डॉ. राही मासूम रज़ा जीवन परिचय
डॉ. राही मासूम रज़ा का जन्म गंगोली, गाजीपुर गाव उत्तरप्रदेश में 1 सितम्बर, 1925 को हुआ और वही गंगा किनारे प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा गाजीपुर के एक मुहल्ले में हुई | बचपन में पोलियो हो जाने के कारण उनकी शिक्षा छुट गई थी पर इंटरमीडियट करने के बाद वे अलीगढ आ गए और यही से एम.ए. करने के बाद उर्दू में 'तिलिस्म-ए-होशरूबा' पर पीएचडी की |
इसके बाद वे अलीगढ मुस्लिम युनिवेर्सिटी, अलीगढ के उर्दू विभाग में प्रोफेसर हो गए | और अलीगढ के ही एक मुहल्ले बदरबाग में रहने लगे | यही रहते हुए उन्होंने "आधा गाव", 'दिल का एक सादा कागज', 'ओस की बूंद', ' हिम्मत जोनपुरी', उपन्यास व् 1965 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए वीर अब्दुल हामिद की जीवनी 'छोटे आदमी की बड़ी कहानी' लिखी | उनकी ये सभी कृतिया हिंदी में थी |
आपने प्रसिद्द टीवी सीरियल महाभारत की स्क्रिप्ट भी लिखी है, और आप 1979 में " तुलसी तेरे आँगन की " फिल्म के लिए फिल्म फेयर बेस्ट डायलाग अवार्ड भी जीत चुके है और इस प्रतिभाशाली मशहूर शायर का निधन 15 मार्च, 1992 को हुआ | परन्तु इस दुनिया से अलविदा कहने के बावजूद डॉ. राही मासूम रज़ा आज भी हमारे दिलो में जिन्दा है |
इसके बाद वे अलीगढ मुस्लिम युनिवेर्सिटी, अलीगढ के उर्दू विभाग में प्रोफेसर हो गए | और अलीगढ के ही एक मुहल्ले बदरबाग में रहने लगे | यही रहते हुए उन्होंने "आधा गाव", 'दिल का एक सादा कागज', 'ओस की बूंद', ' हिम्मत जोनपुरी', उपन्यास व् 1965 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए वीर अब्दुल हामिद की जीवनी 'छोटे आदमी की बड़ी कहानी' लिखी | उनकी ये सभी कृतिया हिंदी में थी |
आपने प्रसिद्द टीवी सीरियल महाभारत की स्क्रिप्ट भी लिखी है, और आप 1979 में " तुलसी तेरे आँगन की " फिल्म के लिए फिल्म फेयर बेस्ट डायलाग अवार्ड भी जीत चुके है और इस प्रतिभाशाली मशहूर शायर का निधन 15 मार्च, 1992 को हुआ | परन्तु इस दुनिया से अलविदा कहने के बावजूद डॉ. राही मासूम रज़ा आज भी हमारे दिलो में जिन्दा है |
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
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