सुनो न मम्मी बात ज़रा सी
सुनो न मम्मी बात ज़रा सीदेखो मुझको हो गई खांसी
आंख भी देखो नम है मेरा
जमा हुआ बलग़म है मेरा
कुछ -कुछ देखो सर्दी भी है
नाक से आता पानी भी है
दर्द भी कुछ-कुछ बढ़ जाता है
शाम में फीवर चढ़ जाता है
ये सब सुनकर बोली मम्मी
गुस्से में मुंह खोली मम्मी
और शाम तक खेलने जाओ
मफ़लर टोपी नहीं लगाओ
गर्म न कपड़े जब पहनोगे
ठण्ड से कैसे बचे रहोगे
पीते हो तुम फ्रीज़ का पानी
ज़िद में करते हो नादानी
तौर-तरीक़े से जो चलोगे
कभी न तुम बीमार पड़ोगे
- डॉ. जिया उर रहमान जाफरी
suno n mummy baat zara si
suno n mummy baat zara sidekho mujhko ho gayi khasi
aankh bhi dekho nam hai mera
jama hua balgam hai mera
kuch kuch dekho sardi bhi hai
naak se aata paani bhi hai
dard bhi kuch kuch badh jata hai
shaam me fever chadh jata hai
ye sab sunkar boli mummy
gusse me munh kholi mummy
aur sham tak khelne jao
maflar topi nahi lagao
garm n kapde jab pahnoge
thand se kaise bache rahoge
peete ho tum freeze ka pani
zid me karte ho nadani
tour tariko se jo chaloge
kabhi n tum beemar padoge
- Dr Zia Ur Rehman Zafri
परिचयडॉ. जिया उर रहमान जाफरी साहब ने हिन्दी से पी एचडी और एम॰ एड किया है | आप मुख्यतः ग़ज़ल विधा में लिखते है | आप हिन्दी उर्दू और मैथिली की राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में नियमित लेखन करते आ रहे है | आपको बिहार आपदा विभाग और बिहार राजभाषा विभाग से पुरुस्कृत किया जा चूका है |फ़िलहाल आप बिहार सरकार में अध्यापन कार्य कर रहे है |
आपकी मुख्य प्रकाशित कृतियों में खुले दरीचे की खुशबू (हिन्दी ग़ज़ल), खुशबू छू कर आई है (हिन्दी ग़ज़ल) , चाँद हमारी मुट्ठी में है (बाल कविता), परवीन शाकिर की शायरी (आलोचना), लड़की तब हँसती है (सम्पादन) शामिल है |