विनय मिश्र की किताब लोग जिंदा हैं समीक्षा

विनय मिश्र की किताब लोग जिंदा हैं समीक्षा हिन्दी ग़ज़ल को सिद्ध और समृद्ध करती हुई किताब 'लोग जिंदा हैं' - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी

विनय मिश्र की किताब लोग जिंदा हैं समीक्षा

हिन्दी ग़ज़ल को सिद्ध और समृद्ध करती हुई किताब 'लोग जिंदा हैं' - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी

हिंदी गजल को आज जिस रूप में स्वीकृति मिल रही है, और उसे यहां तक लाने में जिन लोगों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका दर्ज की है उनमें एक बड़ा नाम विनय मिश्र का है | लोग जिंदा हैं उनका तीसरा गजल संग्रह है | इसमें कुल एक सौ आठ ग़ज़लें शामिल हैं | विनय मिश्र की ग़ज़लों की विशेषता उसकी पठनीयता सम्प्रेषणीयता, प्रभावोत्पादकता, प्रस्तुतीकरण और सामाजिक सरोकार है | उनके शेर सहजता से भरे पड़े हैं जो अपनी सहजता के साथ न मात्र ज़ुबान पर आ जाते हैं, बल्कि पाठकों के ज़ेहनों में भी सदा के लिए रच बस जाते हैं | उनकी ग़ज़लें यूं ही नहीं लिख दी जातीं, बल्कि वह हर शेर पर मेहनत करते हैं, उसे तराशते हैं, काटते और छांटते हैं इसलिए उनका हर शेर एक बात रखने में मुकम्मल तौर पर कामयाब होता है | उनका शेर इस सवाल का जवाब चाहता है कि अगर लोग जिंदा हैं तो क्या सिर्फ जिंदा रहना ही काफी है | उनकी स्थापना है कि जिंदगी ऐसी नहीं जी जाती जैसे हम लोग जी रहे हैं, अथवा जिस तरह जीने पर विवश किया जा रहा है |

हिंदी ग़ज़ल शुरू से ही प्रतिरोध का स्वर अख्तियार करती है | वो हुस्न और इश्क के नाज़ो-नखरे से बहुत कुछ दूर रही है | उर्दू में प्यार वाली यह विधा हिंदी में अपना तेवर बदल देती है और अपने रुख को उस तरफ मोड़ लेती है जहां लोग प्यास की जगह पर आंसुओं को और भूख की जगह पर हवाओं को पी रहे हैं | उनके साथ छल- कपट हो रहा है | उन्हें नौकरी नहीं मिल रही है | जीने के मूलभूत साधन भी मुहैया नहीं हैं | सियासत उनके साथ हमेशा से छल कर रही है | उनका अपना कोई अस्तित्व या वक़ार नहीं है |

विनय मिश्र की ग़ज़लों की कोशिश भी यही है, जो वो अपनी दूसरी ही ग़ज़ल में कह देते हैं-

दिल से निकले जुबान तक पहुंचे
मेरी चुप्पी बयान तक पहुंचे

ऐसा ही उनका एक और शेर है-
इन गहरी खामोशी की आवाजों में
यह जो मेरा बतियाना है क्या कम है

विनय मिश्र हिंदी गजल में चुप्पी तोड़ने वाले शायर हैं वह बार-बार अपने शेर में शिकायत दर्ज करते हैं | उस खतरे से आगाह करते हैं, जिस खतरे की तरफ कभी नाज़िम हिकमत और मुक्तिबोध ने सचेत किया था | उनका ज़्यादातर शेर सामाजिकों को वर्तमान स्थितियों और परिस्थितियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने के लिए आमादा करता है | वो पृथकतावाद और सामंतवाद की उस मानसिकता को पकड़ते हैं जिसकी हर बात में एक राज है, एक साजिश है, एक कॉन्सपिरेसी है | कुछ शेर क़ाबिले ग़ौर हैं -

वो दुखों को बस नया आकार देते हैं
हम समझते हैं कि हम को प्यार देते हैं

जानता हूं हाशिए का एक कवि हूं
जो भी है कर्तव्य अपना कर रहा हूं

विनय मिश्र की कविताएं और ग़ज़लें जिंदगी के ताप से होकर बाहर आती हैं | आचार्य शुक्ल ने भी कविता को जीवन की अनुभूति कहा था | विनय मिश्र आशा और विश्वास के कवि हैं | वह अपनी ग़ज़लों में सिर्फ भयावह दृष्य ही उत्पन्न नहीं करते, बल्कि यह बात पूरी शिद्दत और भरोसे के साथ स्वीकारते हैं कि हालात एक दिन जरूर अच्छे होंगे | इस संदर्भ में उनके कुछ शेर भी देखे जा सकते हैं-

हमारी जिंदगी सचमुच अगर है
किसी दीवार पर तस्वीर भर है (पृष्ठ 22)

नींद में आ गई है गरमाहट
सर्द रातों में यों उठी है आग

विनय मिश्र की लगभग हर गजलों में कम से कम एक शेर प्रेम और प्रकृति पर है, जो इस बात की तस्दीक है कि जिंदगी को खूबसूरत बनाने में प्रेम और प्रकृति दोनों की बराबर भागीदारी है |

कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि अपनी उत्कृष्ट छपाई साज सज्जा तथा वस्तु, कथ्य और शैली की दृष्टि से भी यह गजल संग्रह अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण है |

लोग जिंदा हैं (गजल संग्रह)
विनय मिश्र
प्रथम संस्करण 2021
मूल्य - 150
लिटिल वर्ल्ड पब्लिकेशंस
दरियागंज, नई दिल्ली-2
विनय मिश्र की किताब लोग जिंदा हैं समीक्षा हिन्दी ग़ज़ल को सिद्ध और समृद्ध करती हुई किताब 'लोग जिंदा हैं' - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी

डॉ. जियाउर रहमान जाफरी
स्नातकोत्तर हिंदी विभाग
मिर्जा गालिब कॉलेज गया, बिहार - 823001
मोबाइल - 9934847941

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