएगाँ मैं ने किया
मेरे अंदर जो न था उस को बयाँ मैं ने किया
- आज़ाद गुलाटी



आख़िर वो अपने प्यार का इज़हार कर गए
इंकार कर रहे थे जो इक़रार कर गए
- जोहर राना



आज इस का मुझे इज़हार तो कर लेने दो
प्यार है तुम से मुझे प्यार तो कर लेने दो
- ग़ज़ल जाफ़री



इज़हार पे भारी है ख़मोशी का तकल्लुम
हर्फ़ों की ज़बाँ और है आँखों की ज़बाँ और
- हनीफ़ अख़गर



इज़हार-ए-इश्क़ उस से न करना था शेफ़्ता
ये क्या किया कि दोस्त को दुश्मन बना दिया
- मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता



इज़हार-ए-हाल का भी ज़रीया नहीं रहा
दिल इतना जल गया है कि आँखों में नम नहीं
- इस्माइल मेरठी



इश्क़ के इज़हार में हर-चंद रुस्वाई तो है
पर करूँ क्या अब तबीअत आप पर आई तो है
- अकबर इलाहाबादी



इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए
आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए
- मुनव्वर राना



उम्र भर मैं ने तराशे हैं जो पत्थर के सनम
उन से तुम प्यार का इज़हार तो कर लेने दो
- ग़ज़ल जाफ़री



एक दिन कह लीजिए जो कुछ है दिल में आप के
एक दिन सुन लीजिए जो कुछ हमारे दिल में है
- जोश मलीहाबादी



और इस से पहले कि साबित हो जुर्म-ए-ख़ामोशी
हम अपनी राय का इज़हार करना चाहते हैं
- सलीम कौसर



किस से इज़हार-ए-मुद्दआ कीजे
आप मिलते नहीं हैं क्या कीजे
- जौन एलिया



कीजे इज़हार-ए-मोहब्बत चाहे जो अंजाम हो
ज़िंदगी में ज़िंदगी जैसा कोई तो काम हो
- प्रियंवदा इल्हान



कोई मिला ही नहीं जिस से हाल-ए-दिल कहते
मिला तो रह गए लफ़्ज़ों के इंतिख़ाब में हम
- अलीना इतरत



क्या बला थी अदा-ए-पुर्सिश-ए-यार
मुझ से इज़हार-ए-मुद्दआ न हुआ
- हसरत मोहानी



क्या मिला अर्ज़-ए-मुद्दआ से 'फ़िगार'
बात कहने से और बात गई
- फ़िगार उन्नावी



क्यूँ न 'तनवीर' फिर इज़हार की जुरअत कीजे
ख़ामुशी भी तो यहाँ बाइस-ए-रुस्वाई है
- तनवीर सामानी



ज़बाँ ख़ामोश मगर नज़रों में उजाला देखा
उस का इज़हार-ए-मोहब्बत भी निराला देखा
- तौक़ीर अहमद



ज़बान दिल की हक़ीक़त को क्या बयाँ करती
किसी का हाल किसी से कहा नहीं जाता
- अज़ीज़ लखनवी



तुझ से किस तरह मैं इज़हार-ए-तमन्ना करता
लफ़्ज़ सूझा तो मआनी ने बग़ावत कर दी
- अहमद नदीम क़ासमी



तुम्हारे पाँव क़सम से बहुत ही प्यारे हैं
ख़ुदा करे मेरे बच्चों की इन में जन्नत हो
- रफ़ी रज़ा



तू ने जिस बात को इज़हार-ए-मोहब्बत समझा
बात करने को बस इक बात रखी थी हम ने
- अमीर इमाम



दिल पे कुछ और गुज़रती है मगर क्या कीजे
लफ़्ज़ कुछ और ही इज़हार किए जाते हैं
- जलील आली



दिल सभी कुछ ज़बान पर लाया
इक फ़क़त अर्ज़-ए-मुद्दआ के सिवा
- हफ़ीज़ जालंधरी



पुर्सिश-ए-हाल भी इतनी कि मैं कुछ कह न सकूँ
इस तकल्लुफ़ से करम हो तो सितम होता है
- कमाल अहमद सिद्दीक़ी



बस मोहब्बत बस मोहब्बत बस मोहब्बत जानेमन
बाक़ी सब जज़्बात का इज़हार कम कर दीजिए
- फरहत अहसास



मसअला ये नहीं कि इश्क़ हुआ है हम को
मसअला ये है कि इज़हार किया जाना है
- राजेश रेड्डी



मुझ से नफ़रत है अगर उस को तो इज़हार करे
कब मैं कहता हूँ मुझे प्यार ही करता जाए
- इफ़्तिख़ार नसीम



मुझे अब तुम से डर लगने लगा है
तुम्हें मुझ से मोहब्बत हो गई क्या
- जौन एलिया



मुद्दआ इज़हार से खुलता नहीं है
ये ज़बान-ए-बे-ज़बानी और है
- फ़सीह अकमल



मुस्कुराए वो हाल-ए-दिल सुन कर
और गोया जवाब था ही नहीं
- फ़ानी बदायुनी



मैं ने पूछा था कि इज़हार नहीं हो सकता
दिल पुकारा कि ख़बर-दार नहीं हो सकता
- अब्बास ताबिश



मोहब्बतों में सभी कुछ नहीं है ख़ामोशी
कभी कभार तो इज़हार भी ज़रूरी है
- ख़ुर्रम ताहिर



ये कहना था उन से मोहब्बत है मुझ को
ये कहने में मुझ को ज़माने लगे हैं
- ख़ुमार बाराबंकवी



शाइ'री को मिरा इज़हार समझता है मगर
पर्दा-ए-शे'र उठाना भी नहीं चाहता है
- फ़रहत एहसास



सब कुछ हम उन से कह गए लेकिन ये इत्तिफ़ाक़
कहने की थी जो बात वही दिल में रह गई
- जलील मानिकपूरी



साफ़ बता दे जो तू ने देखा है दिन रात
दुनिया के डर से न रख दिल में दिल की बात
- मख़मूर सईदी



सीने से दिल निकाल के हाथों पे रख दिया
मैं ने तो बस कहा था कि धड़कन का शोर है
- नील अहमद



हाए इज़हार कर के पछताए
उस को इक दोस्त की ज़रूरत थी
- कुमार विकास



हाल-ए-दिल क्यूँ कर करें अपना बयाँ अच्छी तरह
रू-ब-रू उन के नहीं चलती ज़बाँ अच्छी तरह
- बहादुर शाह ज़फ़र



हाल-ए-दिल यार को महफ़िल में सुनाएँ क्यूँ-कर
मुद्दई कान इधर और उधर रखते हैं
- लाला माधव राम जौहर



हाल-ए-दिल सुनते नहीं ये कह के ख़ुश कर देते हैं
फिर कभी फ़ुर्सत में सुन लेंगे कहानी आप की
- लाला माधव राम जौहर

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