रेख़्ता पटौलवी के 10 बेहतरीन शेर

रेख़्ता पटौलवी के 10 बेहतरीन शेर



1.
रेख़्ता हाथ में ज़मीं भी नहीं
बात करते हो आसमानों की


2.
ऐ लो अख़बार भी क़ानून भी मुंसिफ़ भी बिके
किस में हिम्मत है हक़ीक़त को हक़ीक़त लिक्खे


3.
हज़ारों आंधियां तूफ़ान आए और गए यारो !
चराग़े रेख़्ता मद्धम सही पर अब भी जलता है


4.
मस्त है तारीख़ अपने हाल में
इसको मुस्तकबिल का अंदाज़ा नहीं


5.
धोखा खाने के हम आदी है किस क़दर
अबके भी उनके धोके में हम आ गए


6.
दस्तूर बन रहे हैं बड़ी धूमधाम से
साज़िश भी हो रही है बड़े एहतिमाम से


7.
एक आलम की नज़रें हैं मुझ पर
और मेरे जाम में ज़रा सी है


8.
मज़लूम को कुछ लोग बुरा कहने लगे हैं
ज़ालिम को बजा कहने का अंदाज़ तो देखो


9.
ख़ुदा ने मुहाफ़िज़ बनाया है इनको
सताएं ना फ़ूलों को, ख़ारों से कह दो


10.
अपनी शोहरत अपनी कुर्सी अपना मतलब है अज़ीज़
क़ौम से क्या लेना, थोड़ी सी रवादारी बहुत

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