Showing posts from March, 2011

लम्हा-लम्हा जीना क्या और लम्हा-लम्हा मरना क्या - मीना कुमारी नाज़

लम्हा-लम्हा जीना क्या और लम्हा-लम्हा मरना क्या लम्हा-लम्हा जीना क्या और लम्हा-लम्हा मरना क्या साथ तुम्हारा, साथ हमारे अगर रहे तो कहना क्या हम-तुम दोनों एक छंद है शायर जिनको भूल गया बोले, बाद इस छंद के अब तो कहना क्या, न कहना क्या बूंद-बूंद …

हिजाब-ए-फ़ित्ना-परवर अब उठा लेती तो अच्छा था - मजाज़ लखनवी

हिजाब-ए-फ़ित्ना-परवर अब उठा लेती तो अच्छा था हिजाब-ए-फ़ित्ना-परवर अब उठा लेती तो अच्छा था ख़ुद अपने हुस्न को पर्दा बना लेती तो अच्छा था तिरी नीची नज़र ख़ुद तेरी इस्मत की मुहाफ़िज़ है तू इस नश्तर की तेज़ी आज़मा लेती तो अच्छा था तिरी चीन-ए-जबी…

परिचय - परवीन शाकिर

परिचय - परवीन शाकिर परवीन शाकिर पकिस्तान की नयी उर्दू शायरी में एक अहम् मुकाम रखती है | आपका जन्म 24 नवम्बर, 1952 को शाकिर हुसैन के घर कराची सिंध, पकिस्तान में हुआ | आपकी उस्ताद मोहतरमा इरफान अजीज ने आपको लिखने की सलाह दी थी आप पहले भी पढना पसंद …

लोग जिसको ताज पहनाने चले - चाँद शेरी

लोग जिसको ताज पहनाने चले लोग जिसको ताज पहनाने चले हाथ अपने खुद ही बंधवाने चले मंदिरों के मस्जिदों के आदमी बस्तिया यूं ही उजडवाने चले चंद सिक्को के लिए वो सिरफिरे आदमियत को ही बिकवाने चले धुप की चादर में लिपटे वो गरीब नाम बेकारो में लिखवान…

हुस्न-ए-अहसास निखरता है ग़ज़ल कहने में - महमूद जकी

हुस्न-ए-अहसास निखरता है ग़ज़ल कहने में हुस्न-ए-अहसास निखरता है ग़ज़ल कहने में आदमी खुद भी सवरता है ग़ज़ल कहने में लम्हा बीता के सदी बीत गई हो जैसे वक़्त ऐसे भी गुजरता है ग़ज़ल कहने में फ़िक्र मामिन की, जुबा दाग की, ग़ालिब का बयाँ अब भला कौन यह करता है…

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा - अल्लामा इक़बाल

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा हम बुलबुलें हैं इस की ये गुलसिताँ हमारा ग़ुर्बत में हों अगर हम रहता है दिल वतन में समझो वहीं हमें भी दिल हो जहाँ हमारा पर्बत वो सब से ऊँचा हम-साया आसमाँ का वो संतरी ह…

आदमी बुलबुला है - गुलज़ार

आदमी बुलबुला है आदमी बुलबुला है पानी का और पानी की बहती सतहा पर टूटता भी है, डूबता भी है, फिर उभरता है, फिर से बहता है, न समंदर निगला सका इसको, न तवारीख़ तोड़ पाई है, वक्त की मौज पर सदा बहता आदमी बुलबुला है पानी का। ज़िंदगी क्या है जानने …

बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी - कफ़ील आज़र अमरोहवी

बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी लोग बेवजह उदासी का सबब पूछेंगे ये भी पूछेंगे कि तुम इतनी परेशां क्यूं हो उगलियां उठेंगी सूखे हुए बालों की तरफ इक नज़र देखेंगे गुज़रे हुए सालों की तरफ चूड़ियों पर भी कई तन्ज़ …

कभी नेकी भी उस के जी में गर आ जाए है मुझ से - मिर्ज़ा ग़ालिब

कभी नेकी भी उस के जी में गर आ जाए है मुझ से कभी नेकी भी उस के जी में गर आ जाए है मुझ से जफ़ाएँ कर के अपनी याद शरमा जाए है मुझ से ख़ुदाया जज़्बा-ए-दिल की मगर तासीर उल्टी है कि जितना खींचता हूँ और खिंचता जाए है मुझ से वो बद-ख़ू और मेरी दास्तान-…

किसने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी - आरज़ू लखनवी

किसने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी किसने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी, झूम कर आई घटा, टूट के बरसा पानी कोई मतवाली घटा थी के जवानी की उमंग, जी बहा ले गया बरसात का पहला पानी टिकटिकी बांधे वो फिरते है में इस फ़िक्र में हूँ, कही खाने लगे ना …

हिंद के गुलशन में जब आती है होली की बहार - नज़ीर अकबराबादी

हिंद के गुलशन में जब आती है होली की बहार हिन्द के गुलशन में जब आती है होली की बहार। जांफिशानी चाही कर जाती है होली की बहार।। एक तरफ से रंग पड़ता, इक तरफ उड़ता गुलाल। जिन्दगी की लज्जतें लाती हैं, होली की बहार।। जाफरानी सजके चीरा आ मेरे शाकी श…

तब देख बहारे होली की - नज़ीर अकबराबादी

तब देख बहारे होली की जब फागुन रंग झमकते हो तब देख बहारे होली की और दफ़ के शोर खदकते हो तब देख बहारे होली की परियो के रंग दमकते हो तब देख बहारे होली की ख़म शीशए जाम छलकते हो तब देख बहारे होली की महबूब नशे में छलकते हो तब देख बहारे होली की हो ना…

तुमको देखा तो ये ख़याल आया - जावेद अख़्तर

तुमको देखा तो ये ख़याल आया तुमको देखा तो ये ख़याल आया ज़िंदगी धूप तुम घना साया आज फिर दिल ने एक तमन्ना की आज फिर दिल को हमने समझाया तुम चले जाओगे तो सोचेंगे हमने क्या खोया, हमने क्या पाया हम जिसे गुनगुना नहीं सकते वक़्त ने ऐसा गीत क्यूँ …

मेहर लाल सोनी ज़िया फतेहाबादी परिचय

मेहर लाल सोनी ज़िया फतेहाबादी परिचय मेहर लाल सोनी का जन्म आपके मामा लाला शंकर दास पुरी के घर कपूरथला में सुबह के वक़्त 9 फरवरी 1913 को हुआ, आप अपने पिता के ज्येष्ठ पुत्र थे | आपके पिता मुंशी राम सोनी एक सिविल इंजिनियर थे | आपकी पारम्भिक शिक्षा…

हो तअल्लुक़ तुझसे जब तक ज़िन्दगी बाक़ी रहे - अहमद निसार

हो तअल्लुक़ तुझसे जब तक ज़िन्दगी बाक़ी रहे हो तअल्लुक़ तुझसे जब तक ज़िन्दगी बाक़ी रहे दोस्ती बाक़ी नहीं तो दुश्मनी बाक़ी रहे हो न जाऊँ मैं कहीं मग़रूर ए मेरे ख़ुदा यूँ मुकम्मल कर मुझे के कुछ कमी बाक़ी रहे सबके हिस्से में बराबर के उजाले आएँगे घर के इन …

दिल चीज़ क्या है आप मिरी जान लीजिए - शहरयार

दिल चीज़ क्या है आप मिरी जान लीजिए दिल चीज़ क्या है आप मिरी जान लीजिए बस एक बार मेरा कहा मान लीजिए इस अंजुमन में आप को आना है बार बार दीवार-ओ-दर को ग़ौर से पहचान लीजिए माना कि दोस्तों को नहीं दोस्ती का पास लेकिन ये क्या कि ग़ैर का एहसान लीजि…

दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह - क़तील शिफ़ाई

दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह! दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह! फिर चाहे दीवाना कर दे या अल्लाह! मैनें तुझसे चाँद सितारे कब माँगे रौशन दिल बेदार नज़र दे या अल्लाह! सूरज सी इक चीज़ तो हम सब देख चुके सचमुच की अब कोई सहर दे या अल्लाह! य…

काश ऐसा कोई मंज़र होता - ताहिर फ़राज़

काश ऐसा कोई मंज़र होता काश ऐसा कोई मंज़र होता मेरे काँधे पे तेरा सर होता जमा करता जो मै आये हुए संग सर छुपाने के लिए घर होता इस बुलंदी पे बहुत तनहा हूँ काश मै सब के बराबर होता उस ने उलझा दिया दुनिया में मुझे वर्ना एक और क़लंदर होता वो जो…

अजनबी दुनिया में तेरा आशना मै ही तो था - मेहर लाल ज़िया फतेहाबादी

अजनबी दुनिया में तेरा आशना मैं ही तो था अजनबी दुनिया में तेरा आशना मैं ही तो था दी सज़ा तू ने जिसे वो बेख़ता मैं ही तो था मैं जो टूटा हो गया हंगामा ए महशर बपा तार ए साज़ ए बेसदा ओ बेनवा मैं ही तो था नाख़ुदा ओ मौज ए तूफ़ान की शिकायत क्या करूं ज…

दिल मेरा सोजे-निहा से बेमहाबा जल गया - मिर्ज़ा ग़ालिब

दिल मेरा सोजे-निहा से बेमहाबा जल गया दिल मिरा सोज़-ए-निहाँ से बे-मुहाबा जल गया आतिश-ए-ख़ामोश की मानिंद गोया जल गया दिल में ज़ौक़-ए-वस्ल ओ याद-ए-यार तक बाक़ी नहीं आग इस घर में लगी ऐसी कि जो था जल गया मैं अदम से भी परे हूँ वर्ना ग़ाफ़िल बार-हा …

सदमा तो है मुझे भी कि तुझसे जुदा हूँ मैं - क़तील शिफ़ाई

सदमा तो है मुझे भी कि तुझसे जुदा हूँ मैं सदमा तो है मुझे भी कि तुझसे जुदा हूँ मैं लेकिन ये सोचता हूँ कि अब तेरा क्या हूँ मैं बिखरा पड़ा है तेरे ही घर में तेरा वजूद बेकार महफ़िलों में तुझे ढूँढता हूँ मैं मैं ख़ुदकशी के जुर्म का करता हूँ ऐतराफ…

मौज-ए-गम गुल क़तर गई होगी - मेहर लाल ज़िया फतेहाबादी

मौज-ए-गम गुल क़तर गई होगी मौज-ए-गम गुल क़तर गई होगी नदी चढ़ कर उतर गई होगी गर्क होना था जिस को वो किश्ती साहिलों से गुज़र गई होगी हम ज़मी वालो की जो पहले पहल आसमाँ पर नज़र गई होगी आईनाखाने मै बा हर सूरत आब ओ ताब ए गुहर गई होगी हादसों आफतो…

ये तेरा घर ये मेरा घर - जावेद अख़्तर

ये तेरा घर ये मेरा घर यह गीत साथ -साथ फिल्म में लिया गया है और फारुख शैख़ और दीप्ती नवल पर फिल्माया गया है | ये तेरा घर ये मेरा घर, किसी को देखना हो गर तो पहले आके माँग ले, मेरी नज़र तेरी नज़र ये घर बहुत हसीन है न बादलों की छाँव में, न चाँदनी …

परखना मत परखने से कोई अपना नहीं रहता - बशीर बद्र

परखना मत परखने से कोई अपना नहीं रहता परखना मत परखने से कोई अपना नहीं रहता किसी भी आईने में देर तक चेहरा नहीं रहता बड़े लोगो से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना जहा दरिया समुन्दर से मिला दरिया नहीं रहता हजारो शेर मेरे सो गए कागज़ की कब्रों में अज…

तड़पते हैं न रोते हैं न हम फ़रियाद करते हैं - ख़्वाजा हैदर अली आतिश

तड़पते हैं न रोते हैं न हम फ़रियाद करते हैं तड़पते हैं न रोते हैं न हम फ़रियाद करते हैं सनम की याद में हर-दम ख़ुदा को याद करते हैं उन्हीं के इश्क़ में हम न नाला -ओ-फ़रियाद करते हैं इलाही देखिये किस दिन हमें वो याद करते हैं शब-ए-फ़ुर्क़त में…

फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया - मिर्ज़ा ग़ालिब

फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया दिल जिगर तश्ना-ए-फरियाद आया दम लिया था न क़यामत ने हनोज फिर तेरा वक्ते-सफ़र याद आया सादगी-हाए-तमन्ना, यानि फिर वो नैरंगे-नज़र याद आया उज्रे-वामान्दगी ए हसरते-दिल नाला करता था जिगर याद आय…

जोश मलिहाबादी - परिचय

जोश मलिहाबादी - परिचय जो श मलिहाबादी का जन्म शब्बीर हसन खान के रूप में 5 दिसंबर 1894 को संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत के मलिहाबाद में हुआ था | आप 1958 तक भारत के नागरिक रहे फिर पकिस्तान चले गए | आपने अपना तखल्लुस जोश ( जिसका मतलब जूनून है ) रखा …

सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या - हैदर अली आतिश

सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या कहती है तुझ को ख़ल्क़-ए-ख़ुदा ग़ाएबाना क्या क्या क्या उलझता है तिरी ज़ुल्फ़ों के तार से बख़िया-तलब है सीना-ए-सद-चाक शाना क्या ज़ेर-ए-ज़मीं से आता है जो गुल सो ज़…

निदा फ़ाज़ली - परिचय

निदा फ़ाज़ली - परिचय दिल्ली में पिता मुर्तुज़ा हसन और माँ जमील फ़ातिमा के घर माँ की इच्छा के विपरीत तीसरी संतान नें जन्म लिया जिसका नाम बड़े भाई के नाम के क़ाफ़िये से मिला कर मुक़्तदा हसन रखा गया। दिल्ली कॉर्पोरेशन के रिकॉर्ड में इनके जन्म की तार…

यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया - हैदर अली आतिश

यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया रात भर ताला'-ए-बेदार ने सोने न दिया ख़ाक पर संग-ए-दर-ए-यार ने सोने न दिया धूप में साया-ए-दीवार ने सोने न दिया शाम से वस्ल की शब आँख न झपकी ता-सुब्ह शादी-ए-दौलत-ए…

कभी मुझ को साथ लेकर कभी मेरे साथ चल के - अहसान बिन दानिश

कभी मुझ को साथ लेकर, कभी मेरे साथ चल के कभी मुझ को साथ लेकर, कभी मेरे साथ चल के वो बदल गये अचानक, मेरी ज़िन्दगी बदल के हुए जिस पे मेहरबाँ तुम, कोई ख़ुशनसीब होगा मेरी हसरतें तो निकलीं, मेरे आँसूओं में ढल के तेरी ज़ुल्फ़-ओ-रुख़ के, क़ुर्बाँ दि…

कहते हो, न देंगे हम दिल, अगर पड़ा पाया - मिर्ज़ा ग़ालिब

कहते हो, न देंगे हम दिल, अगर पड़ा पाया कहते हो, न देंगे हम दिल, अगर पड़ा पाया दिल कहाँ कि गुम कीजे हम ने मुद्दआ पाया इश्क़ से तबीअ'त ने ज़ीस्त का मज़ा पाया दर्द की दवा पाई दर्द-ए-बे-दवा पाया दोस्त-दार-ए-दुश्मन है ए'तिमाद-ए-दिल मा'…

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