दूसरा पहाड़ - सारा शगुफ़्ता

दूसरा पहाड़

ये दूसरा पहाड़ था
जहाँ चीज़ों में मेरी उम्र के कुछ हिस्से पड़े थे
मैं यहाँ से कितनी बे-तरतीब गई थी
और मैं अपना दिन गर्द कर के आ रही थी
सारी चीज़ों ने मुझे गले लगाया
मैं ने छोटे जूते छाबड़ी वाले को फ़रोख़्त कर दिए
और सिक्के हैंगर में पड़े छोटे कपड़ों में डाल दिए
मैं आईने के सामने खड़ी हुई
और अपनी आँखों की झुर्रियाँ गिनने लगी
आग पर परिंदे सेंकने लगी
तो भूक मेरी एड़ी से डर निकली
- सारा शगुफ़्ता


dusra pahaad

ye dusra pahaad tha
jahan cheezo me meri umra ke kuchh hisse padhe the
mai yahan se kitni be-tarteeb gai thi
aur mai apna din gard kar ke aa rahi thi
saari cheezo ne mujhe gale lagaya
mai ne chhote jute chhabdi wale ko farokht kiye
aur sikke hanger me padhe chhote kapdo me daal diye
mai aaine ke samne khadi hui
aur apni aankho ki jhuriyan ginne lagi
aag par parinde senkane lagi
to bhuk meri edi se dar nikli
- Sara Shagufta

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