सबकी देखो यही कहानी
सबकी देखो यही कहानीसब कहते हैं पानी -पानी
है ये तो बरसात का मौसम
बारिश वाली रात का मौसम
माना बिजली चमक रही है
बूंद एक न टपक रही है
बादल भी आकाश पे छाता
लेकिन फ़ौरन ही छट जाता
सूख रहे हैं नदियाँ -नाले
बहुत दुखी हैं खेतों वाले
आसमान से आस लगी है
चिड़ियों को भी प्यास लगी है
बूंदें बारिश की जो आती
ख़त्म ये गरमी भी हो जाती
काश अगर हम पेड़ लगाते
होती बारिश खूब नहाते
-जियाउर रहमान जाफ़री
sabki dekho yahi kahani
sabki dekho yahi kahanisab kahte hai pani-pani
hai ye to barsaat ka mousam
baarish wali raat ka mousam
mana bijli chamak rahi hai
boond ek n tapak rahi hai
baadal bhi aakash pe chhata
lekin fauran hi chhat jata
sukh rahe hai nadiyaN-Nale
bahut dukhi hai khetoN wale
aasmaan se aas lagi hai
chidiyo ko bhi pyas lagi hai
bunde baarish ki jo aati
khatm ye garmi bhi ho jati
kaash agar ham ped lagate
hoti baarish khub nahare
-Zia Ur Rahmaan Zafri
परिचयडॉ. जिया उर रहमान जाफरी साहब ने हिन्दी से पी एचडी और एम॰ एड किया है | आप मुख्यतः ग़ज़ल विधा में लिखते है | आप हिन्दी उर्दू और मैथिली की राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में नियमित लेखन करते आ रहे है | आपको बिहार आपदा विभाग और बिहार राजभाषा विभाग से पुरुस्कृत किया जा चूका है |फ़िलहाल आप बिहार सरकार में अध्यापन कार्य कर रहे है |
आपकी मुख्य प्रकाशित कृतियों में खुले दरीचे की खुशबू (हिन्दी ग़ज़ल), खुशबू छू कर आई है (हिन्दी ग़ज़ल) , चाँद हमारी मुट्ठी में है (बाल कविता), परवीन शाकिर की शायरी (आलोचना), लड़की तब हँसती है (सम्पादन) शामिल है |