पत्तियों का चिड़ियाघर - अरविन्द गुप्ता

पत्तियों का चिड़ियाघर पेड़ों के कपड़े है पत्ते पेड़ उन्हीं को पहने रहते पेड़ों के बस्ते में होते खेल खिलौने सस्ते सस्ते

पत्तियों का चिड़ियाघर

पेड़ों के कपड़े है पत्ते
पेड़ उन्हीं को पहने रहते
पेड़ों के बस्ते में होते
खेल खिलौने सस्ते सस्ते

पत्तों का भी है संसार
पत्तों के है कई प्रकार
हर पत्ते का है आकार
केले बरगद और अनार

पत्तों को छूकर तो देखो
उनसे हाथ मिलाओ तुम
हंसी-खेल में, बातचीत में
उनको मित्र बनाओ तुम

अखबारों की तह के भीतर
उनको नींद सुलाओ तुम
अगर नींद से जाग उठें तो
गुन-गुन गीत सुनाओ तुम

इन सूखे पत्तों से खेलो
मिलकर उन्हें सजाओ तुम
ये सारे दिलचस्प नमुने
कागज़ पर चिपकाओ तुम

पीपल पेट, पूंछ डंडी की
पैर कनेर के, इमली की नाक
हरी घास की लम्बी मूंछ
कहीं बबूल, कहीं पे ढाक

होते हैं बेजान न पत्ते
उनकी होती ख़ास जुबान
कोई पत्ता लगता चेहरा
कोई है चोटी की शान

पेड़ों के पत्तों से बच्चो
बनता सुन्दर चिड़ियाँघर
सैर करो तुम आज उसी की
जल्दी आओ करों सफ़र
- अरविन्द गुप्ता


Pattiyon ka Chidiyaghar

pedon ke kapde hai patte
ped unhin ko pahne rahte
pedon ke baste me hote
khel khilaune saste saste

patton ka bhi hai sansar
patton ke hai kai prakar
har patte ka hai aakar
kele bargad aur anar

patton ko chhukar to dekho
unse hath milao tum
hansi-khel mein, baatchit mein
unko mitra banao tum

akhbaro ki tah ke bheetar
unko neend sulaao tum
agar neend se jaag uthe to
gun-gun geet sunaao tum

in sukhe patton se khelo
milkar unhen sajao tum
ye saare dilchasp namune
kaagaz par chipkao tum

peepal pet, poonchh dandi ki
pair kaner ke, imli ki naak
hari ghaas ki lambi moonchh
kahin babool, kahin pe dhaak

hote hai bejaan n patte
unki hoti khaas jubaan
koi patta lagta chehra
koi hai chhoti ki shaan

pedon ke patton se bachcho
banta sundar chidiyaghar
sair karo tum aaj usi ki
jaldi aao karon safar
- Arvind Gupta

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