ध्यान रखेंगे
क्यों सबको कन्फ्यूज़ करेंगेनहीं प्लास्टिक यूज़ करेंगे
पॉलीथिन में जो आता है
कब धरती में गल पाता है
उपजाऊ जो ज़मीं न होगी
खा कर क्या फिर भूख मिटेगी
नहीं अगर जो पेड़ रहेगा
कौन सांस फिर कैसे लेगा
है सेहत भी बहुत ज़रूरी
बिन इसके सब बात अधूरी
गुटखा, खैनी, या मद्य पीना
लिए बीमारी सैंकड़ों जीना
ज़रा - ज़रा जो ध्यान रखेंगे
स्वच्छ भारत का मान रखेंगे
-डॉ. जियाउर रहमान जाफ़री
Dhyan Rakhenge
kyo sabko confuse karengenahi plastic use karenge
polythene me jo aata hai
kab dharti me gal pata hai
upjau jo zameeN n hogi
kha kar kya phir bhookh mitegi
nahi agar jo ped rahega
koun sans phir kaise lega
hai sehat bhi bahut jaruri
bin iske sab baat adhuri
gutkha, khaini, ya madya peena
liye bimari saikdo jeena
zara-zara jo dhyan rakhenge
swachchh bharat ka maan rakhenge
-Dr. Zia Ur Rehman Zafri
परिचयडॉ. जिया उर रहमान जाफरी साहब ने हिन्दी से पी एचडी और एम॰ एड किया है | आप मुख्यतः ग़ज़ल विधा में लिखते है | आप हिन्दी उर्दू और मैथिली की राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में नियमित लेखन करते आ रहे है | आपको बिहार आपदा विभाग और बिहार राजभाषा विभाग से पुरुस्कृत किया जा चूका है |फ़िलहाल आप बिहार सरकार में अध्यापन कार्य कर रहे है |
आपकी मुख्य प्रकाशित कृतियों में खुले दरीचे की खुशबू (हिन्दी ग़ज़ल), खुशबू छू कर आई है (हिन्दी ग़ज़ल) , चाँद हमारी मुट्ठी में है (बाल कविता), परवीन शाकिर की शायरी (आलोचना), लड़की तब हँसती है (सम्पादन) शामिल है |