बंदर ने इक लिया मोबाइल
बंदर ने इक लिया मोबाइलकर दिया उसमें नंबर डायल
बोली उधर बंदरिया हेलो
हाल -चाल है कैसा बोलो
कहा बंदर ने सुन मेरी रानी
आज है थोड़ी सी परेशानी
ऑफिस में कुछ काम है ज़्यादा
मुझको कब आराम है ज़्यादा
देर रात मैं घर पहुँचूँगा
बाक़ी बातें वहीं करूँगा
सुन कर लड़ने लगी बंदरिया
आया जैसे उमड़ हो दरिया
जो मन में वो आया बोली
चाहा जैसे दाग़ा गोली
क्या करता बंदर बेचारा
हो गया खत्म बैलेंस ही सारा
- डॉ. जियाउर रहमान जाफरी
Bandar ne ik liya mobile
Bandar ne ik liya mobilekar diya usme number dial
boli udhar bandariya hello
haal-chaal hai kaisa bolo
kaha bandar ne sun meri raani
aaj hai thodi si pareshani
office me kuch kaam hai jyada
mujhko kab aaraam hai jyada
der raat me ghar pahuchunga
baaki baate wahi karunga
sun kar ladne lagi bandariya
aaya jaise umad ho dariya
jo man me wo aaya boli
chaha jaise daga goli
kya karta bandar bechara
ho gaya khatm balance hi sara
- Dr. Zia Ur Rahman Jafri
परिचयडॉ. जिया उर रहमान जाफरी साहब ने हिन्दी से पी एचडी और एम॰ एड किया है | आप मुख्यतः ग़ज़ल विधा में लिखते है | आप हिन्दी उर्दू और मैथिली की राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में नियमित लेखन करते आ रहे है | आपको बिहार आपदा विभाग और बिहार राजभाषा विभाग से पुरुस्कृत किया जा चूका है |फ़िलहाल आप बिहार सरकार में अध्यापन कार्य कर रहे है |
आपकी मुख्य प्रकाशित कृतियों में खुले दरीचे की खुशबू (हिन्दी ग़ज़ल), खुशबू छू कर आई है (हिन्दी ग़ज़ल) , चाँद हमारी मुट्ठी में है (बाल कविता), परवीन शाकिर की शायरी (आलोचना), लड़की तब हँसती है (सम्पादन) शामिल है |
बहुत सुंदर रचना। शुभकामनाएं।।
बेहतरीन... मेरी बिटिया को बहुत मज़ा आया...