लकीरे - देवेन्द्र देव

लकीरे - देवेन्द्र देव

पत्थरो की लकीरों सी है मेरे हाथ की लकीरे
उभर के मिट जाती है जज्बात की लकीरे

कभी हाथ की लकीरों में तो कभी तुझमे खोजते है हाथ की लकीरे
खुद मिट जाती है तो मिटा जाती है हालात की लकीरे

शहमात का खेल खेलती है जिन्दगी में लकीरे
फिर क्यों उभर आती है बिना बात की लकीरे - देवेन्द्र देव


lakeerenn

pattharo ki lakeeron si hai mere hath ki lakeeren
ubhar ke mit jati hai jazbaat ki lakeeren

kabhi hath ki lakeero me to kabhi tujhme khojte hai hath ki lakeeren
khud mit jati hai to mita jati hai halat ki lakeeren

shahmaat ka khel khelti hai zindagi me lakeeren
phir kyon ubhar aati hai bina baat ki lakeeren - Devendra Dev

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