मानी - गुलज़ार

मानी - चौक से चल कर, मंडी से, बाज़ार हो कर, लाल गली से गुजरी है, कागज़ की कश्ती, बारिश के लावारिस पानी में बैठी बेचारी कश्ती

मानी

चौक से चल कर, मंडी से, बाज़ार हो कर
लाल गली से गुजरी है, कागज़ की कश्ती
बारिश के लावारिस पानी में बैठी बेचारी कश्ती
शहर की आवारा गलियों में सहमी-सहमी पूछ रही है
कश्ती का कोई साहिल होता है तो
मेरा भी क्या साहिल होगा?

एक मासूम-से बच्चे ने
बेमानी को मानी दे कर
रद्दी के कागज़ पर कैसा जुल्म किया है
- गुलज़ार


mani

chouk se chal kar, mandi se, bazar ho kar
laal gali se gujri hai, kagaz ki kashti
barish ke lawaris paani me baithi bechari kashti
shahar ki awara galiyo me sahmi sahmi puchh rahi hai
kashti ka sahil hota hai to
mera bhi kya sahil hoga ?

ek masoom-se bachche ne
bemani ko maani de kar
raddi ke kagaz par kaisa zulm kiya hai
- Gulzar

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