लम्हा-लम्हा जीना क्या और लम्हा-लम्हा मरना क्या - मीना कुमारी नाज़
लम्हा-लम्हा जीना क्या और लम्हा-लम्हा मरना क्या लम्हा-लम्हा जीना क्या और लम्हा-लम्हा मरना क्या साथ तुम्हारा, साथ हमारे अगर रहे तो कहना क्या हम-तुम दोनों एक छंद है शायर जिनको भूल गया बोले, बाद इस छंद के अब तो कहना क्या, न कहना क्या बूंद-बूंद …