दे सकेगा क्या किसी को वो ख़ुशी
दे सकेगा क्या किसी को वो ख़ुशीखौफ़ में जिसने बिताई ज़िन्दगी
सिर्फ़ कहने का तरीका है नया
बात कोई भी नहीं है अनकही
उम्र भर की शोहरतों का ये सिला
सर छुपाने को नहीं छत आज भी
प्यास दुनिया की मिटाएगा कहाँ
इस समंदर की मिटी कब तिश्नगी
मैं तो आदत के मुताबिक़ हँस पड़ा
दास्ताँ गो आपकी थी दुःखभरी - बलजीत सिंह बेनाम
de sakega kya kisi ko wo khushi
de sakega kya kisi ko wo khushikhouf me jisne bitai zindgi
sirf kahne ka tarika hai naya
baat koi bhi nahi hai ankahi
umra bhar ki shohrato ka ye sila
sar chhupane ko nahi chhat aaj bhi
pyas duniya ki mitayega kahaN
is samndar ki mitti kab tishnagi
mai to aadat ke mutabik hans pada
dastaN go aapki thi dukhbhari - Baljeet Singh Benaam
बलजीत सिंह बेनाम
सम्प्रति:संगीत अध्यापक, उपलब्धियाँ:विविध मुशायरों व सभा संगोष्ठियों में काव्य पाठ, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित, विभिन्न मंचों द्वारा सम्मानित, आकाशवाणी हिसार और रोहतक से काव्य पाठ
सम्पर्क सूत्र:103/19 पुरानी कचहरी कॉलोनी, हाँसी:125033
मोबाईल:9996266210
Mail : baljeets312@gmail.com
बेहद खूबसूरत और उम्दा वाह|
Sad Shayari
तहेदिल से शुक्रिया जनाब
बेनाम साहिब, बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है.
तहेदिल से शुक्रिया जनाब आपकी मोहब्बत है