दुनिया को चमकाए चाँद - श्रीप्रसाद

दुनिया को चमकाए चाँद

सागर में लहराए चाँद
तालों पर मुसकाये चाँद
नदिया की कलकल धारा में
झलमल रूप दिखाये चाँद

सूरज डूबे, आये चाँद
और रोशनी लाए चाँद
बाग-बाग में, फूल-फूल पर
खिल-खिलकर बिछ जाए चाँद

पेड़ों पर झुक आए चाँद
पत्तों पर शरमाए चाँद
छत पर छिटक-छिटककर फैले
आँगन में भर जाए चाँद

मुझको रोज बुलाए चाँद
लेकिन पास न आए चाँद
खिड़की से घुसकर कमरे में
खिल-खिल-खिल आ जाए चाँद

आसमान में आये चाँद
धरती खूब हँसाए चाँद
चम-चम-चम रोशनी बिछाकर
दुनिया को चमकाए चाँद।
- श्रीप्रसाद


duniya ko chamkaye chaand

sagar me lahraye chaand
talo par muskaye chaand
nadiya ki kalkal dhara mein
jhalmal roop dikhaye chaand

suraj dube, aaye chaand
aur roshni laye chaand
baag-baag me, phool-phool par
khil-khilkar bichh jaye chaand

pedo par jhuk aaye chaand
patto par sharmaye chaand
chhat par chhitk-chhitakkar faile
aangan me bhar jaye chaand

mujhko roj bulaye chaand
lekin paas n aaye chaand
khidki se ghuskar kamse mein
khil-khil-khil aa jaye chaand

aasmaan me aaye chaand
dharti khub hasayen chaand
cham-cham-cham roshni bichhakar
duniya ko chamkaye chaand
~ Shriprasad

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