ऐ दिल तुझे हुआ क्या है
कई बरसो से यह बात चलती आ रही है कि आदमी को दिल से सोचना चाहिए या दिमाग से और कहा जाता है दिल तो पागल है दिल का क्या है ? कई वर्षों के बाद ग़ालिब ने कहादिले नादां तुझे हुआ क्या है
आखिर इस दर्द की दवा क्या है
मै हू मुश्ताक और वो बेजार
या इलाही ये माजरा क्या है ?
ग़ालिब के इस छोटे से सवाल के बाद किसी ने यह सोचा नहीं था कि इस पर इतना बवाल हो जायेगा फिर बाद के शायरों ने तो इस पर आसमान उठा लिया |
मीर तक़ी मीर ने कहा
कोफ़्त से जान लब पे आई है
हमने क्या चोट दिल पे खाई है
दीदनी है शिकस्तगी दिल की
क्या ईमारत गमो ने ढाई है
शायर गुलाम हमदानी मुसहफ़ी ने एलान किया
'मुसहफ़ी' हम तो ये समझते थे के होगा कोई ज़ख़्म
तेरे दिल में तो बहुत काम रफ़ू का निकला
मीर की जबान से
दिल की वीरानी का क्या किस्सा कहे
यह नगर सौ मर्तबा लुटा गया
तो साहिर लुधियानवी ने कहा
भूले से मोहब्बत कर बैठा
नादाँ था बेचारा दिल ही तो है
हर दिल से ख़ता हो जाती है
बिगड़ो न ख़ुदारा दिल ही तो है
दुनिया में हमारा दिल ही तो है
तो दाग देहलवी खुदा से कहते है
दिल दे तो इस मिजाज़ का ए परवरदिगार दे
जो रंज की घड़ी भी खुशी में गुज़ार दे
जब उमंगे उठती है दिल में तो सवाल उठता है मीर ने कहा
देख तो दिल कि जाँ से उठता है
ये धुआं सा कहाँ से उठता है
तो जवाब आता है सुदर्शन फाकिर की और से
हम तो समझे थे कि बरसात में बरसेगी शराब
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया
तो दिल को दर्द को अकबर इलाहबादी बताते है
ये दुनिया रंज-ओ-राहत का ग़लत अंदाज़ा करती है
खुदा ही जानता है किस के दिल पर क्या गुज़रती है
जो कही चैन मिला तो शेर सुनाई दिया सीमाब अकबराबादी की और से
अब मुझको है क़रार तो सबको क़रार है
दिल क्या ठहर गया कि ज़माना ठहर गया
तो फिर एक शायर नूर बिजनौरी ने दिल की ताकत का नमूना दिया
जलजला आया वो दिल में वक्त की रफ़्तार से
खुद-बी-खुद तस्वीर तेरी गिर पड़ी दीवार से
ये दिल का मामला हमेशा हलके में लिया गया पर यह तो गंभीर होता चला गया
खवाजा मीर दर्द ने दिल कि कमजोरी को बताते हुए कहा
अगर यो ही ये दिल सताता रहेगा
तो इक दिन मेरा जी ही जाता रहेगा
तो ज़फर गोरखपुरी साहब ने इसकी फितरत पर हैरानी बताई
खुदा ने दिल बनाकर क्या अनोखी शय बनाई है
ज़रा सा दिल है, इस दिल में मगर सारी खुदाई है
मीना कुमारी साहिबा का कहना था
मिटटी का दिल छूने को लोगो ने माथे तोड़े है
तू भी हाथ में तेशा ले ले, तुझ पर यह इलज़ाम सजेगा - मीना कुमारी नाज़
तो कुछ इस तरह अपने-अपने हिसाब से दिल के बारे में शायरों ने कहा पर ये दिल है कि मानता नहीं, कुछ समझता नहीं बस अपनी धुन में रहता है हर शेर दिल के बारे में अपनी अलग कहानी पेश करता है और हर बार दिल के सिर्फ एक पहलु को सामने लेकर आ पाता है | देखते है फिर कुछ चुनिंदा शेरो के साथ |
परवेज़ मुज़फ्फर साहब ने दिल का और रंग बताया कि क्या गुजरती जब आप वतन से दूर हो
देश है चांद उसका नूर हैं हम।
अपनी आज़ादी पे मसूर हैं हम।
नाम पर उस के दिल धड़कता है।
यूं तो हिंदुस्तान से दूर है हम। - परवैज़ मुज़फ़्फ़र
~ देवेन्द्र गेहलोद