छोटू चाय वाला
आपके एक साथ मै एक घटना बात रहा हूँ कुछ समय पहले मै और मेरे दोस्त चाय पीने चाय वाले के यहाँ गए चुकी वो एक अलग कमरा लेकर रहता है सो चाय पीने बाहर जाना ही पड़ता है और वैसे भी हम घूमते घूमते चाय की घुमटी पर पहुच ही जाते है हां तो फिर आगे बढ़ते है मै और मेरे दोस्त चाय पीते हुए बतिया रहे थे और हमने कुछ कट चाय की मांग रख दी चुकी चाय वाले की घुमटी हमारे मिलने का एक अड्डा हुआ करता था और शायद आज भी है यु ही बतियाते हुए हम वहा पहुच जाते है चाय वाले ने एक छोटे से बच्चे के हाथो हमारे पास चाय भेज दी |
चाय ख़त्म होने के बाद दोस्त ने आवाज़ दी छोटू ग्लास ले जा मेरे दीमाग में आया की छोटू से बात कृ सो उसे बुलाया |
पूछा " छोटू तेरा नाम क्या" वह बोला " छोटू"
मैंने कहा - "नहीं असली नाम"
वह बोला - " भैय्या असली नाम में क्या रखा है कोई मुझे छोटू कहता है, कोई हीरो कहता है, कोई शश की आवाज़ लगाता है कोई अब इधर आ कहता है हीरो. हम ग़रीबो का कोई नाम थोड़े ही होता है आप की जो मर्जी हो वो बुला लीजिये"
मै तो उसकी बाते सुनकर दंग रह गया फिर सोचा सही तो है वैसे देश में बाल मजदूरी पर कानून बना है पर शायद ही कही उसका कोई पालन हो रहा होगा. उस बच्चे के कहते समय शायद उसकी आँखों में कुछ आसू की बुँदे भी थी |
उस मासूम से बच्चे पर इतनी सी उम्र में उसके मानस पटल पर क्या असर हुआ होगा सोचिये और किसी भी तरह की बाल मजदूरी को रोकने का प्रयास करिए अगर मन कर सके तो किसी से तमीज से बात तो करिए |
- देवेन्द्र गेहलोद
चाय ख़त्म होने के बाद दोस्त ने आवाज़ दी छोटू ग्लास ले जा मेरे दीमाग में आया की छोटू से बात कृ सो उसे बुलाया |
पूछा " छोटू तेरा नाम क्या" वह बोला " छोटू"
मैंने कहा - "नहीं असली नाम"
वह बोला - " भैय्या असली नाम में क्या रखा है कोई मुझे छोटू कहता है, कोई हीरो कहता है, कोई शश की आवाज़ लगाता है कोई अब इधर आ कहता है हीरो. हम ग़रीबो का कोई नाम थोड़े ही होता है आप की जो मर्जी हो वो बुला लीजिये"
मै तो उसकी बाते सुनकर दंग रह गया फिर सोचा सही तो है वैसे देश में बाल मजदूरी पर कानून बना है पर शायद ही कही उसका कोई पालन हो रहा होगा. उस बच्चे के कहते समय शायद उसकी आँखों में कुछ आसू की बुँदे भी थी |
उस मासूम से बच्चे पर इतनी सी उम्र में उसके मानस पटल पर क्या असर हुआ होगा सोचिये और किसी भी तरह की बाल मजदूरी को रोकने का प्रयास करिए अगर मन कर सके तो किसी से तमीज से बात तो करिए |
- देवेन्द्र गेहलोद
बाल मजदूरी रोकना इतना आसान भी नहीं है, क्योंकि इन सारे ही छोटुओं के पिताजी इन्हें मजदूरी कराते हैं। साल भर का एकमुश्त पैसा सेठ से ले जाते हैं। बच्चा तो वहाँ रोटी और कपड़े पर ही पलता है।
बाल मजदूरी रोकना इतना आसान भी नहीं है
छोटू के बहाने बड़ी बात.... डायरी के अगले पन्ने का इंतजार रहेगा......
हिंदी ब्लागिंग को आप ऊंचाई तक पहुंचाएं, यही कामना है.
छोटू के बहाने बड़ी बात.... डायरी के अगले पन्ने का इंतजार रहेगा......
हिंदी ब्लागिंग को आप ऊंचाई तक पहुंचाएं, यही कामना है.
Bahot Khub... :)
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