उठो भई उठो - श्रीधर पाठक

उठो भई उठो - श्रीधर पाठक हुआ सवेरा जागो भैया, खड़ी पुकारे प्यारी मैया।

उठो भई उठो - श्रीधर पाठक

हुआ सवेरा जागो भैया,
खड़ी पुकारे प्यारी मैया।
हुआ उजाला छिप गए तारे,
उठो मेरे नयनों के तारे।

चिड़िया फुर-फुर फिरती डोलें,
चोंच खोलकर चों-चों बोलें।
मीठे बोल सुनावे मैना,
छोड़ो नींद, खोल दो नैना।

गंगाराम भगत यह तोता,
जाग पड़ा है, अब नहीं सोता।
राम-राम रट लगा रहा है,
सोते जग को जगा रहा है।

धूप आ गई, उठ तो प्यारे,
उठ-उठ मेरे राजदुलारे!
झटपट उठकर मुँह धुलवा लो,
आँखों में काजल डलवा लो।

कंघी से सिर को कढ़वा लो,
औ’ उजली धोती बँधवा लो।
सब बालक मिल साथ बैठकर,
दूध पियो खाने का खा लो।

हुआ सवेरा जागो भैया,
प्यारी माता लेय बलैया।
श्रीधर पाठक


Utho bhai utho

hua sanwera jago bhaiya,
khadi pukare pyari maiya
hua uajal chhip gae tare

chidiya phur-phur phirati dole,
chonch kholkar chon-chon bole
meethe bol sunawe maina
chhodo neend, khol do naina

gangaram bhagat yah tota
jaag pada hai, ab nahin sota
ram-ram rat laga raha hai
sote jag ko jaga raha hai

dhup aa gai, uth to pyare
uth-uth mere rajdulare
jhatpat uthkar mnh dhulwa lo
ankho me kajal dalwa lo

kanghi se sir ko kadhwa lo
o' ujli dhoti bandhwa lo
sab balak mil sath baithkar
dudh piyo khane ka kha lo

hua sanwera jago bhaiya
pyari mata ley balaiya
Shridhar Pathak

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