अलाव - नैय्यर इमाम सिद्दीकी

अलाव - नैय्यर इमाम सिद्दीकी

जब से तुम गए हो
कुछ लिख ही नहीं पाता
मेरी ज़िन्दगी कोरे काग़ज़ की तरह हो गयी है
क़लम है के ख़ामोश है
और दिमाग़ कि बस
लफ्ज़ ही ढूँढता रहता है
और दिल
दिल का क्या कहूं
इस में तुम बन के हुक समाई हो
लबों पे हैं एक तवील ख़ामोशी
और आँखों में पसरी है वीरानी
और ख्यालों में
न टूटने वाला सन्नाटा
ऐसा लगता है जैसे
मैं इंसान नही
कोई सुनसान खँडहर हूँ
जो फिर से बसना चाहता है हवेली बन कर
तो
बस इतनी सी इल्तिजा है
लौट आओ मेरी दुनिया में वापस
सर्दी में जलते अलाव की तरह
क्यूंकि
दूर रह के जलने से से अच्छा है कि
पास रह के नफरत की आग को सुलगाये रखें
बोलो
वापस आओगी न? - नैय्यर इमाम सिद्दीकी


Alaav - Naiyar Imam Siddiqui

Jab se tum gaye ho
kuch likh nahi pata
meri zindgi kore kagaj ki tarah ho gayi hai
kalam hai ke khamosh hai
aur dimag ki bas
lafz hi dhundhta rahta hai
aur dil
dil ka kya kahu
is me tum ban ke huk samai ho
labo pe hai ek taweel khamoshi
aur aankho me pasri hai veerani
aur khayalo me
n tutne wala sannata
aisa lagta hai jaise
ma inasaan nahi
koi sunsan khandhar hu
jo fir se basna chahta hai haweli bankar
to bas itni si iltija hai
lout aao meri duniya me wapas
sardi me jalte alaav ki tarah
kyuki
door rah ke jalne se achcha hai ki
paas rah ke nafrat ki aag ko sulgaye rakhe
bolo wapas aaogi na? - Naiyyar Imam Siddiqi
नैय्यर इमाम जी रायपुर के रहने वाले है आपसे facebook पर संपर्क किया जा सकता है और आपका मेल एड्रेस है naiyarimam88@gmail.com

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