दादी भी स्मार्ट हुईं
बदल गया है आज ज़मानाबदल गईं हैं दादी भी
पहले वाली नहीं है बंदिश
मिली उन्हें आजादी भी
कंप्यूटर को खोल के ख़ुद से
गूगल तक वो जाती हैं
लिए हाथ में माउस दादी
तनिक नहीं घबराती हैं
फोन वो ख़ुद से डायल कर लें
फोटो भी ले लेती हैं
इंस्टाग्राम में जाकर दादी
बातें भी लिख देती हैं
दादी हंस कर सेल्फी लेती
पोस्ट उसे फिर करती हैं
लाखों लाइक करते उनको
खूब फ्रेश वो रहती हैं
एटीएम में जाकर दादी
पैसे ख़ुद ले आती हैं
और मोबाइल से ख़ुद ही वो
बिजली बिल कटवाती हैं
दौर आज का जैसे बदला
दादी भी स्मार्ट हुईं
मॉल में जाकर शॉपिंग करती
नये भारत का पार्ट हुईं
- डॉ. जिया उर रहमान जाफरी
Dadi bhi smart hui
badal gaya hai aaj jamanabadal gai dadi bhi
pahle wali nahi hai bandish
mili unhe aazadi bhi
Computer ko khol ke khud se
google tak wo jati hai
liye hath me mouse dadi
tanik nahi ghabrati hai
phone wo khud se dial kar le
photo bhi le leti hai
intagram me jakar dadi
baate bhi likh deti hai
dadi hans kar selfi leti
post use phir karti hai
lakho like karte unko
khub fresh wo rahti hai
atm me jakar dadi
paise khud le aati hai
aur mobile se khud hi wo
bijli bil katwati hai
dour aaj ka jaise badla
dadi bhi smart hui
mall me jakar shopping karti
naye bharat ka part hui
-Dr. Zia Ur Rehman Zafri
परिचयडॉ. जिया उर रहमान जाफरी साहब ने हिन्दी से पी एचडी और एम॰ एड किया है | आप मुख्यतः ग़ज़ल विधा में लिखते है | आप हिन्दी उर्दू और मैथिली की राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में नियमित लेखन करते आ रहे है | आपको बिहार आपदा विभाग और बिहार राजभाषा विभाग से पुरुस्कृत किया जा चूका है |फ़िलहाल आप बिहार सरकार में अध्यापन कार्य कर रहे है |
आपकी मुख्य प्रकाशित कृतियों में खुले दरीचे की खुशबू (हिन्दी ग़ज़ल), खुशबू छू कर आई है (हिन्दी ग़ज़ल) , चाँद हमारी मुट्ठी में है (बाल कविता), परवीन शाकिर की शायरी (आलोचना), लड़की तब हँसती है (सम्पादन) शामिल है |