इक बरस और कट गया 'शारिक़' - शारिक़ कैफ़ी

इक बरस और कट गया 'शारिक़'

इक बरस और कट गया 'शारिक़'
रोज़ साँसों की जंग लड़ते हुए
सब को अपने ख़िलाफ़ करते हुए
यार को भूलने से डरते हुए
और सब से बड़ा कमाल है ये
साँसें लेने से दिल नहीं भरता
अब भी मरने को जी नहीं करता
- शारिक़ कैफ़ी


ik baras aur kat gaya shariq

ik baras aur kat gaya shariq
roj sanso ki jung ladte hue
sab ko apne khilaf karte hue
yaar ko bhulne se darte hue
aur sab se bada kamal hai ye
saanse len se dil nahi bharta
ab bhi marne ko ji nahi karta
- Shariq Kaifi

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