कवि का परिचय
पहन बतूता का जूताऔ' हाथ लिए महंगू की टाई
सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
नंगे बदन पड़े दिखलाई
आगे कपडे उड़े जा रहे थे
पीछे वह दौड रहे थे,
कहते - "बच्चो पकड़ो-पकड़ो
महँगाई की आंधी आयी |"
किन्तु निकलने दिया नहीं
हमको घर से मम्मी डैडी ने,
हमने उन्हें अकेले देखा
करते हवा से हाथापाई
बस्ती जिले से आये है वह
सैतालिस की उम्र है उनकी
सिर पर चाँद लगी है उगने
दाढ़ी-मुछ में लगी मलाई
लेकिन हम बच्चो के संग-संग
वह भी बच्चे बन जाते है,
अक्सर दिखती सूरत उनकी
कक्षा में ज्यो हुई पिटाई
सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
Kavi ka Parichay
pahan batuta ka jutaaur hath liye mahngu ki tai
sarveshwardayal saxena
nange badan pade dikhlai
aage kapde ude ja rahe the
peeche wah daud rahe the
kahte - "Bachcho pakdo-pakdo
mahangaai ki aandhi aayi
kintu niklne diya nahi
hamko ghar se mummy-daddy ne
hamne unhe akele dekha
karte hawa se hathapai
basti jile se aaye hai wah
saitalis ki umr hai unki
sir par chaand lagi hai ugne
dadhi-muchh me lagi malaai
lekin ham bachcho ke sang-sang
wah bhi bchche ban jate hai,
aksar dikhti surat unki
kaksha me jyo hui pitaai
Sarveshwardayal Saxena