सलमान अख्तर लाजवाब शायर

सलमान अख्तर लाजवाब शायर

सलमान अख्तर लाजवाब शायर

सलमान अख्तर, आपने कभी इनका नाम सुना है? जी ये भी शायरी से ताल्लुक रखते है और बकायदा ताल्लुक ही नहीं साहित्यिक खानदान से है| जी हां, डॉ. सलमान अख्तर साहब जावेद अख्तर के छोटे भाई है और मशहूर शायर जां निसार अख्तर और सफिया अख्तर के बेटे है | बहुत ज्यादा के हकदार इस शायर की चर्चा बहुत कम ही हुई है|

आपका जन्म 31 जुलाई, 1946 को लखनऊ में जन्मे सलमान अख्तर को अदबी माहोल विरासत में मिला | घर के अदबी माहोल में सिर्फ पांच साल की उम्र में ही आपने डॉ. बनने की मन में ठान ली थी, उनके इस फैसले के पीछे शायद माँ सफिया अख्तर की लंबी बीमारी का मासूम ज़ेहन पर असर था |

आपने अपनी पढाई कॉल्विन तालुक़दार कॉलेज से पूरी की | फिर आपने अलीगढ विश्विद्यालय से मनोविज्ञान चिकित्सा में एमडी की डिग्री हासिल की और सन १९७३ में अमेरिका चले गए |

आपको यह बता दिया जाए कि आप भले ही जावेद अख्तर से उम्र में छोटे हो पर शायरी जावेद अख्तर से पहले से करते आ रहे है | 1976 में आपका पहला संग्रह प्रकाशित हुआ जिसके शुरुआत में आमुख आलेख उनके पिता जां निसार अख्तर साहब का लिखा हुआ है | आपकी लगभग कई दर्जन पुस्तके प्रकाशित हो चुकी जो कि कविताओ, मनोविज्ञान आदि पर लिखी गई है |

अगर आप इन्टरनेट पर इनका नाम सर्च करे तो इनकी डाक्टरी की किताबे ज्यादा नजर आएगी ना कि शायरी या कविताओ की | इनकी शायरी पढते ही आप इनके मुरीद हो जायेगे |
कुछ वर्ष पहले आपके पहले दो प्रकाशित संग्रह 'कू-ब-कू' और 'दूसरा घर' के बाद हिंदी उर्दू में प्रकाशित पुस्तक 'नदी के पास' के रिलीज के मौके पर
जावेद अख्तर ने कहा था-'
उम्र में तो ये मुझसे कोई डेढ़ साल छोटा है लेकिन शायरी में मुझसे पुरे दस साल बड़ा है|'
आप एक लाजवाब शायर है आपकी शायरी का एक नमूना देखिये

जीना अजाब क्यों है, ये क्या हो गया मुझे
किस शख्स कि लगी है भला बददुआ मुझे

बनना पडा है आप ही अपना खुदा मुझे
किस कुफ्र कि मिली है खुदारा सजा मुझे

ये कह के मैंने रखा है हर आईने का दिल
अगले जन्म में रूप मिलेगा नया मुझे

निकले थे दोनों भेस बदलकर तो क्या अजब
मै ढूंढता खुदा को फिरा और खुदा मुझे

पूजेंगे मुझको गाँव के सब लोग एक दिन
मै एक पुराना पेड हू, तू मत गिरा मुझे

इस घर के कोने-कोने में यादो के भुत है
अलमारिया न खोल, बहुत मत डरा मुझे

तू मुतमईन नहीं है तो मुझे कब है एतराज़
मिट्टी को फिर से गूंध मेरी, फिर बना मुझे - सलमान अख्तर

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