कोयल - महादेवी वर्मा

कोयल - महादेवी वर्मा

डाल हिलाकर आम बुलाता
तब कोयल आती है।
नहीं चाहिए इसको तबला,
नहीं चाहिए हारमोनियम,
छिप-छिपकर पत्तों में यह तो
गीत नया गाती है!

चिक्-चिक् मत करना रे निक्की,
भौंक न रोजी रानी,
गाता एक, सुना करते हैं
सब तो उसकी बानी।

आम लगेंगे इसीलिए यह
गाती मंगल गाना,
आम मिलेंगे सबको, इसको
नहीं एक भी खाना।

सबके सुख के लिए बेचारी
उड़-उड़कर आती है,
आम बुलाता है, तब कोयल
काम छोड़ आती है।
- महादेवी वर्मा


Koyl - Mahadevi Verma

daal hilakar aam bulata
jab koyal aati hai
nahi chahiye isko tabla
nahi chahiye harmonium
chhip-chhipkar patto me yah to
geet naya gaati hai!

chik-chik mat karna re nikki
bhauk n roji rani
gata ek, suna karte hai
sab to uski baani

aam lagenge isliye yah
gati mangal gana
aam milenge sabko, isko
nahin ek bhi khana

sabke sukh ke liye bechari
ud-udkar aati hai
aam bulata hai, tab koyal
kaam chhod aati hai
Mahadevi Verma
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